“4 जुलाई 2012, को CERN ने एक प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई है,संभावना है कि इस कान्फ्रेंस मे हिग्स बोसान की खोज की घोषणा की जायेगी।
CERN ने कहा है कि उसने पांच अग्रणी भौतिकविदों को इसी सिलसिले में जिनेवा में आमंत्रित किया है। इससे इस बात की अटकलें लगने लगीं हैं कि हिग्स बोसान खोजा जा चुका है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार उम्मीद की जा रही है कि वैज्ञानिक कहेंगे की हिग्स बोसान को 99.99 फीसदी पा लिया गया है। स्वीट्जरलैंड में होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में जिन लोगों को आमंत्रित किया गया है उनमें एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के भौतिकी के प्रोफेसर पीटर हिग्स भी शामिल हैं, इनके नाम पर ही इस कण का नाम हिग्स बोसॉन रखा गया है।
गौरतलब है कि वैज्ञानिक इस कण की खोज के लिए ही 18 मील लंबी सुरंग में ‘द लार्ज हार्डन कोलाइडर’ की मदद से इस संबंध में प्रयोग कर रहे हैं। यह भूमिगत सुरंग फ्रांस और स्वीट्जरलैंड की सीमा पर स्थित है।”

समाचार पत्रो की सुर्खियों मे सामान्यतः राजनीति और फिल्मी गासीप के लिये ही जगह होती है, विज्ञान के लिये कम और कण भौतिकी के लिये तो कभी नही। लेकिन हिग्स बोसान इसका अपवाद है, लेकिन शायद यह भी इसके विवादास्पद उपनाम “ईश्वर कण” के कारण है। यह कण पिछले कुछ वर्षो (या दशको) से सुर्खियों मे है। यह कण समस्त ब्रह्माण्ड के द्रव्यमान के लिये उत्तरदायी है, शायद इसीलिए सारी निगाहे इसी कण पर टिकी है। यदि इस कण का आस्तित्व है, तब हम ब्रह्माण्ड के समस्त रहस्यों को तो नही लेकिन एक बड़ी गुत्त्थी सुलझा लेंगें।
हिग्स बोसान क्या है, इसे समझने के लिये हमे ब्रह्माण्ड की कार्यप्रणाली को समझाने वाले सबसे सफल सिद्धांत स्टैंडर्ड माडेल(मानक प्रतिकृति) को समझना होगा। इस स्टैंडर्ड माडेल के पीछे हमारा कण भौतिकी का अब तक प्राप्त समस्त ज्ञान (सैद्धांतिक और प्रायोगिक) है। इस सिद्धांत के अंतर्गत हमने पिछली सदी मे परमाणु, प्रोटान, न्युट्रान खोजे हैं , उसके पश्चात अंतिम पदार्थ कणो के रूप मे क्वार्क और लेप्टान खोजे हैं। लेकिन ब्रह्माण्ड मे केवल पदार्थ कण ही नही होते है, उसमे इन कणो पर कार्य करने वाले बल वाहक कणो का भी समावेश होता है। स्टैंडर्ड माडेल हमे बताता है कि पदार्थ कण और बल वाहक कण किस तरह कार्य करते है, हम अपने आस पास जो भी कुछ देखते है, महसूस करते है, उसके पीछे कौनसा बल, कौनसी कार्य प्रणाली कार्य करती है। स्टैंडर्ड माडेल को हम एक तरह से प्रकृति का संविधान कह सकते है, उसका हर कार्य इसके नियमो से बंधा हुआ है।
स्टैंडर्ड माडेल का संक्षेप कुछ इस तरह से है: इस सिद्धांत का विकास 1970 के प्रारंभ मे हुआ था। इसके अनुसार हमारा ब्रह्माण्ड 12 तरह के पदार्थ कणो और चार बलो से निर्मित है। इन 12 कणो मे छः क्वार्क और छः लेप्टान हैं। क्वार्क मिलकर प्रोटान और न्युट्रान बनाते है, लेप्टान परिवार मे इलेक्ट्रान तथा इलेक्ट्रान-न्युट्रीनो होते है। इलेक्ट्रान , न्युट्रान और प्रोटान मिलकर परमाणु बनाते है, इन्ही परमाणुओं से समस्त ब्रह्माण्ड का दृश्य पदार्थ बना है। वैज्ञानिक मानते हैं कि क्वार्क और लेप्टान अविभाज्य है अर्थात उन्हे इससे छोटे कणो मे तोड़ा नही जा सकता है। इन कणो के अतिरिक्त स्टैंडर्ड माडेल मे चार बल है, गुरुत्वाकर्षण, विद्युत-चुंबक, मजबूत नाभिकिय और कमजोर नाभिकिय।
स्टैंडर्ड माडेल एक प्रभावी सिद्धांत है , केवल एक ही कमी है कि यह गुरुत्वाकर्षण का समावेश नही कर पाता है। इस सिद्धांत के अनुसार वैज्ञानिको ने कुछ कणो का पूर्वानुमान लगाकर उन्हे खोजने मे सफलता पायी है। लेकिन दुर्भाग्य से इस सिद्धांत का एक कण अभी तक खोजा नही जा सका है, वह है हिग्स बोसान।
हिग्स बोसान : पहेली का अंतिम भाग

