
जेम्स वेब अंतरिक्ष वेधशाला(James Webb Space Telescope – JWST) ने चित्र लेना शुरू कर दिया है, इससे वैज्ञानिकों की उम्मीद से कई गुणा बेहतर चित्र आ रहे है।
ये तस्वीर एक नारंगी रंग के प्रकाश उत्सर्जन करने वाले तारे 2MASS J17554042+6551277 की है।
आइए जानते हैं ये चित्र महत्वपूर्ण क्यों है?
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope – JWST) द्वारा ली गई इस चमकते तारे की तस्वीर को लेकर नासा (NASA) ने कहा कि दूरबीन के 18 षट्कोणीय दर्पण अब संरेखित(align) हो चुके हैं। वो एकसाथ काम कर रहे हैं, यानी वो अब 18 दर्पण मिल कर एक दर्पण बन चुके हैं। हमें जितनी उम्मीद थी, उससे कहीं ज्यादा बेहतर तस्वीरें मिल रही हैं। यह हैरान करने वाला और खुशी देने वाला है।
JWST की टीम ने कहा कि हमारी आकाशगंगा के दूसरे छोर पर मौजूद जिस नारंगी तारे (Orange Star) की तस्वीर जेम्स वेब टेलिस्कोप ने ली है, वह धरती से करीब 2000 प्रकाश वर्ष दूर है। इस तारे का नाम 2MASS J17554042+6551277है। इसकी दृश्य चित्र को बेहतर बनाने के लिए लाल फिल्टर का उपयोग किया गया था। ताकि तारे की चमक और अंतरिक्ष का अंधेरा आपस में ना मिलें। इस चमकते तारे के पीछे कई आकाशगंगाएं और तारे भी दिख रहे हैं।
वेधशाला टीम के इंजीनियर ली फिनबर्ग ने कहा कि आप इस तस्वीर में सिर्फ एक तारा नहीं देख रहे है। इसमें कई तारे हैं, आकाशगंगाएं और गहरा अंतरिक्ष है। अब तक जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope – JWST) की सभी कार्यप्रणालियां बेहतर तरीके से काम कर रही हैं। हमें उससे मिल रही तस्वीरों से काफी खुशी है। क्योंकि ये तस्वीरें हम सभी की उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर आ रही हैं।
जनवरी के अंत में JWST को धरती से 1,609,344 किलोमीटर की दूरी तक पहुंचा दिया गया था। इसके साथ ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESA ने नया इतिहास रचा था. क्योंकि इसके पहले अंतरिक्ष में इतनी दूरी किसी दूरबीन को स्थापित नहीं किया गया था। इसे धरती के चारों तरफ दूसरे लैरेंज बिंदु (L2) पर स्थापित किया गया है। धरती और सूर्य के बीच पांच लैरेंज बिंदु हैं। इन लैरेंज बिंदु पर पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का संतुलन बना रहता है, जिससे दूरबीन पृथ्वी के साथ ही सूर्य की परिक्रमा करेगी।
यह दूरबीन अगले 10 सालों तक काम करता रहेगी। वैसे इस दूरबीन में इतना ईंधन है कि यह 20 सालों तक भी काम कर सकती है। यह दूरबीन ब्रह्मांड की सुदूर गहराइयों में मौजूद आकाशगंगाओं, क्षुद्रग्रह, ब्लैक होल्स, ग्रहों, सौर बाह्य ग्रहों, सौर मंडलों आदि की खोज करेंगी। ये आंखें मानव द्वारा निर्मित बेहतरीन वैज्ञानिक आंखें हैं। जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन की आंखें यानी सुनहरे दर्पण की चौड़ाई करीब 21.32 फीट है। ये एक तरह के परावर्तक हैं. जो 18 षटकोण टुकड़ों को जोड़कर बनाए गए हैं। ये षटकोण बेरिलियम (Beryllium) से बने हैं। हर षटकोण के ऊपर 48.2 ग्राम सोने की परत लगाई गई है।
इस दूरबीन के यही षटकोण दर्पण ही मुख्य लेंस हैं। सभी षटकोण दर्पण को संरेखित करना एक चुनौती थी।
प्रक्षेपण के समय NASA ने कहा था कि इसकी एक महीने की अंतरिक्ष यात्रा ही सबसे कठिन अभियान है। क्योंकि इतनी दूर जाकर सटीक स्थान पर इसे स्थापित करना एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन इसे वैज्ञानिकों ने सही सलामत पूरा कर लिया है। उसके बाद उसके 18 षटकोण को संरेखित करके उसे एक ही दर्पण बनाना दूसरी बड़ी चुनौती थी ताकि उससे पूरा चित्र आ सके। एक भी षटकोण सही संरेखित नहीं हुआ तो तस्वीर खराब हो जाएंगी।
18 दर्पण अब एक ही दर्पण बन गए है, तभी स्पष्ट चित्र बन पा रहा हैं।
नासा के सिस्टम इंजीनियर बेगोना विला ने बताया कि संरेखण की अनुपस्थिति हम किसी भी तारे की एक तस्वीर नहीं देखते है क्योंकि हमें हर षटकोण से उसकी अलग तस्वीर मिलती है। यानी एक ही पिंड की 18 तस्वीरें एकसाथ बनती है। ये भी हो सकता है कि अलग-अलग षटकोण अलग-अलग तारों की तस्वीर ले रहे हों। ऐसे में हमारा काम बढ़ जाता कि कौन सा तारा क्या है। इसके लिए हमें इससे मिलने वाली सारी तस्वीरों को जोड़ना होता। तब जाकर ये तय होगा कि इसमें कितने तारे या अन्य अंतरिक्षीय वस्तुएं दिख रही हैं. लेकिन अब यह पुख्ता हो गया है कि सारे दर्पण संरेखित हैं, अब हमें सटीक तस्वीर मिल रही हैं।
विज्ञान के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण घटना है वैसे तो विज्ञान की हर घटना ही महत्वपूर्ण है पर अगर कुछ विशेष घटाओं का उल्लेख किया जाए तो उनमें यह पहली तस्वीर भी शामिल है मैं शुरू से ही सोच रहा था नजाने कब पहली तस्वीर देखने को मिलेगी मुझे आशा है इससे भी अधिक सुंदर चित्र यह टेलिस्कोप लेगी विशेषकर आकाशगंगाओं के चित्र के वह कैसे विकसित होती हैं
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