शुक्र यह सूर्य से दूसरा और छठंवा सबसे बडा ग्रह है। इसकी कक्षा लगभग वृत्ताकार है।
ग्रीक मिथको के अनुसार शुक्र (वीनस) यह प्रेम और सुंदरता की देवी है। यह नाम शुक्र ग्रह के सभी ग्रहो मे सबसे ज्यादा चमकिले होने के कारण दिया गया है। हिन्दू मिथको के अनुसार शुक्र असुरो के गुरू है। शुक्र ग्रह आकाश मे सूर्य और चन्द्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकिला ग्रह है।
शुक्र के पास पहुंचने वाला सबसे पहला अंतरिक्षयान मैरीनर २ था जो शुक्र के करीब १९६२ मे पहुंचा था। उसके बाद पायोनियर , वेनेरा ७ और वेनेरा ९ भी शुक्र तक पहुंचे थे। इस ग्रह तक पहुंचने वाले यानो मे मैगलेन और विनस एक्सप्रेस भी है।
शुक्र का घुर्णन काफी अजीब है क्योंकि यह काफी धीमा है। वह एक घुर्णन करने मे २४३ पृथ्वी दिवस लगाता है मतलब कि शुक्र मे एक दिन पृथ्वी के २४३ दिनो के बराबर होता है। जो कि शुक्र के सुर्य की परिक्रमा मे लगने वाले समय से भी थोडा ज्यादा है। शुक्र मे एक शुक्र दिन शुक्र के एक वर्ष से बडा होता है !
शुक्र पर कोई चुंबकिय क्षेत्र नही है। इसका कोई उपग्रह(चंद्रमा)भी नही है लेकिन एक कथा जरूर है। यह कथा विज्ञान विश्व मे जल्दी ही प्रकाशित होगी!
शुक्र की परिक्रमा और घुर्णन मे इतने समकालिक है कि पृथ्वी से शुक्र का केवल एक ही हिस्सा दिखायी देता है।
शुक्र को पृथ्वी का जुडंवा ग्रह भी कहते है। इसका व्यास(पृथ्वी के व्यास का ९५%) और द्रव्यमान(पृथ्वी के द्रव्यमान का ८०%) पृथ्वी के जैसा ही है। दोनो ग्रहो मे क्रेटर(उल्कापार से बने विशाल गढ्ढे) कम है। दोनो का घनत्व और रासायनिक संयोजन समान है।
शुक्र पर वायुदाब भी पृथ्वी के वायुदाब से ९० गुणा है। वातावरण कार्बन डाय आक्साइड से बना है। शुक्र के यह कई किलोमिटर मोटे सल्फ्युरिक अम्ल के बादलो से घीरा हुआ है। इन बादलो के कारण हम शुक्र की सतह नही देख पाते है। इस वातावरण से शुक्र पर ग्रीनहाउस प्रभाव पडता है जो कि तापमान को ४०० सेल्सीयस से ७४० सेल्सीयस तक बडा देता है। इस तापमान पर सीसा भी पिघल जाता है। शुक्र की सतह बुध की सतह से भी ज्यादा गम है, जबकि शुक्र बुध की तुलना मे सुर्य से दूगनी दूरी पर है।
शुक्र के बादलो मे उपरी सतह मे लगभग ३५० किमी प्रति घण्टा की गति से हवायें चलती है जबकि निचली सतह मे ये कुछ ही किमी प्रति घण्टा की गति से चलती है। शुक्र पर किसी समय पानी उपस्थित था जो उबलकर अंतरिक्ष मे चला गया। पृथ्वी यदि सूर्य से कुछ और नजदिक (कुछ किमी) होती तब पृथ्वी का भी यही हाल होता !
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good
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ज्ञानवर्धक जानकारी हिन्दी में लिखने का अच्छा कार्य कर रहे हैं।
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यह कौन सी पढ़ाई में लग गये?
वैसे जानकारी ज्ञानवर्धक है. 🙂
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अंतरिक्ष पर वाकई अच्छी सामग्री संजो रहे हैं आप
साधुवाद….
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