वैज्ञानिको के अनुसार हर बल का एक वाहक कण होता है जिसे बोसान कहते है। यह बोसान पदार्थ से प्रतिक्रिया करता है और बल का आभास उत्पन्न करता है। इसे समझना थोड़ा कठिन है, क्योंकि हम बलों को एक ऐसी रहस्यपूर्ण, अलौकिक वस्तु के रूप मे मानते है जो अस्तित्व और शून्य के मध्य झुलते रहती है। लेकिन वास्तविकता मे बलो का पदार्थ के जैसे ही आस्तित्व होता है।
कुछ भौतिक वैज्ञानिको के अनुसार बोसान किसी रहस्यमय रबर-बैंड द्वारा पदार्थ कण से बांधे गये भार के जैसे होते है। इस उपमा से हम समझ सकते है कि इन बोसान कणो के फलस्वरूप पदार्थ कण का आस्तित्व अचानक किसी क्षण शून्य हो जाता है; वहीं दूसरी तरफ ये पदार्थ कण दूसरे पदार्थ कणो के रबर बैंड से बंधे बोसान कणो से गुंथ जाये है। यही क्रिया पदार्थ कणो के मध्य बलों का आभास कराती है।
वैज्ञानिको के अनुसार हर मूलभूत बल का एक एक विशिष्ट बोसान है। उदाहरण के लिये विद्युत-चुंबकिय बल के प्रभाव के लिये पदार्थ फोटान का उत्सर्जन/अवशोषण करता है। इसी तरह हिग्स बोसान एक बलवाहक कण है जो द्रव्यमान को ही उत्पन्न करता है।
लेकिन क्या पदार्थ मे हिग्स बोसान की अस्पष्ट, पेचिदा अवधारणा का समावेश ना करते हुये स्वयं का द्रव्यमान नही हो सकता है ?
नही, स्टैंडर्ड माडेल के अनुसार, द्रव्यमान के लिये हिग्स बोसान आवश्यक है। भौतिक वैज्ञानिको के अनुसार किसी भी पदार्थ कण का द्रव्यमान नही होता है। वे हिग्स क्षेत्र से गुजरते हुये द्रव्यमान प्राप्त करते है। यह हिग्स क्षेत्र भिन्न भिन्न कणो को भिन्न भिन्न तरिके से प्रभावित करता है। इस क्षेत्र से फोटान अप्रभावित हुये गुजरते है, वहीं W तथा Z बोसान अपने भार से रूक जाते है। यह कुछ तरण ताल मे तैरते तैराक के जैसा है, इसमे जल को हिग्स क्षेत्र के रूप मे माना जा सकता है, वहीं तैराक को पदार्थ कण। जिस तरह तैराक , जल के प्रतिरोध से अपने भार को अनुभव करता है, उसी तरह से पदार्थ कण हिग्स क्षेत्र के प्रतिरोध से द्रव्यमान महसूस करता है।
यदि हिग्स बोसान का आस्तित्व है, हर द्रव्यमान रखने वाले कण का द्रव्यमान उसके द्वारा हिग्स क्षेत्र से प्रतिक्रिया का परिणाम है। अन्य बल क्षेत्रो से विपरीत हिग्स क्षेत्र समस्त ब्रह्माण्ड मे व्याप्त है, इसकी पहुंच से बाहर कुछ नही है। जिस तरह से हर बल के लिए एक वाहक कण चाहीये, उसी तरह से हिग्स क्षेत्र का वाहक कण हिग्स बोसान है।
4 जुलाई 2012 CERN की एक प्रेस कांन्फ्रेंस मे शायद इसी ईश्वर कण की खोज की घोषणा संभव है।
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Jinhe science pe vishwas nhi hai, unhe scientific chhijho ka use ka koi hak nhi!
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आप की कोशिशे अवश्य सफल होगी।
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हर वैज्ञानिक सफलता का श्रेय लेने वाले एवं धर्म और ईश्वर को विज्ञान की कसौटी पर कसने का असफल प्रयास करने वाले सभी धर्म के ठेकेदारों से मेरा विनम्र निवेदन है कि विश्व में वैज्ञानिक अविष्कारों के लिए अनुसंधानों पर होने वाले अरबों खरबों रुपयों के खर्चों को बचाएं और एक बार में सारी वैज्ञानिक तकनीक अपने ग्रंथों से निकाल कर मानव कल्याण हेतु समर्पित कर दें |..
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मदन जी ,
मानवता इन ठेकेदारों की आभारी रहेगी.
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app ka lekh kafhi accha hai …..danyabad …main bhi kuchh batana chahta hu shayad meri bat kahane ka ye godd platform hai ……kripaya ans jarur dijiyega ,,,,,
[लेख से असंबधित भाग संपादित]- आशीष
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महत्वपूर्ण जानकारी…
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अब शायद भौतिकी एक कदम आगे और बढे।
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