अपोलो 08 : चांद के पार चलो


अपोलो 8 यह अपोलो कार्यक्रम का दूसरा मानव अभियान था जिसमे कमाण्डर फ़्रैंक बोरमन, नियंत्रण कक्ष चालक जेम्स लावेल और चन्द्रयान चालक विलीयम एन्डर्स चन्द्रमा ने की परिक्रमा करने वाले प्रथम मानव होने का श्रेय हासील किया। सैटर्न 5 राकेट की यह पहली मानव उड़ान थी।

नासा ने इस अभियान की तैयारी सिर्फ 4 महिनो मे की थी। इसके उपकरणो का उपयोग कम हुआ था, जैसे सैटर्न 5 की सिर्फ 2 उडान हुयी थी। अपोलो यान सिर्फ एक बार अपोलो 7 मे उडा था। लेकिन इस उडान ने अमरीकन राष्ट्रपति जे एफ़ केनेडी के 1960 के दशक के अंत से पहले चन्द्रमा पर पहुंचने के मार्ग को प्रशस्त किया था।
21 दिसंबर 1968 को प्रक्षेपण के बाद चन्द्रमा तक यात्रा के लिये तीन दिन लग गये थे। उन्होने 20 घन्टे चन्द्रमा की परिक्रमा की। क्रीसमस के दिन उन्होने टी वी पर सीधे प्रसारण के दौरान उन्होने जीनेसीस पुस्तक पढी।

इस दल के यात्री

लावेल ऐंडर्स और बारमन
लावेल ऐंडर्स और बारमन
  • फ्रैंक बोरमन (Frank Borman) -2 अंतरिक्ष उडान का अनुभव जेमिनी 7 और अपोलो 8, कमांडर
  • जेम्स लावेल(James Lovell) – 3 अंतरिक्ष उडान का अनुभव जेमिनी 7, जेमिनी 12 अपोलो 8 और अपोलो 13,नियंत्रण कक्ष चालक
  • विलीयम एण्डर्स (William Anders)– 1 अंतरिक्ष उडान का अनुभव अपोलो 8,चन्द्रयान चालक


वैकल्पिक यात्री
किसी यात्री की मृत्यु या बिमार होने की स्थिती मे वैकल्पिक यात्री दल

  • नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) -जेमिनी 8 और अपोलो 11 की उडान, कमांडर
  • बज एल्ड्रीन(Buzz Aldrin)-जेमिनी 12 और अपोलो 11 की उडान,नियंत्रण कक्ष चालक
  • फ़्रेड हैसे (Fred Haise) -अपोलो 13 की उडान, चन्द्रयान चालक

उडान

अपोलो 8 की उडान
अपोलो 8 की उडान


अपोलो 8 यह 21 दिसंबर को प्रक्षेपित किया गया, जिसमे कोई भी बडी परेशानी नही आयी। प्रथम चरण(S-IC) के राकेट ने 0.75% क्षमता का प्रदर्शन किया जिससे उसे पुर्वनियोजित समय से 2.45 सेकंड ज्यादा जलना पडा। द्वितिय चरण के अंत मे राकेट ने पोगो दोलन का अनुभव किया जो 12 हर्टज के थे। सैटर्न 5 ने अंतरिक्षयान को 181×193 किमी की कक्षा मे स्थापित कर दिया जो पृथ्वी की परिक्रमा 88 मिनिट 10 सेकंड मे कर रहा था।
अगले 2 घन्टे और 38 मिनिट यात्रीदल और अभियान नियंत्रण कक्ष ने यान की जांच की। अब वे चन्द्रपथ पर जाने के लिये तैयार थे। इसके लिये राकेट SIVB तिसरे चरण का प्रयोग होना था जो कि पिछले अभियान(अपोलो 6) मे असफल था।

S-IVB यान से अलग होने के पश्चात
S-IVB यान से अलग होने के पश्चात


अभियान नियंत्रण कक्ष से माइकल कालींस ने प्रक्षेपण के 2 घण्टे 27 मिनिट और 22 सेकंड के बाद अपोलो 8 को चन्द्रपथ पर जाने का आदेश दिया। इस अंतरिक्ष यान को भेजे जाने वाले आदेशो को कैपकाम(capcoms-Capsule Communicators) कहा जाता है।अगले 12 मिनिट तक यात्री दल ने यान का निरिक्षण जारी रखा। तिसरे चरण(SIVB) का राकेट दागा गया जो 5 मिनिट 12 सेकंड जलता रहा, जिससे यान की गति 10,822 मी/सेकंड हो गयी। अब वे सबसे तेज यात्रा करने वाले मानव बन चुके थे।
SIVB ने अपना काम किया था। यात्री दल ने यान को घुमा कर पृथ्वी की तस्वीरे ली। पूरी पृथ्वी को एकबार मे संपूर्ण रूप से देखने वाले वे प्रथम मानव थे।

