पृथ्वी तथा केप्लर 452b

केप्लर 452b: पृथ्वी की जुड़वा बहन – पृथ्वी -2 की खोज


चित्रकार की कल्पना मे केप्लर 452B
चित्रकार की कल्पना मे केप्लर 452B

नासा की अंतरिक्ष वेधशाला ने अपने अभियान मे एक बड़ी सफलता पायी है। उसने एक नये ग्रह केप्लर 452B को खोज निकाला है जो अब तक के पाये गये गैर सौर ग्रह मे पृथ्वी से सबसे ज्यादा मिलता जुलता ग्रह है। केप्लर 452बी नामक इस ग्रह को ‘अर्थ-2’ के नाम से भी पुकारा जा रहा है। यह हमारी आकाशगंगा में पृथ्वी की तरह ही ग्रह है। अब हमारे पास केप्लर 186f के अतिरिक्त दूसरे ग्रह की जानकारी है जो पृथ्वी के जैसे ही है।

नोट 1: सामान्यत: सौर बाह्य ग्रहो का नामकरण खोजने उपकरण, तारे के नाम पर किया जाता है। केप्लर 452B मे
सामान्यत: सौर बाह्य ग्रहो का नामकरण खोजने उपकरण, तारे के नाम पर किया जाता है। केप्लर 452B मे “केप्लर” अंतरिक्ष वेधशाला का नाम है, केप्लर 452 तारे का नाम तथा केप्लर 452B ग्रह का नाम है।

केप्लर 186f ग्रह की खोज 2014 मे हुयी थी और यह नये खोजे गये ग्रह 452B से छोटा है लेकिन एक लाल वामन तारे की परिक्रमा करता है, जोकि हमारे सूर्य से अपेक्षा कृत रूप से ठंडा है।

केप्लर 452, केप्लर 186 तथा सौर मंडल की तुलना
केप्लर 452, केप्लर 186 तथा सौर मंडल की तुलना

केप्लर 452B केप्लर-452 तारे की परिक्रमा करता है तथा यह तारा पृथ्वी से 1400 प्रकाशवर्ष दूर है। इसका तापमान सूर्य के तापमान के लगभग बराबर है। इस तारे का द्रव्यमान सूर्य से 4% अधिक है, सूर्य की तुलना में यह 20 प्रतिशत अधिक चमकीला है। यह सूर्य से 150 करोड़ वर्ष पुराना है।

केप्लर 452बी के एक वर्ष की अवधि यानी समय और इसकी सतह की खूबियां भी लगभग हमारी पृथ्वी जैसी ही हैं। इसका एक साल 385 दिनों का यानी हमारी पृथ्वी से सिर्फ 20 दिन अधिक है, जिसका अर्थ है कि इसकी परिक्रमा अवधि पृथ्वी से 5% अधिक है।

केप्लर 452बी ग्रह का द्रव्यमान अभी ज्ञात नही है, लेकिन खगोलशास्त्री संभावनाओं के आधार पर मान रहे हैं कि इसका द्रव्यमान पृथ्वी से पांच गुणा अधिक होना। यदि यह ग्रह पृथ्वी या मंगल के जैसे चट्टानी ग्रह तो संभव है कि इस ग्रह पर सक्रिय ज्वालामुखी होगें। माना जा रहा है कि गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले दोगुनी होगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने गुरुत्वाकर्षण में मानव जीवित रह सकता हैं।केप्लर 452बी, अरबों सालों से अपने तारे से उचित दूरी पर है, गोल्डीलाक क्षेत्र अर्थात जीवन के योग्य क्षेत्र मे है। केप्लर 452बी पर जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व पानी होने की सबसे ज्यादा संभावना मौजूद है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी सतह के नीचे ज्वालामुखी भी हो सकते हैं।

