बिग बैंग समय रेखा

ब्रह्मांड का जन्म: एक समयरेखा(The Big Bang Timeline)


परिचय

वर्तमान मे ब्रह्माण्ड के जन्म संबधित सबसे मान्य सिद्धांत बिग बैंग सिद्धांत है। इसके अनुसार ब्रह्मांड का जन्म एक बिंदु से हुआ था। विज्ञान द्वारा प्राप्त सभी प्रमाण इसी सिद्धांत के समर्थन मे है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी अवधारणाये ऐसी परिस्थितियों या प्रक्रियायों को प्रस्तुत करती है जिन्हे कभी भी प्रमाणित या जांचा नही जा सकता है।

ब्रह्मांड की समय रेखा

बिग बैंग समय रेखा
बिग बैंग समय रेखा
  1. 0 सेकंड से लेकर  10-43 तक।  यह काल विज्ञान के लिये एक रहस्य है, इस काल मे विज्ञान का कोई भी ज्ञात नियम कार्य नही करता है। हम केवल इतना जानते है कि इस काल मे ब्रह्मांड एक बिंदु जिसे सिंगुलरीटी(singularity) कहा जाता है के रूप मे था। इस समय समस्त ब्रह्मांड एक  शून्य आयतन के बिंदु मे समाया था। समय का जन्म भी इसी घटना मे हुआ है।
  2. 10-43 सेकंड, इस क्षण को प्लैंक काल कहा जाता है। इस क्षण मे गुरुत्वाकर्षण जो कि चार मूलभूत बलों मे से एक है, अन्य तीन बलों से अलग हो गया।
  3. 10-36 सेकंड, इस क्षण मजबूत नाभिकिय बल( The strong nuclear force) अन्य तीन बलों से अलग हो गया। यह वह बल है जो परमाणु नाभिक को बांधे रखता है।
  4. 10-36 से 10-32 सेकंड., मजबूत नाभिकिय बल के अलग होने के तुरंत पश्चात ब्रह्मांड विस्तार गति मे एक तीव्र त्वरण आया।
  5. 10-32 से 10-5 सेकंड। इस काल मे ब्रह्मांड मे क्वार्क, एंटी क्वार्क और इलेक्ट्रान ही थे। क्वार्क और एंटीक्वार्क एक दूसरे से टकराकर ऊर्जा मे परिवर्तित हो रहे थे।  क्वार्को की संख्या प्रतिक्वार्को की तुलना मे प्रति 1,000,000,001 क्वार्क  1,000,000,000 एंटीक्वार्क के अनुपात मे अधिक थी। इन दोनो के टकराने के पश्चात बचे हुये क्वार्को से ब्रह्माण्ड के समस्त पदार्थ का निर्माण हुआ है।
  6. 10-12 सेकंड, अतिंम दो बल, कमजोर नाभिकिय बल तथा विद्युत चुंबकीय बल अलग हुये। विद्युत चुंबकीय बल जो धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेशित कणो के आकर्षण को नियंत्रित करता है, रेडियोसक्रिय क्षय को नियंत्रण करने वाले कमजोर नाभिकिय बल से अलग हुआ।
  7. 10-5 सेकंड। ब्रह्मांड का तापमान शीतल हो कर 1,000,000,000,000°K तक पहुंचा जिससे क्वार्को ने आपस मे जुड़कर प्रोटान और न्युट्रान का निर्माण प्रारंभ किया जो कि परमाणु नाभिक बनाते है।
  8. 1 सेकंड से 3 मिनट , ब्रह्माण्ड का शीतलीकरन जारी रहा और प्रोटान और न्युट्रान ने जुड़कर परमाणु नाभिको का निर्माण किया।
  9. 10-32 सेकंड से 3000 वर्ष, क्वार्क और एंटी क्वार्क के टकराव से उत्पन्न विद्युत चुंबकीय ऊर्जा गुरुत्वाकर्षण पर प्रभावी रही।
  10. 3000 वर्ष पश्चात से अब तक। पदार्थ से उतप्न्न गुरुत्वाकर्षण बल प्रभावी हुआ। गुरुत्वाकर्षण के फ़लस्वरूप पदार्थ के गुच्छे बनना प्रारंभ हुये, इस प्रक्रिया मे श्याम पदार्थ ने भी सहायता दी। श्याम पदार्थ सामान्य पदार्थ से केवल गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा प्रतिक्रिया करता है लेकिन विद्युत चुंबकीय बल से कोई प्रतिक्रिया नही करता है।
  11. 300,000 वर्ष पश्चात. Continued expansion and cooling allow matter and electromagnetic energy to decouple. The nuclei of atoms are able to capture electrons to form complete atoms of hydrogen, helium and lithium.
  12. 200,000,000 वर्ष पश्चात,  पदार्थ के संपीड़न के फलस्वरूप आकाशगंगाओं  के जनम का आरंभ।
  13. 9,000,000,000 वर्ष पश्चात , सौर मंडल का जन्म।
  14. 10,000,000,000 वर्ष पश्चात। पृथ्वी पर जीवन का आरंभ।
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18 विचार “ब्रह्मांड का जन्म: एक समयरेखा(The Big Bang Timeline)&rdquo पर;

