
प्रश्न 1 :पूरी पृथ्वी का भार कितना है किलोग्राम मे बताईये अंकों मे और शब्दों ?
RISHI KUMAR अक्टूबर 5, 2013
उत्तर : शायद आपका आशय द्रव्यमान से है; पृथ्वी का द्रव्यमान 5.97219 × 1024 किलोग्राम है।
पृथ्वी सूर्य कि परिक्रमा कर रही है इसलिये तकनीकी रूप से उसका भार शून्य है।
भार और द्रव्यमान दोनो भिन्न राशीयाँ है, भार गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होता है, द्रव्यमान नही।

प्रश्न 2 : सर में ये जानना चाहता हू के असल में ब्रह्मांड क्या है? और में ये सुनता और पढ़ता हू के ब्रह्मांड अनेक है कहाँ है सर अनेक ब्रह्मांड में सर उठा के देखता हू तो मुझको तो केवल एक ही ब्रह्मांड दिखाई देता है, इस ब्रह्मांड की अवधारणा क्या है.
दूसरा प्रश्न – क्या हमारी मंदाकिनी के बीच में कोई श्याम विवर है अगर नही तो इस मंदाकिनी के समस्त ग्रह, तारे आदि किस के चक्कर लगा रहे है और क्या ये आवश्यक है के प्रत्येक आकाशगंगा के केन्द में कोई श्याम विवर हो ही?
Nadeem Ahmed Khan अक्टूबर 12, 2013
उत्तर : ब्रह्माण्ड का अर्थ है, सम्पूर्ण अस्तित्व अर्थात जो भी हम देखते है, महसूस करते है, ग्रह, तारे, आकाशगंगा तथा उनके मध्य का रिक्त स्थान!
अब आते है आपके पहले प्रश्न के दूसरे भाग की ओर, अन्य ब्रह्माण्ड/समांतर ब्रह्माण्ड की ओर। अभी तक मूल ब्रह्माण्ड जिसके हम और आप एक भाग है, उसके अतिरिक्त अन्य ब्रह्मांड का अस्तित्व केवल एक अवधारणा है, सिद्धांत रूप मे ही है। वे हैं या नही, हम पक्के तौर पर नही कह सकते। एक अवधारणा के अनुसार वे किसी अन्य ऐसे आयाम मे हो सकते है जिसे हम देख या महसूस नही कर सकते है।
दूसरा प्रश्न : आप सही है कि हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा के मध्य एक महाकाय श्याम विवर है। हमारी मंदाकिनी के सारे तारे उसी कि परिक्रमा कर रहे है। अभी तक के निरीक्षणो के अनुसार सभी आकाशगंगाओं के मध्य मे महाकाय श्याम विवर है और संभव है कि यह आकाशगंगा के निर्माण के लिये आवश्यक हो।
प्रश्न 3 : सर हम जानते है कि न्युटन के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया की तुल्य किंतु विपरीत प्रतिक्रिया होती है। लेकिन बारीश की बुंदो से मिट्टी उखड जाती है जो नही होंना चाहीये ऐसा क्यों?
Pankaj kumar Sharma अक्टूबर 12, 2013
उत्तर : पंकज, यदि आप एक गेंद को ज़मीन पर फेंके तो प्रतिक्रिया स्वरूप ज़मीन उतना ही बल गेंद पर लगाती है और गेंद वापिस उछलती है। जब बारिश की बुंदे जमीन पर पढती है तब जमीन भी उतना ही बल बुंदो पर लगाती है, बुंद भी ज़मीन से उछलती है। लेकिन बुंद ठोस नही होती है, जिससे उसकी उछाल ज्यादा नही होती है। बुंदो के जमीन पर गिरने से मिट्टी का उखडना बुंदो द्वारा प्राप्त गतिज ऊर्जा से मिट्टी पर प्रहार से होता है। यह प्रभाव आप गेंद के ज़मीन पर पटकने पर भी देखेंगे।
प्रश्न 4: सर! बिग बैँग थ्योरी मेँ उस एक अनंत घनत्व के बिन्दु का निर्माण कैसे हुआ जिसका महाविश्फोट हुआ और यह ब्रह्मांड बना?
Vinod choudhary अक्टूबर 15, 2013
उत्तर : विनोद, हम बिग बैंग होने के 10-43 सेकंड के पश्चात के बारे मे ही जानते है, उसके पहले क्या था ? इसका उत्तर विज्ञान अभी नही जानता है। यह भौतिकी के सबसे बड़े अनसुलझे रहस्यों मे से एक है।
इस लेख को देखें : ब्रह्मांड की उत्पत्ती
प्रश्न 5 :1॰ कोण=कुछ मिनिट
इसमे सवाल ये कि कोण का मिनिट से क्या लेनादेना
Sachin sen अक्टूबर 18, 2013
उत्तर : कोण को मापने के लिये इकाई डीग्री है लेकिन उसे मिनट और सेकंड मे विभाजित किया गया है।
1 डीग्री = 60 मिनट
1 मिनट = 60 सेकंड
प्रश्न 6 : गुरुजी, ऊर्जा का आयतन नही होता , परंतु ऊर्जा ही द्रव्यमान है, इसका घनत्व अनंत होना चाहिये क्योंकि घनत्व = द्रव्यमान/=0। क्या यह सही है।
vipul verma अक्टूबर 20, 2013
उत्तर : विपुल, पदार्थ और ऊर्जा दोनो एक ही है केवल स्वरूप/गुणधर्म भिन्न है। दो भिन्न स्वरूपों पर आप एक ही गणना नही कर सकते है।
ऊर्जा को आप दो प्रकार मे बांट सकते है, गति करती ऊर्जा और स्थिर ऊर्जा। पदार्थ स्थिर ऊर्जा के स्वरूप मे है। द्रव्यमान केवल स्थिर ऊर्जा का ही होता है, इसी स्थिर ऊर्जा को हम पदार्थ कहते है। जब स्थिर ऊर्जा गति करती हुयी ऊर्जा मे परिवर्तित होती है तब द्रव्यमान ही उस ऊर्जा के रूप मे परिवर्तित हो जाता है। इसलिये ऊर्जा के घनत्व की बात ही बेमानी हो जाती है।
प्रश्न 7: सर आपकी साईट बेहतरीन है। मै थ्योरी आफ रीलेटीवीटी समझना चाहता हूं। मुझे प्रापर टाईम इंटरवल के बारे मे बतायें कि कैसे
t’=t/√{1-(v^2/c^2)}
इस समीकरण को सिद्ध कर के जवाब दिजीये।
avishekh अक्टूबर 21, 2013
उत्तर : अविशेष : मै इस साईट पर सापेक्षतवाद पर श्रृंखला लिख रहा हूं। आपके प्रश्न का उत्तर उसी श्रृंखला मे शामिल करता हूं।
प्रश्न 8: गुरुत्वाकर्षण क्या है ? यह क्यो उत्पन्न होता है ?
