अधिकतर आधुनिक जांचयंत्र एकाधिक उपकरणो द्वारा निर्मित होते है, जोकि हर घटना के विभिन्न पहलूओं की जांच करते है। ये सभी उपकरण इस तरह से लगे होते है कि वैज्ञानिक त्वरक मे हो रही कणो के टकराव की घटनाओं से अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें।
यह किसी आधुनिक त्वरक का जांचयत्र है:
ट्रेकींग कक्ष : जांचयत्र का सबसे अंदरूनी भाग जिसमे निर्मित कणो के पथ को दर्ज करने वाले संवेदी उपकरण लगे होते है।
विद्युत-चुंबकिय (EM) कैलोरीमीटर : यह उपकरण इलेक्ट्रान, पाजीट्रान तथा फोटानो की कुल ऊर्जा मापता है। कण त्वरकों मे इलेक्ट्रान और पाजीट्रान की बौछार होती है। इलेक्ट्रान और पाजीट्रान परमाणुओं के विद्युत क्षेत्र द्वारा मोड़ दिये जाते है, जिससे वे फोटान उत्सर्जित करते है। ये फोटान इलेक्ट्रान पाजीट्रान युग्म का निर्माण करते है, जो फोटान का उत्सर्जन करते है। यह प्रक्रिया अनेक चक्रो मे चलते रहती हैं। प्रक्रिया के अंत मे इलेक्ट्रान और पाजीट्रान की कुल संख्या, प्रक्रिया के प्रारंभ के कणो की ऊर्जा के अनुपात मे ही होती है।
हेड्रान कैलोरीमीटर: यह हेड्रान कणो की कुल ऊर्जा का मापन करता है। हेड्रान कण इस क्षेत्र के घने पदार्थ से प्रतिक्रिया करते है जिससे आवेशित कणो की बौछार का निर्माण होता है। इन आवेशित कणो की ऊर्जा का मापन किया जाता है।
म्युआन कक्ष : इस क्षेत्र तक म्युआन तथा न्युट्रीनो ही पहुंच पाते है। इस क्षेत्र मे म्युआन की जांच हो जाती है लेकिन न्युट्रीनो इससे भी बच निकलते है। न्युट्रीनो होने का अनुमान जांच प्रक्रिया की कुल ऊर्जा मे लापता(गुम) ऊर्जा से लगाया जाता है।
चुंबक : इससे कणो की दिशा को नियंत्रित किया जाता है।
जांच यंत्रो को विभिन्न भाग (उपकरणो) मे विभाजित करने के पीछे कारण यह है कि हर उपकरण एक विशेष समूह के कण गुणधर्म की जांच करने मे सक्षम होता है। इन उपकरणो इस तरह से रखा जाता है कि सभी कण विभिन्न सतहो से एक क्रम मे गुजर सकें। किसी कण की उपस्थिती जानने के लिये उसका किसी उपकरण से प्रतिक्रिया करना आवश्यक है। जांच के लिए इन कणो का किसी उपकरण से प्रतिक्रिया करना चाहीये या प्रतिक्रिया करने वाले कणो के क्षय हो जाना चाहीये।
विभिन्न कणो द्वारा जांच यंत्र मे विभिन्न उपकरणो से प्रतिक्रिया :
इस सारणी मे न्युट्रीनो को दर्शाया नही गया है क्योंकि वे किसी भी पदार्थ से कोई भी प्रतिक्रिया नही करते हुये उपकरण के पार चले जाते हैं। इनकी उपस्थिति की जांच संपूर्ण प्रक्रिया मे लापता द्रव्यमान/ऊर्जा से ही अप्रत्यक्ष रूप से होती है। इस सारणी मे दर्शित पाइआन एक आवेशित म्युआन है।
कुछ महत्वपूर्ण मूद्दे
- इलेक्ट्रान और प्रोटान के जैसे आवेशित कणो की जांच ट्रेकींग कक्ष तथा विद्युत-चुंबकीय कैलोरीमीटर दोनो मे होती है।
