
खगोल विज्ञानीयो ने सौर मंडल के बाहर पहला ग्रह खोज निकाला है जो गैस महाकाय(Gas Giant) नही है। अभी तक सौर मंडल के बाहर खोजे गये सभी ग्रह बृहस्पति या शनि के जैसे गैसो के महाकाय पिंड थे। यह नया खोजा गया ग्रह अत्याधिक घनत्व का, चट्टान और धातु का पृथ्वी से थोड़ा ही बड़ा ग्रह है।
इस ग्रह को केप्लर10 बी नाम दिया गया है और यह केप्लर 10 तारे की परिक्रमा कर रहा है। इसे पृथ्वी की परिक्रमा करती हुयी ‘केप्लर दूरबीन’ द्वारा खोजा गया है। केप्लर 10 तारे का द्रव्यमान और तापमान सूर्य के जैसा है और हमसे 500प्रकाशवर्ष दूर है।
यह ग्रह केप्लर 10 तारे की परिक्रमा करते हुये हमारे(पृथ्वी) और केप्लर 10 तारे के मध्य से गुजरता है। जब यह ग्रह केप्लर 10 तारे के सामने होता है तो उससे लगने वाले ग्रहण के कारण तारे की दिप्ती मे कमी होती है। तारे के आकार और तारे की दिप्ती आयी इस कमी को माप कर ग्रह का आकार मापा जा सकता है। जितना बड़ा ग्रह होगा उतना ही ज्यादा प्रकाश रोकेगा और दिप्ती मे उतनी ही ज्यादा कमी आयेगी। केप्लर१०बी ग्रह पृथ्वी के आकार का १.४ गुणा है , जो उसे अब तक का खोजा गया सबसे छोटा ग्रह(सौर मंडल के बाहर) बनाता है।

इस ग्रह और इसके तारे के गुरुत्वाकर्षण की रस्साकसी मे जब ग्रह तारे की परिक्रमा करते हुये एक बड़ा वृत्त बनाता है, यह तारा भी एक छोटा वृत्त बनाता है। यह कुछ उस तरह है जब एक पिता अपनी बेटी को अपने हाथो मे पकड़ घुमाता है तब बेटी घूमते हुये एक बड़ा वृत्त बनाती है वही पिता एक छोटा वृत्त बनाता है क्योंकि पिता का द्रव्यमान बेटी से ज्यादा है। इस गुरुत्वाकर्षण की रस्साकसी मे तारा जब हमसे थोड़ा सा दूर जाता है और पास आता है उसकी गति मे आये परिवर्तन को डाप्लर प्रभाव से मापा जा सकता है जिससे हम इस ग्रह के द्रव्यमान की गणना कर सकते है। केप्लर 10बी का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से कही ज्यादा अर्थात 4.6 गुणा है।
अर्थात यह ग्रह पृथ्वी के जैसा नही है। यदि आप इस ग्रह की सतह पर खड़े रहे तब आपका भार पृथ्वी पर आपके भार का 2.5 गुणा होगा !
इससे बूरा यह है कि यह अपने तारे के काफी समीप परिक्रमा करता है। तारे की सतह से 30 लाख किमी दूरी पर और इस परिक्रमा मे पृथ्वी के एक दिन से कम समय लेता है। तारे के काफी समीप होने के कारण इस ग्रह का तापमान हजारो डिग्री होना चाहिये। सो आपका भार इस ग्रह पर ज्यादा होगा लेकिन ज्यादा समय के लिये नही। आपका अतिरिक्त कैलोरी काफी जल्दी जल जायेंगी !
सबसे बूरा यह है कि यह ग्रह अपने तारे से ज्वारिय बंध मे बंधा हुआ है, अर्थात इस ग्रह का एक ही भाग तारे की ओर रहता है(पृथ्वी के चण्द्रमा की तरह)। इस कारण इस ग्रह का तारे की ओर का हिस्सा अत्याधिक तापमान पर होगा और उष्णता से चमकता हुआ होगा।
अभी तक की रिपोर्टो मे इसे ठोस कहा गया है लेकिन यह द्रव अवस्था मे होगा। अभी तक की रिपोर्टे इस ग्रह को अन्य बाह्यसौर ग्रहो जो गैस के महाकाय पिंड है से अलग दर्शाने की कोशीश कर रही है। केप्लर 10बी छोटा ग्रह है इसलिये इसके गैस पिंड होने की कोई संभावना नही है।
यह ग्रह पृथ्वी के जैसे दूर दूर तक नही है और इस पर जीवन की संभावना नगण्य है लेकिन यह अब तक का सबसे कम द्रव्यमान का, सबसे छोटा ग्रह है जो सूर्य के जैसे तारे की परिक्रमा कर रहा है। यह एक बड़ी और महत्वपूर्ण खोज है; यह केप्लर दूरबीन की संभावनाओ और क्षमताओ को दर्शाता है। केप्लर दूरबीन का लक्ष्य पृथ्वी जैस ग्रहो की खोज है और केप्लर दूरबीन इसे पूरा करने मे सक्षम लग रही है। इसमे कितना समय लगेगा ? यदि पृथ्वी जैसे ग्रहो का आस्तित्व है और केप्लर दूरबीन उन्हे देख सकती है तब इसमे कम से कम दो वर्ष लग जायेंगे! मै दो वर्ष का इंतजार कर सकता हूं, और ये खबर अभी मेरे लिये एक बड़ी खबर है !
इस खोज के बारे मे नासा का एक वीडीयो !
Apka bahot -bahot Dhanyavad sir ji (1 Question -kya ham dusre saur parivar ke graho tak pahuch sakte hai?)please send me email fast by hindi language.
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grh khojna or uske baare me jankari ektthe karna badhi baat hai .jaruri nhi us par jivan hi smmabhv ho
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इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हार्दिक आभार।
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बिलकुल नयी जानकारी।
धन्यवाद।
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