क्वार्क और लेप्टान
अभी तक आपने पढा़ है कि आकाशगंगा से लेकर पर्वत से लेकर अणु तक सब कुछ क्वार्क और लेप्टान से बना है। लेकिन यह पूरी कहानी नही है। क्वार्क का व्यवहार लेप्टान से भिन्न होता है। हर पदार्थ कण का एक प्रतिपदार्थ कण(antimatter particle) होता है।

यदि आपने इस श्रृंखला का प्रारंभिक लेख नही पढा़ है, तो आगे बढ़ने से पहले उसे पढ़ें।
पदार्थ और प्रतिपदार्थ
अभी तक हमने जितने भी पदार्थ कण खोजे है, उन सभी पदार्थ कणो का एक प्रतिपदार्थ कण या प्रति कण मौजूद है
प्रति कण अपने संबधित कण के जैसे ही दिखते और व्यवहार करते है लेकिन उनका आवेश विपरीत होता है। उदाहरण के लिए प्रोटान का धनात्मक आवेश होता है लेकिन प्रतिप्रोटान का आवेश ऋणात्मक होता है। गुरुत्वाकर्षण आवेश से प्रभावित नही होता है लेकिन द्रव्यमान से प्रभावित होता है इसलिये पदार्थ और प्रतिपदार्थ दोनो पर गुरुत्वाकर्षण का समान व्यवहार होता है। पदार्थ कण का द्रव्यमान प्रतिपदार्थ कण के समान ही होता है।
जब पदार्थ कण प्रति-पदार्थ कण से टकराता है, दोनो नष्ट होकर ऊर्जा मे बदल जाते है।

प्रतिपदार्थ क्या है?

रूकीये रूकीये, थोड़ा धीमे! “प्रति–पदार्थ ?”,”ऊर्जा ?” यह सब क्या है, स्टार ट्रेक ?
प्रतिपदार्थ की संकल्पना विचीत्र है। यह उस समय और विचीत्र हो जाती है सारा का सारा ब्रह्मान्ड पदार्थ से निर्मित लगता है। सामान्य बुद्धि के अनुसार पदार्थ की मात्रा और प्रति-पदार्थ की मात्रा समान होना चाहीये लेकिन ऐसा नही है। हम जितना भी ब्रह्मांड दे सकते है, सारा का सारा ब्रह्मांड पदार्थ से निर्मित है। प्रति-पदार्थ हमारी ब्रह्माण्ड से संबधित हर जानकारी के विपरीत लगता है।
लेकिन आप प्रतिपदार्थ के प्रमाण शुरुवाती बबल चैम्बर( bubble chamber ) के चित्र मे देख सकते है। इस कक्ष मे उपस्थित चुंबकीय क्षेत्र ऋण आवेश के कणो को बांये मोड़ता है तथा धन आवेश के कणो को दायें। इस चित्र मे कई इलेक्ट्रान और पाजीट्रान युग्म अज्ञात से उत्पन्न होते दिखायी देते है, लेकिन वास्तविकता मे वे फोटान से निर्मित है और फोटान अपनी कोई निशानी नही छोड़ता है। पाजीट्रान वस्तुतः प्रति-इलेक्ट्रान है, वह इलेक्ट्रान के जैसे ही है लेकिन धन आवेश युक्त होने के कारण दायें मुड़ता है। चित्र मे एक इलेक्ट्रान-पाजीट्रान युग्म को दिखाया गया है।
यदि प्रतिपदार्थ और पदार्थ एक जैसे ही है लेकिन विपरीत आवेश के है, तब ब्रह्माण्ड मे प्रतिपदार्थ की तुलना मे पदार्थ ज्यादा क्यों है?