- उदासीन कण जैसे फोटान तथा न्युट्रान की जांच ट्रेकींग कक्ष मे संभव नही है। फोटान की जांच विद्युत चुंबकीय कैलोरीमीटर तथा न्युट्रान की जांच हेड्रान कैलोरीमीटर मे होती है।
- हर कण का जांच उपकरण मे अपना एक विशिष्ट हस्ताक्षर(Signature) होता है। यदि वैज्ञानिक किसी कण को केवल विद्युत-चुंबकिय कैलोरीमीटर मे पाता है अर्थात वह फोटान है।
आवेश और संवेग की गणना
किसी कण त्वरक के जांचउपकरण का एक महत्वपूर्ण कार्य निर्मित कण के संवेग तथा आवेश की गणना होती है। इसी उद्देश्य के लिये इस जांच उपकरण के अधिकतर भाग विशेषतः ट्रेकींग कक्ष मे मजबूत चुंबकिय क्षेत्र रखा जाता है। किसी आवेशित कण कण को उसके पथ से पहचाना जा सकता है, क्योंकि ऋणात्मक तथा धनात्मक विद्युत आवेश वाले कण चुंबकिय क्षेत्र मे एक दूसरे से विपरित दिशा मे जाते है।
कण के संवेग की गणना उनके पथ मे आयी वक्रता की मात्रा से की जाती है क्योंकि अधिक संवेग वाले कण के पथ मे वक्रता कम होगी। यह इसलिये है कि अधिक संवेग वाला कण चुंबकिय क्षेत्र मे कम समय रहेगा या उसका जड़त्व कम संवेग वाले कण से ज्यादा होगा जिससे वह चुंबकिय क्षेत्र मे कम मुड़ेगा।
प्रश्न: चुंबकिय क्षेत्र मे कोई उदासीन कण किस दिशा मे जायेगा?
उत्तर : सीधी रेखा मे! लेकिन उदासीन कण चुंबकिय क्षेत्र मे अपना पथ नही छोड़ते है, उन्हे उनके क्षय होने के बाद निर्मित कणो की उपस्थिती या प्रक्रिया मे गुम संवेग/ऊर्जा से जाना जाता है।
कण त्वरक के जांच उपकरण मे निर्मित कणो के पथ के बारे मे जानने के लिये निचे दिया गया चित्र अनुप्रस्थ काट(cross-section) को दर्शाता है। इसके मध्य मे टकराते हुये कणो की धारा है। इस चित्र मे भिन्न भिन्न पहचाने गये कणो की स्थिती पर ध्यान दें, वे भिन्न भिन्न स्थानो पर पकड़े गये हैं।
वैज्ञानिक किसी भी कणो को जांचे जाने के समय पर उसके स्थान(position) से से पहचानते है।
अगले छः चित्रो मे किसी आधुनिक कण त्वरक मे Z कण के क्षय को जांचा गया है। Z कण का क्षय अत्यल्प अवधि मे होता है, जिसे देखा नही जा सकता निचे दिये गये चित्र इस प्रक्रिया मे निर्मित भिन्न कणो और उनके पथ को दर्शा रहे है। इन सभी चित्रो मे उपकरण बायें दिये गये संकेत चित्र से दर्शाये गये है।


Z कण कुछ अस्थायी मध्यस्थ कणो मे क्षय होकर अंत मे स्थायी कण मे परिवर्तीत होते है, नीचे दिये गये चित्र इसे दर्शा रहे हैं।

उपर दिये गये चित्र मे Z कण की क्षय प्रक्रिया को निम्नलिखित दो चरणो से समझा जा सकता है:
- Z –>Τ+ + Τ–
- Τ+ –> μ+ + न्युट्रीनो तथा Τ- –> e1 + न्युट्रीनो /e++ न्युट्रीनो

उपर दिये गये चित्र मे Z कण की क्षय प्रक्रिया को निम्नलिखित दो चरणो से समझा जा सकता है:
- Z –>Τ+ + Τ–.