Rajat Kumar अक्टूबर 21, 2013

उत्तर :रजत, आपका प्रश्न महत्वपूर्ण है लेकिन उत्तर बड़ा है, मै इस पर विस्तार से एक लेख लेकर आता हूं! यहाँ पर संक्षिप्त उत्तर दे रहा हूं।
कोई भी वस्तु ऊपर से गिरने पर सीधी पृथ्वी की ओर आती है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई अलक्ष्य और अज्ञात शक्ति उसे पृथ्वी की ओर खींच रही है। इटली के वैज्ञानिक, गैलिलीयो गैलिलीआई ने सर्वप्रथम इस तथ्य पर प्रकाश डाला था कि कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण से पृथ्वी की ओर आता है। त्वरण का यह मान सभी वस्तुओं के लिए एक सा रहता है। अपने इस निष्कर्ष की पुष्टि उसने प्रयोगों और गणितीय विवेचनों द्वारा की है।
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम
इसके बाद सर आइज़क न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहा जाता है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित उपर्युक्त नियम को “न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम” (Law of Gravitation) कहते हैं। कभी-कभी इस नियम को “गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम” (Inverse Square Law) भी कहा जाता है।
उपर्युक्त नियम को सूत्र रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है : मान लिया m1 और संहति वाले m2 दो पिंड परस्पर d दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच कार्य करनेवाले बल f का संबंध होगा :
F=G m1 m2/d2
यहाँ G एक समानुपाती नियतांक है जिसका मान सभी पदार्थों के लिए एक जैसा रहता है। इसे गुरुत्व नियतांक (Gravitational Constant) कहते हैं।
लेकिन 20 वीं सदी के प्रारंभ मे पाया गया कि न्युटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत सभी प्रश्नो का उत्तर नही देता है, उदाहरण के लिये न्युटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के अनुसार बुध की कक्षा सही नही थी। इसके हल के लिये आइंस्टाइन ने सापेक्षतावाद का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इसके अनुसार कोई भी द्रव्यमान वाला पिंड अपने द्रव्यमान से काल-अंतराल (Space-Time) मे वक्रता उत्पन्न करता है, यह वक्रता उसके द्रव्यमान के अनुपात मे होती है। काल-अंतराल मे आयी यह वक्रता ही गुरुत्वाकर्षण है।
उदाहरण के लिये सूर्य अपने द्रव्यमान से काल-अंतराल मे वक्रता उत्पन्न करता है, सभी ग्रह काल-अंतराल मे इस वक्रता के कारण सूर्य की परिक्रमा करते है। एक सरल उदाहरण लेते है, एक चादर को काल-अंतराल मान लेते है। अब इस चादर पर एक भारी गेंद डाल देते है, यह भारी गेंद चादर पर एक झोल (वक्रता) उत्पन्न करेगी। अब इसी चादर पर कंचे डाल दे तो वे इस झोल की परिक्रमा करते हुये भारी गेंद की ओर केंद्र की ओर जायेंगे। अब आप भारी गेंद को सूर्य से और कंचो को ग्रहों से बदल दे, बस यही गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव है।
लेकिन सापेक्षतावाद का सिद्धांत भी अभी संपूर्ण नही है, यह बड़े पैमाने पर अर्थात सूर्य , ग्रह , तारे और आकाशगंगा के स्तर पर गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या करता है लेकिन छोटे पैमाने अर्थात परमाणु और उससे छोटे कणों पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को नही समझा पाता है। यह अभी एक अनसुलझा प्रश्न है।
प्रश्न 9 : भौतिकी और ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनसुलझे प्रश्न कौनसे है और इनके उत्तर क्यों नही मिल रहे है।
vipul verma अक्टूबर 22, 2013
उत्तर : पहले प्रश्न के उत्तर के लिये ये सूची और ये लेख देखिये।
अब आते है कि क्यों इन प्रश्नों के उत्तर क्यों नही मिल रहे है पर। विज्ञान का विकास एक सतत प्रक्रिया है, इसमे मौजूदा प्रश्नो के उत्तर मिलते है लेकिन नये प्रश्न आ जाते है। ऐसा कभी संभव नही है कि हमारे पास कोई प्रश्न ना हो। ऐसा ही अनसुलझे प्रश्नो के साथ है, कुछ प्रश्नो के उत्तर मिल जाते है लेकिन नये प्रश्न जुड जाते है। जो अभी अनसुलझा है वह भविष्य मे ज्ञात होगा।
प्रश्न 10 ;सूर्य लाल क्यो होता है
RAJU GUPTA अक्टूबर 22, 2013

उत्तर : सूर्य की किरणे सफेद दिखायी देती है लेकिन उसमे सभी सात रंग होते है। सूर्यास्त और सुर्योदय के समय सूर्य किरणो को ज्यादा दूरी तय करनी होती है। पृथ्वी के वातावरण मे सूर्य किरणो के प्रवेश करने पर माध्यम के बदलाव स्वरूप प्रकाश किरणो का अपवर्तन होता है, साथ ही वातावरण मे उपस्थित धूली कणो से इन किरणो मे बिखराव भी होता है। जब सूर्य आकाश के मध्य की स्थिति से क्षितीज की ओर बढता है उसकी किरणो को ज्यादा दूरी तय करनी होती है और उसका रंग नीले से पीले और अंत मे लाल होते दिखायी देता है क्योंकि पहले कम तरंग दैधर्य की नीली किरणे बिखर जाती है और ज्यादा तरंग दैधर्य वाली लाल किरणे बच जाती है और हमे सूर्य लाल दिखायी देता है।
यदि आप पहाड़ पर जाये तब आपको यह प्रभाव कम दिखेगा क्योंकि वहां पर वातावरण पतला होता है।
प्रश्न 11 : 1) अगर द्रव्यमान अंतराम मे वक्रता लाता है तो गुरुत्वाकर्षण बल से पृथ्वी सूर्य की तरफ गोल घूमते हुये खींची जा रही है क्या ?
