
अपोलो 11 मिशन के क्रू सदस्य रहे अंतरिक्षयात्री माइकल कोलिंस का निधन हो गया है। उन्होंने 28 अप्रैल को आख़िरी सांस ली। 90 वर्षीय कोलिंस के परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की है।
कोलिंस के परिवार ने बताया, “वो लंबे समय से कैंसर से बड़ी बहादुरी से लड़ रहे थे लेकिन बुधवार को उनका निधन हो गया। उन्होंने अपने आख़िरी दिन शांति से अपने परिवार के साथ बिताए।”
अपोलो मिशन के दौरान कोलिंस चंद्रमा की कक्षा में ही रुके थे जबकि उनके सहयोगी नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन चंद्रमा पर उतरे थे।
91 वर्षीय एल्ड्रिन अब अपोलो मिशन के एकमात्र जीवित क्रू सदस्य हैं।
एक बयान में कोलिंस के परिवार ने कहा कि
“माइक ने हमेशा विनम्रता के साथ जीवन की अलग-अलग चुनौतियों का सामना किया और उसी तरह अपने जीवन की इस अंतिम चुनौती का भी।”
अपोलो 11 मिशन मानव जाति को चांद पर पहुंचाने वाला पहला अभियान था। धरती से रवाना होने के 102 घंटे और 45 मिनट बाद, यानी 20 जुलाई 1969 को लूनर मॉड्यूल ईगल चंद्रमा पर उतरा था।
साल 2019 में अपोलो मिशन के 50 साल पूरे होने के मौक़े पर कोलिंस ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर का दौरा भी किया था। यह वही जगह थी जहां पचास साल पहले मानव जाति को चांद पर पहुंचाने वाले अभियान की शुरुआत हुई थी।
लॉन्चपैड 39ए से बोलते हुए उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किये थे और बताया था कि टेक ऑफ़ के दौरान उन्हें कैसा लग रहा था।

कोलिंस ने नासा टीवी को बताया था कि “रॉकेट पावर आपको झटका देती है। पूरा शरीर हिल रहा होता है। यह आपको ऊर्जा की एक बिल्कुल अलग अवधारणा से अवगत कराता है।”
उन्होंने कहा था- “हम अपने कंधों पर दुनिया की अपेक्षाओं और उम्मीदों का भार महसूस कर रहे थे।हमें पता था कि हर किसी की नज़र हम पर है।”
अपने साथी कोलिंस को श्रद्धांजलि देते हुए एल्ड्रिन ने ट्वीट किया है, “प्रिय माइक, आप जहां भी रहे हैं और रहेंगे आपकी ऊर्जा हमेशा हमें भविष्य में नई ऊंचाइयां छूने के लिए प्रेरित करती रहेगी।आप बहुत याद आएंगे। ईश्वर आपको शांति दे।”
अपोलो 11 ऐसा पहला यान था, जिसके जरिये तीन अंतरिक्षयात्री पहली बार चंद्रमा तक पहुंचे। नील आर्मस्ट्रांग और एडविन ‘बज़’ एल्ड्रिन, चंद्रमा पर उतर कर चले-फिरे। तीसरे यात्री माइक कॉलिंस को ‘कोलंबिया’ नाम वाले मुख्य नियंत्रण यान में रह कर चंद्रमा की परिक्रमा करनी पड़ी, ताकि नीचे उतरे दोनों अंतरिक्षयात्रियों तथा अमेरिका में ह्यूस्टन के ‘मिशन कंट्रोल सेंटर’ में बैठे वैज्ञानिकों व इंजीनियरों के साथ रेडियो-संपर्क बना रहे।
माइकल कॉलिन्स से अपनी आत्मकथा मे लिखा है :
‘अपनी वापसी के बाद हम तीनों विश्व-यात्रा पर निकले। जहां कहीं हम गये, लोगों ने कहा, यह ‘हमारी’ उपलब्धि है न कि अमेरिकियों की। हमारी, हमारी, इस दुनिया के ‘हम मनुष्यों’ की यह सफलता है। मैंने इससे पहले कभी नहीं सुना था कि विभिन्न देशों के इतने सारे लोग इतने हर्षोल्लास के साथ हम-हम कह रहे हों, चाहे वे यूरोपीय हों या एशियाई या फिर अफ्रीकी। सब जगह यही कहा जा रहा था कि ‘हमने’ इसे कर दिखाया। यह भावविभोर कर देने वाला था, बहुत ही सुखद अनुभव था।’
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