प्राकृतिक रंग, प्रतिनिधि रंग तथा उन्नत रंग

प्राकृतिक, प्रतिनिधि तथा उन्नत रंग: हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला चित्र कैसे लेती है?: भाग 3


इस लेख मे हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला द्वारा लिए जाने वाले तीन प्रकार के चित्रों और उन्हे बनाने की विधि का वर्णन किया गया है।
[इस लेख को पढ़ने से पहले इसका पहला भाग और दूसरा भाग पढ़े।]

 प्राकृतिक रंगों वाला चित्र
  प्रस्तुत चित्र को इ एस ओ 510- जी13 आकाशगंगा के लाल,हरा और निला प्रकाश के फिल्टर से लिए गये तीन श्वेत श्याम चित्रो से बनाया गया है।इस चित्र मे रंगो का निर्धारण इस तरह से किया गया है कि अंतिम चित्र इस आकाशगंगा की मानव आंखो को दिखायी देने वाली छवि के जैसा निर्मित हो। यह चित्र इस आकाशगंगा के वास्तविक चित्र के जैसा होता है।
इस आकाशगंगा का अधिकतर भाग सफेद रंग का है क्योंकि इस क्षेत्र मे भिन्न भिन्न रंगो के तारे है जो अंतिम चित्र मे मिलकर सफेद रंग बना रहे है।लेकिन धूल के गहरे पट्टे के पास जो आकाशगंगा को दो भागो मे बांट रहा है, तारों का प्रकाश लालीमा लिए हुये है। ये धूल का पट्टा निले रंग के प्रकाश को रोक लेता है लेकिन लाल प्रकाश इससे पार हो जा रहा है।यह प्रभाव आप फिल्टर से ली गयी श्वेत श्याम चित्र मे ज्यादा अच्छे से देख सकते है। ध्यान दे कि यह धूल का पट्टा नीले फिल्टर वाले श्वेत श्याम चित्र मे ज्यादा स्पष्ट है।
प्रतिनिधि रंगों वाला चित्र
  प्रस्तुत चित्र अवरक्त फिल्टर से लिया गया है। अवरक्त प्रकाश मानव आंखो से दिखायी नही देता है। वैज्ञानिको इस चित्र मे रंग भरे है जिससे मानव आंखे उसे देख सकें और समझ सके।इस चित्र मे सबसे कम तरंग दैधर्य के अवरक्त प्रकाश को निला रंग , सबसे ज्यादा तरंग दैधर्य के अवरक्त प्रकाश को लाल रंग तथा इन दोनो के मध्य के तरंगदैधर्य के प्रकाश को हरा रंग दिया है।इस तरह बने अंतिम चित्र मे रंगीन पट्टे दिखायी दे रहे है जोकि शनि के उपरी वातावरण के बादलो के रासायनिक संरचना मे अंतर को दर्शा रहे है। बादलो की रासायनिक संरचना के अंतर के कारण वे सूर्य प्रकाश को भिन्न भिन्न तरह से परावर्तित करते है।शनि के विषुवत के समीप, उपरी सतह के बादल अवरक्त प्रकाश को तिव्रता से परावर्तित करते है, जो कि लाल और हरे रंग से स्पष्ट है, इनके मिश्रण से पीला रंग भी बना है। ध्रुवो के पास के उपरी सतह के बादल अवरक्त किरणो का परावर्तन उतनी अच्छी तरह से नही करते हैं जो कि निले रंग से स्पष्ट है।
उन्नत रंगो वाला चित्र
  बिल्ली की आंखो के जैसी निहारिका एक मृत तारे द्वारा एक विस्फोट द्वारा फेंकी गयी गैस से निर्मित है। इस निहारिका मे उपस्थित विभिन्न रासायनिक तत्व भिन्न भिन्न तरंग दैधर्य पर उत्सर्जित करते हैं।इस चित्र के निर्माण मे प्रयुक्त तीन श्वेत-श्याम चित्र हायड्रोजन परमाणु, आक्सीजन परमाणु और नाइट्रोजन आयन प्रदर्शित करते है।यह तीनो चित्र वास्तविकता मे लाल प्रकाश के ही भिन्न शेड मे होते है, जिससे इन तीनो तत्वो मे अंतर करना कठिन हो जाता है। इस चित्र मे इस कठिनाई को दूर करने मूल रंगो को बदल दिया गया है।इस चित्र मे हायड़्रोजन परमाणु से प्राप्त रंग लाल रंग मे, आक्सीजन से प्रकाश निले मे तथा नाइट्रोजन से प्रकाश हरे रंग मे दर्शाया गया है।
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