अब तक हमने सभी मूलभूत कणो और मूलभूत बलों की जानकारी प्राप्त की है। क्या इसका अर्थ है कि इसके आगे जानने के लिये कुछ भी शेष नही है ?
नही! हमारी वर्तमान भौतिकी अधूरी है, हमारे पास ऐसे बहुत से प्रश्न है, जिसका कोई उत्तर नही है। हमारा सबसे सफल सिद्धांत ’स्टैंडर्ड माडेल’ अपूर्ण है, इसके विस्तार की आवश्यकता है।
स्टैन्डर्ड माडेल से आगे
स्टैन्डर्ड माडेल “पदार्थ की संरचना और उसके स्थायित्व” के अधिकतर प्रश्नो का उत्तर छः तरह के क्वार्क , छः तरह के लेप्टान और चार मूलभूत बलो से दे देता है। लेकिन स्टैडर्ड माडेल सम्पूर्ण नही है, इसके विस्तार की संभावनायें है। वर्तमान मे स्टैण्डर्ड माडेल के पास सभी प्रश्नो का उत्तर नही है, इसके समक्ष बहुत से अनसुलझे प्रश्न है।
- जब हम ब्रह्माण्ड का निरीक्षण करते है तब हम पदार्थ ही दिखायी देता है, प्रतिपदार्थ नही। क्या पदार्थ और प्रतिपदार्थ की मात्रा समान नही है, क्यों ? क्या इन दोनो के मध्य सममीती नही है? क्यों ?
- श्याम पदार्थ(dark matter) क्या है? उसे हम देख नही सकते है लेकिन उसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को देख सकते है, ऐसा क्यों ?
- स्टैन्डर्ड माडेल किसी कण के द्रव्यमान की गणना करने मे असमर्थ क्यों है?
- क्या क्वार्क और लेप्टान मूलभूत कण है ? या वे भी और छोटे घटक कणो से बने है ?
- क्वार्क और लेप्टान की ठीक ठीक तीन पीढ़ी क्यों है ? चार या दो क्यों नही ?
- इन सब के मध्य गुरुत्वाकर्षण की क्या भूमिका है ?
यदि आपने इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेख नही पढ़े है, तो आगे बढ़ने से पहले उन्हे पढ़ें।
- मूलभूत क्या है ?
- ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 1?
- ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 2?
- ब्रह्माण्ड को कौन बांधे रखता है ?
- परमाणु को कौन बांधे रखता है?
- नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण
- क्वांटम यांत्रिकी
- कणों का क्षय और विनाश
- रेडियो सक्रियता क्यों होती है?
- मूलभूत कणो का विनाश (Particle Anhilation)
एक सिद्धांत के रूप मे स्टैंडर्ड माडेल
स्टैंडर्ड माडेल प्रायोगिक निरीक्षणो की अच्छी तरह से व्याख्या करता है , इसके बावजूद भी यह एक अपूर्ण सिद्धांत है। समस्या यह है कि स्टैंडर्ड माडेल यह नही समझा पाता कि कुछ कणो के उनके ज्ञात रूप मे अस्तित्व का कारण क्या है। कुछ कणो का अस्तित्व है लेकिन क्यों है, स्टैंडर्ड माडेल के पास उत्तर नही है। उदाहरण के लिये भौतिकशास्त्री बहुत से वर्षो तक टाप क्वार्क के अतिरिक्त सभी क्वार्को का द्रव्यमान जानते थे, वे टाप क्वार्क के प्रयोगिक निरीक्षण के अभाव मे उसका द्रव्यमान ज्ञात करने मे से असमर्थ थे। एक अच्छे सिद्धांत द्वारा प्रायोगिक निरीक्षण ना होने के बावजूद किसी भी कण की द्रव्यमान की गणना मे सक्षम होना चाहीये। स्टैंडर्ड माडेल यह नही समझा पाता कि किसी कण का विशिष्ट द्रव्यमान क्यों होता है, किसी विशेष कण के विशिष्ट द्रव्यमान के पीछे स्पष्ट कारण को देने मे स्टैंडर्ड माडेल असमर्थ है।
क्या इसका अर्थ है कि स्टैंडर्ड माडेल गलत है?
नही! लेकिन हमे स्टैंडर्ड माडेल से आगे जाना होगा। ठीक उसी तरह जिस तरह आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद ने न्युटन के गतिकी के नियमो का विस्तार किया था। न्युटन के नियम गलत नही है लेकिन उनकी एक सीमा है, वे प्रकाशगति से कम गति पर ही कार्य करते है। आइंस्टाइन ने सापेक्षतावाद के सिद्धांत से न्युटन के नियमों का विस्तार उच्च गति के लिये किया था। स्टैंडर्ड माडेल को इसी तरह द्रव्यमान, गुरुत्वाकर्षण और अन्य रहस्यमय गुणो की व्याख्या के लिये विस्तार देना होगा।