  1. Brahmand big bang aur big crunch ke cycles mein chalta hai. Pichhle cycle mein se brahmand cobtract hona bhi shuru kar deta hai jo baad mein Singularity akhwata hai. Big Band ke shuru mein hi chaare basic forces alag hona shuru kar deti hai aise hi Big Crunch ke shuru se hi chaare forces unify hona shuru kar deti hai aur Big Bang se pehle complete unify ho jaati hai.

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  2. Ashish Ji, Mujhe ek prashn ka uttar Chahiye. Kahte hain ki urja ka na toh nirmaan sambhav hai na hi uska vinaash, wo sirf ek madhyam se doosre madhyam me badalti hai. Is hissab se jab ham koi cheej khate hai uski urja hame milti hai. Magar ham jab koi kary karte hain toh woh urja kaha jaati hai. Jaise ki main kisi vajan cheej ko 1 km tak lekar jata hu, urja mere shareer se nikal kar kaha jati hai.

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    1. मानव शरीर ऊर्जा को ग्लुकोज के रूप मे प्रयुक्त करता है। आपका शरीर भोजन से ग्लुकोज बनाता है, यह ग्लुकोज खून के द्वारा सारे शरीर मे वितरीत होता है। इस ग्लुकोक की ऊर्जा के प्रयोग से शरीर कार्य करता है। जब आप सोचते है तब आपका मस्तिष्क इस ग्लुकोज को तोड़ रहा होता है, इससे ऊर्जा उत्पन्न होती है जो विद्युत ऊर्जा के रूप मे तंत्रिकाओं से बहती है और किसी अंग को कोई कार्य करने का आदेश देती है। यहाँ पर भोजन की रासायनिक ऊर्जा, ग्लुकोज रूपी रासायनिक ऊर्जा मे बदली जो बाद मे विद्युत रूपी ऊर्जा मे बदली।
      जब आप किसी वस्तु को उठाकर ले जा रहे है तो मुख्यत: आप गुरुत्वाकर्षण के विरोध मे काम कर रहे है। इसके लिये आपकी मांस पेशिया ग्लुकोज से यांत्रिक ऊर्जा बना रही है, जिससे आपकी मांस पेशिया सिकुड़ती फ़ैलती है, और आपके हाथ पैर चलते है। इस यांत्रिक ऊर्जा के कार्य करने से उष्मा ऊर्जा बनती है, शरीर गर्म होता है। ग्लोकोज ऊर्जा अब उष्मा के रूप मे मुक्त होती है। अब आपका शरीर अधिक गर्म हो जाये तो शरीर को नुकसान होगा, शरीर को ठंडा करने पसीना आता है। शरीर की उष्मा पसीने को सुखाती है, जिससे शरीर ठंडा होता है लेकिन उष्मा वातावरण मे मुक्त हो जाती है।

      यदि आप इस प्रक्रिया को देखें तो मानव शरीर द्वारा किसी वस्तु को उठाकर चलना किसी वाहन के चलने से अलग नही है। ग्लूकोज की जगह पेट्रोल है, मांसपेशीयों कि हरकत की जगह इंजन द्वारा चक्के का घुमना है। यांत्रिक ऊर्जा वहा भी बन रही है, इंजन वहाँ भी गर्म हो रहा है, रेडियेटर या कुलंट वहाँ भी है।

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’क्या वीरों की आज कूच करने की तैयारी है? ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है…. आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी….. आभार…

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