क्या बाह्य अंतरिक्ष मे जीवन है ?

आज से पांच सौ वर्ष ईसवी सन 1600 मे पहले एक विचारक, गणितज्ञ और खगोलशास्त्री ने यह प्रश्न पूछा था। इस प्रश्न का उत्तर तो उस विचारक को नही मीला, उसे रोम की सड़को पर जिन्दा जला दिया गया था। इतना ही नही उसे जिन्दा जलाने से पहले उसे अपमानित करने के लिये सड़क के किनारे खम्बे पर नग्न कर उल्टा लटकाया गया था। कोपरनिकस की तरह वह भी मानता था कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। वह यह भी मानता था कि बाह्य अंतरिक्ष मे हमारे जैसे अनगिनत प्राणी निवास करते है। अंतरिक्ष मे अनगिनत संतो, करोड़ो पोप, अरबो चर्चो और एकाधिक जीसस की संभावनाओ को समाप्त करने का चर्च के पास सबसे आसान उपाय था, उस विचारक को जिन्दा जला देना।
उस महान विचारक गीआर्दनो ब्रुनो के साथ किया गया अमानविय व्यव्हार सैकड़ो वर्षो तक विज्ञान के इतिहासकारो की नींदे उड़ा देता रहा है। लेकिन आज ब्रुनो अपना बदला हरकुछ सप्ताह मे लेता है। महिने मे कम से कम दो बार अंतरिक्ष मे किसी तारे की परिक्रमा करते एक नये ग्रह की खोज हो रही है। २५० से ज्यादा अंतरिक्ष मे किसी अन्य तारे की परिक्रमा करते ग्रह खोजे जा चूके है। ब्रुनो की अंतरिक्ष मे सौर मंडल के बाहर ग्रहो की भविष्यवाणी सही साबित हो चूकी है।
लेकिन एक प्रश्न अभी भी है। मंदाकिनी आकाशगंगा मे तारो के ग्रह तो है लेकिन कितने ग्रह पर जीवन हो सकता है ? और यदि जीवन है कितने ग्रहो पर मानव के जैसे बुद्धिमान जीवन है ?
परग्रही जीवो से मुलाकात की कल्पना हमारे समाज , हमारे लेखको को रोमांचित करते रही है। अखबारो मे , टीवी मे अनजानी उड़नतश्तरीयो के दिखायी देने के समाचार आम है। बालीवुड से लेकर हालीवुड की फिल्मो ने परग्रही जीवो पृथ्वी पर आते दिखाया है, चाहे “इंडीपेन्डेंस डे” के आक्रांता परग्रही हो, ’एम आई बी’ के आंतकी परग्रही, ’इटी’ के दोस्ताना परग्रही या हिन्दी की ’कोई मील गया’ का जादू !

एच जी वेल्स के उपन्यास ’वार आफ दी वर्ल्डस’ मे पृथ्वी पर मंगल के निवासीओ का हमला दिखाया था। 30 अक्टूबर 1938 को सीबीएस रेडीयो के अनाउंसर आर्सन वेल्लेस ने इस उपन्यास के कथानक पर हैलोवीन के अवसर पर मजाक बनाने का खुरापाती उपाय सोचा। उन्होने रेडीयो पर थोड़ी थोड़ी देर पर संगीत को रोक कर पृथ्वी पर मंगल वासीयो के हमले के समाचार देने शुरू कर दिये। हर समाचार बुलेटीन मे मानवो की हार और मानव सभ्यता के क्रमशः पतन के समाचार थे। यह एक मजाक था लेकिन पर ग्रही जीवन मे हमारा विश्वास इतना गहरा है कि लाखों अमरीकी यह सूनकर घबरा गये थे कि मंगल ग्रह की मशीने न्यु जर्सी की ग्रूवर मील मे उतर चूकी है और शहरो को बर्बाद करनेवाली किरणे छोड़ रही है साथ ही पूरे विश्व को अपने कब्जे मे ले रही है। समाचार पत्रो ने बाद मे खबर दी थी कि लाखो लोगो ने अपने घर खाली कर दिये थे और क्षेत्र छोड़ कर चले गये थे, कुछ प्रत्यक्षदर्शीयो ने जहरीली गैस महसूस की थी और दूरी पर चमकती रोशनी देखी थी।
