ब्रह्मांड का व्यास उसकी आयु से अधिक कैसे है ?


ब्रह्मांड के मूलभूत और महत्वपूर्ण गुणधर्मो मे से एक प्रकाश गति है। इसे कई रूप से प्रयोग मे लाया जाता है जिसमे दूरी का मापन, ग्रहों के मध्य संचार तथा विभिन्न गणिति गणनाओं का समावेश है। और यह तो बस … पढ़ना जारी रखें ब्रह्मांड का व्यास उसकी आयु से अधिक कैसे है ?

प्रकाशगति का मापन


प्रकाशगति का मापन कैसे किया गया ? यह प्रश्न कई बार पुछा जाता है और यह एक अच्छा प्रश्न भी है। 17 वी सदी के प्रारंभ मे और उसके पहले भी अनेक वैज्ञानिक मानते थे कि प्रकाश की गति जैसा … पढ़ना जारी रखें प्रकाशगति का मापन

सापेक्षतावाद के बारे मे जानने योग्य 12 तथ्य


आइंस्टाइन ने अपने सापेक्षतावाद सिद्धांत के द्वारा विश्व का अंतरिक्ष, समय, द्रव्यमान, ऊर्जा और गुरुत्वाकर्षण के प्रति दृष्टिकोण बदल कर रख दिया था। 1. आइंस्टाइन से पहले गति के को समझने के लिये आइजैक न्यूटन के नियमो का प्रयोग किया … पढ़ना जारी रखें सापेक्षतावाद के बारे मे जानने योग्य 12 तथ्य

ब्रह्माण्ड की 13 महत्वपूर्ण संख्यायें


इलेक्ट्रानिक्स फ़ार यु के अक्टूबर 2014/फ़रवरी 2018 अंक मे प्रकाशित लेख

कुछ संख्याये जैसे आपका फोन नंबर या आपका आधार नंबर अन्य संख्याओं से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। लेकिन इस लेख मे हम जिन संख्याओं पर चर्चा करेंगे वे ब्रह्मांड के पैमाने पर महत्वपूर्ण है, ये वह संख्याये है जो हमारे ब्रह्मांड को पारिभाषित करती है, हमारे आस्तित्व को संभव बनाती है और ब्रह्माण्ड के अंत को तय करेंगी।

1. सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक( The Universal Gravitational Constant)

Universeयह वर्ष 2014 एक महत्वपूर्ण वर्ष ना हो लेकिन 1665 इस वर्ष से बहुत बुरा था, विशेषतः लंदन वासीयों के लिये। लंदन मे बुबोनिक प्लेग फैला हुआ था, उस समय शहर से बाहर जाने के अतिरिक्त इस महामारी से बचने का कोई अन्य उपाय या औषधी ज्ञात नही थी। बादशाह चार्लस द्वितिय(King Charles II ) ने अपनी राजधानी लंदन से आक्सफोर्ड स्थानांतरित कर दी थी और कैंब्रीज विश्वविद्यालय बंद कर दिया गया था। कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक विद्यार्थी ने अपने गृहनगर वूल्सथोर्पे(Woolsthorpe) जाने का निश्चय किया और अपने अगले 18 महिने आधुनिक विज्ञान के लिये नये दरवाजे खोलने मे बिताये, इस विद्यार्थी का नाम था आइजैक न्युटन

300px-NewtonsLawOfUniversalGravitationहम ऐसे तकनीकी युग मे रह रहे है जिसमे संख्यात्मक(परिमाणात्मक) अनुमान नही लगाये जा सके तो जीना दूभर हो जाये। और परिमाणात्मक अनुमान लगाने मे शायद सबसे पहली सफलता न्युटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत(Universal Gravitation) से मीली थी। उनकी अवधारणा के अनुसार दो पिंडो मे मध्य का गुरुत्विय आकर्षण उनके द्रव्यमान के गुणनफल के आनुपातिक तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के विलोमानुपातिक होता है। अपनी इस अवधारणा से न्युटन ने पता लगाया कि किसी ग्रह की कक्षा एक दिर्घवृत्त(ellipse) के आकार की होती है जिसके एक केंद्रबिंदु(focus) पर सूर्य होता है। जोहानस केप्लर ने ग्रहो की कक्षा के बारे मे यह अनुमान न्युटन से पहले लगाया था लेकिन वह निरीक्षण पर आधारित था। न्युटन ने यह अनुमान गणितिय गणनाओं और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के आधार पर लगाया था। उन्होने इस गणना के लिये गणित की एक नयी शाखा कलन गणित(calculus) भी खोज निकाली थी। पढ़ना जारी रखें “ब्रह्माण्ड की 13 महत्वपूर्ण संख्यायें”

अर्ध-प्रकाशगति(149,896 किमी/सेकंड) से घूर्णन करता श्याम विवर


श्याम विवर(black hole) इस ब्रह्मांड की सबसे विचित्र संरचनाओं मे से एक है। वे ब्रह्माण्ड के ऐसे निरंकुश दानव है जो अपने आसपास फटकने वाले चंद्रमा, ग्रह, तारे और समूचे सौर मंडलो को निगल जाते है। इनकी पकड़ से प्रकाश … पढ़ना जारी रखें अर्ध-प्रकाशगति(149,896 किमी/सेकंड) से घूर्णन करता श्याम विवर

सापेक्षतावाद सिद्धांत : प्रकाश के गुणधर्म


प्रकाश (सूर्य)

प्रकाश ऊर्जा का ही एक रूप है। प्रकाश का व्यवहार थोड़ा विचित्र है। न्युटन के कारपसकुलर अवधारणा(corpuscular hypothesis) के अनुसार प्रकाश छोटे छोटे कणों (जिन्हें न्युटन ने कारपसकल नाम दिया था।) से बना होता है। न्युटन का यह मानना प्रकाश के परावर्तन(reflection) के कारण था क्योंकि प्रकाश एक सरल रेखा मे परावर्तित होता है और यह प्रकाश के छोटे कणों से बने होने पर ही संभव है। केवल कण ही एक सरल रेखा मे गति कर सकते है।

थामस यंग का प्रकाश अपवर्तन दिखाता डबल-स्लिट प्रयोग जिसने प्रकाश के तरंग होने की पुष्टि की थी।

लेकिन उसी समय क्रिस्चियन हायजेन्स( Christian Huygens) और थामस यंग( Thomas Young) के अनुसार प्रकाश तरंगो से बना होता था। हायजेन्स और यंग का सिद्धांत प्रकाश के अपवर्तन(refraction) पर आधारित था, क्योंकि माध्यम मे परिवर्तन होने पर प्रकाश की गति मे परिवर्तन आता था, यह प्रकाश के तरंग व्यवहार से ही संभव था। न्युटन के कारपसकुलर अवधारणा के ताबूत मे अंतिम कील मैक्सवेल(James Clerk Maxwell) ने ठोंक दी थी, उनके चार सरल समीकरणों ने सिद्ध कर दिया कि प्रकाश विद्युत-चुंबकिय क्षेत्र की स्वयं प्रवाहित तरंग( self-propagating waves) मात्र है। इन समीकरणों से प्रकाश की गति की सटीक गणना भी हो गयी थी। लेकिन २० वी शताब्दि मे फोटो-इलेक्ट्रिक प्रभाव(Photoelectric effect) की खोज ने प्रकाश के कणो के बने होने के सिद्धांत मे एक नयी जान डाल दी।

इन दोनो मे क्या सही है? क्या प्रकाश कण है ? या एक तरंग ? पढ़ना जारी रखें “सापेक्षतावाद सिद्धांत : प्रकाश के गुणधर्म”