2) अगर खींची जा रही है तो किस गति से?
3) अगर जैसे ही सूर्य और पृथ्वी के बीच मे दूरी कम होते जायेगी तो गुरुत्वाकर्षण बल दूरी कम होने कारण ज्यादा बढ़ेगा क्या ?
4) अगर ऐसा है तो 3 आयामी ब्रह्मांड मे बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड का विस्तार गलत है क्या ?
इन सारे सवालों के उत्तर दिजीये….
sdguvhadeShyam अक्टूबर 24, 2013
उत्तर : गुरुत्वाकर्षण बल किसी भी पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। मान लिया m1 और m2 द्रव्यमान वाले दो पिंड परस्पर d दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच कार्य करनेवाले बल गुरुत्वाकर्ष्ण बल F का संबंध होगा :
F=G m1 m2/d2
यहाँ G एक समानुपाती नियतांक है जिसका मान सभी पदार्थों के लिए एक जैसा रहता है। इसे गुरुत्व नियतांक (Gravitational Constant) कहते हैं।
पृथ्वी की कक्षा सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के लंबवत गति से उतपन्न होती है। यह पृथ्वी की अपनी कक्षा मे लंबवत गति और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को संतुलित करते है। यदि पृथ्वी की गति कम होती है तब वह सूर्य की ओर जाना प्रारंभ कर देगी और यदि वह बहुत कम हो जाये तो वह सूर्य मे समा जायेगी। यदि पृथ्वी की गति बढे़गी तो वह सूर्य से दूर जाना प्रारंभ कर देगी, यदि वह सूर्य के पलायन वेग( 42.1 किलोमीटर प्रति सैकिंड) से ज्यादा गति से चले तो वह सौर मंडल से बाहर चली जायेगी। पृथ्वी की अपनी कक्षा मे गति 30 किलोमीटर प्रति सैकिंड है।
वास्तविकता मे पृथ्वी सूर्य के समीप और दूर दोनो अवस्था मे जाती है क्योंकि पृथ्वी की कक्षा दिर्घ वृत्ताकार है। लेकिन उसकी गति इतनी कम नही होती कि वह सूर्य मे समा जाये या इतनी ज्यादा नही होती कि वह सौर मंडल से बाहर चले जाये। केप्लर के दूसरे नियम के अनुसार किसी ग्रह की गति और सूर्य से दूरी के मध्य एक संबंध है। ग्रह की गति सूर्य के समीप होने पर बढ़ जाती है और दूर होने पर धीमी हो जाती है। इसलिये जब पृथ्वी सूर्य से दूर होती है तब उसकी परिक्रमा गति धीमी होती है, इस धीमी गति से पृथ्वी सूर्य के समीप जाने का प्रयास करती है। लेकिन जब वह सूर्य के समीप जाती है तब संवेग बनाये रखने के लिये उसकी गति बढ़ जाती और वह सूर्य से दूर जाना प्रारंभ कर देती है। पृथ्वी सूर्य से दूरस्थ स्थिति मे 2 जनवरी होती है जबकि निकटस्थ स्थिति मे 4 जुलाई को होती है।
अब आते है क्या अपनी पृथ्वी सूर्य के समिप जा रही है या दूर जा रही है? तथ्य यह है कि पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी बढ़ रही है अर्थात पृथ्वी सूर्य से दूर जा रही है। इसके पीछे कारण है कि सूर्य का द्रव्यमान कम हो रहा है। द्रव्यमान कम होने से सूर्य का गुरुत्वाकर्षण कम हो रहा है, जिससे पृथ्वी सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के संतुलन के लिये सूर्य से दूर हो रही है। पृथ्वी के सूर्य से दूर जाने की गति 15 सेंटीमीटर/वर्ष है। यह गति नगण्य है। अनुमानो के अनुसार 10 अरब वर्ष मे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 0.1% द्रव्यमान कम होगा जिसके फलस्वरूप पृथ्वी सूर्य से लगभग 150,000 किमी दूर हो जायेगी जोकि सूर्य से पृथ्वी की वर्तमान औसत दूरी लगभग 150,000,000 किमी की तुलना मे नगण्य है। एक तथ्य यह भी है कि लगभग 5 अरब वर्ष बाद सूर्य की मृत्यु हो जायेगी और वह एक लाल दानव तारा बन कर पृथ्वी को निगल लेगा।
जब गुरुत्वाकर्षण बल पिंडो को एक दूसरे से बांधे रखता है तो बिग बैंग के पश्चात ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है?
