जेम्स क्लार्क मैक्सवेल : जिन्होने सापेक्षतावाद की नींव रखी


जेम्स क्लार्क मैक्सवेल (James Clerk Maxwell) स्कॉटलैण्ड (यूके) के एक विख्यात गणितज्ञ एवं भौतिक वैज्ञानिक थे। इन्होंने 1865 ई. में विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिससे रेडियो और टेलीविजन का आविष्कार सम्भव हो सका। क्लासिकल विद्युत चुंबकीय सिद्धांत, चुंबकत्व और प्रकाशिकी के क्षेत्र में दिए गए सिद्धांतों के लिए उन्हें प्रमुखता से याद किया जाता है। मैक्सवेल ने क्रांतिकारी विचार रखा कि प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंग है और यह माध्यम से स्वतंत्र है। स्कॉटिश भौतिकविद जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने इस सिद्धांत से क्रांति ला दी। न्यूटन के बाद विद्युतचुंबकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल द्वारा किए गए कार्य को भौतिकी के क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा एकीकरण कार्य माना जाता है। यह कई क्षेत्रों से जुड़ा है।

मैक्सवेल का जन्म एडिनर्बग (स्कॉटलैण्ड) में 13 जून सन् 1831 के हुआ था। आपने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय तथा केंब्रिज में शिक्षा पाई। 1856 से 1860 तक आप ऐबर्डीनके मार्शल कालेज में प्राकृतिक दर्शन (Naturalphilosophy) के प्रोफेसर रहे। सन् 1860 से 68 तक आप लंदन के किंग कालेज में भौतिकी और खगोलमिति के प्रोफेसर रहे। 1868 ई0 आपने अवकाश ग्रहण किया, किंतु 1871 में आपको पुन: केंब्रिज में प्रायोगिक भौतिकी विभाग के अध्यक्ष का भार सौंपा गया। आपके निर्देशन में इन्हीं दिनों सुविख्यात कैंबेंडिश प्रयोगशाला की रूपपरेखा निर्धारित की गई। आपकी मृत्यु 5 नवम्बर 1879 में हुई।

18 वर्ष की अवस्था में ही आपने गिडनबर्ग की रॉयल सोसायटी के समक्ष प्रत्यास्थता (elasticity) वाले ठोस पिंडों के संतुलन पर अपना निबंध प्रस्तुत किया था। इसी के आधार पर आपने श्यानतावाले (viscous) द्रव पर स्पर्शरेखीय प्रतिबल (tangential stress) के प्रभाव से क्षण मात्र के लिये उत्पन्न होनेवाले दुहरे अपवर्तन की खोज की। सन् 1859 में आपने शनि के वलय के स्थायित्व पर एक गवेषणपूर्ण निबंध प्रस्तुत किया। गैस के गतिज सिद्धान्त (Kinetic Ttheory) पर महत्वपूर्ण शोधकार्य करके, गैस के अणुओं के वेग के विस्तरण के लिये आपने सूत्र प्राप्त किया, जो “मैक्सवेल के नियम” के नाम से जाना जाता है। मैक्सवेल ने विशेष महत्व के अनुसंधान विद्युत् के क्षेत्र में किए। गणित के समीकरणों द्वारा आपने दिखाया कि सभी विद्युत् और चुंबकीय क्रियाएँ भौतिक माध्यम के प्रतिबल तथा उसकी गति द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। इन्होंने यह भी बतलाया कि विद्युच्चुंबकीय तरंगें तथा प्रकाशतरंगें एक से ही माध्यम में बनती हैं, अत: इनका वेग ही उस निष्पत्ति के बराबर होना चाहिए जो विद्युत् परिमाण की विद्युतचुंबकीय इकाई तथा उसकी स्थित विद्युत् इकाई के बीच वर्तमान है। निस्संदेह प्रयोग की कसौटी पर मैक्सवेल क यह निष्कर्ष पूर्णतया खरा उतरा।

मैक्सवेल ने सबसे पहले प्रयोग के माध्यम से बताया कि विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र अंतरिक्ष में तरंगों के रूप में प्रकाश की गति से चलते हैं। वर्ष 1864 में मैक्सवेल ने विद्युत चुंबकत्व की गति का सिद्धांत दिया और पहली बार बताया कि प्रकाश वास्तव में उसी माध्यम में तरंग है जिससे विद्युत और चुंबकीय तरंग पैदा होती है।

