अर्ध-प्रकाशगति(149,896 किमी/सेकंड) से घूर्णन करता श्याम विवर


श्याम विवर(black hole) इस ब्रह्मांड की सबसे विचित्र संरचनाओं मे से एक है। वे ब्रह्माण्ड के ऐसे निरंकुश दानव है जो अपने आसपास फटकने वाले चंद्रमा, ग्रह, तारे और समूचे सौर मंडलो को निगल जाते है। इनकी पकड़ से प्रकाश भी नही बच पाता है।

श्याम विवर ब्रह्माण्ड के सफाई कर्मी तो है ही लेकिन वे बहुत ही तेज, अत्यंत तेज होते है। खगोल वैज्ञानिको ने एक ऐसा श्याम विवर खोज निकाला है जो प्रकाशगति से आधी गति से घूर्णन कर रहा है। प्रकाशगति से आधी गति ? जीहाँ आपने सही पढ़ा है, प्रकाशगति की आधी गति, 149,896 किमी/सेकंड की गति से घूर्णन!

यह विचित्र श्याम विवर एक क्वासर RX J1131-1231 के केंद्र मे स्थित है और पृथ्वी से 6 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। वर्तमान मे वह पृथ्वी से दूर जा रहा है।
यह एक उपलब्धि है कि वैज्ञानिक 6 अरब वर्ष दूरी पर स्थित श्याम विवर के घूर्णन की गणना करने मे सफल हुये है। संयोग से इस श्यामविवर की घूर्णन की गति की गणना करने के लिये आकंड़ो को जमा करने मे एक महाकाय दिर्घवृत्ताकार(elliptical ) आकाशगंगा का सहयोग मिला जो इस श्यामविवर और हमारी पृथ्वी के मध्य स्थित है।

यह आकाशगंगा इस श्याम विवर द्वारा उतसर्जित प्रकाश को वक्र कर (मोड़) देती है, इस प्रक्रिया को गुरुत्विय लेंसींग(gravitational lensing) कहा जाता है।  प्रकाशकिरणो मे आयी यह वक्रता दूरस्थ श्याम विवर की प्रकाश किरणो को केंद्रित(focus) कर देती है जिससे उनके मापन मे सहायता मीलती है। हम जानते है कि श्याम विवर केवल अवशोषण करता है, वह हमे दिखायी नही देता है। इसलिये श्यामविवर से उत्सर्जित प्रकाश किरणे वास्तविकता मे उस श्याम विवर के चारो ओर स्थित धूल और गैस के वलय (अक्रिशन डिस्क-accretion disks) से उत्सर्जित X किरणे ही होती है। इस अक्रिशन डिस्क उत्सर्जित X किरणो से श्याम विवर के आसपास एक लाखों डीग्री तापमान का बादल सा बनता है जिसे आभामंडल(कोरोना-corona) कहते है। इस बादल की श्याम विवर से दूरी श्याम विवर की घूर्णन गति पर निर्भर है, जितनी अधिक घूर्णन गति उतनी कम दूरी।

वैज्ञानिको ने अध्ययन के दौरान पाया कि RX J1131-1231 के आसपास स्थित बादल से आती हुयी X किरणे श्याम विवर के इतने समीप के क्षेत्र से आ रही है
कि उसे उत्पन्न करने लिये श्याम विवर को अत्यंत तेज गति से घूर्णन करना चाहीये। अन्यथा यह अत्यंत उष्ण बादल श्यामविवर से इतनी कम दूरी पर बच नही सकता है, श्यामविवर उसे निगल जायेगा।

श्यामविवर की यह घूर्णन गति ध्यान मे रखने योग्य है क्योंकि यह गति श्याम विवर के निर्माण और विस्तार के हमारे वर्तमान के सिद्धांतो की पुष्टि करती है। हमारे अनुमानो के अनुसार श्यामविवर जितना पदार्थ निगलता है उतनी ही तेज गति से घूर्णन करता है। RX J1131-1231 अत्यंत तेज गति से घूर्णन कर रहा है और वह एक वर्ष मे एक सूर्य के जितना द्रव्यमान निगल रहा है। ये दो तथ्य हमारे श्याम विवर के निर्माण के कंप्यूटर माडेल की पुष्टि कर रहे है।

लेकिन यह श्याम विवर सबसे तेज गति से घूर्णन करने वाले श्याम विवर के समीप भी नही है। एक अन्य श्याम विवर NGC1365 प्रकाशगति के 85% गति से घूर्णन कर रहा है जो कि पृथ्वी से 600 लाख प्रकाशवर्ष दूरी पर एक स्पायरल आकाशगंगा के केंद्र मे स्थित है। यह श्याम विवर 19 लाख किमी व्यास का है और 20 लाख सूर्य के द्रव्यमान का है। लेकिन RX J1131-1231 श्याम विवर NGC1365 से उम्र मे काफी कम है इसलिये उसे अपनी गति बढ़ाने ले लिये पर्याप्त समय नही मीला है।

यह खोज महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैज्ञानिको ने पहली बार इतनी दूर स्थित श्याम विवर के आंकड़ो के मापन के लिये गुरुत्विय लेंसींग तकनीक का प्रयोग किया है। यह भविष्य के विज्ञान के लिये अच्छी खबर है।

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