नोबेल पुरस्कार 2017: अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार


जेफरी हॉल, माइक रोशबैश और माइकल यंग
जैफ्री सी हाल, माइकल रोसबाश तथा माइकल डब्ल्यू यंग

अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों जैफ्री सी हाल, माइकल रोसबाश तथा माइकल डब्ल्यू यंग को इस साल के चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है।

अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों जैफ्री सी हाल, माइकल रोसबाश तथा माइकल डब्ल्यू यंग को मानव शरीर की ‘‘आंतरिक जैविक घड़ी’’ विषय पर किए गए उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए इस साल के चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। ‘आंतरिक जैविक घड़ी’ को सर्केडियन रिदम के नाम से जाना जाता है। नोबेल असेम्बली ने कहा है,

“उनकी खोजों में इस बात की व्याख्या की गई है कि पौधे, जानवर और इंसान किस प्रकार अपनी आंतरिक जैविक घड़ी के अनुरूप खुद को ढालते हैं ताकि वे धरती की परिक्रमा के अनुसार अपने को ढाल सकें।”

असेंबली ने कहा कि हाल (72), रोसबाश (73) और यंग (68)

‘आंतरिक जैविक घड़ी का पता लगाने और इसके आंतरिक कामकाज को स्पष्ट करने में सफल रहे हैं।’ यह आंतरिक जैविक घड़ी हारमोन के स्तर, नींद, शरीर के तापमान और उपापचय जैसे जैविक कार्यों को प्रभावित करती है। तीनों वैज्ञानिकों ने उस जीन को अलग करने का काम किया जो रोजमर्रा की जैविक स्थिति को नियंत्रित करते हैं।

नोबेल टीम ने कहा,

‘‘इन्होंने दिखाया कि ये जीन उस प्रोटीन को परर्वितत करने का काम करते हैं जो रात के समय कोशिका में जम जाती हैं और फिर दिन के समय बहुत ही छोटा आकार ले लेती हैं।’’

ये तीनों वैज्ञानिक करीब 11 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि साझा करेंगे।

 

‘आंतरिक जैविक घड़ी’ या सर्केडियन रिदम

सबसे पहले सर्काडियन क्लॉक के मानव कामकाज का ब्यौरा देखें, ताकि अपने जीवन में भी आप इसका अध्ययन कर सकें। इसके मुताबिक सुबह 6 बजे, या ज्यादा ठोस तौर पर कहें तो सूर्योदय के आसपास शरीर में “कॉर्टिसोल हॉरमोन” का स्राव होता है, जिसका सबसे बड़ा काम शरीर में अधिक से अधिक ग्लूकोज छोड़ने का होता है, ताकि आप बिस्तर छोड़कर अपना कार्य आरंभ कर सकें। फिर 6 बजे से 9 बजे तक आपका रक्तचाप पूरे दिन में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ता है। इसका कार्य शरीर को बाहरी दबाव के अनुरूप ढालने का होता है।

सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक का समय शरीर की सबसे ज्यादा सतर्कता (एलर्टनेस) का होता है। तमाम चीजों के कोऑर्डिनेशन (तालमेल) के लिए सबसे अच्छा वक्त दिन में 12 से 3 का। सबसे तेज प्रतिक्रिया आप दिन 3 बजे से शाम 6 बजे के बीज जताते हैं। शाम को छह बजे, या ज्यादा सटीक तौर पर कहें तो सूरज ढलते वक्त हमारे शरीर का तापमान सबसे ज्यादा होता है। फिर शाम छह बजे से लेकर 9 बजे रात तक रक्तचाप सबसे अधिक दर्ज किया जाता है। यही वह समय है, जब हमें आराम करने आवश्यकता सबसे ज्यादा महसूस होती है। रात में नौ बजे के आसपास हमारे शरीर में मेलाटोनिन नाम का हॉरमोन स्रावित होता है, जिसका कार्य हमें सोने के लिए तैयार करने का होता है।

रात 12 से 3 का समय हमारी सबसे गहरी नींद के लिए सुरक्षित होता है, लिहाजा इस समय को हमें अपने जीवन की सबसे कीमती चीज मानना चाहिए। इस समय में शरीर के साथ की जाने वाली कोई भी छेड़छाड़ अगले दिन तो उस पर भारी पड़ती ही है, इसका लगातार जारी रहना आने वाले समय में शरीर के लिए बहुत बड़ी विपत्तियों का कारण भी बनता है। बहरहाल, रात में तीन बजे से लेकर सुबह छह बजे तक के समय में हमारे शरीर का तापमान सबसे कम होता है। यानी नींद पूरी कर लेने के बाद शरीर इस समय ‘सुखनिदिया’ में होता है। इस अवधि में आप जाग भी सकते हैं। इसमें कोई जबर्दस्ती न की जाए तो शरीर को इसका कुछ खास नुकसान नहीं होता। लेकिन निश्चित रूप से यह समय शरीर और मन पर कोई तनावपूर्ण जिम्मेदारी डालने का नहीं होता।

