
लगभग 13 वर्ष पहले यह खोज हुयी थी कि ब्रह्माण्ड की अधिकांश ऊर्जा तारों या आकाशगंगा मे ना होकर अंतराल से ही बंधी हुयी है। किसी खगोलवैज्ञानिक की भाषा मे एक विशाल खगोलीय स्थिरांक (Cosmological Constant) की उपस्थिति का प्रमाण एक नये सुपरनोवा के निरिक्षण से मीला था। इस खगोलीय स्थिरांक (लैम्डा) की उपस्थिती के पक्ष मे यह प्रथम सलाह नही थी, यह तो आधुनिक खगोल विज्ञान के जन्म से विद्यमान थी। लेकिन वैज्ञानिक इस खगोलीय स्थिरांक की उपस्थिति से बैचेन थे क्योंकि यह खगोलिय स्थिरांक ज्ञात ऊर्जा श्रोत (तारे, निहारिका, आकाशगंगा या श्याम विवरो) से जुड़ा ना होकर, निर्वात अंतरिक्ष से जुड़ा हुआ है। निर्वात की ऊर्जा समझ से बाहर है।
पिछले तेरह वर्षो मे स्वतंत्र वैज्ञानिको के समूहो ने इस खगोलीय स्थिरांक की उपस्थिति के समर्थन मे पर्याप्त आंकड़े जुटा लीये है। ये आंकड़े प्रमाणित करते है कि एक विशाल खगोलीय स्थिरांक अर्थात श्याम ऊर्जा(Dark Energy) का अस्तित्व है। इस श्याम ऊर्जा के परिणाम स्वरूप ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति मे तेजी आ रही है। इस खोज के लिए वर्ष 2011 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तीन खगोल वैज्ञानिको साउल पर्लमटर(Saul Perlmutter), ब्रायन स्कमिड्ट( Brian P. Schmidt) तथा एडम रीस(Adam G. Riess) को दीया जा रहा है।
प्रस्तुत चित्र 1994 के एक सुपरनोवा विस्फोट का है जो एक स्पायरल आकाशगंगा के बाह्य क्षेत्र मे हुआ था। इस विस्फोट के निरिक्षण से प्राप्त आंकड़े भी इस श्याम ऊर्जा की उपस्थिति के प्रमाणन मे प्रयुक्त हुये है।

बड़िया। धन्यवाद हिंदी में इस प्रकार की जानकारी देने के लिये।
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बढ़िया. इनके बारे में भी थोड़ी और जानकारी होती तो अच्छा लगता.
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