तीन पीढ़ीयाँ

क्वार्क युग्म और लेप्टान युग्म के तीन समूह है। इन कणो के हर समूह को एक पीढी़ या परिवार कहा जाता है। अप/डाउन क्वार्क पहली पीढ़ी के क्वार्क है जबकि इलेक्ट्रान/इलेक्ट्रान-न्युट्रीनो लेप्टान पहली पीढ़ी के लेप्टान है।
पदार्थ की ठीक ठीक तीन पीढी़ क्यों है?
इन पीढ़ीयोँ मे द्रव्यमान के वृद्धी होती है और उच्च पीढी़ के कणो का क्षय नीचली पीढ़ी के कणो की तुलना मे त्वरित होता है। रोजाना के जीवन मे सिर्फ पहली पीढ़ी के कण(इलेक्ट्रान तथा अप/डाउन क्वार्क) ही होते है। हमे यह ज्ञात नही है कि प्रकृति को अन्य दो पीढ़ीयोँ की आवश्यकता क्यों है ? हमे यह ज्ञात नही है कि पदार्थ की ठीक ठीक तीन पीढी़ क्यों है?
द्रव्यमान कहाँ से आता है ?

स्टैंडर्ड माडेल किसी कण के विशिष्ट द्रव्यमान की व्याख्या नही कर पाता है। उदाहरण के लिये W कण और फोटान दोनो बल वाहक कण है लेकिन फोटान शून्य द्रव्यमान का और W कण भारी क्यों है ?
भौतिक वैज्ञानिको के अनुसार एक हिग्स क्षेत्र(Higs Field) का अस्तित्व होता है, जो सैधांतिक रूप से अन्य कणो के साथ प्रतिक्रिया कर उन्हे द्रव्यमान देता है। इस हिग्स क्षेत्र के लिए एक कण चाहीये, जिसे हिग्स बोसान(Higs Bosan) कहते है। यह हिग्स बोसान अभी तक देखा नही गया है लेकिन भौतिक वैज्ञानिक इसकी खोज मे लगे हुये है। इस कण को समाचार माध्यम ’ईश्वर कण(God Particle)’ भी कहते हैं।
महा एकीकृत सिद्धांत(Grand Unified Theory)

वर्तमान मे कण-भौतिकी के वैज्ञानिको का एक मुख्य उद्देशय विभिन्न बलो को एकीकृत कर एक महा एकीकृत सिद्धांत(Grand Unified Theory) बनाने का है जो कि ब्रह्माण्ड की संरचना को एक सुव्यवस्थित रूप देगा। स्टैंडर्ड माडेल का सरलीकरण हमारे सभी अनसुलझे प्रश्नो का उत्तर देगा और भविष्य के अध्यन को दिशा देगा।
जेम्स मैक्सवेल ने इस दिशा मे एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुये विद्युत और चुंबकत्व को एकीकृत किया था। वर्तमान मे भौतिक वैज्ञानिक जानते है कि उच्च ऊर्जा पर विद्युत-चुंबकीय बल और कमजोर नाभिकिय बल एक ही बल के दो रूप है।
अपने अतिंम वर्षो मे आइंस्टाइन ने गुरुत्वाकर्षण और विद्युत-चुंबकीय बलो के एकीकरण का प्रयास किया लेकिन असफल रहे।
बल और महा एकीकृत सिद्धांत
भौतिकशास्त्रीयों को आशा है कि महा एकीकृत सिद्धांत मजबूत नाभिकिय, कमजोर नाभिकिय और विद्युत-चुंबकिय बल को एकीकृत करेगा। वर्तमान मे एक से ज्यादा महा एकीकृत सिद्धांत उपलब्ध है लेकिन हमे इनमे से सही महा एकीकृत सिद्धांत के चयन के लिये आंकड़े चाहीये।
यदि इन सभी बलो का महाएकीकरण संभव होगा तब यह सभी प्रतिक्रियायें/बल एक ही एकीकृत प्रक्रिया/बल के विभिन्न पहलु होंगे। लेकिन यह कैसे संभव है जब मजबूत नाभिकिय, कमजोर नाभिकिय और विद्युत-चुंबकिय बल क्षमता और प्रभाव मे इतने ज्यादा भिन्न है ? यह विचित्र है लेकिन वर्तमान मे उपलब्ध आंकड़े और सिद्धांत यह दर्शाते है कि उच्च ऊर्जा पर यह सभी बल मीलकर एक ही बल बन जाते हैं।

महाएकीकरण सिद्धांत पर वर्तमान कार्य यह दर्शाता है कि एक और बलवाहक कण का अस्तित्व है जो प्रोटान के क्षय के लिये उत्तरदायी है। लेकिन प्रोटान का क्षय दूर्लभ है क्योंकि प्रोटान की आयु 1032 वर्ष सेज्यादा है।
महासममिति(Supersymmetry)

