अंतरिक्ष यात्रा मानव इतिहास के सबसे अद्भूत प्रयासो मे एक है। इस प्रयास मे सबसे अद्भूत इसकी जटिलता है। अंतरिक्ष यात्रा को सुगम और सरल बनाने के लिये ढेर सारी समस्या को हल करना पडा़ है, कई बाधाओं को पार करना पड़ा है। इन समस्याओं और बाधाओं मे प्रमुख है:
- अंतरिक्ष का निर्वात
- उष्णता नियंत्रण और उससे जुड़ी समस्याएं
- यान की वापिसी से जुड़ी कठिनाइयाँ
- यान की कक्षिय गति और यांत्रिकी
- लघु उल्कायें तथा अंतरिक्ष कचरा
- ब्रह्मांडीय तथा सौर विकिरण
- भारहीन वातावरण मे टायलेट जैसी मूलभूत सुविधाएँ
लेकिन सबसे बड़ी कठीनाई अंतरिक्ष यान को धरती से उठाकर अंतरिक्ष तक पहुंचाने के लिये ऊर्जा का निर्माण है। राकेट इंजीन यही कार्य करता है।
एक ओर राकेट इंजीन इतने आसान है कि आप राकेट प्रतिकृति का निर्माण कर सकते है और उड़ा सकते है। इसके निर्माण मे ज्यादा खर्च भी नही आता है। दिपावली मे आप राकेट की प्रतिकृति उड़ाते ही है। दूसरी ओर राकेट इंजीन और उनकी इंधन प्रणाली इतनी जटिल है कि अब तक केवल तीन देश ही मानव को अंतरिक्ष मे भेजने मे सक्षम हुयें हैं। इस लेख मे हम राकेट इंजीन और उसके निर्माण से जुड़ी जटिलताओं को जानने का प्रयास करेंगे।
जब भी हम इंजीन की बात करते है, हमारे मन मे घुमती हुयी यंत्र प्रणाली का चित्र आता है। जैसे किसी कार मे प्रयुक्त गैसोलीन इंधन पर आधारित इंजीन जो घुर्णन के द्वारा पहीयो को गति देती है। एक विद्युत मोटर घूर्णन गति से पंखे को घुमाती है। भाप इंजीन यही कार्य किसी भाप टर्बाइन मे करता है।
राकेट इंजीन इन परंपरागत इंजीनो से भिन्न है। राकेट इंजीन प्रतिक्रिया इंजीन है। इन इंजनो के मूल मे न्युटन का तीसरा नियम है। इसके अनुसार किसी भी क्रिया की विपरित किंतु तुल्य प्रतिक्रिया होती है। राकेट इंजीन एक दिशा मे भार उत्सर्जन करता है और दूसरी दिशा मे होने वाली प्रतिक्रिया से लाभ उठाता है।

“भार उत्सर्जन कर उससे लाभ उठाने” के सिद्धांत को समझना थोड़ा कठिन लग सकता है, क्योंकि यह नही बता पा रहा है कि वास्तविकता मे क्या हो रहा है। राकेट इंजिन मे तो ज्वालायें, तीव्र ध्वनि, दबाव ही दिखायी देते है, उससे कुछ उत्सर्जन होते हुये तो पता नही चलता है! कुछ आसान उदाहरण से इसे समझते है।
- आपने एक गुब्बारे मे हवा भरकर उसे छोड़ा ही होगा। गुब्बारा उसके अंदर की हवा के खत्म होने तक तेज गति सारे कमरे मे इधर उधर उड़ता फिरता है। यह एक छोटा सा राकेट इंजीन ही है। गुब्बारे के खूले सीरे से हवा बाहर उत्सर्जित होते रहती है, जिससे उसकी विपरीत दिशा मे गुब्बारा जा रहा होता है। हवा का भी भार होता है। विश्वास ना हो तो एक खाली गुब्बारे का वजन और उसके बाद हवा भरकर गुब्बारे का वजन लेकर देंखें।
- आपने अग्निशामक दल के कर्मियों को पानी की धार फेंकने वाले पाइप को पकड़े देखा होगा। इस पाइप को पकड़ने काफी शक्ति चाहीये होती है, कभी दो तीन कर्मी इस पाइप को पकड़कर रखते है। इस पाइप से तेज गति से पानी बाहर आता है, जिससे उसके विपरीत दिशा मे प्रतिक्रिया होती है जिसे अग्निशामन दल के कर्मी अपनी शक्ति से नियंत्रण मे रखते है। यह भी राकेट प्रणाली का एक उदाहरण है।
- किसी बंदूक से गोली दागे जाने पर बंदूक के बट से पीछे कंधे पर धक्का लगता है। यह पिछे कंधे पर लगने वाला धक्का ही गोली के सामने वाली दिशा के जाने की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप है। यदि आप किसी स्केटबोर्ड (पहीयो वाली तख्ती) पर खड़े हो कर यदि गोली चलायें तो तब आप उसके धक्के से विपरित दिशा मे जायेंगे। गोली का दागा जाना भी एक राकेट इंजन के जैसे कार्य करेगा।
- पानी मे नाव : जब आप चप्पू चलाते है, तब पानी को पीछे धकेलते है, प्रतिक्रिया स्वरूप नाव विपरीत दिशा मे बढ़ती है।
