
ये क्या ? स्पायरल आकाशगंगा ESO 510-13 के आकार को क्या हुआ ? क्या किसी ने इसे मरोड़ कर ऐंठ दिया है ?
अधिकतर स्पायरल आकाशगंगाये का मुख्य मंडल (Disk) पतला और सपाट होता है लेकिन यह ठोस नही होता है। स्पायरल मंडल सामान्यत: अरबो तारो और गैसा का एक विशालकाय समूह होता है, जो आकाशगंगा के केन्द्र की गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव मे परिक्रमा कर रहा होता है। आकाशगंगा का सपाट मंडल(Disk) उसके निर्माण के प्रारंभिक काल मे गैस के महाकाय बादलो के टकराव से बनता है। चित्र मे दिखायी गये ऐंठन वाली स्पायरल आकाशगंगाये असामान्य नही हैं। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी मे भी एक ऐसी ही छोटी ऐठन है। इस तरह की ऐठंन के कारण अज्ञात है लेकिन यह दो आकाशगंगाओ के टकराव से या उनके एक दूसरे पर गुरुत्विय प्रभाव से संभव है।
प्रस्तुत चित्र मे दिखायी दे रही आकाशगंगा पृथ्वी से 1500 लाख प्रकाशवर्ष दूरी पर तथा 100,000 प्रकाशवर्ष चौड़ी है।