यह हमारी अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी है जो लगभग 100 हजार प्रकाशवर्ष चौड़ी है।
हमारी मन्दाकिनी आकाशगंगा उम्र के ऐसे दौर से गुजर रही है, जिसके बाद अगले कुछ अरब वर्षों में इसके सितारों के बनने की गति धीमी पड़ जाएगी। ग्रहों पर नजर रखने वाले वैज्ञानिको का कहना है कि आकाशगंगा को आमतौर पर दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। ऊर्जा से भरपूर नीली आकाशगंगा जो तेज रफ्तार से नए सितारों को गढ़ती रहती हैं और सुस्त लाल आकाशगंगा जो धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ रही होती हैं।
स्विनबर्ग टेक्नॉलजी यूनिवर्सिटी की एक टीम ने यह दिखाया है कि हमारी मन्दाकिनी आकाशगंगा इनमें से किसी भी श्रेणी के तहत नहीं आती। यह एक ‘हरित घाटी(Green Vally)‘ जैसी आकाशगंगा है, जो किशोर नीली आकाशगंगा और बूढ़ी लाल आकाशगंगा के बीच की स्थिति में है।
ऐस्ट्रोफिजिकल जर्नल के एक शोध पत्र के अनुसार, ऐसा पहली बार है, जब वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड की बाकी आकाशगंगाओं के साथ हमारी आकाशगंगा के रंग और सितारों के बनने की दर की तुलना की है। टीम को हेड करने वाले डॉ. डेरन क्रोटोन ने कहा कि अपनी आकाशगंगा की स्थिति का उस समय आकलन करना काफी कठिन होता है, जब हम खुद इसके भीतर मौजूद हों।
इस समस्या का हल करने के लिए वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा के पिछले 20 साल के दौरान लिए गए आंकड़ों का अध्ययन किया और इसे आकाशगंगा की मौजूदा स्थिति की एक व्यापक तस्वीर में फिट करने के लिए जमा किया। डॉक्टर क्रोटोन ने कहा कि ब्रह्माण्ड के तमाम रंगों को वर्गीकरण करने के दौरान हमने जिन गुणों को देखा है, उनके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि विकासक्रम में हमारी आकाशगंगा नीली और लाल के मध्य की अवस्था में है। इसका मतलब है कि इसमें तारे बनने की प्रक्रिया अगले कुछ अरब वर्षों में धीमी पड़ जाएगी।
अच्छी जानकारी धन्यवाद
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कहीं यह आर्टिस्ट्स रेंदीशन/क्रिएटिव विज़ुलाइज़ेशन तो नहीं? मेरी समझ में तो हमें हमारी ही आकाशगंगा की तस्वीर लेने के लिए आकाशगंगा के बाहर जाना पड़ेगा. और ऐसा हम कतई नहीं कर सकते. हम सिर्फ यह कर सकते हैं कि हर संभव कोणों से टुकड़ा-टुकड़ा चित्र लेकर उसे जोड़ते रहें और ऐसी ही एक छवि बना लें.
माफ़ करें, यह कमेन्ट करने में जल्दबाजी कर गया. मैंने पोस्ट के निचले दो पैराग्राफ पढ़े ही नहीं थे.
मुझे तो ऐसे चित्रों पर बमुश्किल यकीन होता है. हौर्स हैड नेबुला, tarantula, andrmeda, या हैड्रोजन गैस के लाखों प्रकाशवर्ष विस्तार के लाल-सुनहरे बादल! कभी तो यह सब झूठ लगता है.
खैर, यहाँ एक बुनियादी सवाल और उभरता है: हम आकाशगंगा की इस तस्वीर के किस पार्श्व में हैं. जो कुछ हम इस तस्वीर में देख रहे हैं उसके पीछे का तल कैसा होगा?
चित्र में दिख रहे बाकी बड़े बिंदु भी संभवतः निकटवर्ती आकाशगंगाएं या सामने मौजूद तारे होंगे. क्या मैं सही हूँ?
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निशांत जी,
हमारी आकाशगंगा ’मंदाकिनी’ का संपूर्ण चित्र लेना हमारे लिए असंभव है। सामान्यतः मंदाकिनी के चित्रो को टूकड़ो मे लेकर जोड़ा जाता है और उन्हे ’एन्ड्रोमिडा’(पड़ोसी आकाशगंगा) के आधार पर माडेल किया जाता है।
लेकिन निहारिकाओं(हौर्स हैड नेबुला, tarantula, andrmeda, या हैड्रोजन गैस) के चित्र वास्तविक होते है। विशालकाय निहारीका जैसे हार्स हेड के चित्र कई चित्रो को जोड़कर बने होते है। इन निहारिकाओ के चित्र पहले विभिन्न फिल्टरो(लाल, निला, हरा, इन्फ़्रा रेड, अल्ट्रावायलेट इत्यादि) का प्रयोग कर लिए जाते है। अंत मे सभी चित्रो को मिलाकर एक वास्तविक रंग वाला चित्र बनाया जाता है, जो हमे देखने मिलता है। यह रंग मानव आंखो द्वारा देखे गये रंगो से थोड़ा भिन्न हो सकता है।
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मंदाकिनी में नए सितारे कैसे और क्यों बनते हैं, कभी इस रहस्य पर भी प्रकाश डालें.
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मामाश्री,
तारो के जन्म पर लेख यहां पर है ना!
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अद्भुत, सुन्दर । अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
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ज्ञानवर्धक पोस्ट , आभार
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छोटी प्रविष्ठी है – लेकिन अच्छी है.
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