प्रश्न आपके, उत्तर हमारे

प्रश्न आपके, उत्तर हमारे

यह ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे’ का पहला भाग है। यहाँ अब 4000 के क़रीब टिप्पणियाँ हो गयी हैं, जिस वजह से नया सवाल पूछना और पूछे हुए सवालों के उत्तर तक पहुँचना आपके लिए एक मुश्किल भरा काम हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे: भाग 2‘ को शुरू किया जा रहा है। आपसे अनुरोध है कि अब आप अपने सवाल वहीं पूँछे।

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1.
2. प्रश्न आपके, उत्तर हमारे: 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक के प्रश्नों के उत्तर

3,992 विचार “प्रश्न आपके, उत्तर हमारे&rdquo पर;

  1. सर आप कहते हैँ कि पानी जली हुई हाइड्रोजन हैँ और जली हुई चीँज को दुबारा नहीँ जलाया जा सकता तो फिर पानी मेँ से हाइड्रोजन निकाल के कैँसे जलाया जा सकता हैँ?

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    1. क्योंकि उस अवस्था मे पानी टूटकर आक्सीजन और हायड्रोजन के रूप मे रहेगा। जब आप हायड्रोजन जलायेंगे दो वापिस पानी बन जायेगा। लेकिन इस तरिके फायदा नही होगा क्योंकि हायड्रोजन जलने से मिलने वाली ऊर्जा , पानी से हायड्रोजन निकालने वाली ऊर्जा से कम होगी।

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    1. बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि को आप नंगी आंखो से देख सकते है। बाकि ग्रहो के लिये दूरबीन चाहिये।
      पृथ्वी पर तो आप रहते ही है!

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  2. सर ऐसा सॉफ्टवेयर नही बन सकता जिसे youtube की vedio हिंदी में translate हो जाये क्योंकि हमारे देश में बहुत लोग है जो youtube में हिंदी में vedio देखना पसंद करते है ?

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    1. एक बार विडियो बन गया तो आवाज का अनुवाद अभी नही हो सकता है, यह तकनिक अभी नही है। विडियो बनाते समय यदि हर भाषा की आवाज/सब टाइटल्स सम्मिलित की जाये तो आप ध्वनि और सब टाइटल्स की भाषा का चयन कर सकते है लेकिन यह उस विडियो के निर्माता द्वारा होना चाहिये। विडियो का युटयुब पर अनुवाद कठीन है।

      यदि आपने टाटा-स्काय या किसी अन्य सेटटाप बाक्स वाले चैनल पर डिस्कवरी जैसे चैनल देखे होंगे तो आप उनमे भाषा का चयन कर सकते है। इसके लिये डिस्कवरी अपने विडियो मे उन भाषाओ को पहले से ध्वनि और टाइटल्स मे डालकर देता है।

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    1. गुरुत्वाकर्षण की शक्ति दूरी के साथ कम होती है लेकिन कभी खत्म नही होती है! चंद्रमा लाखो किमी दूर है लेकिन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण कारण पृथ्वी की परिक्रमा करता है।

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  3. कुछ प्रागैतिहासिक स्थानो जैसे पेरू की नाज़्कर रेखाओं तथा कुछ पिरामिड्स मे अत्यधिक मात्रा मे विद्युत चुम्बकीय तरगें पायी जाती है। इसका क्या कारण हो सकता है?

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    1. यह केवल अफ़वाह है, पेरू और पिरामिडो मे विद्युत चुंबकीय तरंगे अन्य स्थानो के जैसे ही है। कोई असामान्यता नही है। कुछ कांसपिरेसी थ्योरी वाले(उदा एन्सेंट एलीयन ) अफ़वाह फ़ैलाते रहते है।

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    1. बुध, शुक्र, बृहस्पति, मंंगल, शनि नंगी आंखो से देख सकते है। अन्य सभी ग्रहो के लिये दूरबीन चाहिये। यह पृथ्वी पर भी होता है और पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष मे भी।

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  4. जन्म के समय क्रोमोजोम फिक्स होने के बाद मनुष्य के शारीरिक गुणधर्म कायम हो जाते है क्या मनुष्य प्रयास से उसमे कुछ बदलाव लाया जा सकता है ?

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  5. माना कि उत्पत्ति एक नन्हें से सूक्ष्म विन्दु से विग वैंग से हुई, परन्तु वह नन्हां सा सूक्ष्म विन्दु कहाँ, कैसे, किस दशा में स्थिर था, जहाँ प्राथमिक घटना घटी,…..

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    1. टविज्ञान के पास बिग बैंग होने के 1^-43 सेकण्ड के बाद का ही ज्ञान है। इस समय के पहले क्या था अभी विज्ञान नहीं जानता है। लेकिन सारे प्रमाण यह कह रहे हैं क़ि ब्रह्मांड का जन्म एक बिंदु से ही हुआ होगा।

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  6. सौरमंडलीय रचना स्वचालित है अथवा संचालित के संदर्भ में, आपका उत्तर है कि गुरुत्वाकर्षण से सारा ब्रह्मांड संचालित है,.. तो फिर वही प्रश्न कि गुरुत्वाकर्षण की उत्पत्ति कैसे हुई, ….. और यदि यह उत्तर कि प्रत्येक वह वस्तु, जो द्रव्यमान रखती है उसका गुरुत्वाकर्षण होता है, तो प्रश्न उठता है कि वस्तु कि उत्पत्ति कैसे हुई,

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    1. इसी वेब साइट में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति लेख है उसे देखें। संक्षेप में आपके प्रश्न का उत्तर है की ब्रह्माण्ड में जो भी कुछ है उसकी उत्पत्ति एक नन्हे से सूक्ष्म बिंदु से बिग बैंग से हुयी है। यह बिग बैंग अंतरिक्ष और समय का विस्तार था जिसमे एक नन्हे बिंदु से ऊर्जा और पदार्थ बने। हमारी जानकारी इस घटना के हपने के 10^-43 सेकण्ड बाद से है इसके पहले क्या था , क्या हुआ एक रहस्य है। भविष्य में शायद हमारे पास उत्तर हो।

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    1. यह सबसे कमजोर बल है लेकिन सम्मिलित रूप से विशाल हो जाता है। चन्द्रमा हटाने हमें उसके द्रव्यमान के तुल्य शक्ति चाहिए।

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  7. सौरमंडल में गुरुत्वाकर्षण की उत्पत्ति के सन्दर्भ में, उदहारण और परिभाषा देकर आपने सिद्ध किया कि रचनात्मक सारा सब कुछ गुरुत्वाकर्षण के बल पर ही आधारित है, लेकिन [ सौरमंडल में गुरुत्वाकर्षण की उत्पत्ति] कैसे हुई, यह सिद्ध नहीं हो सका, जबकि यही मूल प्रश्न है,..

