01 सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत क्या है ?


द थिंकर (विचारक)
द थिंकर (विचारक)

 सनातन प्रश्न

सदियों से मानव के मन मे प्रश्न रहा है:

“विश्व किससे निर्मित है?”

“इसे कौन बांधे रखता है?”

clip_image003प्रश्न: इस पुतले का नाम क्या है और इसका शिल्पकार कौन है?

उत्तर :

शिल्पकार: राडीन (Rodin)

 नाम: द थिंकर (The Thinker)

मूलभूत की खोज: विश्व किससे निर्मित है?

विश्व किससे निर्मित है?
विश्व किससे निर्मित है?

यह विश्व किससे निर्मित है ? हम अपने आसपास भी वस्तुएँ, पदार्थ  देखते है, वे किस मूलभूत तत्व से निर्मित है? क्यों विश्व मे बहुत सी वस्तुओ के गुणधर्म एक समान या मिलते जुलते होते है?

मानव यह जानने लगा था कि इस विश्व का समस्त पदार्थ प्रकृति की कुछ मूलभूत ईकाईयों से बना है। यहाँ पर “मूलभूत” शब्द महत्वपूर्ण है। मूलभूत ईकाईयों का अर्थ है कि जो सरल और संरचनाहीन हो, जो किसी अन्य छोटी ईकाई से निर्मित न हो।

प्राचीन काल मे भी मानव ने विश्व को कुछ मूलभूत तत्वों मे बांटा था, वे थे पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल। भारतीय विचारक इसमे एक पांचवे तत्व आकाश का भी समावेश करते है।

clip_image006प्रश्न: किसने सबसे पहले मूलभूत तत्वो को पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल के रूप मे वर्गिकृत किया ?

पश्चिमी सभ्यता मे ग्रीक दार्शनिक एम्पेडोक्लेस(Empedocles) ने सर्वप्रथम मूलभूत तत्वो को पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल के रूप मे वर्गिकृत किया।  प्रस्तुत चित्र का श्रेय अरस्तु (Aristotle) को दिया जाता है।

clip_image008क्या आप जानते है?

प्राचीन चीनी सभ्यता (वु जींग Wu Xing) के अनुसार भौतिक ब्रह्माण्ड के पांच तत्व पृथ्वी, काष्ठ, धातु, अग्नि और जल थे। भारतीय सांख्य दर्शन(ईश्वरकृष्ण – ईसा पूर्व 3 शताब्दी) के अनुसार पांच मूलभूत तत्व आकाश, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी हैं। भारतीय ग्रंथ महाभारत मे पंच महाभूतो (पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु) का वर्णन है।

परमाणु

आज हम जानते है कि पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि से भी मूलभूत तत्व है …..

clip_image009

परमाणु
परमाणु
By convention there is color,

By convention sweetness,
By convention bitterness,
But in reality there are atoms and space.

परंपराओं से रंग है,

परंपराओं से मिठास है,

परंपराओं से कड़वाहट है,

लेकिन वास्तविकता मे परमाणु और अंतराल है।

 डेमोक्रिट्स ( ईसा पुर्व 400)

1900 के आसपास सोचा जाता था कि परमाणु पारगम्य गेंद जैसे है जिसके अंदर विद्युत आवेश टुकड़ो मे घुमते रहता है।

लेकिन क्या परमाणु मूलभूत है ?

क्या परमाणु मूलभूत है ?

आवर्त सारणी
आवर्त सारणी

वर्तमान परमाणु माडेल

वैज्ञानिको ने जल्दी ही पा लिया कि परमाणुओं को समान रासायनिक गुणधर्मो वाले वर्गो मे रखा जा सकता है। उदा. तत्वों की आवर्त सारणी। इसका अर्थ यह था कि परमाणु और भी सरल मूलभूत ईकाई से बने है। विभिन्न परमाणुओं मे इन सरल मूलभूत ईकाईयों के भिन्न-भिन्न मिश्रण से उनके रासायनिक गुण निर्धारित होते है।

इसके पश्चात कण जांचक यंत्रो  द्वारा परमाणु के अंदर देखने के प्रयोगो ने पाया कि परमाणु की अपनी आंतरिक संरचना होती है और वे गेंद की तरह नही है। इन प्रयोगो से वैज्ञानिको ने पाया कि परमाणु का एक छोटा लेकिन घना धनात्मक केन्द्र होता है और उसके चारो ओर ऋणात्मक इलेक्ट्रानो का बादल।

clip_image014क्या आप जानते है कि शब्द परमाणु या अंग्रेजी शब्द एटम(Atom) असंगत(विरोधाभाषी) है ?