ह्म्म … इसका उत्तर हम अभी अच्छी तरह से नही जानते है। इस प्रश्न से कई भौतिक वैज्ञानिकों की नींद उड़ी हुयी है।
(सामान्यतः किसी प्रतीकण का चिह्न उससे संबधित कण के उपर एक रेखा(बार) बनाकर होता है।) उदाहरण के लिए “अप क्वार्क u” से संबधित “अप प्रति क्वार्क” को ü से दर्शाया जाता है, इसे यु-बार पढ़ते है। क्वार्क का प्रति कण प्रति-क्वार्क है, प्रोटान का प्रतिकण प्रतिप्रोटान और ऐसे ही सभी कणो के अपने अपने प्रतिकण है। प्रतिइलेक्ट्रान को पाजीट्रान कहते है और इसे e+ से दर्शाते है।)
क्वार्क क्या है?

क्वार्क पदार्थ कणो का एक मूलभूत प्रकार है, इसे और तोड़ा नही जा सकता है। अधिकतर पदार्थ जो हम अपने आसपास देखते है वह प्रोटान और न्युट्रान से निर्मित है। और ये प्रोटान तथा न्युट्रान क्वार्क से बने होते है। हमारे आस पास का समस्त पदार्थ इन्ही क्वार्को से निर्मित है।
कुल छः क्वार्क होते है लेकिन भौतिकवैज्ञानिक उन्हे तीन युग्मो मे रखते है : अप/डाउन, चार्म/स्ट्रेन्ज तथा टाप/बाटम। (इन सभी क्वार्को के अपने प्रति-क्वार्क भी होते है।) इन क्वार्को के नाम विचित्र है इसलिये इन्हे याद रखना आसान है।
क्वार्क एक असामान्य गुण रखते है, इनका विद्युत आवेश भिन्न मे होता है, जोकि प्रोटान(+1) और इलेक्ट्रान(-1) के पूर्णांक आवेश से अलग है। क्वार्क का एक और भिन्न गुणधर्म होता है, रंग आवेश(colour charge)। इसे हम आगे देखेंगे।
सबसे दुर्लभ क्वार्क टाप है, जो 1995 मे खोजा गया लेकिन इसकी संकल्पना इसके 20 वर्षो पहले ही हो चुकी थी।
क्वार्को का नामकरण
1964 मे मुर्रे गेलमन और जार्ज झ्वीग ने सुझाया कि उस समय तक के ज्ञात सैकड़ो कणो तीन मूलभूत कणो से निर्मित हो सकते है। गेलमन ने उन्हे क्वार्क नाम दिया। क्वार्क शब्द का कोई अर्थ नही है, इस शब्द को जेम्स जायस(James Joyce ) के उपन्यास ’फ़ीनेगन्स वेक(Finnegan’s Wake)’ के एक वाक्य से लिया गया है।
“Three quarks for Muster Mark!”
सही रूप से गणना करने के लिए क्वार्को को भिन्नात्मक आवेश 2/3 तथा -1/3 दिया गया। क्वार्को से पहले ऐसा भिन्नात्मक आवेश नही पाया गया था, इलेक्ट्रान और प्रोटान का आवेश हमेशा पूर्णांक अर्थात (+1, -1) था। इसके पहले क्वार्को का निरीक्षण भी नही हुआ था, तब यह माना गया कि ये एक गणितीय कल्पना मात्र होंगे। लेकिन उसके बाद के प्रयोगो से प्रमाणित हो गया कि क्वार्को का आस्तीत्व है और वे तीन नही छः तरह के है।
क्वार्को को विचित्र नाम कैसे दिये गए ?