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      1. क्या इसका अर्थ है कि आकाश गंगा के केंद्र में बहुत ज्यादा गुरत्वकर्षण बल है, ??
        पर वहाँ है क्या?? क्या हमारी आकाशगंगा ब्रह्मांड में मुक्त बिना किसी पथ के घूम रही है..??

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      2. आकाशगंगा के केंद्र मे एक महाकाय ब्लैक होल है।
        हमारी आकाशगंगा भी कुछ साथी आकाशगंगाओ के गुरुत्वाकर्षण मे बंधी है, जिसे लोकल क्लस्टर कहते है, वे एक दूसरे का चक्कर लगा रही है।

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  8. सौरमंडलीय रचना स्वचालित है, अथवा संचालित ….. यदि स्वचालित है तो उसका सैद्धांतिक आधार क्या है, और यदि संचालित है तो कहाँ से,….

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  9. भाई आशीष श्रीवास्तव जी,.. प्रश्न आपके और उत्तर हमारे नामक संदर्भित प्रसंग अति सुन्दर है,,, खगोलीय अनोखी जानकारियां मिलती हैं,, मेरी जिज्ञासा है कि सौरमंडल में गुरुत्वाकर्षण की उत्पत्ति कैसे हुई है,,,

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    1. हर वह वस्तु जो द्रव्यमान रखती है उसका गुरुत्वाकर्षण होता है। यह बल सबसे कमजोर होता है लेकिन मात्रा के साथ मजबूत हो जाता है। उदाहरण के लिये आप या मै या कोई चट्टान या कुर्सी सभी का द्रव्यमान होता है। अर्थात ये सब भी गुरुत्वाकर्षण रखती है, लेकिन द्रव्यमान कम होने से गुरुत्वाकर्षण इतना क्षीण होता है कि उसका कोई असर नही पड़ता। लेकिन पृथ्वी, चंद्रमा या सूर्य जैसे विशाल पिंडो के रूप का द्रव्यमान अधिक होता है और उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण भी प्रभावी होता है। पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण से चंद्रमा को खींच रही होती है और वह पृथ्वी का चक्कर लगाने मे मजबूर है। पृथ्वी सूर्य के गुरुत्वाकर्षण मे बंध कर उसका चक्कर लगा रही है। सूर्य आकाशगंगा के केंद्र के गुरुत्वाकर्षण से बंध कर उसका चक्कर लगा रहा है।

      लेकिन यह बल इतना कमजोर भी है कि आपका हाथ गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी पर पड़ी किसी भी वस्तु को उठा लेता है। आप के हाथ का बल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण पर भारी पढ़ रहा है।

      सौर मंडल ही नही, आकाशगंगा, ब्रह्मांड सभी गुरुत्वाकर्षण से संचालित है।

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      1. अंतरिक्ष या स्पेस का एक सबसे महत्वपूर्ण गुण है, समय का अस्तित्व। समय का अस्तित्व बिग बैंग के बाद मे ही आया। इसलिये कहा जाता है कि स्पेस बिग बैंग से बना। इसके पहले स्पेस, समय पदार्थ के अस्तित्व के बारे मे सोचना अर्थहीन है। बिग बैंग के पहले क्या था, इस प्रश्न का कोई उत्तर नही है!

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    1. जुगनू के शरीर में नीचे की ओर पेट में चमड़ी के ठीक नीचे कुछ हिस्सों में रोशनी पैदा करने वाले अंग होते हैं। इन अंगों में कुछ रसायन होता है। यह रसायन ऑक्सीजन के संपर्क में आकर रोशनी पैदा करता है। रोशनी तभी पैदा होगी जब इन दोनों पदार्थों और ऑक्सीजन का संपर्क हो। लेकिन, एक ओर रसायन होता है जो इस रोशनी पैदा करने की क्रिया को उकसाता है। यह पदार्थ खुद क्रिया में भाग नहीं लेता है। यानी रोशनी पैदा करने में तीन पदार्थ होते हैं। इन बातों को याद रख सकते हैं कि इनमें से एक पदार्थ होता है जो उत्प्रेरक का काम करता है। ऑक्सीजन और रोशनी पैदा करने वाले पदार्थ की क्रिया में उस तीसरे पदार्थ की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होती है। जब ऑक्सीजन और रोशनी पैदा करने वाले पदार्थ की क्रिया होती है तो रोशनी पैदा होती है।

      जुगनू प्रकाशोत्पादन के लिये जो रसायन बनाते हैं, उसे फोटोजेन (Photogen) या ल्युसिफेरिन (Luciferin) कहते हैं। फ्रांसीसी वैज्ञानिक डुब्वा (Dubois) को सन् 1887 में रासायनिक विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि इसमें दो पदार्थ हैं, ल्यूसिफेरिन और ल्युसिफेरेस (Luciferase)। ल्युसिफेरिन ऑक्सीकृत होकर प्रकाश उत्पन्न करता है और ल्यूसिफेरेस उत्प्रेरक या प्रकिण्व (enzyme) का कार्य करता है। ल्युसिफेरिन गरम होकर नष्ट नहीं होता, किंतु ल्युसिफेरेस गरम होने पर नष्ट हो जाता है। कुछ अभिकर्मकों (reagents) की सहायता से इन दोनों को अवक्षिप्त (precipitate) करके तथा उपयुक्त विलायकों में पुन: विलीन कर इन्हें पृथक् किया जा सकता है। यद्यपि इन दानों को पृथक् किया गया है, फिर भी इनकी यथार्थ रासायनिक बनावट का पता अब तक नहीं चला है। इनको प्रोटीन की जाति में रख सकते हैं।

      सन् 1918 में ई एन हार्वी ने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि ऑक्सीकरण के बाद ल्युसिफेरिन का प्रकाश समाप्त हो जाने पर उसमें यदि अवकारक मिलाए जायँ तो ल्युसिफेरिन पुन: बन जाता है। प्रकाश उत्पन्न करनेवाले जंतुओं में ऑक्सीकरण और अवकरण की क्रिया क्रमश: हुआ करती है और जंतुप्रकाश उत्पन्न करते रहते हैं।

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    1. खगोल विज्ञान में केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियम इस प्रकार हैं –
      1.सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षा दीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के नाभिक (focus) पर होता है।
      2.ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।
      3. ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के आवर्त काल का वर्ग, अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है।
      इन तीन नियमों की खोज जर्मनी के गणितज्ञ एवं खगोलविद जॉन केप्लर (Johannes Kepler 1571–1630) ने की थी। और सौर परिवार के ग्रहों की गति के लिये वह इनका उपयोग करते थे। वास्तव में ये नियम किन्ही भी दो आकाशीय पिण्डों की गति का वर्णन करते हैं जो एक-दूसरे का चक्कर काटते हैं।

      केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन (1) कक्षाएँ दीर्घवृत्ताकार हैं एवं उनकी नाभियाँ पहले ग्रह के लिये (focal points) ƒ1 and ƒ2 पर हैं तथा दूसरे ग्रह के लिये ƒ1 and ƒ3 पर हैं। सूर्य नाभिक बिन्दु ƒ1 पर स्थित है। (2) ग्रह (१) के लिये दोनो छायांकित (shaded) सेक्टर A1 and A2 का क्षेत्रफल समान है तथा ग्रह (१) के लिये सेगमेन्ट A1 को पार करने में लगा समय उतना ही है जितना सेगमेन्ट A2 को पार करने में लगता है। (3) ग्रह (१) एवं ग्रह (२) को अपनी-अपनी कक्षा की परिक्रमा करने में लगे कुल समय a1^3/2 : a2^3/2 के अनुपात में हैं।

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  10. श्री स्टीफेन हाकिंग की दूसरी पुस्तक The grand design का हिंदी संस्करण आ गया है क्या ? यदि हाँ तो ये किस प्रकाशन से छपी है ? या इसे कहाँ से प्राप्त किया जा सकता है ?

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    1. पृथ्वी से गृह दिखाई देते है। आँखों से आप शुक्र मंगल बुध बृहस्पति शनि ग्रह देख सकते है। दूरबीन से युरेनस और नेपच्युन भी।

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    1. टूटते तारे यह शब्द गलत है वे उल्का पिंड है जो वास्तव में पृथ्वी के पास से गुजरने वाले छोटे छोटे पथ्थर होते है। वे पृथ्वी के वातावरण में आकर जल जाते है और टूटते तारे जैसे लगते है।
      सप्तऋषि तारे है और बहुत दूर है। उनमे से हर तारा सूर्य से बड़ा है। उनके टूटने का प्रश्न ही नहीं है।

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    1. पिछले तीन सौ वर्षो में बहुत से लोगो ने इस पर काम किया है। सफलता किसी को नहीं मिली है। अब यह सिद्ध है की यह असंभव है। अंगरेजी में इसे perpetual motion कहते है।

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    1. गुरुत्वाकर्षण के कारण। किसी भी पिंड का द्रव्यमान से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण उसे गोल बनाने का प्रयास करता है। जब यह गुरुत्व पर्याप्त हो जाता है तब वह पिंड गोल हो जाता है।

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    1. एलीयन का अर्थ है ऐसे जीव जिनका जन्म पृथ्वी के बाहर हुआ हो। ब्रह्माण्ड बहुत विशाल है, इसमे खरबो आकाशगंगा है। हर आकाशगंगा मे अरबो तारे है। हर तारे के कई ग्रह होते है। जिससे यह संभव है कि इनमे से किसी ग्रह पर बुद्धिमान जीव भी हो।
      लेकिन अभी तक हम किसी भी ग्रह पर जीवन नही खोज पाये है। एलीयन हो सकते है लेकिन हमारे पास उनके कोई प्रमाण नही है।

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    1. गोबर आसानी से उपलब्ध पदार्थ है जिससे फर्श को चिकना किया जा सकता है, इसके अतिरिक्त उसमे और कोई विशेषता नही है।

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    1. हमारा शरीर बहुत सी कोशीकाओं का एक संगठन है। सारी उम्र तक ये एक दूसरे के सहयोग से कार्य करते रहती है। लेकिन समय के साथ इन कोशीकाओं मे चलने वाली चयापचय प्रक्रिया धीमी होती जाती है और वे कार्य नही कर पाती है, जिसे कोशीका की मृत्यु कहते है। इन मृत कोशीकाओं की जगह नयी कोशीकायें लेते रहती है। वृद्धावस्था मे नयी कोशीकाओं का निर्माण धीमा होते जाता है और एक समय के पश्चात बंद हो जाता है। इस अवस्था मे मानव शरीर के अंग एक के बाद एक सही ढंग से कार्य नही कर पाते है एक समय ऐसे आता है कि शरीर की कार्य प्रणाली ठप्प हो जाती है जिसे शरीर की मत्यु कहते है।
      शरीर से कोई चीज या किसी आत्मा के निकलने से मृत्यु नही होती है, मृत्यु होती है शरीर की कोशीकाओं के कार्य ना कर पाने से।

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    1. विज्ञान के अनुसार पुनर्जन्म के कोई प्रमाण नहीं है। रामायण और महाभारत सत्य घटना हो सकती है लेकिन उसमे वर्णित चमत्कारिक घटनाये विज्ञान के अनुसार सम्भव नहीं है।

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    1. समुद्री मछली तालाब में नहीं रह सकती। साफ़ पानी और खारे पानी की मछली अलग होती है। तालाब की मछली तालाब में ही पली होती है।

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      1. yes, all planets, all stars, all galaxies, all universs & everything as science knos (Like elementry particles etc) is in contiunusly in motion then swhats are steady. As till science knows elementry particle vs eternal partical, elementry forces vs eternal forces, Standard model vs original model extra …………………..whats are steady in unierse.

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    1. ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थिर नहीं है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करता है।सूर्य आकाशगंगा के केंद्र की। आकाशगंगा भी गतिमान है।

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    1. द्रव्यमान स्थिर होता है जबकि भार गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है। यदि पृथ्वी पर आपका भार X है तो चन्द्रमा पर X/6 हो जाएगा क्योंकि चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का छठा भाग है। द्रव्यमान दोनों जगह समान होगा।

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    1. गुरविंदर में आई टी क्षेत्र में काम करता हूँ। स्पेस के क्षेत्र में काम करने आप इसरो में प्रयास कर सकते है उन्हें मेकेनिकल इंजीनियर भी चाहिए होते हैं।

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    1. न्यूटन का पहले नियम के अनुसार कोई कण बाह्य बल की अनुपस्थिति में हमेशा गतिमान रहता है। इलेक्ट्रान को अनंत ऊर्जा श्रोत की आवश्यकता नहीं होती।

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    1. चंद्रमा मानव के रहने के लिये अनुकुल नही है। वहा वायुमंडल, पानी नही है, दिन मे तापमान सैकड़ो डीग्री तथा रात मे तापमान शून्य से भी कम हो जाता है। उसे मानव के रहने लायक बनाने मे कम से कम सौ वर्ष लगेंगे। उस पर मानव बस्तियाँ कांच के विशालकाय गुंबदो के आकर मे बसायी जा सकती है जिसके अंदर वायुमंडल होगी और पृथ्वी के जैसे जीवन सहायक स्थितियाँ। लेकिन यह सब भविष्य मे ही संभव है। वर्तमान मे अगले दस वर्ष तक किसी भी देश की चंद्रमा पर मानव भेजने की कोई योजना नही है।