परमाणु का अर्थ है परम अणु अर्थात ऐसा कण जो अविभाज्य हो। उसी तरह एटम शब्द बना है एटामान(atomon) से जिसका अर्थ है अविभाज्य! लेकिन हम जिसे परमाणु या एटम कहते है वह अविभाज्य नही है।

क्या परमाणु केन्द्र मूलभूत है ?

परमाणु केन्द्रक

परमाणु केन्द्र छोटे, ठोस और घने थे, इसलिये वैज्ञानिको ने सोचा की केन्द्र मूलभूत होना चाहीये। लेकिन बाद की खोजो से पता चला की वह धनात्मक आवेश वाले प्रोटान (p+) तथा उदासीन न्युट्रान(n) से बना है!

तो क्या प्रोटान और न्यूट्रॉन मूलभूत है?

क्या परमाणु प्रोटान और न्युट्रान मूलभूत है ?

क्या प्रोटान और न्युट्रान मूलभूत है?

भौतिकशास्त्रीयों ने पाया कि प्रोटान और न्युट्रान और भी छोटे कणों ’क्वार्क’ से बने है।

हमारी अबतक की जानकारी के अनुसार क्वार्क ज्यामिती मे बिंदु के जैसे है और वे और किसी से नही बने है।

इस सिद्धांत की कड़ी जांच के बाद वैज्ञानिक मानते है कि क्वार्क तथा इलेक्ट्रान कुछ अन्य कणो के साथ मूलभूत है।

वर्तमान परमाणु माडेल

परमाणु संरचना
परमाणु संरचना

इलेक्ट्रान केन्द्र के चारो ओर गतिशील रहते है, प्रोटान और न्युट्रान केन्द्र के अंदर हिलते डुलते रहते हैं, वही क्वार्क प्रोटान और न्युट्रान के अंदर हिलते डुलते रहते है।

यह चित्र सही पैमाने मे नही है। यदि हम परमाणु को सही पैमाने मे चित्रित करे जिसमे प्रोटान और न्यूट्रॉन का व्यास 1 सेमी मानकर चले तब इलेक्ट्रान और क्वार्क मानव केश के व्यास से भी छोटे होंगे। सम्पूर्ण परमाणु का व्यास 30 फुटबाल मैदानों की लंबाई से ज्यादा होगा। किसी परमाणु के कुल क्षेत्रफल का 99.999999999999% से ज्यादा क्षेत्र रिक्त होता है।

परमाणु का पैमाना

परमाणु स्तर पर दूरी का पैमाना
परमाणु स्तर पर दूरी का पैमाना

परमाणु अत्यंत लघु होता है, उसका केन्द्र परमाणु से दस हजार गुणा छोटा होता है और क्वार्क/इलेक्ट्रान दोनो परमाणु-केन्द्र से शायद दस हजार गुणा छोटे होते है। हम नही जानते है कि इलेक्ट्रान और क्वार्क का आकार कितना होता है लेकिन वे शर्तिया 10-18 मीटर से छोटे है। वे शायद बिन्दू के जैसे होंगे लेकिन हम नही जानते है।

यह भी संभव है कि क्वार्क और इलेक्ट्रान भी मूलभूत ना हो, हो सकता है कि वे भी उनसे छोटे मूलभूत कणो से निर्मित हो! (ओह यह पागलपन कभी खत्म होगा भी ?)

हम किस की तलाश मे है?

क्या आप मूलभूत है?भौतिक विज्ञानी हमेशा नये कणो की खोज मे रहते हैं। जब वे एक नया कण पाते है तब वे उसे वर्गीकृत करते है और एक ऐसे पैटर्न को ढुंढते है जिससे वे ब्रह्माण्ड की मूलभूत ईकाईयों की प्रक्रियाओं को समझ सके। अभी तक हमने दो सौ से ज्यादा कण खोजे है जिनमे से अधिकतर मूलभूत नही है। इन कणो को ग्रीक और रोमन अक्षरो से नाम दिया गया हौ। किसी भी भौतिक सिद्धांत मे इन कणो का नाम एक छोटा सा भाग होता ही है। यदि आप इन नामो को याद न रख सकें तो परेशान मत होयीये।

महान वैज्ञानिक एनरीको फर्मी ने अपने नोबेल पुरस्कार विजेता छात्र लीआन लेन्डरमैन से कहा था

यदि मै इन कणो का नाम याद रख पाता तो मै वनस्पति विज्ञानी होता!”