- Τ+ –> μ+ + न्युट्रीनो तथा Τ- –> हेड्रान+ न्युट्रीनो


कंप्युटर द्वारा विश्लेषण
कण त्वरक के जांच उपकरण एक समय मे लाखों करोड़ो कणो के निर्माण और क्षय की घटना दर्ज करते है। इतनी बड़ी संख्या मे आंकड़ो को कंप्युटर से ही संसाधित किया जा सकता है, कंप्युटर ही कणो के पथ तथा क्षय को पहचान पाते है। तथा वे ही इन प्रक्रियाओं मे पायी गयी त्रुटीयो या प्रक्रियाओं मे पायी असंगतताओं को पहचान पाते है।
उपर दिया गया चित्र एक प्रोटान प्रतिप्रोटान टकराव प्रक्रिया का कंप्युटर द्वारा पुनर्निर्माण है, इस प्रक्रिया मे अन्य कणो के अतिरिक्त इलेक्ट्रान और पाजीट्रान का निर्माण हुआ है। इस तरह के प्रयोगो ने Z बोसान के आस्तित्व के प्रमाण दिये थे, जोकि टाप क्वार्क के निर्माण के लिये बल वाहक कण है। इसी तरह के प्रयोगो के द्वारा स्टैंडर्ड माडेल का प्रमाणो की पुष्टी और विकास हुआ है।
नीचे दिये गये चित्र मे एक इलेक्ट्रान तथा पाजीट्रान की धारा टकराकर विनष्ट हो रही है, इस प्रक्रिया मे क्वार्क और प्रतिक्वार्क बन रहे है तथा अंततः मेसान तथा बारयान का निर्माण कर रहे है। इस चित्र मे दिखाये गये पथ निर्मित मेसान तथा बारयान के हैं।
नीचे दिये गये चित्र मे क्वार्क, प्रतिक्वार्क तथा ग्लुआन का पथ दिखायी दे रहा है, यह चित्र ग्लुआन के आस्तित्व का प्रमाण दे रहा है।
इस तरह हमने देखा कि किस तरह वैज्ञानिक कण त्वरको के प्रयोग से भौतिकी के प्रयोग करते है और सिद्धांतो की पुष्टि करते है। संक्षेप मे वैज्ञानिक कण त्वरको के प्रयोग से परमाणु के अंदर झांकते हैं। कण जांच उपकरण आंकड़े जमा करते है जिनका विश्लेष्ण कंप्युटर और मानव करते है।
श्रृंखला समाप्त।
Examples ko और अच्छी तरह से समझाया जाना चाहिए था
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सर, मैंने आपके ‘सरल क्वांटम भौतिकी’ से संबंधित लगभग सभी लेख पढे है| मुझे इनमें कोई समस्या नहीं है ब्लकि खुशी है कि मुझे एेसा जबरदस्त ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिला इसके लिए तहेदिल से धन्यवाद.
लेकिन सर जी मुझे समझाने का प्रयास करे कि क्वांटम भौतिकी है क्या?
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परमाणु और उससे छोटे कणो के व्यवहार के अध्ययन को क्वांटम भौतिकी कहते है। इस लेखमाला को सरल इसलिए कहा गया है क्योंकि इस में गणितीय समीकरणो का समावेश नहीं है।
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Sir you are great 👃
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Magnet main kaun sa bal kary karta hai
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विद्युत-चुंबकीय बल
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अविश्वसनीय ,आपने इतने अच्छे तरीके से समझाया जैसे हम L.H.C. DRIVE करने की ट्रेनिग ले रहे हो ,
मगर प्रयोग के समय में क्या इसका ब्लास्ट होने का खतरा भी बना रहता है ?
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प्रयोग के समय विस्फोट का डर तो होता है लेकिन यह ऊर्जा इतनी ज्यादा नही होती कि नियंत्रण के बाहर हो जाये। यदि कोई विस्फोट हो तो भी कण त्वरक की आंतरिक सुरंग को ही क्षति पहुंचेगी, रेडीयेशन या जानमाल की हानी नही होगी।
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ऐसी कोई भी जानकारी दुर्लभ है…. कहीं नहीं मिलती….. धन्यवाद इंद्रजाल में ऎसी दुर्लभ जानकारियाँ उपलब्ध करवाने हेतु…..
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बेहतरीन
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