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    1. सबसे पहले आप अपने आप को शैक्षणिक रूप से मजबूत करे, B Sc और M Sc करे। यह आपको एक आधार देगा और आप जो भी दावा करेंगे या खोज करेंगे तब आपको विश्वसनियता भी देगा। उसके बाद किसी अच्छे संस्थान जैसे IISc, TIFR से PhD. ये संस्थान आपको स्कालरशीप और अन्य मदद भी करेंगी।

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    1. पौली अपवर्जन नियम(Pauli Exclusion Principle) के अनुसार कोई भी दो कण एक साथ एक ही क्वांटम अवस्था(ऊर्जा तथा स्थिति) मे नही रह सकते। यह नियम एक की परमाणु नाभिक की परिक्रमा कर रहे इलेक्ट्रानो की टक्कर से बचाता है।

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    1. जब भी हमारे शरीर को अचानक अधिक आक्सीजन लेने की आवश्यकता होती है तब हमे जम्हाई आती है। नीणद पूरी ना होने पर, सोकर उठने तरोताजा ना होने की अवस्था मे जम्हाई आ सकती है क्योंकि शरीर को तरोताजा होने अतिरिक्त आक्सीजन चाहीये होती है।

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    1. जब भी हम बोलते है तब हमारा कंठ किसी माध्यम जैसे वायु मे तरंग उत्पन्न करता है। जैसे जब आप पानी मे पत्थर फेंकते हो तब जल मे तरंग उत्पन्न होती है ठीक उसी तरह। हमारे कान इन तरगो से कान के अंदर उसी तरह का कंपंन उत्पन्न करते है, इन संंकेतो को मस्तिष्क ग्रहण करता है और हम ध्वनि सुन पाते है।

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  11. यदि कोई छोटा बिजली का बल्ब जलाया जय तो उसमेँ से निकलने वाली प्रकाश किरने कितनी दूरी तय करती हैं य कर सकती है 2km,10km या अंनत?

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    1. अनंत तक, लेकिन दूरी के साथ तरंग दैधर्य मे परिवर्तन होगा और वह दूरी के साथ दृश्य प्रकाश से अवरक्त प्रकाश, उसके माइक्रोवेब, रेडीयो तरंग के रूप मे परिवर्तित होते जाएगा। साथ ही मे दूरी के साथ प्रकाश की दीप्ती भी कम होते जायेगी।

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    1. प्रकाश की गति लगभग ३ लाख किमी /प्रति सेकंड है जबकि ध्वनि की गति केवल 336 मीटर/सेकंड है। जिससे बिजली हमे पहले दिखायी देती है और आवाज बाद मे सुनाई देती है।

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    1. मंगलयान को मंगल पहुंचे हुए 11 महीने हो गए।वह सितम्बर 2014 को ही मंगल की कक्षा में पहुँच गया था। उसका उद्देश्य भारत की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन था।

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    1. नाभिक स्थिर नहीं होता है लेकिन घूर्णन नहीं करता है। प्रोटान और न्युट्रान भी स्थिर नहीं है लेकिन वे घूर्णन नहीं कराटे हैं।

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    1. किसी तारे या ग्रह की पृथ्वी से दूरी का मापन उससे आये प्रकाश की तरंग दैधर्य मे होने वाले विचलन से मापी जाती है। तारा जितनी दूरी पर होगा उसके प्रकाश मे उतना अधिक विचलन होगा। यह तकनिक डाप्लर प्रभाव पर आधारित है।

      आपने कभी सड़क पर RTO के इंसपेक्टरो को किसी वाहन की गति का मापन एक छोटे से राडारगन से करते देखा होगा। वे भी इसी तकनीक का प्रयोग करते है, लेकिन वे प्रकाश की जगह रेडीयोतरंग का प्रयोग करते है। वे अपनी राडारगन से रेडीयो तरगं को वाहन पर छोड़ते है, जब तरंग उस वाहन से टकराकर लौटती है तब वाहन की गति और दूरी के अनुसार उस रेडीयो तरंग मे विचलन आ जाता है। इस विचलन के मापन से गति और दूरी का मापन हो जाता है।

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  12. आध्यात्म की किताबों मे नकारात्मक तथा सकारात्मक शक्तियों का उल्लेख मिलता है। जिनके अनुसार हमारी सोच का प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन पर पडता है, क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार है?

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    1. विज्ञान के अनुसार ऐसी किसी भी शक्ति का अस्तित्व प्रमाणित नही है जिसका असर हमारी सोच या जीवन पर पड़्ता है। नकारात्मक तथा सकारात्मक शक्तियों आध्यात्म का विषय है, विज्ञान का नही।

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    1. उत्तरी ध्रुव के समीप आर्कटिक महासागर मे गुरुत्वाकर्षण सर्वाधिक होता है। गुरुत्वाकर्षण मे ये असमानता, पृथ्वी मे द्रव्यमान के असमान वितरण से उत्पन्न होती है।

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    1. वर्तमान मे गुरुत्वरोधी यान बनाने के लिये हमारे पास तकनिक नही है। लेकिन यह नही कह सकते कि इसका निर्माण संभव है या नही। शायद भविष्य मे बनाया जा सके।

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    1. आदित्य, ब्रह्माण्ड मे अरबो आकाशगंगाये है। हमारी आकाशगंगा ’मंदाकिनी(Milky Way)’ उनमे से एक है। अन्य मुख्य आकाशगंगाये जो हम देख सकते है उनमे से एन्ड्रोमीडा प्रमुख है, अन्य है, Canis Major Dwarf,Sagittarius Dwarf Sphr SagDEG,Ursa Major II Dwarf, Large Magellanic Cloud (LMC),Boötes I,Small Magellanic Cloud (SMC, NGC 292),Ursa Minor Dwarf इत्यादि।
      अपने प्रश्नो के उत्तर प्राप्त करने के लिये धैर्य रखना सीखो और प्रश्न पुछने की तमीज भी। मैने तुम्हारे कई प्रश्न इसीलिये बिना उत्तर दिये हटा दिये है।

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    1. यदि एम्बुलेंस को सामने वाले वाहन के आगे वाले वाहन से आगे बढ़ना हो तो आगे वाले वाहन के शीशे मे उल्टा लिखा एंबुलेंस सीधा दिखायी देता है।

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    1. विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के ‘ज्ञान-भण्डार’ के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।
      सत्य को असत्य व भ्रम से अलग करने के लिये अब तक आविष्कृत तरीकों में वैज्ञानिक विधि सर्वश्रेष्ठ है। संक्षेप में वैज्ञानिक विधि निम्न प्रकार से कार्य करती है:
      (१) ब्रह्माण्ड के किसी घटक या घटना का निरीक्षण करिए,
      (२) एक संभावित परिकल्पना (hypothesis) सुझाइए जो प्राप्त आकडों से मेल खाती हो,
      (३) इस परिकल्पना के आधार पर कुछ भविष्यवाणी (prediction) करिये,
      (४) अब प्रयोग करके भी देखिये कि उक्त भविष्यवाणियां प्रयोग से प्राप्त आंकडों से सत्य सिद्ध होती हैं या नहीं। यदि आकडे और प्राक्कथन में कुछ असहमति (discrepancy) दिखती है तो परिकल्पना को तदनुसार परिवर्तित करिये,
      (५) उपरोक्त चरण (३) व (४) को तब तक दोहराइये जब तक सिद्धान्त और प्रयोग से प्राप्त आंकडों में पूरी सहमति (consistency) न हो जाय।
      किसी वैज्ञानिक सिद्धान्त या परिकल्पना की सबसे बडी विशेषता यह है कि उसे असत्य सिद्ध करने की गुंजाइश (scope) होनी चाहिये।