गोल्डीलाक क्षेत्र तारे से उस दूरी वाले क्षेत्र को कहा जाता है जहां पर कोई ग्रह अपनी सतह पर द्रव जल रख सकता है तथा पृथ्वी जैसे जीवन का भरण पोषण कर सकता है।
गोल्डीलाक क्षेत्र तारे से उस दूरी वाले क्षेत्र को कहा जाता है जहां पर कोई ग्रह अपनी सतह पर द्रव जल रख सकता है तथा पृथ्वी जैसे जीवन का भरण पोषण कर सकता है। चित्र मे इसे हरे रग से दर्शाया है।

गोल्डीलाक क्षेत्र तारे से उस दूरी वाले क्षेत्र को कहा जाता है जहां पर कोई ग्रह अपनी सतह पर द्रव जल रख सकता है तथा पृथ्वी जैसे जीवन का भरण पोषण कर सकता है। यह निवास योग्य क्षेत्र दो क्षेत्रो का प्रतिच्छेदन(intersection) क्षेत्र है जिन्हे जीवन के लिये सहायक होना चाहिये; इनमे से एक क्षेत्र ग्रहीय प्रणाली का है तथा दूसरा क्षेत्र आकाशगंगा का है। इस क्षेत्र के ग्रह और उनके चन्द्रमा जीवन की सम्भावना के उपयुक्त है और पृथ्वी के जैसे जीवन के लिये सहायक हो सकते है। सामान्यत: यह सिद्धांत चन्द्रमाओ पर लागू नही होता क्योंकि चन्द्रमाओ पर जीवन उसके मातृ ग्रह से दूरी पर भी निर्भर करता है तथा हमारे पास इस बारे मे ज्यादा सैद्धांतिक जानकारी नही है।

निवासयोग्य क्षेत्र (गोल्डीलाक क्षेत्र) ग्रहीय जीवन क्षमता से अलग है। किसी ग्रह के जीवन के सहायक होने की परिस्थितियों को ग्रहीय जीवन क्षमता कहा जाता है। ग्रहीय जीवन क्षमता मे उस ग्रह के कार्बन आधारित जीवन के सहायक होने के गुण का समावेश होता है; जबकि निवासयोग्य क्षेत्र (गोल्डीलाक क्षेत्र) मे अंतरिक्ष के उस क्षेत्र के कार्बन आधारित जीवन के सहायक होने के गुण का। यह दोनो अलग अलग है। उदाहरण के लिये हमारे सौर मंडल के गोल्डीलाक क्षेत्र मे शुक्र, पृथ्वी और मंगल तीनो ग्रह आते है लेकिन पृथ्वी के अलावा दोनो ग्रह(शुक्र और मंगल) मे जीवन के सहायक परिस्थितियां अर्थात ग्रहीय जीवन क्षमता नही है।

पृथ्वी तथा केप्लर 452b
पृथ्वी तथा केप्लर 452b

यह नया खोजा गया ग्रह केप्लर द्वारा खोजे गये नये दूरस्थ तारो की परिक्रमा करते 500 ग्रहो मे से एक है। इनमे से 12 ग्रहो का व्यास पृथ्वी के व्यास के दोगुने से कम है और वे जीवन योग्य क्षेत्र(गोल्डीलाक क्षेत्र ) मे अपने मातृ तारे की परिक्रमा कर रहे है। इन 500 उम्मीदवार ग्रहों मे से केप्लर 452B पहला प्रमाणित ग्रह है। वैज्ञानिको के अनुसार किसी तारे के जीवन योग्य क्षेत्र मे पृथ्वी के व्यास के दोगुने से कम व्यास के 12 ग्रहो का पाया जाना अब तक के आंकड़ो के अनुसार कम है।