शोध की दोनों टीमों के विशिष्ट योगदान पर बात करें तो 1984 के बाद मैसाचुसेट्स की हॉल और रोसबाश वाली टीम सर्काडियन क्लॉक के लिए जिम्मेदार जीन द्वारा बनाए जाने वाले प्रोटीनों के अध्ययन की ओर बढ़ी और इनके व्यावहारिक पहलुओं पर काम किया, जबकि न्यूयॉर्क में यंग ने खोजबीन करके एक और ‘टाइमलेस’ जीन का पता लगाया, जिससे मिलकर ही यह घड़ी वाली जीन अपनी रासायनिक भूमिका का निर्वाह कर पाती है। सूरज के प्रकाश के जरिए बनने वाला सुबह, दोपहर, शाम और रात का चक्र ही इस घड़ी को चाभी भरता है। इस खोज की सबसे बड़ी खासियत यह है कि थोड़ा और इत्मीनान हो लेने के बाद आने वाले दिनों में शल्य चिकित्सक यह तय कर सकते हैं कि कौन सा ऑपरेशन किस समय करना ठीक रहेगा, और जो दवाएं आप लेते हैं, उनका सबसे अच्छा असर ठीक-ठीक किस वक्त लेने पर दिखाई पड़ेगा।

जैविक घड़ी की वजह से ही हम रात को सोना चाहते हैं। जैविक घड़ी मानव शरीर के क्रियाकलापों और व्यवहार में भी बहुत अधिक बदलाव लाती है।

मानव शरीर, पौधे, जीव जंतुओं और फफ़ूद की कोशिकाएं एक घड़ी के अनुरूप चलती हैं। हमारे मन, हॉर्मोन के स्तर, शरीर के तापमान और उपापचय (मेटाबॉलिज़्म) में रोज़ उतार चढ़ाव होता रहता है। यहां तक कि हर सुबह दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा भी बढ़ जाता है क्योंकि हमारा शरीर हर नए दिन की शुरुआत के लिए काम कर रहा होता है।

जैविक घड़ी हमारे शरीर को नियंत्रित करती है। इसमें किसी भी तरह का बदलाव आने पर हमारे शरीर पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। जेट लैग से होने वाली समस्या इसका उदाहरण है, जिसमें हमारा शरीर संसार के मुताबिक नहीं चल पाता और हमें कुछ वक्त के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

जैविक घड़ी में बदलाव की वजह से शुरुआत में तो याददाश्त संबंधी समस्या पैदा होती है लेकिन इसका बड़ा प्रभाव कई तरह की बीमारियों के रूप में सामने आता है जिसमें टाइप 2 मधुमेह, कैंसर और दिल के रोग शामिल हैं।ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर रसेल फ़ोस्टर ने बीबीसी को बताया, “अगर हम जैविक घड़ी से छेड़छाड़ करते हैं तो उपापचय (मटैबलिज़म) पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।”

तीनों अमरीकी वैज्ञानिकों को ये पुरस्कार दिए जाने पर वो बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि शरीर का सिस्टम कैसे काम करता है पहली बार इसकी जानकारी देकर वो इस पुरस्कार के हक़दार बने हैं।

शोध

जेफरी हॉल और माइकल रोजबाश ने डीएनए के एक खंड को अलग कर जैविक घड़ी में लगाया। इसे पीरियड जीन कहते हैं। पीरियड जीन के पास एक तरह के प्रोटीन के निर्माण करने का निर्देश होता है। इस प्रोटीन को पीइआर कहते हैं। जब पीइआर का स्तर बढ़ जाता है तो वह खुद ही अपने निर्माण संबंधी निर्देशों को बंद कर देता है। इस तरह पीइआर का स्तर 24 घंटे के दौरान घटता-बढ़ता रहता है। ये रात के वक्त बढ़ता है जबकि दिन के वक्त कम हो जाता है। माइकल यंग ने दो जीन खोजे हैं, एक को टाइमलेस तो दूसरे को डबल टाइम कहते हैं। दोनों पीइआर की स्थिरता को प्रभावित करते हैं। अगर पीइआर अधिक स्थिर है तो जैविक घड़ी धीमी गति से चलती है, अगर यह कम स्थिर है तो यह तेज़ काम करती है। पीइआर की स्थिरता की वजह से ही कुछ लोग सुबह उठना पसंद करते हैं तो कुछ देर रात तक जागना।

 

 

2 विचार “नोबेल पुरस्कार 2017: अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार&rdquo पर;

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 94वीं पुण्यतिथि : कादम्बिनी गांगुली और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।

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