प्रथम बार मानवो ने वान एलेन विकीरण पट्टा पार किया, यह पट्टा पृथ्वी से 25,000 किमी तक है। इस पट्टे के कारण यात्रीयो ने छाती के एक्स रे के से दूगने के बराबर( 1.6 मीली ग्रे) विकिरण ग्रहण किया जो प्राणघातक नही था। सामान्यतः मानव एक वर्ष मे 2-3 मीली ग्रे विकिरण ग्रहण करता है।

चांद की ओर

जीम लावेल का नियंत्रण कक्ष चालक के रूप मे मुख्य कार्य यात्रा मार्ग निर्धारण था लेकिन ये कार्य भू स्थित नियंत्रण कक्ष से किया जा रहा था। जीम लावेल का कार्य असामान्य परिस्थिती के लिये ही था। उडान के सात घण्टो के बाद (योजना से 1 घण्टा 40 मिनिट देरी) से उन्होने यान को असक्रिय तापमान नियंत्रण मोड मे डाल दिया। इस मोड मे यान को सूर्य की किरणो से गर्म होने से बचाने के लिये घुमाते रखा जाता है अन्यथा सूर्य की रोशनी मे यान की सतह गर्म होकर तापमान 200 डीग्री सेल्सीयस तक पहुंच जाता, वहीं छाया वाले हिस्से मे तापमान गीरकर शुन्य से निचे 100 डीग्री सेल्सीयस तक पहुंच जाता।
11 घण्टे के बाद राकेट दागकर यान को सही रास्ते पर लाया गया। अबतक यात्री लगातार 16 घण्टो से जागे हुये थे। अब फ्रैंक बोरमन को अगले 7 घण्टे सोने की बारी थी। लेकिन बीना गुरुत्वाकर्षण के अंतरिक्ष मे सोना आसान नही था। फ्रैंक ने नींद की गोली लेकर सोने की कोशीश की। सोकर उठने के बाद वह बिमार महसूस कर रहे थे। उन्होने दो बार उल्टी की और उन्हे डायरीया हो गया था। पुरे यान मे उल्टी के बुलबुले फैल गये थे। यात्रीयो ने जितनी सफाई हो सकती थी, वो की। यात्रीयो ने यह सुचना , भूस्थित नियंत्रण कक्ष को दी। बाद मे जांच से पता चला कि फ्रैंक अवकाश अनुकुलन लक्षण(Space Adaptation Syndrome) से पिडीत थे, जो एक तिहाई अंतरिक्ष यात्रीयो को पहले दिन होता है। यह भारहिनता द्वारा शरीर के असंतुलन निर्माण के कारण होता है।

अंपोलो 8 के यात्री यान के अंदर
अंपोलो 8 के यात्री यान के अंदर

प्रक्षेपण के 21 घंटे बाद अंतरिक्ष यात्री दल ने टीवी से जरीये सीधा प्रसारण किया। इसमे 2 किग्रा भारी कैमरा उपयोग मे लाया गया और श्वेत स्याम प्रसारण किया गया। इस प्रसारण मे यात्रीयो ने यान का एक टूर दिखाया और अंतरिक्ष से पृथ्वी का नजारा दिखाया। लावेल ने अपनी मां को जन्मदिन की बधाई दी। 17 मिनिट बाद सीधा प्रसारण टूट गया।

अंतरिक्ष से पृथ्वी
अंतरिक्ष से पृथ्वी


अब तक सभी यात्री योजना के अनुसार सोने के समय के अभयस्त हो चुके थे। यात्रा के 32.5 घण्टे बीते चुके थे। लावेल और एन्डर्श सोने चले गये।

तीन खिडकीयों पर तेल की परत के कारण एक धुण्ध छा गयी थी और बाकी दो चन्द्रमा की विपरीत दिशा मे होने से यात्री अब चन्द्रमा को देख नही पा रहे थे। दूसरा सीधा प्रसारण 55 घंटो के बाद हुआ। इस प्रसारण मे यान ने पृथ्वी की तस्वीरे भेजना शुरू की। यह प्रसारण 23 मिनिट तक चला।

चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण मे

55 घंटे 40 मिनट के बाद यान चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण मे आ गया। अब वे चन्द्रमा से 62,377 किमी दूर थे और 1216 मी/सेकंड की गति से उसकी ओर बढ रहे थे। उन्होने यान के पथ मे परिवर्तन किया और अब वे 13 घंटे बाद चन्द्रमा की कक्षा मे परिक्रमा करना शुरू करने वाले थे।