केप्लर-452 तारा हमारे सूर्य के जैसा ही है लेकिन उससे 1.5 अरब वर्ष पुराना है। इससे वैज्ञानिक यह मानकर चल रहे है कि इस ग्रह पर हम अपनी पृथ्वी का भविष्य देख सकते हौ। उनके अनुसार यदि केप्लर 452B चट्टानी ग्रह है तो उसके मातृ तारे की दूरी के अनुसार पर यह माना जा सकता है कि इस ग्रह के वातावरण के इतिहास मे अब अनियंत्रित ग्रीनहाउस प्रभाव का दौर प्रारंभ हो गया होगा। उसके वृद्ध होते हुये मातृ तारे से बढती हुयी उष्मा से उसकी सतह गर्म होने लगी होगी और उस पर यदि महासागर है तो उसका जल बास्पित होकर अंतरिक्ष मे विलिन हो रहा होगा। केप्लर 452B पर आज जो भी हो रहा है वह पृथ्वी पर आज से एक अरब वर्ष पश्चात प्रारंभ होगा, जब हमारा सूर्य वृद्धावस्था की ओर बढ़ेगा और अधिक चमकिला हो जायेगा।

 केप्लर से प्राप्त आंकडो के अनुसार हमारी आकाशगंगा मे पृथ्वी के जैसे 40 अरब ग्रह होना चाहीये।
केप्लर से प्राप्त आंकडो के अनुसार हमारी आकाशगंगा मे पृथ्वी के जैसे 40 अरब ग्रह होना चाहीये।

वैज्ञानिको के अनुसार केप्लर यान के आंकड़े तारे के सापेक्ष किसी ग्रह के आकार का अनुमान लगाने मे सहायता करते है। यदि आप तारे का आकार जानते है तो आप ग्रह का आकार जान सकते है। ग्रह चटटानी है या नही यह जानने के लिये ग्रह का द्रव्यमान जानना आवश्यक है, आकार और द्रव्यमान ज्ञात होने पर घनत्व की गणना की जा सकती है। घनत्व के आधार पर बताया जा सकता है कि ग्रह गैसीय है या चट्टानी। लेकिन इन तारो के अत्याधिक दूर होने से ग्रहो के द्रव्यमान की गणना कठीन हो जाती है। इसका अर्थ यह है कि हम नही बता सकते है कि यह ग्रह किस पदार्थ से बना है। वह चट्टानी ग्रह हो सकता है या गैस का एक गोला या कुछ अज्ञात सी संरचना जो हमारे लिये एक पहेली हो सकती है।

केप्लर की कुछ महत्वपूर्ण खोजे
केप्लर की कुछ महत्वपूर्ण खोजे

अन्य केप्लर तारों के जीवन योग्य क्षेत्र के ग्रह भी पृथ्वी के जैसे हो सकते है। उदाहरण के लिये केप्लर 186f का व्यास पृथ्वी के व्यास का 1.17 गुणा है, तथा केप्लर 438b का व्यास पृथ्वी के व्यास का 1.12 गुणा है।

इस नये ग्रह का व्यास पृथ्वी के व्यास का 1.6 गुणा होना उसे महा-पृथ्वी की श्रेणी मे डालेगा। हमारे सौर मंडल मे इस आकार का कोई ग्रह नही है, इसलिये इस तरह के ग्रह हमारे लिये एक पहेली के जैसे है। लेकिन हम कह सकते है कि अन्य तथ्यों के देखते हुये यह पृथ्वी के जैसा ही होना चाहीये।

यदि हम केप्लर 452b की अपने मातृ तारे के वर्ग को देखे तो वह हमारे सूर्य के जैसे G वर्ग का है। अन्य केप्लर तारे M वर्ग के वामन तारे है जो कि हमारे सूर्य की तुलना मे शीतल है, और इन तारो मे जीवन योग्य क्षेत्र तारे के समीप होता है।

इस तरह से देखा जाये तो केप्लर 452b ग्रह अब तक का खोजा गया जीवन की सबसे ज्यादा संभावना वाला ग्रह है।

केप्लर यान

केप्लर वेधशाला
केप्लर वेधशाला

केप्लर अंतरिक्ष यान अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान, नासा, का एक अंतरिक्ष वेधशाला है, जिसका काम सूर्य से भिन्न किंतु उसी तरह के अन्य तारों के इर्द-गिर्द ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रहों को ढूंढना है जो पृथ्वी से मिलते-जुलते हों और उन पर जीवन की संभावना हो। कॅप्लर को 7 मार्च 2009 में अंतरिक्ष में भेजा गया था, जहाँ यह अब पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है और अन्य तारों पर अपनी नज़रें रखे हुए है

