यूरोपियन अंतरिक्ष संस्थान के प्लैंक उपग्रह द्वारा 2013 मे खगोलीय पृष्ठभूमी विकिरण का लिया चित्र, इस चित्र मे सूक्ष्म विचलन या अस्थिरता स्पष्ट है। An image of the cosmic microwave background radiation, taken by the European Space Agency (ESA)'s Planck satellite in 2013, shows the small variations across the sky.

खगोल भौतिकी 26 :ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण और उसका उद्गम (THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION AND ITS ORIGIN)


लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के छब्बीसवें लेख मे हम बिग बैंग के प्रमाण अर्थात ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण(THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION) की चर्चा करेंगे। 1978 मे इसकी खोज ने इसके खोजकर्ताओं को नोबेल पुरस्कार … पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 26 :ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण और उसका उद्गम (THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION AND ITS ORIGIN)

ब्रह्माण्ड का केन्द्र कहाँ है?


universe_center_wideसरल उत्तर है कि

ब्रह्माण्ड का कोई केन्द्र नही है!

ब्रह्माण्ड विज्ञान की मानक अवधारणाओं के अनुसार ब्रह्माण्ड का जन्म एक महाविस्फोट(Big Bang) मे लगभग 14 अरब वर्ष पहले हुआ था और उसके पश्चात उसका विस्तार हो रहा है। लेकिन इस विस्तार का कोई केण्द नही है, यह विस्तार हर दिशा मे समान है। महाविस्फोट को एक साधारण विस्फोट की तरह मानना सही नही है। ब्रह्माण्ड अंतरिक्ष मे किसी एक केन्द्र से विस्तारीत नही हो रहा है, समस्त ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है और यह विस्तार हर दिशा मे हर जगह एक ही गति से हो रहा है।

1929 मे एडवीन हब्बल ने घोषणा की कि उन्होने हम से विभिन्न दूरीयों पर आकाशगंगाओं की गति की गणना की है और पाया है कि हर दिशा मे जो आकाशगंगा हमसे जितनी ज्यादा दूर है वह उतनी ज्यादा गति से दूर जा रही है। इस कथन से ऐसा लगता है कि हम ब्रह्माण्ड के केन्द्र मे है; लेकिन तथ्य यह है कि यदि ब्रह्माण्ड का विस्तार हर जगह समान गति से हो रहा हो तो हर निरीक्षण बिंदु से ऐसा प्रतीत होगा कि वह ब्रह्मांड के केन्द्र मे है और उसकी हर दिशा मे आकाशगंगाये उससे दूर जा रही है। पढ़ना जारी रखें “ब्रह्माण्ड का केन्द्र कहाँ है?”

’मंदाकिनी’ आकाशगंगा केन्द्र के दैत्य को जागृत करने जा रहा है एक गैसीय बादल !


हमारी आकाशगंगा ’मंदाकिनी’ के केन्द्र मे स्थित महाकाय श्याम वीवर (Spermassive Black Hole) सामान्यतः एक सोते हुये दैत्य की तरह है। लेकिन यह दैत्य अपनी निद्रा … पढ़ना जारी रखें ’मंदाकिनी’ आकाशगंगा केन्द्र के दैत्य को जागृत करने जा रहा है एक गैसीय बादल !

हमारी पृथ्वी

ब्रह्माण्ड मे पृथ्वी की स्थिति


ब्रह्माण्ड! कितना विशाल है यह ब्रह्माण्ड! हमारी कल्पना से कहीं अधिक!

चलीये अपने ब्रह्माण्ड की सैर पर। प्रारंभ करते है हमारी अपनी पृथ्वी से! अंतरिक्ष की गहराई मे एक खूबसूरत नीली गेंद।
सभी चित्रो को पूर्णाकार मे देखने के लिए उनपर क्लीक कर के देंखे!

हमारी पृथ्वी
हमारी पृथ्वी

पढ़ना जारी रखें “ब्रह्माण्ड मे पृथ्वी की स्थिति”

बुढापे की ओर बढ़ती हुयी मंदाकिनी


यह हमारी अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी है जो लगभग 100 हजार प्रकाशवर्ष चौड़ी है। हमारी मन्दाकिनी  आकाशगंगा उम्र के ऐसे दौर से गुजर रही है, जिसके बाद अगले कुछ अरब वर्षों में इसके सितारों के बनने की गति धीमी पड़ जाएगी। … पढ़ना जारी रखें बुढापे की ओर बढ़ती हुयी मंदाकिनी