कुछ भौतिक शास्त्री गुरुत्वाकर्षण और अन्य मूलभूत बलो को एकीकृत करने का प्रयास कर रहे है। उनके अनुमानो के अनुसार हर मूलभूत कण का एक भारी बलवाहक “छाया” कण होना चाहीये है तथा हर बलवाहक कण का एक भारी पदार्थ “छाया” कण होना चाहीये। पदार्थ कण और बलवाहक कण के इस संबध को महासममिति नाम दिया गया है। उदाहरण के लिये हर क्वार्क(quark) के लिये एक स्क्वार्क(squark) कण होना चाहीये।
अभी तक कोई भी महासमितिक कण नही पाया गया है लेकिन CERN तथा Fermilab मे महासममितिक कणो की खोज के प्रयोग जारी है।
स्ट्रींग सिद्धांत(String Theory)
आधुनिक वैज्ञानिको ने क्वांटम यांत्रिकी, सापेक्षतावाद और गुरुत्वाकर्षण के लिए कुछ नये और अच्छे सिद्धांत प्रस्तुत किये है। लेकिन यह सभी सिद्धांत एक दूसरे से मेल नही खाते है। हम त्रीआयामी विश्व(3 Dimensional World) मे रहते है, जिससे कुछ इन सिद्धांतो पर कुछ प्रश्न खड़े होते है। यदि हम तीन आयामो से ज्यादा आयामो वाले विश्व मे रहें तो ये प्रश्न स्वयं सुलझ जायेंगे।
स्ट्रींग सिद्धांत आधुनिक भौतिकी का एक गणितीय सिद्धांत है। इसके अनुसार तीन साधारण आयामो के अतिरिक्त कुछ बहुत छोटे आयाम भी है, इसमे कण एक बिंदू के जैसे न होकर तंतु (धागे) या पर्दे के जैसे है! इन अतिरिक्त आयामो मे ’पर्दा’ विचित्र लगता है और हमे इन्हे समझने मे परेशानी होती है। और यह अतिरिक्त छोटे आयाम क्या है?
अतिरिक्त आयाम
स्ट्रींग सिद्धांत और प्रस्तावित सिद्धांतो के लिये तीन से ज्यादा आयाम चाहीये। यह अतिरिक्त आयाम हमारी दृश्य क्षमता से छोटे भी हो सकते है।
लेकिन अतिरिक्त छोटे आयाम कैसे हो सकते है?
किसी रस्सी पर चलने वाले कलाबाज के बारे मे सोचीये। यह कलाबाज रस्सी पर आगे या पीछे ही चल सकता है। लेकिन एक मख्खी उसी रस्सी पर आगे पिछे के अतिरिक्त दोनो बाजू मे भी चल सकती है। यदि मख्खी एक बाजू की दिशा मे चलते रहे तो वह रस्सी के चक्कर लगा कर उसी जगह मे आ जायेगी जहां से उससे प्रारंभ किया था। अर्थात कलाबाज के लिये रस्सी पर एक ही आयाम है, लेकिन मख्खी के लिये दो आयाम है , मख्खी का दूसरा आयाम छोटा बंद वलय है।

कलाबाज रस्सी के अतिरिक्त किसी भी अन्य आयाम को महसूस नही कर सकता, उसी तरह हम विश्व को तीन आयामो से ज्यादा आयामो मे देखने मे असमर्थ है, भले ही विश्व मे तीन से ज्यादा आयाम हो। हमारे लिये इसे दृष्टिगोचर करना असंभव है क्योंकि हम केवल तीन आयामो मे ही देख सकते है, सोच सकते है।
श्याम पदार्थ