केप्लर अंतरिक्ष में जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा टेलीस्कोपिक कैमरा है। यह हमारे सूर्य जैसे एक लाख तारों पर नजर रखते हुए अंतरिक्ष मे रहेगा। इसे फ्लोरिडा के केप कनैवरल एयरफोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था। इसे कॉलराडो के बॉल एयरोस्पेस टेक्नॉलजीस ने बनाया है। इस मिशन पर लगभग 30 अरब रुपये के बराबर खर्च आया है। केप्लर तारों के सामने से ग्रहों के गुजरने के दौरान तारों की चमक में आई कमी को दर्ज करके इन ग्रहों को खोज रहा है।

ग्रहो की खोज की संक्रमण विधी

ग्रहो की खोज की संक्रमण विधी
ग्रहो की खोज की संक्रमण विधी

कुछ ग्रहो की कक्षाये पृथ्वी और उनके मातृ तारे के मध्य एक ही प्रतल मे पड़ती है; जिससे जब ये ग्रह अपने मातृ तारे के सामने से गुजरते है अपने मातृ तारे के प्रकाश को थोड़ा मंद कर देते है। केप्लर वेधशाला इस रोशनी मे आयी कमी को जान लेता है। एक अंतराल मे एक से ज्यादा बार आयी प्रकाश मे कमी से ग्रहो के परिक्रमा काल की गणना की जा सकती है; रोशनी मे आयी कमी से ग्रह का आकार जाना जा सकता है। जितना बड़ा ग्रह होगा वह अपने मातृ तारे का उतना प्रकाश मंद करता है। संक्रमण विधी इस तरह से ग्रहो की स्थिती(मातृ तारे के संदर्भ मे), परिक्रमा काल और उसका आकार बता देती है।

इसके पहले 1995 से 2009 तक तारों के गिर्द चक्कर काटते लगभग 300 ग्रहों की खोज की जा चुकी थी। लेकिन इनमें से अधिकतर बड़े आकार के गैसीय ग्रह हैं जिन पर जीवन की संभावना नहीं है। केप्लर के मिशन का मकसद ऐसे पथरीले ग्रह की खोज करनी है जो अपने सितारे से सुरक्षित दूरी पर हो। मतलब न तो इतनी दूर हो कि बर्फ से जम जाए और न इतना पास हो कि गमीर् से जल जाए। नासा के एमीस रिसर्च सेंटर के विलियम बॉरूकी का कहना है, हम ऐसे ग्रह खोज रहे हैं जहां इतना तापमान हो कि उसकी सतह पर पानी तरल अवस्था में मिले। हमारे ख्याल से जीवन की संभावना का यह सबसे महत्वपूर्ण लक्षण होगा।

केप्लर अंतरिक्ष वेधशाला अपने अभियान मे सफ़ल रहा है और इसने जनवरी 2015 तक 1000 से ज्यादा ग्रह खोज निकाले है। केप्लर से प्राप्त आंकडो के अनुसार हमारी आकाशगंगा मे पृथ्वी के जैसे 40 अरब ग्रह होना चाहीये।

16 विचार “केप्लर 452b: पृथ्वी की जुड़वा बहन – पृथ्वी -2 की खोज&rdquo पर;

  1. बढ़िया और नई जानकारी देने के लिए धन्यवाद. ऐसे ग्रहों को खोजते हुये ही हमें पृथ्वी जैसा ग्रह या क्या पता परग्रही ( एलियन ) ही मिल जाए!!

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  2. ब्रह्मांड में जहाँ अरबों खरबों तारे हैं, वहां अनगिनत मात्रा में जीवनयोग्य ग्रहों की उपस्थिति, तथा अत्यंत विकसित सभ्यता वाले जीवों से इंकार नहीं किया जा सकता. बस, इन्हें खोजा जाना या इनसे किसी तरह संपर्क किए जाने की देर भर है, जो वर्तमान युग में (और शायद कभी भी!) शायद संभव न हो.

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