अब इसे गणितिय विधी से समझते है। जटिलतायें हटाने के लिए मान लेते है कि आप अंतरिक्ष सूट पहन कर अंतरिक्ष मे अपने यान के बाहर निर्वात मे तैर रहे है। आप को अंतरिक्ष मे एक गेंद फेंकना है। जब आप गेंद को फेकेंगे, प्रतिक्रिया मे आप भी पिछे जायेंगे। आपके शरीर के पिछे जाने की मात्रा, गेंद के द्रव्यमान(mass) तथा गेंद को आपके द्वारा दिये गये त्वरण(acceleration ) पर निर्भर करेगी। इस प्रक्रिया मे प्रयुक्त बल की मात्रा की गणना बल = द्रव्यमान * त्वरण (F = m * a) के सुत्र से की जा सकती है। आपने गेंद पर जो बल लगाया है, उतनी ही मात्रा का बल आपके शरीर पर भी प्रतिक्रिया करेगा। इसे संवेग के संरक्षण का नियम (Law of conservation of momentum) भी कहते है। गणितीय समीकरण के रूप मे
mb * ab = my * ay
(mb = गेंद का द्रव्यमान, ab=गेंद का त्वरण, my =आपका द्रव्यमान, ay=आपका त्वरण)
यदि आपका अंतरिक्ष सूट सहित द्रव्यमान 100 किग्रा तथा गेंद का द्रव्यमान 1 किग्रा है तथा आप गेंद को 50 मीटर प्रति सेकंड की गति से फेंकते है। अर्थात आप 1 किग्रा की गेंद को 50 मीटर/सेकंड की गति प्रदान करने के लिए 100 किग्रा भार का प्रयोग कर रहे है। गेंद फेंकने की इस क्रिया मे आपका शरीर भी प्रतिक्रिया स्वरूप पीछे जायेगा लेकिन गेंद से 100 गुणा भारी होने कारण 100 गुणा कम गति अर्थात आपका शरीर 0.50 मीटर/सेकंड की गति से पीछे जायेगा। (पृथ्वी पर यह प्रभाव वायुमंडल के द्वारा उत्पन्न घर्षण, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण जैसे कारको से कम हो जाता है।)
यदि आपको अपने शरीर को ज्यादा दूरी या ज्यादा गति से पीछे धकेलना है तब आपके पास दो उपाय है:
- भार की मात्रा बढा़यें : आप ज्यादा भारी गेंद फेंक सकते है या एक के बाद एक कई गेंदो को फेंक सकते है।
- त्वरण की मात्रा बढ़ाये : आपको गेंद ज्यादा तेजी से फेंकना होगा।
एक राकेट इंजिन सामान्यतः उच्च दाब पर गैस के रूप मे द्रव्यमान फेंकता है। इंजिन एक दिशा मे गैस के द्रव्यमान को फेंक कर दूसरी दिशा मे प्रतिक्रिया गति प्राप्त करता है। यह द्रव्यमान राकेट के इंजिन द्वारा प्रज्वलित ईंधन द्वारा प्राप्त होता है। प्रज्वलन प्रक्रिया ईंधन के द्रव्यमान को तेज गति से राकेट के नोजल से बाहर उत्सर्जित करती है। ध्यान दें कि इंजिन द्वारा द्रव या ठोस ईंधन के प्रज्वलन से ईंधन के द्रव्यमान मे अंतर नही आता है, वह समान ही रहता है। यदि आप एक किग्रा ईंधन का दहन करें तो राकेट के नोजल से एक किग्रा गैस का उच्च तापमान पर उच्च गति से उत्सर्जन होगा। ईंधन के स्वरूप मे परिवर्तन हुआ है, मात्रा मे नही। ईंधन का दहन द्रव्यमान को गति प्रदान करता है।
प्रणोद(Thrust)
किसी राकेट की शक्ति को प्रणोद(Thrust) कहते है। प्रणोद को मापने के लिए SI इकाई न्युटन (N) है, सं.रा. अमरीका मे इसे पौंड प्रणोद (pounds of thurst) मे मापा जाता है। (4.45 N = 1lb)। एक न्युटन बल पृथ्वी के गुरुत्व के 102g द्रव्यमान(एक सेब) पर प्रभाव के तुल्य होता है। पृथ्वी की सतह पर 1 किग्रा द्रव्यमान लगभग 9.8N गुरुत्व बल उत्पन्न करता है।
यदि आप अंतरिक्ष मे एक गेंदो के थैले के साथ तैर रहे है और एक सेकंड एक गेंद को 9.8 मीटर/सेकंड की गति से फेंके तब वह गेंद एक किग्रा के तुल्य प्रणोद उत्पन्न करेगी। यदि आप गेंदो को 19.6 मीटर/सेकंड(9.8 * 2) की गति से फेंके तो 2 किग्रा के तुल्य प्रणोद उत्पन्न होगा। यदि आप गेंदो को 980 मी/सेकंड की गति से फेंके तब उत्पन्न प्रणोद 100 किग्रा के तुल्य होगा।