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    1. मोईन , इस प्रश्न का कोई एक सही उत्तर नही है। कुछ तकनिक मे हम उनके साथ साथ चल रहे है, कुछ तकनीक मे आगे भी है और कुछ तकनीक मे २० वर्ष तक पीछे भी। हमारे साथ तकनीक की समस्या नही है, समस्या है बड़ी जनसंख्या की जिससे तकनीकी विकास हर किसी के पास नही पहुंच पाता है।

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    1. कोई भी मोटर साईकिल पानी से नही चल सकती है। पानी से हायड्रोजन निकाल कर उससे मोटरसाईकल चलाई जा सकती है लेकिन यह तकनिक पेट्रोल से महंगी पड़ेगी।

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    1. पीएच या pH, किसी विलयन की अम्लता या क्षारकता का एक माप है। इसे द्रवीभूत हाइड्रोजन आयनों (H+) की गतिविधि के सह-लघुगणक (कॉलॉगरिदम) के रूप में परिभाषित किया जाता है। लघुगणक की इकाई नही होती है।

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    1. आपके सभी प्रश्नो का उत्तर इस लेख मे है : https://vigyanvishwa.in/2014/01/13/bermudatriangle/
      संक्षेप मे : बरमूडा त्रिभूज मे कोई रहस्य नही है, वहाँ होने वाली दुर्घटनाओं का औसत किसी अन्य जगह से ज्यादा नही है। अपवाहे ज्यादा है सच कम।

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    1. सभी पिंड जो द्रव्यमान रखते है उनका गुरुत्वाकर्षण होता है। आप, मै, पत्थर, पहाड़ सभी का गुरुत्वाकर्षण होता है। गुरुत्वाकर्षण की मात्रा द्रव्यमान पर निर्भिर करती है, हमारा द्रव्यमान कम होने से गुरुत्वाकर्षण नगण्य होता है लेकिन पृथ्वी जैसे स्तर पर काफ़ी अधिक होता है।

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      1. SIR, E=MC2 KO SIMPLE EXAMPLE ME BATIYE, , ( 2) KISI BHI PADARTH KA SPEED LIGHT SE ADHIK KYUN NAHI HO SAKTA HAI , AUR AGER HOGA TO WO KAISE,, (3) aur sir ager kisi tare ki duri 2 light years hai , aur hum use dekhte hai to iska matilab hai ki hum uske 2 saal pehle ki sthiti ko dekh rahe hai,, matlab hum uske past ko dekh rhe hai aur wo future mein kahi aur hai,, to kya hum log uske past ko badal kar uske future ko badal sakte hai??

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    1. निर्वात में कुछ नहीं होता है,शून्य द्रव्यमान घनत्व। लेकिन अंतरिक्ष पूर्णतः निर्वात नहीं होता हाउ, उस में 1हायड्रोजन परमाणु प्रति घन मीटर द्रव्यमान होता है।

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    1. जैसे आप टी वी देखते है उसके कार्यक्रम उपग्रह से प्रसारित होते है। वैसे ही उपग्रह से शिक्षण कार्यक्रम प्रसारित होते है।

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    1. विमान को मोड़ने के लिए उसे एक दिशा में झुका देते है। जिस दिशा में मोड़ना हो उस दिशा के पंख का एक फ्लैप मोड़ दिया जाता है जिससे विमान उस दिशा में झुक जाता है और उससे उस दिशा में मुड़ जाता हसि। मुड़ने के बाद फलैप् सीधा कर देते है। इस प्रक्रिया में विमान की ऊंचाई भी कम हो जाती है।

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  13. द्रव्यमान ऋणात्मक नहीँ होता ,आयतन ऋणात्मक नहीँ होता ,लंबाई ऋणात्मक नहीँ होती तो आवेश किस प्रकार ऋणात्मक हो सकता यदि किसी वस्तु मेंआवेश न हो तो हम उस मेँ से आवेश कैसे निकाल सकते है कृपया विस्तार से समझाइए

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    1. रोशन इलेक्ट्रान का ऋणात्मक होना या प्रोटान के धनात्मक होना प्रतीकात्मक मात्र है। उन्हें आप धन ऋण की बजाय कुछ और नाम दे दो कोई अंतर नहीं आएगा। बस दोनों का आवेश एक दूसरे से विपरीत दर्शाना है। ऐसा ही चुम्बक के उत्तर दक्षिण ध्रुव के साथ भी है,अंतरिक्ष में कोई दिशा नहीं होती है। उत्तर दक्षिण चुम्बक ध्रुव भी बस नाम है।

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  14. Speed of light is constant
    Bcoz acc to the law of addition of velocities

    If we add such high speed like c
    We can not get 2c
    We will get c

    Another if we move with speed of light

    Our mass will becomes infinite

    So material will not exist
    If want to know some other regarding light plz offer ur comments
    Thanks

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    1. हिग्स बोसान ब्रह्माण्ड की कई अनसुलझी पहेली मे से एक पहेली था जिसे सुलझा लिया गया है लेकिन अभी बहुत सी अन्य अनसुलझी पहेलीयाँ है। जिसमे क्वांटम गुरुत्वाकर्षण भी है।

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  15. sir g kya hava dikae na dene ka ye kard nahi ho sakta ki-hava ke adu ki gati itni tej hai ki usase takaraakar hamari aakho par aane vali prakash se pahale hi ve adu apni jagah se teji se hat ja rahi ho.
    example-yadi fres vatavarad me ham tarch ko uper kar ke on kare to hame kuch nahi dikhae deta hai yadi uske andar se koe chij gujar jaye to o hame dikhae deti hai fir yadi usi chij ko bahut teji se gujara jaye jitne ki us chij se prakash takarakar aane se pahale hi vo chij tarch ke light se nikal jaye to ve hame dikhae nahi degi. kya aisa ho sakta hai sir.

