वृश्चिक नक्षत्र के डंक पर का बुलबुला


RCW-120 वृश्विक नक्षत्र की पुंछ के पास स्थित ब्रह्माण्डीय बुलबुला (बड़े आकार मे देखने चित्र पर क्लीक करें)
RCW-120 वृश्विक नक्षत्र की पुंछ के पास स्थित ब्रह्माण्डीय बुलबुला (बड़े आकार मे देखने चित्र पर क्लीक करें)

वृश्चिक नक्षत्र एक बिच्छू के जैसे ही लगता है जिसमे उसके पंजे तथा मुड़ा हुआ डंक भी शामील है। यदि इस नक्षत्र के डंक की ओर ध्यान से देंखे तो वहाँ एक बृहद तारो की जन्मस्थली अर्थात विशालकाय निहारीका है। इस निहारिका के सभी भागों को दृश्य प्रकाश मे नही देखा जा सकता है लेकिन यदि उसे अवरक्त(Infrared) प्रकाश मे देखा जाये तो वह आंखो के साथ मस्तिष्क को शीतल करने वाला दृश्य है।

यह RCW 120 नामक कई प्रकाशवर्ष चौड़ा , पृथ्वी से 4300 प्रकाशवर्ष दूर गैस का महाकाय बुलबुला है। यह चित्र स्पिट्जर अंतरिक्ष वेधशाला से लिया गया है। इस चित्र मे गैस की चमक अत्याधिक शीतल भाग को दर्शा रही है जिसका तापमान शून्य से कई सौ गुणा निचे है। यह एक कृत्रिम रंग(False Color Image) का चित्र है क्योंकि स्पिटजर अवरक्त किरणो से भी कम तरगंदैधर्य के चित्र ले सकता है जिसमे इस के जैसे पिंड भी चमकते है।

यदि आप इस चित्र के मध्य (बुलबुले मे)मे देखें तो आपको एक बड़ा नीला तारा दिखायी देगा। चित्र मे यह तारा साधारण लग रहा है लेकिन यह महाकाय O वर्ग का तारा है जो हमारे सूर्य से हजारो गुणा ज्यादा प्रकाश उत्सर्जित कर रहा है। यह अत्याधिक तेजी से पराबैंगनी किरणो का भी उत्सर्जन कर रहा है; जो इस तारे के आस पास की गैस को दूर कर रही है। इस कारण यह गैस का बुलबुला कई प्रकाशवर्ष चौड़ा हो गया है। इस तारे से प्रकाश इतना ज्यादा है कि यह इसके आसपास की गैस को किसी जेट पंखे के जैसी तेजी से एक महाकाय बुलबुले के रूप मे दूर कर रहा है और परिणाम आपके सामने है एक ब्रह्माण्डीय बुलबुला !

इस तारे से दबाव इतना ज्यादा है कि गैस के इस बुलबुले के कुछ क्षेत्र दबाव मे आकर नये तारो का निर्माण कर रहे है। इस चित्र के दायें भाग मे बुलबुले के दायें भाग को देखें जहा गैस की तह ज्यादा मोटी है। यहाँ पर नये तारो का जन्म हो रहा है, जो प्रवाहित होती गैस से बन रहे है। यूरोपियन अवरक्त अंतरिक्ष वेधशाला हर्शेल से किये गये निरिक्षणो के अनुसार इस क्षेत्र मे निर्मित होते हुये एक तारे के पास सूर्य से 8 गुणा ज्यादा पदार्थ है। जब यह तारा प्रज्वलित होगा इसका द्रव्यमान और बढ़ जायेगा क्योंकि वह हायड्रोजन को जलाकर हिलीयम का निर्माण करेगा।

महाकाय नीले तारे की ओर लौटते है। इस नीले तारे का भविष्य निश्चित है, एक दिन इस तारे मे एक विस्फोट होगा और यह सुपरनोवा बन जायेगा, तब यह आकाश मे सबसे चमकिला तारा होगा। उस समय यह तारा इस बूलबूले को नष्ट कर देगा। लेकिन यह भी संभव है कि इस बुलबुले के मध्य मे के तारे जो इसी बुलबुले मे बने है पहले सुपरनोवा बन जाये। ऐसी घटनाओ का पुर्वानुमान कठीन है। यह एक स्पर्धा है, मृत्यु की स्पर्धा। जिस तारे का इंधन पहले खत्म होगा, उसका केन्द्र श्याम वीवर या न्युट्रान तारा बन जाएगा और बाह्य तहो को सुपरनोवा विस्फोट से दूर फेंक देगा। यह घट्ना ब्रह्माण्ड की सबसे विनाशकारी घटनाओं मे से एक होती है लेकिन खूबसूरत होती है।

लेकिन जब भी ऐसा होगा, यह इकलौती घटना नही होगी। RCW 120 हमारी आकाशगंगा मे किसी तारे द्वारा निर्मित अकेला बुलबुला  नही है। इसी चित्र मे आप ऐसे ही कुछ और क्षेत्र देख सकते है।

इस तरह के पिंड हमारी आकाशगंगा मे बिखरे हुये है। वे चित्र मे RCW 120 अपनी दूरी के कारण से छोटे लग रहे है लेकिन वे आकार मे RCW 120 के जैसे ही है। स्पिटजर के चित्रो मे ऐसे बुलबुले इतनी ज्यादा मात्रा मे है कि वैज्ञानिक उन्हे पहचानने के लिए सामान्य नागरिको की मदद लेते है। उन्होने एक ’मिल्की वे प्रोजेक्ट’ प्रारंभ किया है जहां आप अपने आप को रजीस्टर कर सकते है। आपको उनकी वेबसाइट पर ऐसे चित्रो को देख कर उनकी द्वारा दी गयी निर्देशिका के अनुसार वर्गीकृत करना होता है। खगोलशास्त्र मे यदि आपकी रूची है तो आपके लिए यह एक सुनहरा मौका है, हो सकता है कि आप किसी नये तरह के पिण्ड को ढुंढ निकाले और उसका नाम आपके द्वारा रखा जाये ! और ऐसा पहले हो चूका है! देर किस बात की , यहाँ पर जायें और शुरू हो जाइए!

3 विचार “वृश्चिक नक्षत्र के डंक पर का बुलबुला&rdquo पर;

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