राकेट के साथ सबसे विचित्र समस्या यह है कि उसे जो द्रव्यमान फेंकना होता है, वह उसे अपने साथ ले जाना होता है। यदि आपको 100 किग्रा का प्रणोद एक घंटे के लिए उत्पन्न करना है, तब आपको 980 मी/सेकंड* की गति से हर सेकंड 1 किग्रा की गेंद फेंकनी होगी। (सरल शब्दो मे 100 किग्रा द्रव्यमान को अंतरिक्ष मे ले जाने के लिये 980 मी/सेकंड की गति से हर सेकंड 1 किग्रा की गेंद फेंकनी होगी।) इसके लिए आपको अपने साथ 1 किग्रा द्रव्यमान की 3600 गेंदों को ले जाना होगा। (1 घंटे मे 3600 सेकंड होते है।) लेकिन आपका वजन अंतरिक्ष सूट के साथ 100 किग्रा है, जोकि गेंदो के वजन से कहीं कम है। ईंधन का द्रव्यमान आपके द्रव्यमान से 36 गुणा ज्यादा है। यह एक सामान्य समस्या है। एक साधारण से मनुष्य को अंतरिक्ष मे पहुंचाने के लिए महाकाय राकेट चाहीये होते है क्योंकि ढेर सारा ईंधन ढोना पड़ता है।

कितना ईंधन ?
ईंधन के द्रव्यमान के इस समीकरण को आप अमरीकी अंतरिक्ष शटल मे देख सकते है। यदि आपने अंतरिक्ष शटल के प्रक्षेपण को देखा हो तो आप जानते होंगे कि इसमे तीन भाग होते है
- अंतरिक्ष शटल
- महाकाय ईंधन टैंक
- दो ठोस सहायक(बूस्टर)राकेट
रिक्त शटल का द्रव्यमान 74,842 किग्रा होता है, रिक्त बाह्य इंधन टैंक का द्रव्यमान 35425 किग्रा तथा प्रत्येक सहायक रिक्त राकेट का द्रव्यमान 83914 किग्रा होता है। इसमे ईंधन भरना होता है। हर सहायक राकेट मे 500,000 किग्रा ईंधन होता है, बाह्य ईंधन टैंक मे 616,432 किग्रा द्रव आक्सीजन,102,512 किग्रा द्रव हायड्रोजन होती है। प्रक्षेपण के समय पूरे वाहन (शटल, ईंधन टैंक, सहायक राकेट तथा ईंधन) का द्रव्यमान 20 लाख किग्रा होता है।
74,842 किग्रा के शटल के प्रक्षेपण के लिए 20 लाख किग्रा कुल द्रव्यमान एक बहुत बड़ा अंतर है। शटल अपने साथ 30,000 का अतिरिक्त भार भी ले जा सकता है लेकिन अंतर अभी भी विशाल है। ईंधन का द्रव्यमान शटल के द्रव्यमान से 20 गुणा है। यह ईंधन 2700 मीटर/सेकंड की गति से फेंका जाता है। सहायक बूस्टर राकेट दो मिनिट इंधन जला कर 15 लाख किग्रा का प्रणोद उत्पन्न करतें है। शटल के तीन मुख्य इंजन जो बाह्य ईंधन टैंक का प्रयोग करते है, आठ मिनिट के ईंधन प्रज्वलन मे 170,000 किग्रा का प्रणोद उत्पन्न करते है।
अगले भाग मे
- ठोस ईंधन के राकेट इंजिन
- द्रव ईंधन के राकेट इंजिन
- भविष्य के राकेट इंजिन
अच्छी जानकारी धन्यवाद
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Great knowledge
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Thanks
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बहुत अच्छा
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Wonderful
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THANKS SIR
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Thank you sir!
How eagerfull knowledge…
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Bahut accha jankari ka liya thanks.asman mai roket ko dek ka jo sabal man mai ata tha oh aaj pura hua.
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Thank you for it Mr.Asish.you helped me in preparing my project.i am oblize you.
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आपकी रचना अच्छी लगी
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thanku for good knowledge please give kn. about the aeroplane how this works
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Thanks for This knowledge.
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bahut achhi jankari hai dhanywaad……….
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यह तीनो नियमों में, सबसे मुश्किल भी है।
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मूलभूत जानकारी का सुन्दर प्रस्तुतीकरण
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achchhi jankari hai. Dhanyawaad
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आपकी रचना बहुत अच्छी है।
लेख से असंबंधित भाग संपादित- लेखक
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धन्यवाद जी
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