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    1. परमाणु विखंडन में पदार्थ को ऊर्जा में बदला जाता है। यह क्रिया परमाणु बम,परमाणु रिएक्टर में बिजली निर्माण में होती है। इस क्रिया में किसी बड़े परमाणु जैसे यूरेनियम को तोडा जाता है वह दो छोटे परमाणु में टूट जाता है लेकिन कुछ भाग ऊर्जा में बाफला जाता है।
      एक अन्य प्रकार परमाणु संलयन में दो परमाणु जुड़कर बड़ा परमाणु बनाते है उसमे भी कुछ पदार्थ ऊर्जा में बदलता है। यह प्रक्रिया हायड्रोजन बम और सूर्य तारो में होती है। उदाहरण के लिए हायड्रोजन के परमाणु मिलकर हीलियम और ऊर्जा बनाते हैं।

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    1. उसे उल्का कहते है। वे अन्तरिक्ष से आये चट्टान के टुकड़े होते है जो पृथ्वी के वातावरण में जलने लगते है। अधिकतर जमीन तक पहुंचने से पहले ही जल जाते है।

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  16. सर यदी काला रंग रंगो का अनुपस्थीती है तो ये भी सत्य होना चाहीये कि कितने भी अलग-अलग रंगो को मीलाकर काला रंक नही बनाया जा सकता है, शिवाय काले रंक के|

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    1. हमारा शरीर बहुत सी कोशीकाओं का एक संगठन है। सारी उम्र तक ये एक दूसरे के सहयोग से कार्य करते रहती है। लेकिन समय के साथ इन कोशीकाओं मे चलने वाली चयापचय प्रक्रिया धीमी होती जाती है और वे कार्य नही कर पाती है, जिसे कोशीका की मृत्यु कहते है। इन मृत कोशीकाओं की जगह नयी कोशीकायें लेते रहती है। वृद्धावस्था मे नयी कोशीकाओं का निर्माण धीमा होते जाता है और एक समय के पश्चात बंद हो जाता है। इस अवस्था मे मानव शरीर के अंग एक के बाद एक सही ढंग से कार्य नही कर पाते है एक समय ऐसे आता है कि शरीर की कार्य प्रणाली ठप्प हो जाती है जिसे शरीर की मत्यु कहते है।
      शरीर से कोई चीज या किसी आत्मा के निकलने से मृत्यु नही होती है, मृत्यु होती है शरीर की कोशीकाओं के कार्य ना कर पाने से।

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    1. कोई भी दो कण एक दूसरे के ज्यादा समीप नही आ सकते। परमाणु केंद्रक मे प्रोटान और न्युट्रान होते है। वे एक दूसरे से चिपके तो नही लेकिन काफी निकट होते है।

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  17. sir muj jo ye btho ke ashi kon se machine ha ke jo ya vastho jo aakash me ak he jghe ruk he rha sakthi ho jo ke ( jashi aasman me helicopter ko rok na pr vo jyda time nhi ruk saktha ) mjo asha kuch btho jo 25 year ashman me he ruka rha ( jashi set alight hothi ha vo aakeha me gumthi ha mjko je btho aakesha me ashi kon shi machine ha jo vha ruke rha jya ………i am ankur sharma

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    1. कोई भी वस्तु प्रकाश के साथ तीन तरह के व्यवहार करती है, कुछ भाग परावर्तित करती है, कुछ भाग अपवर्तित करती है और कुछ भाग का शोषण करती है। कोई भी वस्तु उस समय दिखायी देती है, जब वह प्रकाश का परावर्तन करती है। पुर्णत पारदर्शी वस्तु को 100% प्रकाश अपवर्तित करना चाहिये। कांच अधिकतर भाग अपवर्तित करता है लेकिन 100% नही, वह कुछ भाग परावर्तित भी करता है, इसलिये वह हमे दिखायी देता है।

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    1. रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में पदार्थ (matter) उसे कहते हैं जो स्थान घेरता है व जिसमे द्रव्यमान (mass) होता है। पदार्थ और ऊर्जा दो अलग-अलग वस्तुएं हैं। विज्ञान के आरम्भिक विकास के दिनों में ऐसा माना जाता था कि पदार्थ न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट ही किया जा सकता है, अर्थात् पदार्थ अविनाशी है। इसे पदार्थ की अविनाशिता का नियम कहा जाता था। किन्तु अब यह स्थापित हो गया है कि पदार्थ और ऊर्जा का परस्पर परिवर्तन सम्भव है। यह परिवर्तन आइन्स्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E=m*c2 के अनुसार होता है।

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    1. अभी तक मंगल ग्रह पर जीवन के कोई प्रमाण नही मिले है। वहा पर बैक्टेरीया भी नही मिला है, महिला तो बहुत दूर की बात है।

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  18. मै कभी कभी कुछ प्रश्नो को छुपा देता हुं , जब प्रश्न का उत्तर लिख कर प्रकाशित कर दूं तो उसे पुनः प्रकाशित कर देता हुं। इससे मुझे यह जानने मे आसानी होती है कि किन प्रश्नो का उत्तर देना बाकी है। प्रकाशित प्रश्न छूट जाते है, अप्रकाशित प्रश्न मुझे अलग सूची मे दिखायी देते है।

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    1. एक उदाहरण देता हुं, 16 वी सदी मे युरोपीयन ने अमरीका को खोज निकाला, उस समय वहाँ पर लगभग 10 करोड़ आदिवासी(रेड इंडीयन, माया) लोग थे। आज कुछ हजारो मे ही बचे है, अधिकतर युरोपियन से युद्ध मे, युरोपियन द्वारा लाई गयी बिमारीयों से मारे गए। उन बेचारो मे युरोपियन की बिमारीयों से बचने प्रतिरोधक क्षमता ही नही थी। जिन बिमारीयों से युरोपियन को कुछ नही होता था, वे ही रेड इंडीयन के लिये जानलेवा थी।
      बस एलीयन के पृथ्वी पर आने से ऐसा ही हो सकता है।

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    1. गोल ही अकेला ऐसा आकार होता है जो मेन होल के अंदर आड़ा तीरछा करने पर भी नही जा सकता। बाकी अन्य आकार आड़ा तिरछा करने पर मेन होल के अंदर जा सकते है।

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    1. हाइड्रोजन (उदजन Udajana) (Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्की भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जात है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है।
      प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमान कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं।
      हाइड्रोजन एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणुसंख्या 1, संकेत (H) और परमाणुभार 1.008 है। यह आवर्तसारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनता है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस बनता है। द्रव हाइड्रोजन – 253° से. पर उबलता और ठोस हाइड्रोजन – 258 सें. पर पिघलता है।

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      1. नीरज, void के समानार्थी सही हिंदी शब्द मुझे याद नही आ रहा है। इसका अर्थ होता कुछ नही, शून्य, अनिश्चित। ब्रह्माण्ड के बाहर कुछ नही है।

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    1. एलीयन हो सकते है। पृथ्वी के बाहर भी अरबो तारे है उनके भी खरबो ग्रह है। संभव है कि उनमे से किसी ग्रह पर बुद्धिमान जीवन हो। लेकिन उन एलीयन का पृथ्वी पर आना लगभग असंभव है।