ब्रह्माण्ड स्तर पर दो बल कार्य करते है, गुरुत्वाकर्षण बल और श्याम ऊर्जा। उपर हमने गुरुत्वाकर्षण के लिये एक समीकरण दिया है, इस समीकरण के अनुसार दूरी बढ़ने पर गुरुत्वाकर्षण बल कमजोर होते जाता है। श्याम ऊर्जा वह बल है जो ब्रह्माण्ड के विस्तार को गति दे रहा है, ब्रह्माण्ड के विस्तार का अर्थ है कि ब्रह्माण्ड के विभिन्न पिंडो के मध्य अंतराल बढ़ रहा है। इन दोनो बलो के मध्य खींचतान चल रही है, जहाँ पर गुरुत्वाकर्षण प्रभावी है वहाँ श्याम ऊर्जा का बस नही चलता है। जहाँ श्याम ऊर्जा प्रभावी है वहाँ गुरुत्वाकर्षण का बस नही चलता है। यदि हम अपने सौर मंडल का उदाहरण ले तो यहाँ पर गुरुत्वाकर्षण प्रभावी है जिससे श्याम ऊर्जा सौर मंडल को बिखेर नही पायेगी। यह हमारी आकाशगंगा के लिये भी है, जिसने हमारी आकाशगंगा को बांधे रखा है। लेकिन विभिन्न आकाशगंगाओ के मध्य श्याम ऊर्जा प्रभावी है जिससे उनके मध्य अंतराल बढ़ रहा है और ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है।
जब बिग बैंग हुआ तब उसका विस्तार प्रारंभ हुआ। इस स्थिति मे उसके कुछ हिस्सो मे गुरुत्वाकर्षण प्रभावी हो गया था, जिसके फलस्वरूप तारे, निहारीकायें, ग्रह और आकाशगंगाये बने। लेकिन श्याम ऊर्जा ने अपना प्रभाव जारी रखा और ब्रह्माण्ड का विस्तार जारी रहा। दोनो मे एक संतुलन रहा और ब्रह्माण्ड के विस्तार के साथ विभिन्न ब्रह्मांडीय संरचनाओं जैसे तारे, निहारीकायें, ग्रह और आकाशगंगाये का भी निर्माण होते रहा है।
क्या अपनी धुरी पर घूम रही किसी गोलाकार गेंद का भार उसके घूमने के कारण कम हो सकता है??
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सर आप मुझे यह बताइये कि किसी वस्तु के भार को mg क्यों लिखा जाता है?
Thank you sir
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भार को नही द्रव्यमान को मिलीग्राम (mg) लिखा जाता है।
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वायुमंडल में सबसे ज्यादा कोन सी गेस होती हैं
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नाइट्रोजन 78%
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सर, अगर गुरुत्वाकर्षणबल मे इतनी शक्ति है कि वो कोई भी चीजको आकषिर्त कर सकता है तो सुर्य सारे ग्रहो को अपनी ओर पूरा आकषिर्त करनेकी बजाय वह बस उनको अपने चारो ओर घुमाने लगाता है क्यो?आखिर ऐसा क्याहै जो उन्हे पूरा आकषिर्त होने से रोक देता है?please sir ap answer dejiyena.
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आप न्यूटनिक गुरुत्वाकर्षण की बात कर रही है, यह ब्रह्मांडीय पैमाने पर लागु नहीं होता। पृथ्वी इसलिए सूर्य की परिक्रमा नही करती की सूर्य उसे अपनी ओर एक अदृश्य ताकत से खींचता है बल्कि इसलिए करती है कि सूर्य द्वारा बनी स्पेसटाइम वक्रता उसे परिक्रमा करने के लिए बाध्य कर देता है।
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Sir Kya earth par esi koi dhatu hai jiska earth ke gurtavaakrsan se koi effect nhi pdta
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ऐसी कोई धातु/पदार्थ सम्भव नही है।
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surya ka mass nabhikiya sanlayan se bani helium ke karan lagatar increase ho raha hai. jisse uska ‘g’ bhe increase hoga aur woh earth per more force apply karega. fir earth surya se away kyo jayegi ???
