2021 विज्ञान और तकनीक के विकास के लिए एक उल्लेखनीय वर्ष रहा है, इस वर्ष बहु प्रतीक्षित जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन का प्रक्षेपण हुआ साथ ही मानव निर्मित यान ने सूर्य के प्रभामंडल को छूने मे मे सफलता पाई है। जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती जाती है, नई-नई वैज्ञानिक खोज और नई अवधारणाओं के अस्तित्व में आने की गति भी बढ़ती जाती है।
प्रस्तुत है वर्ष 2021 में विज्ञान विश्व मे घटित घटनाओं, नई खोज और आविष्कार की एक सूची ।
जेम्स वेब अंतरिक्ष वेधशाला: बहु प्रतीक्षित जेम्स वेब अंतरिक्ष वेधशाला का प्रक्षेपण

पृथ्वी पर अब तक का सबसे बड़ी जेम्स वेब अंतरिक्ष वेधशाला का 25 दिसंबर को फ्रांस के गुयाना से अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया गया था।
यह महाकायादूरबीं ब्रह्मांड तथा उसके जन्म के आरंभीक पलों , शुरुवाती पिंडों को अच्छे से समझने में मदद करेगा और पृथ्वी के अलावा कहीं और जीवन है या नहीं इस बारे में जानकारी इकट्ठा करने की मदद करेगा।
इस दूरबीन से 13.5 5 अरब वर्ष पहले के प्रकाश के मापन और अध्ययन मे साहायता मिलेगी। इतना ही नहीं, जेम्स वेब टेलिस्कोप दूसरे ग्रहों की वायुमंडलीय परतों में मौजूद अणुओं की भी जांच करेगा और बाहरी अंतरिक्ष में जीवन के अस्तित्व का पता लगाएगा।
पार्कर प्रोब : सूरज की बाह्य सतह(कोरोना) को छूकर गुज़रा पार्कर प्रोब

नासा के अंतरिक्षयान पार्कर सोलर प्रोब ने पहली बार सूरज के पर्यावरण की बाहरी सतह को स्पर्श किया। सूरज के वातावरण की सतह जिसे कोरोना के नाम से जाना जाता है, उसे छूने में इस अभियान ने सफलता पाई। अब तक मानव निर्मित कोई यान या उपकरण इस स्थान तक नहीं जा सका था।
यह अभूतपूर्व घटना बीते साल के अप्रैल महीने में घटी थी लेकिन कोरोना को छूकर गुज़रने की बात आंकड़ों के विश्लेषण के बाद ही सामने आ पाई।
पार्कर प्रोब को इस दौरान भारी विकिरण और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा, लेकिन सूरज किस तंत्र के तहत संचालित होता है यह जानकारी इसने हासिल कर लिया।
नासा में सोलर फ़िजिक्स के निदेशक निकोला फ़ॉक्स के मुताबिक, “सूर्य के वातावरण तक पहुंचना इंसानों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह जानकारी पृथ्वी के सबसे नज़दीक के तारे सूरज को लेकर हमारी समझ को बढ़ाएगा। इससे हमें सौर मंडल पर सूर्य के प्रभाव को समझने में भी आसानी होगी”।
पर्सिवियरेंस रोवर: मंगल पर कदम रखने के लिए बड़ी पहल

मंगल ग्रह पर कदम रखने के लिए मानव लंबे समय से तैयारी करता रहा है लेकिन अब मानव ने इस दिशा मे एक कदम पर्सिवियरेंस रोवर के रूप मे आगे बढ़ाए है। नासा के परज़ेवेरेंस रोवर ने साल 2021 में मंगल की सतह पर पहली बार कदम रखा।
छह पहियों पर दौड़ने वाला यह रोवर अगले दो सालों तक मंगल ग्रह की सतह पर घूमेगा, वहां मौजूद चट्टानों की ड्रिलिंग कर उनके नमूने इकट्ठा करेगा और इस ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करेगा।
6 सितंबर को नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने अपने पहले चट्टान के नमूने को इकट्ठा करने में सफलता हासिल की। कुछ दिनों के बाद इसने और अधिक चट्टानों के नमूने इकट्ठे किए। बाद में इस रोवर को जेज़ेरो क्रेटर से बेडरॉक के नमूने हासिल करने में भी सफलता मिली। माना जा रहा है कि यह शुरुआत है क्योंकि आने वाले समय में परज़ेवेरेंस 24 और चट्टानों के नमूने एकत्र करने की योजना पर काम कर रहा है।
मंगल ग्रह से एकत्र किए गए नमूनों को इस दशक के अंदर ही अमेरिका और यूरोपीय देशों के समन्वित प्रयासों से धरती पर लाया जाएगा।
‘इनजेन्यूटी’ : मंगल ग्रह पर पहली बार ‘इनजेन्यूटी’ नाम के एक हेलीकॉप्टर ने भी उड़ान भरी।
ये उड़ान एक मिनट से भी कम समय के लिए थी। लेकिन बड़ी बात यह है कि इससे पहले कभी मानव द्वारा निर्मित द्वारा बनाए किसी हेलीकॉप्टर को किसी अन्य ग्रह पर नहीं उड़ाया गया है।
लूसी : बृहस्पति की ओर चला लूसी अभियान