प्रक्षेपण के 61 घंटे बाद जब वे चन्द्रमा से 39,000 किमी दूर थे। उन्होने राकेट के इण्जन को दाग कर पथ मे एक बार और बदलाव किया, इस बार उन्होने गति कम की। इसके लिये इंजन 11 सेकंड तक जलता रहा। अब वे चन्द्रमा से 115.4 किमी दूर थे।

उडान के 64 घण्टे बाद यात्रीदल ने चन्द्रमा कक्षा प्रवेश की तैयारीयां शुरू की। भूस्थित नियण्त्रण कक्ष ने 68 घण्टे बाद उन्हे आगे बढने का निर्देश दिया। चन्द्रमा कक्षा प्रवेश के 10 मिनिट पहले यात्रीयो ने यान की अंतिम जांच की। अब उन्हे चन्द्रमा दिखायी दे रहा था, लेकिन वे चन्द्र्मा के अंधेरे हिस्से की ओर थे। लावेल ने पहली बार तिरछे कोण से चन्द्रमा उजली सतह को देखा। लेकिन इस दृश्य को देखने उनके पास सिर्फ 2 मिनिट बचे।

चन्द्रमा की कक्षा मे

2 मिनिट पश्चात अर्थात प्रक्षेपण के 69 घंटे 8 मिनिट और 16 सेकंड बाद SPS इंजन 4 मिनिट 13 सेकंड जला। यान चन्द्रमा की कक्षा मे पहुंच गया था। यात्रीयो इन चार मिनिटो को अपने जीवन का सबसे लंबा अंतराल बताया है। इस प्रज्वलन के समय मे कमी उन्हे अंतरिक्ष मे ढकेल सकती थी या चन्द्रमा की दिर्घवृत्ताकार कक्षा मे डाल सकती थी। ज्यादा समय से वे चन्द्रमा से टकरा सकते थे। अब वे चन्द्रमा की परिक्रमा कर रहे थे जो अगले 20 घंटो तक चलने वाली थी।
पृथ्वी पर नियंत्रण कक्ष यान के चन्द्र्मा के पिछे से सामने आने की प्रतिक्षा कर रहा था। यान के चन्द्र्मा पिछे होने के कारण उनका यान से संपर्क टूटा हुआ था। सही समय पर उन्हे अपोलो 8 से संकेत मील गये और यान चंद्र्मा के सामने की ओर आ गया था। अब वह 311.1×111.9 किमी की कक्षा मे था।

लावेल ने यान की स्थिती बताने के बाद चन्द्र्मा के बारे कुछ इस तरह से बयान दिया

चन्द्रमा का रंग भूरा है, या कोई रंग नही है; यह प्लास्टर आफ पेरीस या कीसी भूरे समुद्रा बीच की तरह लग रहा है। अब हम काफी विस्तार से देख सकते है। सी आफ फर्टीलीटी वैसा नही है जैसा पृथ्वी से दिखता है। इसके और बाकी क्रेटर मे काफी अंतर है। बाकी क्रेटर लगभग गोल हैं। इनमे से काफी नये है। इनमे से काफी विशेषतया गोल वाले उलकापात से बने लगते है। लैन्गरेनस एक काफी बडा क्रेटर है और इसके मध्य मे एक शंकु जैसा गढ्ढा है।

मारे ट्रैन्क्युलीटेटीस
मारे ट्रैन्क्युलीटेटीस


लारेल चन्द्रमा के हर उस भाग किसके पास से यान गुजर रहा था जानकारी देता रहा। यात्रीयो का एक कार्य अब चन्द्रमा पर अपोलो 11 के उतरने की जगहे निश्चित करना भी था। वे चन्द्रमा की हर सेकंड एक तस्वीर ले रहे थे। बील एंडर्स ने अगले 20 घंटे इसी कार्य मे लगाये। उन्होने चद्रमा की कुल 700 और पृथ्वी की 150 तस्वीरे खींची।

उस घंटे के दौरान यान पृथ्वी पर के नियंत्रण कक्ष के संपर्क मे रहा। बारमन ने यान के इंजन के बारे मे आंकडे के बार मे पुछताछ की। वह यह निश्चीत कर लेना चाहता था कि इंजन सही सलामत है जिससे की वह वापसी की यात्रा मे उपयोग मे लाया जा सकता है या नही। वह भूनियंत्रण कक्ष से कर परिक्रमा के पहले निर्देश लेते रहता था।