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सूर्य का द्रव्यमान नाभिकिय संलयन से कम हो रहा है, क्योंकि हिलियम हायड्रोजन के संलयन से बनती है और इस प्रक्रिया मे कुछ मात्रा मे द्रव्यमान ऊर्जा मे परिवर्तित होता है। लेकिन यह मात्रा इतनी कम है कि इसका सूर्य के गुरुत्वाकर्षण पर कोई प्रभाव नही होगा।
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Kya hum kissi body ka gravitational force km skte hai
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ऐसी कोई तकनीक वर्तमान मे उपलब्ध नही है।
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kya earth jaisa dusra planet hai humari iss universe me
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बहुत से होंगे लेकिन अब तक कोई मिला नही है, भविष्य मे शायद मिले।
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सर मै आप से पूछना चाहता हूँ कि, पृथ्वी की उत्पत्ति कब और कैसे हुई।
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पृथ्वी ग्रह का निर्माण लगभग 4.54 अरब वर्ष पूर्व हुआ था और इस घटना के एक अरब वर्ष पश्चात यहा जीवन का विकास शुरू हो गया था। तब से पृथ्वी के जैवमंडल ने यहां के वायु मण्डल में काफ़ी परिवर्तन किया है। समय बीतने के साथ ओजोन पर्त बनी जिसने पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ मिलकर पृथ्वी पर आने वाले हानिकारक सौर विकरण को रोककर इसको रहने योग्य बनाया। पृथ्वी का द्रव्यमान 6.569×1021 टन है। पृथ्वी बृहस्पति जैसा गैसीय ग्रह न होकर एक पथरीला ग्रह है। पृथ्वी सभी चार सौर भौमिक ग्रहों में द्रव्यमान और आकार में सबसे बड़ी है। अन्य तीन भौमिक ग्रह हैं- बुध, शुक्र और मंगल। इन सभी ग्रहों में पृथ्वी का घनत्व, गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र और घूर्णन सबसे ज्यादा है।
एसा माना जाता है कि पृथ्वी सौर नीहारिका के अवशेषों से अन्य ग्रहों के साथ ही बनी। इसका अंदरूनी हिस्सा गर्मी से पिघला और लोहे जैसे भारी तत्व पृथ्वी के केन्द्र में पहुंच गए। लोहा व निकिल गर्मी से पिघल कर द्रव में बदल गए और इनके घूर्णन से पृथ्वी दो ध्रुवों वाले विशाल चुंबक में बदल गई। बाद में पृथ्वी में महाद्वीपीय विवर्तन या विचलन जैसी भूवैज्ञानिक क्रियाएं पैदा हुई। इसी प्रक्रिया से पृथ्वी पर महाद्वीप, महासागर और वायुमंडल आदि बने।
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सर मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या वास्तव में पृथ्वी गोल है।
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पृथ्वी पूरी तरह से गोल नही है, इसे मोसंबी के जैसे मान सकते है।
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Surya se om ki aavak aati hai kya ye such hai
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ध्वनि के संचरण के लिये माध्यम चाहिये। जब कोई माध्यम ही नही है तो आवाज किसने सुनी ?
अफ़वाह के अतिरिक्त कुछ नही है।
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Chandrama me jivan shambhav hai ? Please sir answer me
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राजेश, चंद्रमा पर वायुमंडल नही है। पानी भी बहुत अल्प मात्रा मे बर्फ़ के रूप मे ही है। चंद्रमा पर साधारण जीवन संभव नही है। लेकिन मानव वहाँ कांच के बड़े गुंबद बनाकर उसके अंदर कृत्रिम वातावरण का निर्माण कर रह सकता है।
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Kya sabhi prakar me colour printer me photo copy bhi ho sakti hair
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सभी प्रिंटर मे फोटोकापी नही हो सकती, केवल आल-इन-वन प्रिंटर मे होती है।
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surya prithvi se kitni duri pr hai sir,
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149597871 kilometers
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sir kahte hai ki sabse kathod padarth hera hota hai to hira me jo digainig banti hai to kya wo mashine bhi hera ka hi bana hota hai
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हीरे के खणन मे प्रयुक्त मशीनो की ड्रील के अग्रभाग मे हीरे के टुकड़े होते है।
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sir threphal kon sa phal h
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त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) को बीज निकाल कर समान मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है “तीन फल”।
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बर्फ सिर्फ उत्तरी धुर्व पर ही क्यों जमती है दक्षिण धुर्व पर क्यों नहीं ?
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बर्फ़ दोनो ध्रुवो पर जमी हुयी है।
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तांरें जमींन सें किंतनें ऊपर हैं।
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4 प्रकाश वर्ष से अधिक।
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0h,nyc sir mai 10th ka student hu, aur abhi 2 year se ye site pr available knowledge ko deeply study kr raha hu. Thank u sir soooo much, also accept my gratitude sir.
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which condition moon has been change her size ?
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चंद्रमा का आकार नही बदलता है। बस उसका आभासी आकार पृथ्वी से दूरी के आधार पर कम ज्यादा होते रहता है क्योंकि चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी स्थिर नही है, इसमे कुछ परिवर्तन(कम और अधिक) होते रहता है।
यदि आपका आशय चंद्रमा की कलाओं से है तो वह चंद्रमा का पृथ्वी से दिखायी देने वाला प्रकाशित भाग है। चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा एक महीने मे करता है और एक महीने मे ही अपने अक्ष पर घुर्णन करता है। इस स्थिति मे उसका एक भाग ही पृथ्वी की ओर होता है।
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बन्दुक से गोलि हन्ने पर पछारी कि तरफ क्यु धकेल्ता है?
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न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया की विपरीत तथा तुल्य प्रतिक्रिया होती है।
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konsa dhatu room mai normal tap oar taral avastha mai paya jata hai
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पारा (मरक्युरी)
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SIR NEUTRINOS KYA HOTE HAI AUR WO EARTH TAK SUN KI LIGHT SE PEHLE KAISE AA JATE HAI?
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न्युट्रीनो, इलेक्ट्रान, क्वार्क के जैसे ही मूलभूत कण होते है। लेकिन उनकी गति प्रकाश गति से कम होती है, वे सूर्यप्रकाश से पहले नही पहुंच सकते है।
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sir ak prakash varsh kitne sal ko kahte hai
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प्रकाश वर्ष से समय नही दूरी मापी जाती है। एक वर्ष मे प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उस दूरी को प्रकाशवर्ष कहते है। एक प्रकाश वर्ष मे 9.4605284x 10 ^ 12 किलोमीटर होते है।
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sir, (1) aadmi ki aankh(eye) kitne mega pixel ki hoti h.