अब दिमाग को झिंझोड़ देने वाले आइडीये के लिये तैयार हो जाइये!
ब्रह्मांड का अधिकतर भाग सामान्य पदार्थ से नही बना है। यह पदार्थ, पृथ्वी के पदार्थ जिससे हम स्वयं तथा हमारा विश्व बना है, से भिन्न तरह का है। इस पदार्थ को हम देख नही सकते लेकिन इसके प्रभाव को मापा जा सकता है। इस तथ्य के पर्याप्त प्रमाण है कि यह पदार्थ प्रोटान, न्युट्रान तथा इलेक्ट्रान से निर्मित नही है।
श्याम पदार्थ क्या है? हम नही जानते। वह न्युट्रीनो से बना हो सकता है क्यो कुछ अजीब से पदार्थ जैसे न्युट्रलीनो (neutralinos) से बना हो सकता है जो कि सैधांतिक महासममितिक कणो मे से एक है।
अगले अंक मे यह सब हम कैसे जानते है?
इसके लिये क्या कोई प्रायोगिक प्रमाण है या केवल तुक्के चलाये जा रहे हैं ?
यह लेख श्रृंखला माध्यमिक स्तर(कक्षा 10) की है। इसमे क्वांटम भौतिकी के सभी पहलूओं का समावेश करते हुये आधारभूत स्तर पर लिखा गया है। श्रृंखला के अंत मे सारे लेखो को एक ई-बुक के रूप मे उपलब्ध कराने की योजना है।
सर आखिर कणों को द्रव्यमान मिलता कैसे है क्या आप थोड़ा विस्तार से समझा सकते हैं
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https://vigyanvishwa.in/2012/07/03/higgs-2/
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सर एक और
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https://vigyanvishwa.in/tag/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B8-%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8/
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सर हम भी कितने स्वार्थी है कभी आपका स्वास्थ तो पूछा ही नही। सर इतनी महनत करते हो आप अपने स्वास्थ का ध्यान रखिएगा।
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सर यदि हम कल्पना एक ऐसे स्पेस शिप की जो लाइट की रफ्तार के 99. 9999% से गतिमान है और वह अपने लाइट्स ऑन करती है तो ऐसे में प्रकाश के साथ स्पेस शिप की रफ्तार तो जुड़ेगी नहीं, तब फिर क्या हमें वह प्रकाश एक किरण की तरह ना होकर एक बिंदु के जैसा दिखाई देगा और लाइट्स द्वारा जो प्रकाश उत्पन्न हो रहा है वह स्पेसशिप के आगे इकट्ठा होता रहेगा?
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प्रकाशगति सापेक्ष है। भले ही अंतरिक्ष यान प्रकाशगति के अत्यंत निकट है लेकिन उसके सापेक्ष प्रकाशगति फ़िर भी लगभग तीन लाख किमी प्रति सेकंड ही होगी!
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सर यही तो सवाल है फिर phenomenon हमारे लिए कैसा हो रहा है क्योंकि हमारे सापेक्ष तो प्रकाश तथा यान दोनो कि गति समान है तो क्या यान में बेठा प्रत्येक व्यक्त्ति हर घटना को हमसे पहले देखेगा।
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हमारे लिये भी प्रकाश की गति लगभग ३लाख किमी प्रति सेकंड होगी।
हमे यान और प्रकाश दोनो लगभग साथ जाते दिखेंगी।
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Beta mass is an energy and energy produce a pressure
To Maxwell equation
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मे जानता हु कि ब्रह्रमाण्ड विस्तार नही हो रहा है यह फिर से एक बिंदु पर संगित हो रहा है इस लिए यह पिंड एक दुसरे से दुर जा रहे है क्योकि ब्रह्रमाण्ड मे उपस्थित ऊर्जा छोटे छोटे खण्डो मे विभाजित हो गयी है ओर दुसरी ओर से श्याम पद्रार्थ के बल कि वजह से फिर से ब्रह्रमाण्ड एक बिंदु पर सगिंत हो रहा है जो कि इस ब्रह्रमाण्ड का अंत है
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Sir
Aap ko ek Android Apps banana chahiye
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आशीष श्रीवास्तव जी जो आप उपर
वाले टिप्पणी मे कहे की प्रकाश को देख सकते हैं
पर यह गलत हैं हम प्रकाश को नही देख सकते हैं लेकीन जो हमे दीखाई देता हैं वह प्रकाश नही वल्कि वह प्रकाश मे उपस्थित धुल कण को देखते हैं।
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आपकी आंखे धुलकणो से परावर्तित प्रकाश को देखती है।
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To nirvat me prakash kyo dikhai deta hai
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प्रकाश कहीं भी नहीं दिखाई देता। प्रकाश अदृश्य होता है। अंतरिक्ष में तो बिल्कुल नहीं। लेज़र चमका कर जो भी दिखता है वो धूल कण की वजह से दिखता है। निर्वात में नहीं दिखेगा। एक धूलरहित जगह पर खुद भी प्रयोग करके देख सकते हो।
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hame energy dikhai kyu nahi deti, jabki wo metter ke roop me na ho.
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आप प्रकाश देख सकते है जो ऊर्जा का एक रूप है। अन्य ऊर्जा के प्रभाव को देख सकते हैं।
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Prakash to nhi dikta!
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आप केवल प्रकाश ही देखते है।
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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Vigyaan wordpress bajut saati jaankaariya deti h ye bahut acchi site h..mera ye maana h ki is universh me jo bhi space h means jo bhi khaali jagah h eo khaali nahi h balki waha perlal univers majud h or bahut saare dinmentions bhi h jinka aabhhash hame nahi hota or jo dark energy h wo shaayad un universes ki natural forses h gravity or electro megnitic field jaisi.
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thanks hame aapke e-book ka intjar hai
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