स्टैंडर्ड माडेल (मानक प्रतिकृति)

भौतिक वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सिद्धांत विकसीत किया है जो यह बताता है कि विश्व किससे निर्मित है और इसे कौन बांधे रखता है। इस सिद्धांत का नाम है स्टैंडर्ड माडेल (मानक प्रतिकृति)। यह एक सरल और व्यापक सिद्धांत है जो सैंकड़ो कणो और जटिल प्रक्रियाओं की कुछ ही कणो से व्याख्या करता है। ये कण निम्नलिखित है:

  1. 6 क्वार्क
  2. 6 लेप्टान – लेप्टान कणो मे सबसे ज्यादा जाना माना कण ’इलेक्ट्रान’ है। हम लेप्टान की चर्चा अगले कुछ पन्नो मे करेंगे।
  3. बलवाहक कण, जैसे फोटान। इन कणो की चर्चा हम आगे करेंगे।

सभी ज्ञात पदार्थ कण क्वार्क और लेप्टान से बने होते है और वे आपसी प्रतिक्रिया बलवाहक कणो के आदान-प्रदान से करते हैं।

क्वांटम सूप

स्टैंडर्ड माडेल एक अच्छा सिद्धांत है। इसके अनुमानो का सटिक प्रमाणन प्रयोगो द्वारा हो चुका है। इसके द्वारा अनुमानित सभी कण खोजें जा चुके है। लेकिन यह सम्पूर्ण सिद्धांत नही है, जैसे यह गुरुत्वाकर्षण का समावेश नही करता है।

अब हम स्टैंडर्ड माडेल को विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे और उसके सत्यापन के लिये किये गये प्रयोगो और उनसे प्राप्त आंकड़ो/सुचनाओ की चर्चा करेंगे। इसके अतिरिक्त हम ऐसे कुछ अनसुलझे प्रश्नो को भी देखेंगे जो हमारी ज्ञात जानकारी के बाहर है।

स्टैंडर्ड माडेल (मानक प्रतिकृति) : प्रश्नोत्तर

clip_image006प्रश्न: सैंकड़ो से ज्यादा कण कितने मूलभूत कणो से बने हैं ?

उत्तर  : 6 क्वार्क, 6 लेप्टान, 6 प्रतिक्वार्क, 6 प्रतिलेप्टान और बल वाहक कण

clip_image006प्रश्न: भौतिक वैज्ञानिक कितने वर्षो से जानते है कि प्रोटान, न्युट्रान, इलेक्ट्रान और प्रोटान के अतिरिक्त और भी कण है ? 5 वर्ष ? 25 वर्ष ? 60 वर्ष ? 100 वर्ष ?

उत्तर  : 60 वर्ष ! 1930 मे वैज्ञानिको ने म्युआन खोजा था, लेकिन 1960-1970 के मध्य उच्च ऊर्जा कण त्वरको(high energy accelerators) मे सैकड़ो कण खोजे गये।

अगले भाग मे ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है?

यह लेख श्रृंखला माध्यमिक स्तर(कक्षा 10) की है। इसमे क्वांटम भौतिकी के  सभी पहलूओं का समावेश करते हुये आधारभूत स्तर पर लिखा गया है। श्रृंखला के अंत मे सारे लेखो को एक ई-बुक के रूप मे उपलब्ध कराने की योजना है।

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54 विचार “01 सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत क्या है ?&rdquo पर;

  1. सर हर चीज में परमाणु है (लकड़ी ,पत्थर ,दही,निम्बू आदि )
    प्रश्न ये है की परमाणुओं में एसा क्या हो ता हे जो हमें खटा ,कडवा ,मीठा आदि का स्वाद अनुभव कराता है ?

