वायजर 2 से 1989 ली गयी सूर्य के आंठवे और अंतिम ग्रह की तस्वीर।
नेपच्युन 1999 तक सबसे आखरी ग्रह था क्योंकि प्लुटो अपनी अजीबोगरीब कक्षा के कारण नेप्च्युन की कक्षा के अंदर था। अब जब प्लुटो से ग्रह का दर्जा छीन गया है, नेप्च्युन सौरमंडल का अंतिम ग्रह है।
युरेनस के जैसे ही यह ग्रह पानी, मिथेन और अमोनिया से बना है और हायड्रोजन, हिलियम के एक मोटे आवरण से घिरा हुआ है। नेपच्युन का निला रंग इसके वातावरण की मिथेन के कारण है जो लाल रंग अवशोषीत कर लेती है।
इसके भी कई चन्द्रमा और वलय है।यह सूर्य की एक परिक्रमा पृथ्वी के 165 वर्ष मे करता है। इसका अक्ष इसकी सूर्य की परिक्रमा के प्रतल से २९ अंश झुका हुआ है(पृथ्वी का अक्ष 23.5 अंश झुका हुआ है)।
नेपच्युन मे पूरे सौर मंडल मे सबसे तेज हवाये चलती है, कभी कभी 2000 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से !
एक संभावना यह है कि युरेनस और नेपच्युन के गर्म और अत्याधिक दबाव वाले वातवरण के कारण यहां पर हीरो की प्रचुरता होना चाहीये !
नेपच्युन का चंद्रमा ट्राईटन पूरे सौरमंडल मे सबसे अलग चंद्रमा है। इस पर अनेको सक्रिय ज्वालामुखी है।
नेपच्युन की कक्षा सामान्य नही है,इसकी कक्षा मे एक रहस्यमय विचलन पाया जाता है। कारण अभी तक अज्ञात है। इसका एक कारण नेपच्युन के बाद एक और ग्रह की उपस्थिती(प्लुटो और सेडना नही)हो सकती है।
प्लुटो और सेडान इतने छोटे है कि वे नेपच्युन पर कोई प्रभाव नही डाल सकते है!