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    1. 15-20 मिनट की झपकी हानिकारक नही है लेकिन दिन मे उससे ज्यादा सोना अवश्य हानिकारक हो सकता है। हमारे शरीर की जैविक घड़ी दिन मे सोने से गड़बड़ा जाती है।

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    1. विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के ‘ज्ञान-भण्डार’ के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।
      सत्य को असत्य व भ्रम से अलग करने के लिये अब तक आविष्कृत तरीकों में वैज्ञानिक विधि सर्वश्रेष्ठ है। संक्षेप में वैज्ञानिक विधि निम्न प्रकार से कार्य करती है:
      (१) ब्रह्माण्ड के किसी घटक या घटना का निरीक्षण करिए,
      (२) एक संभावित परिकल्पना (hypothesis) सुझाइए जो प्राप्त आकडों से मेल खाती हो,
      (३) इस परिकल्पना के आधार पर कुछ भविष्यवाणी (prediction) करिये,
      (४) अब प्रयोग करके भी देखिये कि उक्त भविष्यवाणियां प्रयोग से प्राप्त आंकडों से सत्य सिद्ध होती हैं या नहीं। यदि आकडे और प्राक्कथन में कुछ असहमति (discrepancy) दिखती है तो परिकल्पना को तदनुसार परिवर्तित करिये,
      (५) उपरोक्त चरण (३) व (४) को तब तक दोहराइये जब तक सिद्धान्त और प्रयोग से प्राप्त आंकडों में पूरी सहमति (consistency) न हो जाय।
      किसी वैज्ञानिक सिद्धान्त या परिकल्पना की सबसे बडी विशेषता यह है कि उसे असत्य सिद्ध करने की गुंजाइश (scope) होनी चाहिये।
      SCIENCE का कोई Full Form नही है।

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    1. हवा के अणुओं के मध्य बहुत जगह रिक्त होती है। उससे टकराकर प्रकाश हमारी आंखो तक नही आ पाता इसलिये वह हमे दिखायी नही देती है।

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    1. कंप्यूटर (अन्य नाम – संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है. चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा कि मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं।
      परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय सञ्चालन इकाई (सीपीयू ) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। सञ्चालन इकाई अंकगडित व तार्किक गड़नाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर सञ्चालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं।
      एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोडो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है| सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे मे यही राय रखते है की अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि सन्निहित संगणक जो की ज्यादातर उपकरणों जैसे कि एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है।

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    1. जुगनू के शरीर में नीचे की ओर पेट में चमड़ी के ठीक नीचे कुछ हिस्सों में रोशनी पैदा करने वाले अंग होते हैं। इन अंगों में कुछ रसायन होता है। यह रसायन ऑक्सीजन के संपर्क में आकर रोशनी पैदा करता है। रोशनी तभी पैदा होगी जब इन दोनों पदार्थों और ऑक्सीजन का संपर्क हो। लेकिन, एक ओर रसायन होता है जो इस रोशनी पैदा करने की क्रिया को उकसाता है। यह पदार्थ खुद क्रिया में भाग नहीं लेता है। यानी रोशनी पैदा करने में तीन पदार्थ होते हैं। इन बातों को याद रख सकते हैं कि इनमें से एक पदार्थ होता है जो उत्प्रेरक का काम करता है। ऑक्सीजन और रोशनी पैदा करने वाले पदार्थ की क्रिया में उस तीसरे पदार्थ की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होती है। जब ऑक्सीजन और रोशनी पैदा करने वाले पदार्थ की क्रिया होती है तो रोशनी पैदा होती है।

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    1. नमक के साथ निबु के रस से कोई प्रतिक्रिया नही होती है। रंग मे कोई परिवर्तन नही आता है। यदि आपके नमक मे आयोडीन मिला हो तो बैगनी रंग आ सकता है।

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    1. जब किसी भी कारण इसकी कुछ अधूरी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती (जो कि मस्तिष्क के किसी कोने में जाग्रत अवस्था में रहती है) तो वह स्वप्न का रूप ले लती हैं। सपने या स्वप्न आते क्यों है? इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है। प्रायः यह माना जाता है कि स्वप्न या सपने आने का एक कारण ‘नींद’ भी हो सकता है। विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है, जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांस पेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। इस नींद की ही अवस्था में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) पुनः सक्रिय हो जाती हैं।

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    1. स्पिन : यह एक और विचित्र लेकिन महत्वपूर्ण गुण है। बड़े पिंड जैसे ग्रह या कंचे घूर्णन के कारण कोणीय संवेग या चुंबकीय क्षेत्र होता है। कण भी एक नन्हा सा कोणीय संवेग या चुंबकीय क्षेत्र रखते हैं इसलिए उनके इस गुणधर्म को स्पिन कहते हैं। यह शब्द थोड़ा गलत है क्योंकि ये कण वास्तविकता में स्पिन या घूर्णन नहीं करते हैं। स्पिन का मान प्लैंक के स्थिरांक के 0, 1/2, 1, 3/2 गुणनफल में होता है।

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    1. Jitendra Chhimpa Jee The moon shines because its surface reflects light from the sun. And despite the fact that it sometimes seems to shine very brightly, the moon reflects only between 3 and 12 percent of the sunlight that hits it. The perceived brightness of the moon from Earth depends on where the moon is in its orbit around the planet.

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  19. सर जब हम कोई चीज ऊपर आसमान में फेकते हैं तो वो वापस आकर पृथ्वी पर गिर जाती हैं अब सवाल ये हैं कि हम किसी चीज को कितनी रफ्तार से आसमान की तरफ फेकें और वो रफ़्तार उसे कितने समय तक हासिल हो की वो चीज अंतरिक्ष में चली जाये पृथ्वी पर वापस ही न आये सर जवाब जरा आसन शब्दों में देना

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    1. भौतिकी में किसी वस्तु (जैसे की पृथ्वी) का पलायन वेग उस वेग को कहते हैं जिसपर यदि कोई दूसरी वस्तु (जैसे की कोई रॉकेट) पहली वस्तु से रवाना हो तो उसके गुरुत्वाकर्षण की जकड़ से बाहर पहुँच सकती है। यदि दूसरी वस्तु की गति पलायन वेग से कम हो तो वह या तो पहली वस्तु के गुरुत्वाकर्षक क्षेत्र में ही रहती है – या तो वह वापस आकर पहली वस्तु पर गिर जाती है या फिर उसके गुरुत्व क्षेत्र में सीमित रहकर किसी कक्षा में उसकी परिक्रमा करने लगती है।
      पृथ्वी का पलायन वेग ११.२ किलोमीटर प्रति सैकिंड है। इस से अधिक वेग रखने से कोई भी यान हमारा ग्रह छोड़कर सौर मण्डल के दूसरे ग्रहों की ओर जा सकता है।
      अगर पृथ्वी से चलें तो सूरज के गुरुत्वाकर्षक क्षेत्र से निकलने के लिए पलायन वेग ४२.१ किलोमीटर प्रति सेकेण्ड है। अगर सूरज की ही सतह से चलें तो पलायन वेग ६१७.५ किलोमीटर प्रति सेकेण्ड है। अगर सही स्थान पर सही पलायन वेग से चलें तो सूरज के गुरुत्वाकर्षण की सीमाएँ तोड़कर कोई यान सौर मण्डल से बाहर निकल सकता है।