उन्होंने विद्युत चुंबकत्व के क्षेत्र में एकीकृत मॉडल दिया, जिसे भौतिकी में एक बड़ा योगदान माना जाता है। मैक्सवेल ने मैक्सवेल वितरण का विकास किया जिसे गैसों की गतिज उर्जा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है।

बचपन

जेम्स का जन्म 1831 में स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में हुआ था। जब वह आठ वर्ष के थे, उनकी मां की मृत्यु हो गई, और उनके पिता जॉन ने अपनी बहन जेन के साथ उनकी संगति के लिए जिम्मेदारी संभाली। 1841 में, वह एडिनबर्ग अकादमी मे गये, वे एक संतोषजनक छात्र थे, लेकिन स्कूल के पाठ्यक्रम, विशेषकर ज्यामिति, चित्रकारी और गणित के बाहर के विषयों में बहुत रुचि ली थी। 14 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपना पहला वैज्ञानिक पत्र (ओवल कर्व्स) लिखा

1847 में, वह एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में चले गए जहां उन्होंने तर्कशास्त्र, गणित और प्राकृतिक दर्शन  का अध्ययन किया। हालांकि, स्कूल की तरह, वह पाठ्यक्रम के बाहर अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने में अधिक रुचि रखते थे। उन्होंने ध्रुवीकृत प्रकाश और प्रिज्म्स के गुणों की जांच की, और महत्वपूर्ण रूप से बिजली और चुंबकीय उपकरणों में अपनी प्रारंभिक जांच की। 18 वर्ष की आयु में, उन्होंने दो और शोध पत्रों को प्रस्तुत किया।

1850 में, वह कैंब्रिज ट्रिनिटी कॉलेज चले गए, और महान ट्यूटर विलियम हॉपकिंस।के तहत गणित का अध्ययन किया।

प्रारंभिक वर्ष और शिक्षा

1831 में एडिनबर्ग में पैदा हुए, मैक्सवेल ने अपने शुरुआती वर्षों में परिवार के घर डम्फ़्राइस Dumfries और गैलोवे( Galloway) में ग्लेन्लेयर(Glenlair) में बिताया। वे दस वर्ष की आयु मे एडिनबर्ग अकादमी मे गये। यहां उन्होंने गणित में एक असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया। उनके एक स्कूल मित्र पीटर गुथरी टाइट थे, जो एक प्रख्यात भौतिक विज्ञानी भी बन गए थे। मैक्सवेल का पहला वैज्ञानिक पेपर, जब वह 14 साल का था, तब लिखा गया जोकि पिन और स्ट्रिंग का उपयोग करके अंडाकार आकृतियों को चित्रित करने में उनकी रूचि से आया।

विश्वविद्यालय जीवन

मैक्सवेल ने एडिनबर्ग, लंदन और कैम्ब्रिज में अध्ययन किया, जहां उन्होंने एक साथ रंग के अलग-अलग रंगों को मिलाकर रंग दृष्टि में प्रयोग किया।इस समय अपने सबसे महत्ववपू्र्ण कार्य विद्युत चुम्बकीय विकिरण में अनुसंधान को आरंभ किया।अगले कुछ वर्षो मे वर्षों में उन्होंने पहली बार बिजली चुंबकत्व और प्रकाश से संबंधित चार समीकरण तैयार किए। इस सिद्धांत ने रेडियो तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की।

अनुसंधान कार्य

18 वर्ष की अवस्था में ही आपने गिडनबर्ग की रॉयल सोसायटी के समक्ष प्रत्यास्थता (elasticity) वाले ठोस पिंडों के संतुलन पर अपना निबंध प्रस्तुत किया था। इसी के आधार पर आपने श्यानतावाले (viscous) द्रव पर स्पर्शरेखीय प्रतिबल (tangential stress) के प्रभाव से क्षण मात्र के लिये उत्पन्न होनेवाले दुहरे अपवर्तन की खोज की। सन् 1859 में आपने शनि के वलय के स्थायित्व पर एक गवेषणपूर्ण निबंध प्रस्तुत किया। गैस के गतिज सिद्धान्त (Kinetic Ttheory) पर महत्वपूर्ण शोधकार्य करके, गैस के अणुओं के वेग के विस्तरण के लिये आपने सूत्र प्राप्त किया, जो “मैक्सवेल के नियम” के नाम से जाना जाता है। मैक्सवेल ने विशेष महत्व के अनुसंधान विद्युत् के क्षेत्र में किए। गणित के समीकरणों द्वारा आपने दिखाया कि सभी विद्युत् और चुंबकीय क्रियाएँ भौतिक माध्यम के प्रतिबल तथा उसकी गति द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। इन्होंने यह भी बतलाया कि विद्युच्चुंबकीय तरंगें तथा प्रकाशतरंगें एक से ही माध्यम में बनती हैं, अत: इनका वेग ही उस निष्पत्ति के बराबर होना चाहिए जो विद्युत् परिमाण की विद्युतचुंबकीय इकाई तथा उसकी स्थित विद्युत् इकाई के बीच वर्तमान है। निस्संदेह प्रयोग की कसौटी पर मैक्सवेल क यह निष्कर्ष पूर्णतया खरा उतरा।