(2) aadmi ke mastishk (brain) me kitni RAM hoti h.
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1. 576 megapixels.
2. 2.5 petabytes
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sir,1) black hole ka aakar (size) lagbhag kitna hota h.
2) white hole kya h.
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https://vigyanvishwa.in/2015/10/26/wierdbh/
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sir, budh planet ki kaksha Newton ke gravitation law se kis parkar different h aur ise Einstein ne kaise samjhaya
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https://vigyanvishwa.in/2013/04/15/relativity/
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sir, evening ke samay sun dopahar ki apeksha bada kyo dikhai deta h
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यह एक भ्रम है कि सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्य दोपहर की तुलना मे बड़ा दिखायी देता है। वास्तविकता यह है कि सूर्यास्त/सूर्योदय के समय सूर्य के आकार की तुलना के लिये हमारे पास अन्य चिजे जैसे पेड़, पहाड़, मकान, बिल्डींग होते है तो हमारा मस्तिष्क एक आकार बना लेता है। दोपहर के समय सूर्य के आकार की तुलना के लिये कुछ नही होता है।
यदि आप एक सिक्का ले और उसे अपने हाथ मे रखकर सूर्य की ओर करे और उसके आकार की तुलना सुबह और शाम को सूर्य के आकार से करें तो दोनो समय सूर्य का आकार आपको समान नजर आयेगा।
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Aakas ganga me kaun sa tara h jo 76 sal bad dikhai deta h.
uska nam btaieye
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पृथ्वी से दिखायी देने वाले तारे हमेशा दिखायी देते है। ऐसा कोई तारा नही है जो 76 वर्ष बाद दिखायी दे। आप शायद हेली के धूमकेतू की बात कर रहे है जो 76 वर्ष बाद सूर्य के समिप आता है।
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सर क्या भगवन है अगर है तो हमें दिखाई क्यों नहीं देता है. क्या भगवन दूसरे प्लेनेट से आए थे,क्या मानव ही भगवन है जो भविष्य से आए हुवे थे पृथ्वी में , अगर भविष्य आए हुवे मानव ने टाइम मशीन बनालिया था तो पृथ्वी का भविष्य देख लिया था जिसमे हम लोग पृथ्वी को नष्ट कर रहे है ……….?
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विज्ञान ईश्वर/भगवान जैसी किसी परालौकिक शक्ति के अस्तित्व को नही मानता है।
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Sir darpan me bna image darpan rotate karne par image rotate kyo nahi hota
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Thanks sir mujhe ye sabal yaha mile ye jan ker mujhe achchha laga ok
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जानकारी देने के लिये धन्यवाद
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सर उस वैज्ञानिक का क्या नाम हैं, जो व्हील चेयर पर बैठा रहता हैँ. जरा उनके बारे में विस्तार से बतायेंगे ?
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स्टीफन विलियम हॉकिंग (जन्म ८ जनवरी १९४२), एक विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र (Centre for Theoretical Cosmology) के शोध निर्देशक हैं।
जब वे 21 बरस के थे, तब पता चला कि एक भयानक बीमारी एएलएस (एम्योट्रॉपिक लेटरल सलेरोसिस या लाउ गेहरिग्स डिसीस) उन पर हमला बोल चुकी है। आम तौर पर यह बीमारी पांच साल में जान ले लेती है, लेकिन हॉकिंग इसे मात देकर आगे बढ़ते गए। उनका शरीर लगभग पूरी तरह लकवाग्रस्त है। अपनी आवाज की जगह वे एक मशीन का इस्तेमाल करते हैं। शब्द उनके वीलचेयर पर लगे कंप्यूटर के स्क्रीन पर आते-जाते हैं। चेहरे की एक मसल से वे अपने चश्मे पर लगे सेंसर के जरिए कंप्यूटर को निर्देश देते हैं। उस तरह धीरे-धीरे वाक्य बनते हैं और तब वे मशीनी आवाज के जरिए अपने हैरतअंगेज विचार दुनिया के सामने पेश करते हैं। हम सबके लिए उनका एक ही मेसेज है- अपनी शारीरिक कमजोरी को अपने मन पर हावी मत होने दो।
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nice and anather information
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मेरा प्रश्न यह है कि क्या ऐलियन होते हैं अगर होगे तो क्या वे earth पर पहुंच सकते हैं
nasa ने यह टिप्पणी की है कि ऐसा telescope बनाऐगे जो ऐलियन खोजेगा इसके बारे में कुछ जानकारी
सर scientist ऐसे planet की खोज करने में लगे हैं जहां पर जीवन हो क्या वाकई में हमें ऐसे planet की उपलब्धि होगी
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ब्रह्माड मे लाखो आकाशगन्गाये है, हर आकाशगन्गा मे अरबो तारे है, लगभग हर तारे के पास ग्रह है.. ऐसे मे केवल पृथ्वी पर जीवन हो ऐसा मानना कठिन है.
एलीयन/ परग्रही अवश्य होगे, लेकिन उनका पृथ्वी तक आना कठिन है क्योकि तारो के मध्य की दूरी अत्याधिक है. पृथ्वी के सबसे पास का तारा चार प्रकाशवर्ष दूर है। वहाँ से प्रकाशगति से आने मे ही चार वर्ष लग जायेंगे। लेकिन प्रकाशगति से यात्रा करना भी संभव नही है, ऐसे मे एलियन के पृथ्वी पर आने की संभावना ना के बराबर है।
जीवन के लायक ग्रह की खोज मे सफलता अवश्य मिलेगी, लेकिन उस तक पहुंच पायेंगे या नही यह कहना मुश्किल है।
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Lekin alien ship logo ne dekhe hai esi khabar nasa ke pass hai
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नासा के पास एलियन शीप के होने की कोई विश्वसनीय खबर नही है।
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chandrma ka rang white kyu h
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चंद्रमा की धूल मे अधिकर आयरन आक्साईड और टाइटेनीयम आक्साइड है। जहाँ पर आयरन आक्साईड अधिक है वह गहरे रंग मे है, लेकिन जीन क्षेत्रो मे टाइटेनीयम आक्साइड वे सूर्य प्रकाश का परावर्तन ज्यादा अच्छे से करते है सफ़ेद दिखायी देते है।
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heat given to a body which raises its temprature by 1◦c is known as ????????????