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    1. विभिन्न पदार्थो के परमाणु दूसरे परमाणुओं से मिलकर रासायनिक बंधन बनाते है। ये रासायनिक बंधन ही उस पदार्थ के सभी भौतिक और रासायनिक गुण निर्धारित करते है। किसी पदार्थ का स्वाद उसके रासायनिक बंधनो द्वारा हमारी तंत्रिका तंत्र और इंद्रीयों के साथ प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाला भ्र्म है जिसे मस्तिष्क स्वाद के रूप मे पहचानता है।

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  2. प्रशंसनीय काम है, परोपकार की श्रेणी का। हिंदी में ऐसी जानकारी देखना एक सुखद आश्चर्य है। बिना प्रतिबद्धता, conviction, के ऐसा करना सम्भव नहीं था।
    क्या यही जानकारी अंग्रेज़ी में भी इतनी ही सुगम रूप से उपलब्ध कराएँगे? ताकि बच्चों को भी पढ़ाया जा सके, जो हिंदी में उतने comfortable नहीं हैं।

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    1. वास्तविकता में ऋण या धन कुछ नही होता। बस दो भिन्न गुणधर्म है, कोई नाम देना था तो ऋण धन दे दिया। जैसे कंप्यूटर में 0, 1 भी नहीं होता, वो भी 5 वोल्ट याने 1 , 0 वोल्ट याने 0 होता है।

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    1. 1. वह कण हिग्स बोसान है, उसे गाड़ पार्टीकल या ईश्वर कण कहना गलत है।
      2. हिग्स बोसान, मूलभूत तत्व नही है, यह कण केवल अन्य मूलभूत कणो को द्रव्यमान प्रदान करता है। यदि हिग्स बोसान कण द्रव्यमान प्रदान नही करे तो सभी कण प्रकाशगति से यात्रा करेंगे।

      कण दो तरह के होते है, फर्मीयान और बोसान। क्वार्क और लेप्टान कण फर्मीयान के अंतर्गत आते है। बोसान कण बलवाहक कण है, इसके उदाहरण प्रकाशकण अर्थात फोटान, हिग्स बोसाम, W बोसान, Z बोसान है।

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    1. अंडे को गर्म करने पर रासायनिक परिवर्तन होते है, गर्म करने पर बनने वाले पदार्थ का घनत्व अधिक होने से वह सिकुड़ता है।

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  3. माना कि मेरे पास 64 ग्राम कोई पदार्थ है।इसमें से आधा यानी 32 ग्राम मैं आपको दे दिया।पुनः बँचे हुए का आधा यानी 16 ग्राम मैं आपको दिया।इसी प्रकार हर बार मैं अपने पास बँच रहे पदार्थ का आधा आपको देता जा रहा हूँ।
    मेरा प्रश्न है कि क्या मैं अपने पास का पूरा पदार्थ आपको दे पाऊंगा?

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      1. गणीतीय दृष्टी से आपके पास शून्य पदार्थ कभी नही होगा। आपने जो उदाहरण दिया है, वह रेडीयो सक्रिय पदार्थो पर लागु होता है। एक निश्चित समय पश्चात उनकी मात्रा का आधा भाग रेडीयो उत्सर्जन से दूसरे भाग मे परिवर्तित हो जाता है। इस निश्चित समय को अर्ध आयु कहते है। लेकिन पुर्ण आयु कभी नही होती है।

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    1. गणीतीय दृष्टी से आपके पास शून्य पदार्थ कभी नही होगा। आपने जो उदाहरण दिया है, वह रेडीयो सक्रिय पदार्थो पर लागु होता है। एक निश्चित समय पश्चात उनकी मात्रा का आधा भाग रेडीयो उत्सर्जन से दूसरे भाग मे परिवर्तित हो जाता है। इस निश्चित समय को अर्ध आयु कहते है। लेकिन पुर्ण आयु कभी नही होती है।

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  4. लगता है आप पस्चिम से प्रभावित है या भारतीय दर्शन का ज्ञान नही है, क्योकि वैदिक दर्शन जड पदार्थो को पंच तत्व (आकास, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) मे वर्गीकृत किया गया है, चावार्क दर्शन मे चार तत्व (वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) है, फिर आप इस वर्गीकरण का श्रेय अरस्तु को क्यो दे रहे है

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  5. मुझे लगता है कि विज्ञान विषयों पर लिखते समय यही स्तर (10वीं) का रखा जाए तो तमाम पाठक गण जो कला या वाणिज्य से भी आते हैं, वे भी इन आलेखों को आसानी से समझ सकेंगे, और लोकप्रियता भी ज्यादा रहेगी.
    बढ़िया आलेख.

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