
विज्ञान फतांसी कथायें सामान्यतः ऐसी कल्पित कहानियाँ होती है,जिसकी घटनाये वैज्ञानिक आधार पर संभव होती हैं और वे विज्ञान के मूलभूत नियमो का उल्लंघन नही करती हैं। इन कथाओं का घटनाक्रम भविष्य, भविष्य का विज्ञान और तकनिकी ज्ञान, अंतरिक्ष यात्रा अथवा परग्रही प्राणीयों पर केन्द्रित होता है। कभी कभी वैज्ञानिक आविष्कारों के परिणामो का अध्ययन भी इन कथाओं का उद्देश्य होता है।
विज्ञान गल्प मे तर्कसंगत ढंग से प्रस्तुत समांतर विश्व या भविष्य का भी समावेश होता है। यह जादुई या तिलस्मी कहानीयों के जैसे ही लेकिन भिन्न होती है क्योंकि इस गल्पो की घटनायें वैज्ञानिक आधार पर संभव होती है। इन कहानीयों का घटनाक्रम और पात्र काल्पनिक होते है लेकिन वे विज्ञान के मूलभूत नियमों का पालन करते है।
विज्ञान फतांसी कथायें सामान्यतः ज्ञात वास्तविकता से भिन्न होती है लेकिन वे अविश्वास/कल्पना को वैज्ञानिक तथ्यो से विलोपित करती हैं।
विज्ञान फंतांसी कहानीयों मे मुख्य घटनाक्रमो मे सामान्यतः निम्नलिखीत होते है :
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स्टार ट्रेक मे टेलीपोर्टेशन भविष्य के घटनाक्रम पर आधारित कथा , पर्यायी समयक्रम(alternate timeline)/समांतर विश्व(parallel world) आधारित कथा अथवा ऐसी कथा जो ज्ञात ऐतिहासिक तथ्यो से भिन्न हो।
- अंतरिक्ष आधारित घटनाक्रम अथवा पृथ्वी बाह्य ग्रह पर अथवा किसी अंतरिक्ष यान पर घटनाक्रम।
- कथा के पात्र परग्रही(alien), परिवर्तित प्राणी(Mutant), ऎन्ड्रोइड(मशीनी मानव) या रोबोट होते है।
- कथाओं की तकनीक भविष्य के विज्ञान पर आधारित होती है जैसे किरण शस्त्र(Ray Gun),टेलीपोर्टेशन मशीन, संगणक मानव।
- नवीन वैज्ञानिक सिद्धांत अथवा ऐसे वैज्ञानिक सिद्धांत जो प्रकृति के ज्ञात नियमो के विपरित है, जैसे समय यात्रा, श्वेत वीवर(Wormhole) या प्रकाश गति से तेज यात्रा।
- परामानसिक क्षमतायें जैसे मस्तिष्क नियंत्रण, टेलीपैथी अथवा टेलीपोर्टेशन

विज्ञान फतांसी कथाओं के लेखको मुख्य रूप से एच जी वेल्स, जूल्स वर्न, आर्थर सी क्लार्क, आइजेक आशीमोव तथा कार्ल सागन प्रमुख है। भारतीय विज्ञान फंतासी लेखको मे सत्यजित रे, जयंत विष्णु नारळीकर का नाम आता है। विज्ञान फतांसी कथाओ मे एच जी वेल्स का “द टाईम मशीन“, आर्थर सी क्लार्के का “2001 ए स्पेस ओडीसी” विश्व प्रसिद्ध है।
विज्ञान फतांसी फिल्मो और टीवी धारावाहिको की एक लंबी सूची है, जिसमे प्रमुख है, स्टार ट्रेक, स्टार वार, टर्मीनेटर इत्यादि। दूरदर्शन पर स्टार ट्रेक के जैसा ही विज्ञान फंतासी धारावाहिक स्पेस सीटी सीग्मा शायद याद हो।
इस लेख माला का उद्देश्य है, विज्ञान गल्प और उन पर आधारित फिल्मो, धारावाहिको के पिछे छुपे विज्ञान को सामने लाना।
इस लेख माला के मुख्य विषय है:
- टेलीपोर्टेशन : इस तकनीक मे जिसमे किसी भी जीवित या मृत वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है। वर्तमान मे यह तकनिक अपनी शुरुवाती अवस्था मे है, और मानव कुछ परमाणुओं को टेलीपोर्ट करने मे सफल हो चुका है। हमारे विज्ञान गल्प टेलीपोर्टेशन के बारे मे क्या कहते है? क्या दिखाते है ? इन कथाओं का कितना भाग संभव है ?
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समय यात्रा समय यात्रा : क्या समय यात्रा संभव है ? कैसे ? समय यात्रा से उत्पन्न विरोधाभासों का क्या होगा ?
- प्रकाश गति से तेज यात्रा : क्या यह संभव है ? कैसे ? स्टार ट्रेक के यान प्रकाशगति से तेज यात्रा कैसे करते है?
- सुरक्षा कवच : ’स्टार ट्रेक’ के ’यु एस एस एन्टरप्राइज’ के शील्ड के जैसा एक ऐसा कवच जो किसी भी तरह के आक्रमण जैसे तोप, मिसाइल, लेजर से आपको बचाये! क्या यह संभव है ? कैसे ?
- कृत्रिम बुद्धि(Artificial Intelligence) : क्या कृत्रिम बुद्धि संभव है ? इसके क्या परिणाम होंगे ? क्या रोबोट या कम्प्यूटर मानव जाति को अपने नियंत्रण मे ले सकते है जैसा कि ”टर्मीनेटर” फिल्म मे दिखाया गया है?
- अर्ध-मशीनी मानव : क्या मानव शरीर के पुर्जो को मशीन से बदला जा सकता है ? क्या अर्ध मशीनी मानव बनाये जा सकते है जैसा कि ’ यूनिवर्सल सोल्जर’ मे दिखाया गया था?
- टेलीपैथी: क्या यह संभव है ? क्या मानव मस्तिष्क संगणको को टेलीपैथी से नियंत्रित कर सकता है ?
इसी लेखमाला की के अगले भाग मे हम चर्चा करेंगे टेलीपोर्टेशन की। स्टार ट्रेक के दर्शको को तो याद ही होगा
“Beam me up Scotty”

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Human brain ne jo b idea aata h wo nature me exist karta h,chahe wo present me h ya nahi….future me possible h..!
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रोचक होगी यह लेखमाला …
काफी कुछ सिखने को मिलेगा
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विज्ञान कथाओं के दो मुख्य वर्ग है -एक फंतासी और दूसरा फिक्शन -फिक्शन में ज्ञात वैज्ञानिक मान्यताओं का उल्लंघन नहीं होता जबकि फंतासी के लिए ऐसा कोई प्रतिबन्ध नहीं है ..उसमें कल्पना के घोड़ों को उन्मुक्त छोड़ दिया जाता है ….दरअसल हिन्दी का विज्ञान कथा टर्म इन दोनों वर्गों का सम्मलित प्रतिनिधित्व करता है ….बंगला में यह विज्ञान गल्प है …..
रोचक होगी यह लेखमाला …
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आगामी कडियों की प्रतीक्षा रहेगी।
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जै हिन्दी, जै ब्लॉगिंग।
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
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रोचक पोस्ट,सिग्मा हमार मन पसंद कार्यक्रम जिसे हर हाल में देखना ही होता था…
बचपन याद आ गया…
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