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उष्माधारिता Heat Capicity
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चन्द्रमा सूयॅ से प्रकाश कैसे ग्रहण करता है।और कैसे चमकता है। यह कैसी प्रक्रिया है। कृप्या विस्तार से समझाए।
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चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है और पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। इस तरह से चंद्रमा सूर्य की भी परिक्रमा करता है। इन दोनो गतियों के दौरान चंद्रमा पर भी सूर्य का प्रकाश पढता है। चंद्रमा की सतह पर धूल है और यह धूल अत्याधिक चमकिली है। जिससे इस धूल से सूर्य प्रकाश का अधिकतर भाग परावर्तित हो जाता है और चंद्रमा चमकते दिखायी देता है।
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Airplane vayumandal ke kis parat me udati hai
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stratosphere
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DUNIYA MA PURANE WAQT SE LOG YAHA KATE KITARE EARTH PAR GIRTE HAHA KYA YAHA SAHI HA HA TO HAME KYO PATA NAHI CHALTA AGER NA HA TO KYA EARTH PAR GIRANE WALE SABHI TARE ULLKA HOTI HA KYO KI AGER TARE EARTH PAR GIRE TO EARTH KA KAFI NUKASAN YA MANE KI BHOT BAD HADSA HOGA JISSE JAN HANI HOGI
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सुनिल, अगली बार से टिप्पणी सामान्य केस मे करें, UPPER Case मे पढ़ने मे परेशानी होती है।
पुराने समय मे जब लोग कहते थे कि तारा टूटकर जमीन पर गिरा है अर्थात वह उल्का ही है। तारा पृथ्वी से हजारो गुणा बड़े होते है, उनके पृथ्वी पर गीरने का प्रश्न ही नही उठता। उनके पृथ्वी के समीप आने पर ही पृथ्वी जल जायेगी या वह तारा पृथ्वी को खींच लेगा।
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sir ..cow jab saans leti h to o2leti h or jab saans chodti h to bhi o2 chodti h kyo???
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आपकी जानकारी गलत है,सभी प्राणी श्वसन के लिये आक्सीजन लेते है और कार्बन डाय आक्साईड छोड़ते है।
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मैंने कई पुस्तको में पढ़ा है की लेज़र की मदद से होलोग्राम अभिलेखित किया जाता है ! क्वेश्चन यह है की-होलोग्राम कैसे अभिलेखित किया जाता है ?
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अल्कोहल और पेट्रोल दोनों ही कार्बनिक(organic) यौगिक(compounds) है, परन्तु जलता हुआ पेट्रोल पानी से नहीं बुझता जबकि जलता हुआ अल्कोहल बुघ जाता है ! ऐसा क्यों होता है?
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क्या हम दर्पण( mirror) को देख सकते है ? यदि हां तो कैसे ? यदि नहीं तो क्यों ?
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लाल वर्ण(character) का द्रव(liquid ) प्रकाश में पानी की तरह रंगहीन क्यों हो जाता है?
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भूकम्प आने से पहले भविष्यवाणी क्यों नहीं की जा सकती है
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प्रकाश का ध्रुवण क्या है ? प्रकाश -तरंगो के ध्रुवण की प्रकृति क्या है ?
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1 kg and 2 kg ke do pind upar se saman hight se gire to neeche pahale kaun sa aayega
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दोनो एक साथ ही नीचे गिरेंगे
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कांच के प्रिज्म का क्या रहस्य है ,बताइये महोदय !
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क्या किरणे टूट सकती है ? यदि मै पानी भरे गिलास में चमच डालूँगा ,तो हवा और पानी के विभाजक तल पर चमच टूटा हुआ लगेगा तो क्या इसका अर्थ की किरणे टूट गयी है ?
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वेगो के अनुपात v1/v2 को ही प्रकाश का अपेरवांतक क्यों कहा जाता है ?
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Sir,ku6 ques hai:1. kya space time ko faada jaa sakta hai 2:earth spin karti hai apni dhuri me or 24 hr leti hai ek rotation pura karne m,ye west to east spin karti hai.Agar hum subah se lekar raat tak ek helicopter hawa m stationary rakhe(with respect to ground observer) toh helicopter pilot k frame of refrence m to jo earth m baitha hua observer rahega vo to hamesha stationary rahega,par aisa kyu hai,earth toh spin kar rahi hai.3: Quantum entanglemnt kya hai 4: kya thought athwa imagination ki speed light se zada nahi hoti?4:graviton kya hai?
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1.काल अंतराल (Space-Time) को अलग नही किया जा सकता है।
2.पृथ्वी अकेले नही घूर्णन करती है, वह अपने साथ सारे वायुमंडल और उसकी समस्त वस्तुओं को लेकर घूर्णन करती है। इसलिये हेलिकाप्टर दोनो निरीक्षको(पायलट और जमीन स्थित) के लिये स्थिर होगा।
3. क्वांटम एन्टैंगलमेंट पर इस साइट मे कुछ लेख है उन्हे देखीये.
