इस बार का भौतिकी का नोबेल प्राइज तीन वैज्ञानिकों जेम्स पीबल्स, मिशेल मेयर और डिडिएर क्वेलोज को प्रदान किया गया।
वर्ष 2019 के लिए भौतिकी नोबेल पुरस्कार कनाडाई-अमेरिकी खगोलशास्त्री जेम्स पीबल्स(James Peebles) और स्विस खगोलविद मिशेल मेयर(Michel Mayor) और डिडिएर क्वेलोज़(Didier Queloz) को संयुक्त रूप से देने की घोषणा की गयी है।
नोबेल पुरस्कार के रूप में प्राप्त नौ मिलियन स्वीडिश क्रोनर($914,000 डॉलर या 833,000 यूरो) की आधी राशि खगोलशास्त्री जेम्स पीबल्स और शेष राशि को दोनों स्विस खगोलशास्त्री साझा करेंगे साथ ही एक स्वर्ण पदक भी सभी वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाता है।
84 वर्ष के जेम्स पीबल्स संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित प्रिंसटन विश्वविद्यालय(Princeton University) में विज्ञान के प्रोफेसर है। मिशेल मेयर और डिडिएर क्वेलोज़ जिनेवा विश्वविद्यालय(University of Geneva) में प्रोफेसर है साथ ही डिडिएर क्वेलोज़ ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय(University of Cambridge) में भी अपनी सेवायें दे रहे है।
जेम्स पीबल्स ने अपनी सैद्धांतिक खोजों से यह बताया है की बिग बैंग के बाद यूनिवर्स कैसे विकसित हुआ है। उनकी यह खोज ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को समझने में हमारी मदद करेगी साथ ही डार्क मैटर के रहस्यों को भी उजागर करेगी।
मेयर और क्वेलोज़ ने अपनी शोधकार्यों से हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रह जिसे एक्सोप्लैनेट(exoplanet) कहा जाता है उनकी उत्पत्ति, संरचना और उनके व्यवहार पर प्रकाश डाला है। इन दोनों खगोलविदों की खोज पृथ्वी की उत्पत्ति और पृथ्वी की स्थिति को समझने में सहायक होगी क्योंकि यदि हम ब्रह्मांडीय परिपेक्ष्य से देखे तो पृथ्वी भी एक एक्सोप्लैनेट के समान ही है।
नोबेल समिति ने कहा की
“इन खगोलविदों की सैद्धान्तिक खोज वास्तव में ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विकास और उसके व्यवहार को समझने का आधार है। 1960 के दशक के मध्य में जेम्स पीबल्स द्वारा विकसित सिद्धान्त ने हमारी ब्रह्मांडीय धारणाओं को हमेशा के लिए बदल दिया है।”
बिग बैंग के कई सहस्राब्दियों बाद जब ब्रह्माण्ड विकसित हो रहा था तब प्रकाश किरणों ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी। उपकरणों और सैद्धांतिक गणनाओं के आधार पर जेम्स पीबल्स ने दर्शाया की बिग बैंग के बाद उत्सर्जित विकिरण के तापमान और इसके द्वारा निर्मित पदार्थ की मात्रा के बीच एक खास संबंध है।
मिशेल मेयर और डिडिएर क्वेलोज़ ने 1995 में पहली बार एक एक्सोप्लैनेट(51 Pegasi B) की खोज की थी। यह वृहस्पति के आकार का गैसीय एक्सोप्लैनेट एक सूर्य जैसे तारे(51 Pegasi) की परिक्रमा कर रहा था। यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से तकरीबन 50 प्रकाश वर्ष दूर है। इन खगोलविदों ने पाया की यह तारा लाल विचलन(Red Shift) को प्रदर्शित करता है। सामान्यतः लाल विचलन उस समय होता है जब प्रकाश श्रोत प्रकाश निरिक्षक से दूर जाता है जबकि नीला विचलन प्रकाश श्रोत के प्रकाश निरीक्षक के पास आने पर प्रदर्शित होता है बिलकुल ध्वनी किरणो के डाप्लर सिद्धांत(Doppler Effect) की तरह। सामान्यतः किसी तारे की चमक में उसके आसपास मौजूद ग्रह की चमक धूमिल हो जाती है जिससे वे नज़रों से ओझल हो जाते है। इन वैज्ञानिकों ने देखा की एक्सोप्लैनेट 51 Pegasi B की गुरुत्वाकर्षण उस तारे की परिक्रमण पथ को प्रभावित करती है साथ ही कोई गतिशील पिंड का प्रकाश रंग बदलता रहता है।