क्वार्क के छः प्रकार है। इनमे से सबसे हल्के क्वार्को को अप और डाउन नाम दिया गया।
तीसरे क्वार्क को स्ट्रेंज(विचित्र) कहा गया क्योंकि यह विचित्र रूप से लबी आयु वाले K कण मे पाया गया, जोकि इस क्वार्क से निर्मित प्रथम ज्ञात कण था।
चौथे क्वार्क को ऐसे ही मस्ती मे चार्म कहा गया। वैज्ञानिक भी मानव ही है, जो मन मे आया नाम रख दिया। इसे 1974 मे एक साथ स्टैनफर्ड रैखीक कण त्वरक(Stanford Linear Accelerator Center – SLAC) तथा ब्रूकहेवन राष्ट्रीय प्रयोगशाला(Brookhaven National Laboratory) मे खोजा गया।
पांचवे और छठे क्वार्क को किसी समय ट्रुथ(सत्य) और ब्युटी(सुंदरता) कहा जाता था।
बाटम क्वार्क को फ़र्मीलैब मे 1977 मे खोजा गया, इसे एक मिश्रित कण ‘अपसीलान(Υ)’ मे पाया गया था।
टाप क्वार्क सबसे अंत मे फर्मीलैब मे ही 1995 मे पाया गया। यह सबसे भारी क्बार्क है। यह अपनी संकल्पना के 20 वर्षो बाद खोजा गया।
हेड्रान, बारयान और मेसान
सामाजिक हाथीयों की तरह क्वार्क हमेशा समूह मे रहते है, वे कभी भी अकेले नही पाये जाते है। क्वार्क से बने यौगिक कण हेड्रान कहलाते है।
हेड्रान
एक क्वार्क का विद्युत आवेश भिन्नात्मक होता है लेकिन वे इस तरह मिलकर किसी कण का निर्माण करते है कि कुल विद्युत आवेश हमेशा पूर्णांक होता है। हेड्रान का एक और गुणधर्म यह है कि इन रंग हमेशा रंगहीन होता है, जबकि क्वार्को का अपना रंग होता है। इसे हम आगे देखेंगे।
हेड्रान के दो प्रकार होते है :बारयान और मेसान
बारयान
बारयान यह तीन क्वार्क से बने होते है। प्रोटान और न्युट्रान भी बारयान है। प्रोटान(uud) दो अप और एक डाउन क्वार्क से बना होता है। वहीं न्यूट्रॉन(ddu) दो डाउन और एक अप क्वार्क से बना होता है।

मेसान
मेसान एक क्वार्क(q) और एक प्रतिक्वार्क(q bar) से बना होता है।
मेसान का एक उदाहरण पाइआन(pion π+) है,जोकि एक अप क्वार्क और एक डाउन प्रतिक्वार्क से बना होता है। मेसान का प्रतिकण मे क्वार्क और प्रतिक्वार्क की स्थिती परिवर्तित हो जाती है इसलिए प्रति-पाइआन(π–) एक डाउन क्वार्कऔर एक अप प्रतिक्वार्क बना होता है।
मेसान एक कण और एक प्रतिकण से बने होते है और अस्थायी होते है। केआन(K–) मेसान की आयु सभी मेसान मे सबसे ज्यादा होती है जो कि विचित्र है। इसलिए इसके एक घटक क्वार्क को विचित्र (स्ट्रेन्ज) नाम दिया गया है।

क्या आप जानते है?
हेड्रान के बारे मे सबसे विचित्र तथ्य यह है कि इसका द्रव्यमान इसे बनाने वाले क्वार्को के कुल द्रव्यमान से ज्यादा होता है, इसके कुल द्रव्यमान का एक छोटा भाग ही इसके क्वार्को के द्रव्यमान से आता है। उदाहरण के लिए एक प्रोटान (uud) का द्रव्यमान इसके तीनो क्वार्को के द्रव्यमान से कहीं ज्यादा है।
हेड्रान का अधिकतर द्रव्यमान उसकी गतिज(kinetic) और विभुव(potential) ऊर्जा से आता है। यह ऊर्जायें हेड्रान के द्रव्यमान के रूप मे परिवर्तित हो जाती है। ऊर्जा और द्रव्यमान के मध्य यह संबध आइंस्टाइन के समीकरण से स्पष्ट है।
E = mc2
अगले भाग मे लेप्टान
यह लेख श्रृंखला माध्यमिक स्तर(कक्षा 10) की है। इसमे क्वांटम भौतिकी के सभी पहलूओं का समावेश करते हुये आधारभूत स्तर पर लिखा गया है। श्रृंखला के अंत मे सारे लेखो को एक ई-बुक के रूप मे उपलब्ध कराने की योजना है।
और सर बाकि चार क्वार्क का क्या मतलब है ?