मंगल ग्रह और मंगलवासीयो की खबरो मे एक बड़ा उछाल 1950 मे खगोलशाश्त्रीयो द्वारा मंगल एक बड़ा सैकड़ो मील चौड़े ’M’ के देखे जाने के बाद आया। कुछ लोगो के अनुसार यह पृथ्वी के लोगो के लिये मंगलवासीयो का संदेश था जिसमे ’M’ अंग्रेजी के ’Mars’ का पहला अक्षर था और जिस प्रकार खेलो के स्टेडीयम मे चीयरलीडर अपनी टीम के अक्षर बनाते है उसी तरह मंगलवासी यह अक्षर बना कर पृथ्वी के लिये संदेश भेज रहे थे। निराशात्मक सोच वाले लोगो के लिये यह ’Mars’ का ’M’ ना होकर ’War’ का ’W’ था और मंगलवासीयो की पृथ्वी वासीयो से युद्ध की घोषणा थी। कुछ दिनो बाद मंगल पर का यह ’M’ या ’W’ अपने आप मिट गया। यह पूरी संभावना है कि यह आकृती मंगल पर आये किसी विशाल धूल के तुफान ने बनायी थी जिसने पूरी मंगल की सतह को ढंक लिया था लेकिन चार ज्वालामुखी के शिखर इससे ढंक नही पाये थे। धूल के तुफान मे ये चारो शिखर ‘M’ की आकृती बना रहे थे।
परग्रही जीवन के अभी तक कई दावे किये गये है। इसका एक अप्रत्यक्ष तर्क हमारे देख पाने की क्षमता मे छाया असिमित विशालकाय ब्रम्हाण्ड है। इस तर्क के अनुसार इस असिमित विशालकाय ब्रम्हाण्ड मे पृथ्वी के बाहर जीवन ना का होना असंभव है, इसका समर्थन कार्ल सागन और स्टीफन हाकिंग जैसे वैज्ञानिक भी करते है।

एक संभावना यह भी है कि जीवन पूरे ब्रम्हाण्ड मे एकाधिक स्थानो पर स्वतंत्र रूप से पनपा होगा। दूसरी संभावना के अनुसार जीवन निवासयोग्य ग्रहो पर उल्काओ, धूमकेतुओ द्वारा फैलते गया होगा। यह दोनो संभावनाये एक साथ भी संभव है। परग्रही जीवन जैसे जीवाणु अंतरिक्ष मे सारे ब्रम्हांड मे फैले होने विश्वास को कार्ल सागन जैसे वैज्ञानिको ने मान्यता दी है। अभी तक इसका कोई नमुना नही मीला है लेकिन इसके कुछ विवादास्पद दावे जैसे एलन हिल्स 84001 उल्का भी मौजूद है।
परग्रही जीवन की संभावना(जहां या तो जीवन है या जीवन रहा होगा) वाले ज्ञात ग्रहो मे शुक्र, मंगल, बृहस्पति का चन्द्रमा युरोपा, शनि के चन्द्रमा टाईटन,एनक्लेडस और सौर बाह्य ग्रह जैसे ग्लीसे 581 सी,जी और डी शामील है।

कुछ विश्वास जैसे परग्रही उड़नतश्तरीयां, परग्रहीयो द्वारा अपहरण के दावे अधिकतर वैज्ञानिको द्वारा संदेहास्पद माने गये है। उड़नतश्तरी या UFO(Unidentified Flying Object) एक आकाश मे दिखायी देने वाली एक ऐसी असामान्य वस्तु है जिसे निरिक्षक या जांचकर्ता किसी ज्ञात विमान या वस्तु या प्राकृतिक घटना से जोड़कर नही देख पाता है। सामान्यत: इसे परग्रही यान समझा जाता है लेकिन वैज्ञानिक इस दावे को अस्वीकार करते है। इतिहास मे भी उड़नतश्तरीयो को देखा गया है लेकिन आधुनिक काल मे इन पर ध्यान द्वितिय विश्वयुद्ध के पश्चात गया है जब विभिन्न राष्ट्रो की सरकारो ने इन घटनाओ की सैन्य दृष्टिकोण से जांच के आदेश दिये है। अधिकतर उड़नतश्तरी की घट्नाये अब तक यातो पृथ्वी के यान या ज्ञात खगोलिय पिंड या अपवाह पाये गये है।
इस लेख श्रंखला मे आने वाले लेखो मे यह पहला है, अगले लेखो के विषय निम्नलिखित है:
- परग्रही जीवन की तलाश : जीवन के लिये मूलभूत आवश्यकतायें क्या है ? अंतरिक्ष मे जीवन किन परिस्थितीयो मे पनप सकता है ?
- परग्रही जीवन से संपर्क : यदि परग्रही जीवन है तब उससे संपर्क कैसे करे ? क्या कोई प्रयास किया गया है ? SETI क्या है ?
- कहां है वे ? : यदि परग्रही जीवन है तो कहां है ?
- पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज : क्या जीवन के लिये पृथ्वी जैसे ग्रह चाहीये ? क्या अंतरिक्ष मे पृथ्वी जैसे ग्रह है ? यदि है तो हमारी खोज के परिणाम क्या है ?