चन्द्रमा की दूसरी परिक्रमा के बाद जब वे उसके सामने आये उन्होने एक बार फिर से टीवी पर सीधा प्रसारण किया। इस प्रसारण मे उन्होने चद्र्मा की सतह की तस्वीरे भेजी। इस परिक्रमा के बाद मे उन्होने यान की कक्षा मे परिवर्तन किये। अब वे 112.6 x 114.8 किमी की कक्षा मे थे।

चन्द्रमा पर पृथ्वी उदय
चन्द्रमा पर पृथ्वी उदय


अगली दो परिक्रमा मे उन्होने यान की जांच और चन्द्रमा की तस्वीरे लेना जारी रखा। चौथी परिक्रमा के दौरान उन्होने चन्द्रमा पर पृथ्वी का उदय का नजारा देखा। उन्होने इस दृश्य की कालीसफेद और रंगीन तस्वीर दोनो खिंची। ध्यान दिया जाये की चन्द्रमा अपनी धूरी पर परिक्रमा और पृथ्वी की परिक्रमा मे समान समय लेता है जिससे उसकी सतह पर पृथ्वी का उदय नही देखा जा सकता और साथ ही पृथ्वी से चन्द्रमा के एक ही ओर का गोलार्ध देखा जा सकता है।
नवीं परिक्रमा के दौरान एक सीधा प्रसारण और किया गया। इसके पहले दो परिक्रमा के दौरान बोरमैन अकेला जागता रहा था बाकि दोनो यात्रीयो को उसने सोने भेज दिया था।
अब उनके बाद पृथ्वी वापसी की तैयारी (Tran Earth Injection TEI) बाकी थी। जो टीवी प्रसारण के 2.5 घंटे बाद होना था। यह पूरी ऊडान का सबसे ज्यादा महत्वपुर्ण प्रज्वलन था। यदि SPS इंजन नही प्रज्वलीत हो पाता तो वे चन्द्रकक्षा मे फंसे रह जाते, उनके पास 5 दिन की आक्सीजन बची थी और बचाव का कोई साधन नही था। यह प्रज्वलन भी चन्द्रमा की पॄथ्वी से विपरीत दिशा मे रहकर भूनियंत्रण कक्ष से नियंत्रण सपंर्क ना रहने पर करना था।

लेकिन सब कुछ ठीकठाक रहा। यान प्रक्षेपण के 89 घंटे 18 मिनिट और 39 सेकंड बाद पृथ्वी की ओर दिखायी दिया। पृथ्वी से संपर्क बनने के बाद लावेल ने संदेश भेजा

” सभी को सुचना दी जाती है कि वहां एक सांता क्लाज है!”

भूनियंत्रण कक्ष से केन मैटींगली ने उत्तर दिया

” आप सही है, आप ज्यादा अच्छे से जानते है”।

यह दिन था क्रिसमस का।

वापसी की यात्रा मे एक समस्या आ गयी थी। गलती से कम्प्युटर से कुछ आंकडे नष्ट हो गये थे, जिससे यान अपने पथ से भटक गया था। अब यात्रीयो ने कम्प्युटर मे आंकडे फीर से डाले जिससे यान अपने सही पथ पर आ गया। कुछ इसी तरह का काम लावेल ने 16 महिन बाद इससे गंभीर परिस्थितीयो मे अपोलो 13 अभियान के दौरान किया था।
वापसी की यात्रा आसान थी, यात्री आराम करते रहे। यान TEI के 54 घंटो के बाद पृथ्वी के वातावरण मे आकर प्रशांत महासागर मे आ गीरा।

यार्कटाउन के डेक पर अपोलो 8
यार्कटाउन के डेक पर अपोलो 8


वापसी की यात्रा मे पृथ्वी के वातावरण के बाहर इंजन अलग हो गया। यात्री अपनी जगह पर बैठे रहे। छह मिनिट पश्चात उन्होने वातावरण की सतह को छुआ, उसी समय उन्होने चंद्रोदय भी देखा। वातावरण के स्पर्श पर उन्होने यान की सतह पर प्लाज्मा बनते देखा। यान के उतरने की गति कम हो कर 59 मी/सेकंड हो गयी थी। 9 किमी की उंचाई पर पैराशुट खुला, इसके बाद हर 3 किमी पर एक और पैराशुट खुलते रहा। पानी मे गिरने के 43 मिनिट बाद इसे USS यार्कटाउअन जहाज ने उठा लिया था।

टाईम मैगजीन ने अपोलो 8 के यात्रीयो 1968 के वर्ष के पुरुष (Men of the year) खिताब से नवाजा था। एक प्रशंसक द्वारा बारमन को भेजे गये टेलीग्राम मे लिखा था

अपोलो 8 धन्यवाद। तुमने 1968 को बचा लिया।

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4 विचार “अपोलो 08 : चांद के पार चलो&rdquo पर;

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