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  20. Dear sir ham jante he ki parthvi 1 din me ek chakkar lagati he yani 1 din me ye apni paridhi ke barabar duri tay karti he matlab vah ek gante me 15 deegree tay karti to ek second me bhi kuch n kuch duri tay karti hi hogi to jab ham hava me ek ya do second ke liye uchhlate he to vapis usi sthan par kyo girte he jabki hame kuch dur girna chahiye jitni parthvi 1 ya 2 second me duri tay karati pls help me to know this answere……………..

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    1. जब आप किसी चलती बस के/ट्रेन के अंदर उछलते है, तब क्या क्या बस/ट्रेन आपको छोड़ कर आगे निकल जाती है ? किसी चलती बस/ट्रेन मे आप भी गतिमान रहते है। जो बस/ट्रेन की गति होती है वह आपकी भी गति होती है। पृथ्वी गतिमान है, लेकिन उसके साथ आप भी गतिमान है।
      आपके प्रश्न का उत्तर यह है कि पृथ्वी अपने साथ सारे वात्वरण को तथा उसके साथ सभी वस्तुओं को साथ लेकर गति करती है। यही नही पृथ्वी की एक नही कई गतिया है। जैसे पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करती है, तब उसके साथ उसका वातावरण भी घूर्णन करता है। पृथ्वी की दूसरी गति है सूर्य की परिक्रमा। इस परिक्रमा मे पृथ्वी अपने वातावरण, तथा चंद्रमा को भी लेकर चलती है। सूर्य आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करता है, वह इस परिक्रमा मे पृथ्वी को भी लेकर चलता है।

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    1. आकाश नीला पृथ्वी के वातावरण के कारण दिखाई देता है। सूर्य का प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना होता है ये रंग है लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, नालीभ, और बैंगनी। जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है तो वातावरण के कणों से टकराकर प्रत्येक दिशा में बिखर जाता है। इससे सम्पूर्ण आकाश प्रदीप्त हो जाता है। प्रकाश के रंगों में नील रंग के छितरने की क्षमता सबसे अधिक होती है। इसलिए आकाश में आने वाले रंगों में नीले रंग की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण आकाश नीला दिखाई देता है।

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    1. विमान के पंख और वायु विमान को उड़ाने का काम करती है। जब विमान के पंख के उपर से तेज गति से वायु प्रवाहित की जाती है तब इस प्रवाह के निचे की वायु पंख को उपर धकेलती है, जिससे विमान उपर उठने लगता है।

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    1. श्याम मैं सामान्यत धर्म या ईश्वर पर टिप्पणी नहीं करता। वैसे मैं निजी तौर पर ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता।

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    1. 1.ज्वालामुखी से जैसे सह्याद्री
      2. भूपटल की प्लेटो का एक दूसरे से टकराने पर एक प्लेट के उपर उठ जाने से, या एक प्लेट मे मोड़ आ जाने से। जैसे हिमालय

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      1. रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य 10 सेण्टीमीटर से 100 किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंग दैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है।

        ध्यान रहे कि प्रकाश भी विद्युत चुम्बकीय तरंग है अत्याधिक दूरी तय करने पर वह भी रेडियो तरंग बन जाता है.

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    1. गूगल अर्थ वास्तविक भूमंडल/पृथ्वी के (virtual globe) चित्रण का एक ऐसा साफ्टवेयत्र है जिसे प्रारम्भ में अर्थ व्यूअर नाम दिया गया, तथा इसे कीहोल, इंक (Keyhole, Inc) द्वारा तैयार किया गया है, जो 2004 में गूगल द्वारा अधिगृहीत की गई एक कंपनी है। यह कार्यक्रम उपग्रह चित्रावली (satellite imagery), हवाई छायांकन (aerial photography) तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) त्रि आयामी (3D) भूमंडल से प्राप्त चित्रों का अध्यारोपण (superimposition) करते हुए धरती का चित्रण करता है। यह तीन विभिन्न अनुज्ञप्तियों के अधीन उपलब्ध है: गूगल अर्थ, सीमित कार्यात्मकता के साथ एक मुक्त संस्करण; गूगल अर्थ प्लस ($ २० प्रति वर्ष), जो अतिरिक्त विशेषताओं से युक्त है तथा गूगल अर्थ प्रो ($ ४०० प्रति वर्ष), जो कि वाणिज्यिक कार्यों में उपयोग हेतु तैयार किया गया है।[1]
      २००६ में इस उत्पाद का नाम बदलकर गूगल अर्थ कर दिया गया, जो कि वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज़ (Microsoft Windows) २००० (2000), एक्स पी अथवा विस्ता, मैक ओएस एक्स (Mac OS X) १०.३.९ तथा उससे अधिक, लिनुक्स(१२ जून, २००६ को जारी) तथा फ्री BSD (FreeBSD) से युक्त निजी कंप्यूटरों (personal computer) पर उपयोग के लिए उपलब्ध है। गूगल अर्थ फायरफॉक्स, आई ई 6 (IE6) अथवा आई ई 7 (IE7) के लिए एक ब्राउज़र प्लगइन (02 जून, 2008 को जारी) के रूप में भी उपलब्ध है। एक अद्यतन कीहोल आधारित क्लाइंट को जारी करने के साथ, गूगल ने अपने वेब आधारित प्रतिचित्रण सॉफ़्टवेयर में अर्थ डेटाबेस की चित्रावली भी शामिल की है। वर्ष २००६ के मध्य जनता के लिए गूगल अर्थ जारी होने के साथ २००६ तथा २००७ के बीच आभासी भूमंडल (virtual globes) पर मीडिया कवरेज में दस गुना से भी अधिक की वृद्धि हुई तथा भूस्थानिक (geospatial) तकनीकों तथा अनुप्रयोगों में[2] जनता की रूचि बढ़ गई।

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  21. केप्लर 452b: पृथ्वी की जुड़वा बहन – पृथ्वी -2 की खोज लेख पढा अच्छ लगा thank you sir । मे सोच्ता था kepler spacecraft हमारी orbit से बहुत दुर केप्लर 452b नजिक हे । मेरा question हे

    how many man-made object left the solar system except voyager 1 voyager 2. Travelling at light speed is possible in space? do we have such spaceship so far??

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