- वे कैसे दिखेंगे ? : परग्रही जीव कैसे दिखेंगे ? ’सूपरमैन’ के जैसे मानवाकार या MIB के परग्रही प्राणीयो के जैसे या “मार्श अटैक” के परग्रहीयो जैसे ?
- अनुपात का सिद्धांत और दानवाकार परग्रही :हालीवुड के परग्रहीयो की तरह दानवाकार परग्रही संभव है ? चाचा चौधरी का दानवाकार साबू जो ज्युपीटर से आया है ,क्या साबू का दानवाकार होना संभव है?
- परग्रही सभ्यता और उनका विज्ञान: क्या परग्रही सभ्यताये मानव के जैसे बुद्धिमान होंगी ? क्या वह विज्ञान मे हमसे आगे होंगी ?
- उड़न तश्तरीयां और उनका रहस्य : उड़नतश्तरी क्या है ? क्या उड़नतश्तरीयां दूसरे ग्रहो के प्राणीयो के अंतरिक्ष यान है ?
क्रमश: (अगले भाग मे : परग्रही जीवन की वैज्ञानिक खोज)
Agar alian hai aur agar bah log science mai ham logo se aage hai
To ab tak unhone hame dhundne ki kosis kyo nhi ki
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अंतरिक्ष की दूरीयाँ अत्याधिक है। सबसे पास वाले तारे से प्रकाश भी चार वर्ष मे हम तक पहुंच पाता है।
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Sir abhi jo hamare paas yaan hai uski max. Speed kitni hai…
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Juno : 724,000 km/h
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Hello sir very good sir kya sir ham Prakash Ki gati se Yan bana sakate h kya
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वर्तमान तकनीक और विज्ञान के अनुसार संभव नहीं है।
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यदि हमारे घर में 2 या 3 लोग रहते है तो मेरे घर में 2 या 3 कमरे होंगे । वैशे ही अंतरीक्ष के इतने बड़े होने का राज यही है की जरूर हमारे आलावा भी कोई और भी ह।।।। और हो सकता है की वे हमसे अभी साइंस में या तो पीछे हो या बहुत आगे हो तो उन्हें खोजने के किआ हमे हे कोई कदम उत्थानअ चाहिए
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सर क्या ये हो सकता है की alien इस पृथ्वी पे आने वाले पहले जीव हो और इनसे ही बकि जीवो की उत्पति हुई हो…..?
क्या ये इंसानो के पूर्वज भी हो सकते है?
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पृथ्वी पर जितने विभिन्न प्रकार के जीवन और प्राणी है उसे देखते हुये किसी विकसीत एलीयन से पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ती संभव नही लगती है। लेकिन ये एलीयन जीव सूक्ष्म बैक्टेरीया, एक-कोशीय प्राणी के रूप मे उल्का, क्षुद्रग्रह या धुमकेतुओं के रूप मे आये हो तो यह संभव लगता है।
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बहुत खूब।
धन्यवाद।।
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sab iswar ki maya hai jahan tak dikhai de raha hai sab sapne ki tarha hai jaise nind mein dikhayi deta hai scince last me yahi kahega dekh lena1000%
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bhai tu pagal ho gaya hai.chup chap ghisak le
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Mere dosto ham jyada to nahi jante magar abhi -abhi pata chala hai ki CG ke Bastar jile ke jangalo me alien ke yan tatha alien ke tasvir vaha ke silalekho me paya gaya hai.
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मैं तो अनंत % दावे के साथ कह सकता हूँ कि ब्रह्माँड में इतने ग्रहों पर जीवन है कि गिनना नामुम्किन सा है !!!
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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यदि हम हैं तो ब्रह्मांड में और भी हों गे
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अवश्य होगे…
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कार्ल सार्गन का मत था की “सिर्फ हमारी आकाश गंगा में ही १० लाख उन्नत सभ्ताये मौजूद है” ! उनके असिस्टेंट (सहयोगी ) फ्रैंक ड्रेक का आकलन जरा कम है ! उनके अनुसार “इस ब्रह्माण्ड में करीब दस हजार सभ्यताए अस्तित्व में है” !
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Nothing is impossible. अगर हम हो सकते हैं तो कोई और भी हो तो सकता है।
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कार्ल सागन पृथिवी के बाहर जीवन होने का समर्थन करते थे ,न की असमर्थन श्रीमान जी !
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बढ़िया सर जी, पहली बार यहाँ आया और इस ब्लॉग ने मन मोह लिया..
मगर यहाँ भी वही समस्या है, इसका पूरा फीड उपलब्ध नही है.. 😦
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बहुत जानकारी भरी और उत्तेजनापूर्ण होगी यह श्रृंखला…
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