मैक्सवेल ने सबसे पहले प्रयोग के माध्यम से बताया कि विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र अंतरिक्ष में तरंगों के रूप में प्रकाश की गति से चलते हैं। वर्ष 1864 में मैक्सवेल ने विद्युत चुंबकत्व की गति का सिद्धांत दिया और पहली बार बताया कि प्रकाश वास्तव में उसी माध्यम में तरंग है जिससे विद्युत और चुंबकीय तरंग पैदा होती है।

मैक्सवेल के समीकरण

 

विद्युत्चुम्बकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल के समीकरण चार समीकरणों का एक समूह है जो वैद्युत क्षेत्रचुम्बकीय क्षेत्र, वैद्युत आवेश, एवं विद्युत धारा के अन्तर्सम्बधों की गणितीय व्याख्या करते हैं। ये समीकरण सन १८६१ में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल के शोधपत्र में छपे थे, जिसका शीर्षक था – ऑन फिजिकल लाइन्स ऑफ फोर्स

मैक्सवेल के समीकरणों का आधुनिक स्वरूप निम्नवत है :

गाउस का नियम {\displaystyle \nabla \cdot \mathbf {E} ={\frac {\rho }{\epsilon _{0}}}}
चुम्बकत्व के लिये गाउस का नियम {\displaystyle \nabla \cdot \mathbf {B} =0}bf {B} =0}
फैराडे का प्रेरण का नियम {\displaystyle \nabla \times \mathbf {E} =-{\frac {\partial \mathbf {B} }{\partial t}}}
एम्पीयर का नियम
मैक्सवेल द्वारा इसमें विस्थापन धारा (displacement current) के समावेश के साथ
{\displaystyle \nabla \times \mathbf {B} =\mu _{0}\mathbf {J} +\mu _{0}\epsilon _{0}{\frac {\partial \mathbf {E} }{\partial t}}}

उपरोक्त समीकरणों में लारेंज बल का नियम भी सम्मिलित कर लेने पर शास्त्रीय विद्युतचुम्बकत्व की सम्पूर्ण व्याख्या हो पाती है।

मृत्यु

जेम्स सी मैक्सवेल की कैंब्रिज, 5 नवम्बर, 1897 को, पेट के कैंसर से इंग्लैंड में मृत्यु हो गई थी।

यह एक सुखद संयोग कहा जाएगा कि जिस वर्ष मैक्सवेल की मृत्यु हुई उसी वर्ष (1879) महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्स्टीन का जन्म हुआ । शायद प्रकृति को इस महान वैज्ञानिक का पद रिक्त रखना गवारा न हुआ.उनकी खोजों ने आधुनिक दुनिया के तकनीकी नवाचारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया और अगली शताब्दी में भौतिकी को अच्छी तरह से प्रभावित करना जारी रखा, साथ ही अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे विचारकों ने उनके अपरिहार्य योगदान के लिए प्रशंसा की।

मैक्सवेल का मूल घर, अब एक संग्रहालय है, जो जेम्स क्लर्क मैक्सवेल फाउंडेशन की साइट है।

जेम्स क्लार्क मैक्सवेल(James Clerk Maxwell)
जेम्स क्लार्क मैक्सवेल(James Clerk Maxwell)

6 विचार “जेम्स क्लार्क मैक्सवेल : जिन्होने सापेक्षतावाद की नींव रखी&rdquo पर;

  1. मैक्सवेल के समीकरणों ने सैद्धान्तिक रूप से प्रकाश की जो व्याख्या की वही आगे चल कर अल्बर्ट आइंस्टाइन जैसी भौतिकविदों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुई वास्तव में क्वांटम भौतिकी और सापेक्षतावाद के बीज मैक्सवेल ने ही बोए

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    1. बकवास थ्योरी है। ये लोग धरती को प्लेट के जैसे चपटी मानते है। धर्मग्रंथों के आंख मूंदकर मानने वाले और विज्ञान की मूलभूत जानकारी नही रखने वाले झक्कीयो का शिगूफा है।

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