अक्टूबर में प्रक्षेपित किया गया ‘लूसी अभियान ‘ हमारे सौर मंडल के जीवाश्म माने जाने वाले छोटे ग्रह समूहों (क्षुद्र ग्रहों) का अध्ययन करेगा।
छोटे ग्रहों का एक समूह बृहस्पति की परिक्रमा करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये छोटे ग्रह अपने आप में आदिकालीन चीज़ों को समेटे हुए होंगे जो हमारे सौर मंडल के जन्म और विकास की पहेली को सुलझाने की क्षमता रखते हैं।
इसे समझने के लिए ही लूसी अभियान को बृहस्पति ग्रह की ओर प्रक्षेपित किया गया था।
वियाग्रा : अल्ज़ाइमर के लिए वियाग्रा ?
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि वियाग्रा, जिसका इस्तेमाल पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन के इलाज के लिए किया जाता है, उसका उपयोग अल्ज़ाइमर रोग के उपचार में किया जा सकता है।
हालांकि मस्तिष्क के टिशू पर वियाग्रा के असर का अध्ययन अभी किया जा रहा है।
प्रत्यारोपण : मानवों के लिए सुअर की किडनी
अमेरिका में एक सुअर की किडनी को चिकित्सीय रूप से मृत(मृत मस्तिष्क) हो चुके एक व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया गया, जो कृत्रिम जीवन रक्षा प्रणाली पर था।
हालांकि मानव शरीर में सुअर की किडनी को स्वीकार कराने के लिए कुछ आनुवांशिक परिवर्तन किए गए थे।
स्टेराइल न्यूट्रिनो: अब तक खोज मे कोई सफलता नहीं
इस परिकल्पना के आधार पर कि ‘स्टेराइल न्यूट्रिनो’ पदार्थ की मूलभूत इकाई हो सकती है, और वैज्ञानिक इस कण की खोज लंबे समय से कर रहे थे।
इसे लेकर ज़बर्दस्त खोज की कोशिशें एक बार फिर व्यर्थ चले जाने के बाद वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के जन्म की व्याख्या करने के लिए इससे भी दिलचस्प परिकल्पनाओं को आगे बढ़ाया है।
एचआईवी : एचआईवी का प्रतिरोध करता है मानव शरीर
अर्जेंटीना की एक महिला बिना किसी दवा के ही एचआईवी से ठीक हो गईं। यह दुनिया में अब तक का इस तरह का दूसरा मामला है।
डॉक्टरों का मानना है कि इस महिला के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ने वायरस को समाप्त कर दिया।
इंटरनल मेडिसिन जर्नल के अनुसार तो महिला के शरीर से एक अरब से अधिक कोशिकाओं का विश्लेषण करने के बाद भी उनमें एचआईवी का एक भी निशान नहीं मिला।
बेडेलॉइड रोटिफ़र : 24,000 सालों के बाद पुनर्जीवित

साइबेरियन बर्फ़ में पिछले 24,000 वर्षों से जमे हुए एक सूक्ष्म बहुकोशिकीय जीव में फिर से जान आ गई। बेडेलॉइड रोटिफ़र नामक जीव को रूस के आर्कटिक क्षेत्र में एलिसा नदी से खोद कर निकाला गया था।
हज़ारों सालों तक जमे रहने की स्थिति (जिसे क्रिप्टोबायोसिस कहा जाता है) के बाद यह जीव बर्फ़ के पिघलने के साथ ही पुनर्जीवित हो गया। वैज्ञानिकों को यह भी पता चला कि यह अलैंगिक या बिना सहवास के भी प्रजनन करने में सक्षम है।
ब्लैक होल : ब्लैक होल से प्रकाश?

अमेरिकी और यूरोपीय दूरबीनों की खोज ने दुनिया को यह बताया है कि अंतरिक्ष में ब्लैक होल के आसपास बहुत तेज विकिरण एक्स-रे उत्सर्जन होता है। यह पहली बार है जब किसी ब्लैक होल से प्रकाश की खोज की गई है।
इस शोध में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से एक्सएमएम-न्यूटन और नासा से नूस्टार-न्यूक्लियर स्पेक्ट्रोस्कोपिक टेलीस्कोप ऐरे का इस्तेमाल किया गया था।
अमेरिका में स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के डैन विल्किंस ने इस शोध के दौरान अंतर्राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व किया।
पारथेनोजिनेसीस : नर पक्षी के बगैर अंडे दे सकती है मादा पक्षी
कैलिफ़ोर्निया की दो मादा गिद्धों ने बिना नर क्रोमोज़ोम के और बगैर किसी नर की मदद के अंडे दिए और उनसे बच्चे भी पैदा किए।
इस घटना की खोज अमेरिकी वन्यजीव शोधकर्ताओं ने की थी। यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कैलिफ़ोर्निया के गिद्ध लुप्त होने की कगार पर हैं।
स्रोत : बी बी सी