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इस श्रृंखला के बचे लेख पढ़ो।
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सर क्वार्क परिवार से क्या मतलब है|छ: क्वार्क कुछ समझा नही
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कुल छ: तरह के क्वार्क है जिन्हे सम्मिलित रूप से क्वार्क परिवार कहा जाता है।
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सर मतलब न्यूटरोंन और प्रोटोन क्वार्क के बने है और वो ही क्वार्क छ: तरह के बने है…सर क्या मेने सही लिखा
और सर उन छ: क्वार्को से जो न्यूत्रोन और प्रोटोन बने है तो अलग-अलग क्वार्क से न्यूत्रोन और प्रोटोन पर कोई असर होता हे क्या?
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निखिल प्रोटान और न्युट्रान दोनो अलग अलग मात्रा मे क्वार्को से बने है। न्युट्रान मे दो डाउन और एक अप क्वार्क होता है, जबकी प्रोटान मे दो अप और एक डाउन क्वार्क होता है।
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क्या क्वाको के रंग होते हैं? लेख से समझ नहीं आया।
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क्वार्क के रंग किसी पदार्थ के रंग के जैसे नही होते है। वैज्ञानिको को इन क्वार्क के विशिष्ट गुण के लिये कोई नाम देना था, उन्होने उसे color या रंग कहना प्रारंभ कर दिया। आप चाहे तो इन्हे रंग की बजाय प्रकार भी मान सकते है।
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i am very impress to this style
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भारत आप जैसे लोगो की वजह से ही महान हैं।
आशा है ऐसे ही बढ़िया जानकारी आगे भी देते रहेंगे।
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meson ek quark + ek antyquark se banta h to dono takrakar nasht nhi hote kya …….to usse paida hui energy kahan jati h..
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वंदना जी,
आप सही है, मेसान अस्थायी कण होते है। इनकी आयु बहुत कम होती है और जल्दी ही दूसरे कणो तथा ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाते है। मेसान जैसे कण सामान्य स्थितियों मे नही पाये जाते है। ये कण उच्च ऊर्जा पर जैसे दो प्रोटानो को अत्यंत तेज गति (प्रकाशगति के समीप)से टकराने पर उत्पन्न होते है।
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बाप र बाप में तो पागल हो जाउगा ये क्या है
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बहुत ही गूढ विषय पर गम्भीर जानकारी। आभार।
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क्या आप टाइगर मम्मी हैं?
रितुमाला: अनचाहे गर्भ से बचने का प्राकृतिक उपाय।
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थोड़ा और दिमाग लगाना पड़ेगा लगता है… अभी ऊपर से जा रहा है 🙂
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बहुत सही ! सराहनीय है जी.
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बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी
आभार
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ji, magar bina ganit aur sameekarno ke to bhautiki adhoori hi hai!
Mere khayal se aap jaha jaroorat pade waha per inka prayog keejiye. Jisse bhautiki me adhoorapan na ho. Ha, jinhe ganit na padhni ho, wo aasani se us line ko chhod sakte hain.
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बढ़िया। अब विज्ञान की दुकान जम रही है!
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बेहतरीन, मुझे लगता है अधिकतर लोगों को विज्ञान समझाने के लिए दसवीं कक्षा का स्तर ही बेहतर है।
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Bahut hi sunadar dhang se prastut kiya gaya lekh…!
Apki quantum bhautiki ki ye srankhla achchhi hai. Abhi aur kitne lekh isme likhe jayenge? Aur kya apka uddeshya poori yani modern physics tak ki quantum physics ki jankari dene ka hai? Ye to bahut achchha hoga!
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इस श्रृंखला मे 10 के आसपास लेख होंगे। यह सभी कण क्वार्क, लेप्टान, चारो मूलभूत बल, कणो का क्षय, रेडीयो सक्रियता, कण त्वरक जैसे विषयो पर रहेगी। लेकिन इसमे जटिल गणित/समीकरण नही होंगे। समय मिला तो कुछ पोस्टर भी होंगे।
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