4. हर बल के वहन के लिये एक कण चाहीये होता है, जैसे विद्युत चुंबकिय बल के वहन के लिये फोटान। वैसे ही गुरुत्वाकर्षण बल के वहन के लिये ग्रेविटान कण होता है। इसके अस्तित्व की अवधारणा है लेकिन इसे अभी तक खोजा नही गया है।
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Sir hum jab bolte h to hamari voice kaha ghum ho jati h. Kaya ye kahi save ho jati h.kaya hum ise future me kabhi sun sakte h .answer me. Please
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हमारे द्वारा बोली गयी ध्वनि अनंत तक रहती है, बस उसकी शक्ति कम हो जाती है। भविष्य मे उन्नत तकनिक से उसे सुना जा सकता है।
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क्या बिग बैन्ग से पहले समय का अस्तित्व था? यदि नहीं तो बिग बैन्ग का निर्माण कैसे हुआ? यदि हाँ तो बिग बैन्ग से पहले क्या था?
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बिग बैंग के पहले समय नही था, समय के लिये ब्रह्माण्ड का अस्तित्व आवश्यक है, जब ब्रह्माण्ड ही नही तो समय के अस्तित्व का अर्थ ही नही है।
आपके अन्य प्रश्नो का उत्तर मेरे पास नही है, विज्ञान अभी इन प्रश्नो के लिये मौन है।
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guru ji,
white hole kya hai?
kya ye black hole se sambandhit hai?
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श्वेत विवर श्याम विवर का विपरीत है! लेकिन श्याम विवर का अस्तित्व प्रमाणित है, श्वेत विवर अभी कल्पना में ही है!
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guru ji’
1-Stephen hawking ke anusar big bang bina kisi karan ke achanak astitva me aaya . yah kaise sambhav hai? ,kyonki kuchh bhi bina karan ke nahi hota agar aisa hota to mere aakhon ke samne abhi ek universe utpann ho jaata.
2-stephen hawking ko kis khoj ke liye nobel prize se navaja gaya?
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1. हमारा ज्ञान बिग बैंग के कुछ पलो के तक ही सीमित है, उसके पहले क्या था, कैसे हुआ केवल अनुमान मात्र ही है। स्टीफन हाकींग एक माने हुये वैज्ञानिक है और यह उनका अपना मानना है।
2. स्टीफन हाकिंग ने अभी तक नोबेल पुरस्कार प्राप्त नही किया है लेकिन इससे उनकी खोजो और सिद्धांतो की अहमीयत कम नही होती है।
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सर, पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगा रही हैं और अपनी धुरी पर भी घूम रही हैं तो हमें तारे और अन्य गृह चलते हुए क्यों नहीं दीखते जैसे की ट्रेन या बस में पेड़ पीछे जाते हुए दीखते हैं?
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पृथ्वी अपनी धूरी पर पश्चिम से पूर्व की दिशा मे घूम रही है इसीलीये तो सूर्य, तारे पूर्व मे उगकर पश्चिम मे जाते दिखायी देते है!
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है, इसलिये छह माह सूर्य उत्तरायण मे तथा छह माह दक्षिणायण मे उदय और अस्त होते दिखायी देता है।
अन्य तारे और ग्रह पर भी गति का यह प्रभाव दिखायी देता है लेकिन इसकी गति कम होती है जिससे ट्रेन और बस मे पेड़ पीछे जाते हुये जैसे तेज गति से प्रभाव नही दिखायी देगा। इसे महसूस करने के लिये आपको रोज उस ग्रह और तारे की आकाश मे स्थिति देखनी होगी, वह स्थिति रोजाना परिवर्तित होते दिखायी देगी। ध्यान रहे कि अंतरिक्ष मे दूरीयां लाखो-करोड़ो किमी मे होती है। अधिकतर तारे तो सैकड़ो प्रकाशवर्ष दूर है जिससे उनकी कोणीय गति बहुत कम होने से महसूस करना कठिन होता है।
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sir kya tulsi aur bargadh ka podhe raat ko bhi o2 gas codhthe h kya?
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Sir generaly ped podhe din me CO2 lete hai our O2 chhodte hai,lekin raat me wo bhi o2 lete our co2 chhodte hai aisa kyo ? plz reply
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आप आंशिक रूप से सही है. पेड भी अन्य जीवो के जैसे श्वसन के लिये आक्सीजन लेते है और कार्बन डाय आक्साईड छोडते है. लेकिन भोजन निर्माण की प्रक्रिया अर्थात प्रकाश संस्लेषण की प्रक्रिया मे वह कार्बन डाय आक्साईड लेकर आक्सीजन छोडते है. अन्य जीव प्रकाश संस्लेषण नही करते है वे भोजन के लिये पेडो या अन्य जीवो पर निर्भर होते है
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बिजली का खोज किसने किया था
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्बिजली की खोज कीसी एक व्यक्ति ने नही की है. इस ऊर्जा से मानव प्राग ऐतिहासीक काल से परिचित है, लेकिन वर्तमान युग मे बिजली के प्रायोगिक उपयोग के लिये बेंजामीन फ्रैंकलीन, निकोला टे्स्ला, एडीसन, मैक्स्वेल, माईकल फैराडे (सूची अधूरी है)इत्यादि को श्रेय दे सकते है.
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Guru ji,
Jaise gravity theory ka suruaat ek seb ke girne se hua
Waise hi einstein ke E=mc^2 ka suruaat kahaan se hua?
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पेटेंट आफिस में अर्ज़ियों का निराकरण करते हुये!
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http://www.moc91.com/2013/10/get-science-knowledge-in-hindi.html see this
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धन्यवाद रामानन्द जी
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