
इस असामान्य आकाशगंगा का निर्माण कैसे हुआ होगा? यह कोई नही जानता है क्योंकि यह पेंचदार(Spiral) आकाशगंगा एन जी सी 7049 है ही इतनी विचित्र! एन जी सी 7049 मे सबसे विचित्र एक धूल और गैस का वलय है हो इस आकाशगंगा के बाह्य रूपरेखा मे दिख रहा है। यह धूल का वलय जैसे इस आकाशगंगा के छायाचित्र मे बाह्य सीमाओ को रेखांकित कर रहा हो!
यह अपारदर्शी वलय इतना गहरा है कि यह अपने पीछे लाखों तारो को ढंक दे रहा है। यदि इस गहरे वलय को छोड़ दे तो यह आकाशगंगा एक दीर्घवृताकार(Elliptical) आकाशगंगा है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इसमे कुछ तारो के गोलाकार समूह(Globular Cluster) भी है। उपर दिया गया चित्र हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला से लिया गया है।
इस चित्र के उपर मे चमकता तारा हमारी आकाशगंगा (मंदाकिनी) का है जो इस आकाशगंगा से संबधित नही है। एन जी सी 7049 आकाशगंगा मे अपने समूह की आकाशगंगाओं मे सबसे चमकदार है, जो यह दर्शाती है कि यह आकाशगंगा बहुत सी आकाशगंगाओ के टकराव और एकीकरण से बनी है।
यह आकाशगंगा 150 हजार प्रकाशवर्ष चौड़ी तथा पृथ्वी से 1000 लाख प्रकाशवर्ष दूर है।
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mahtvpurn jankari gyanvardhak , abhar
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