25 मार्च 2016 को एक बार फ़िर से लार्ज हेड्रान कोलाईडर को इस वर्ष के भौतिकी के प्रयोगो के लिये आरंभ किया गया, इस वर्ष इसके प्रयोगो से 2015 की तुलना मे छह गुणा अधिक आंकड़ो के प्राप्त होने की … पढ़ना जारी रखें LHC(लार्ज हेड्रान कोलाईडर) कैसे कार्य करता है?
इस श्रृंखला मे यह कई बार आया है कि जब भी एक कण अपने प्रति-कण से टकराता है, तब दोनो कणो का विनाश होकर ऊर्जा का निर्माण होता है। इस लेख मे इस प्रक्रिया को विस्तार से देखेंगे।
कणो का विनाश(particle anhilation) और कणो का क्षय(particle decay) दो अलग अलग प्रक्रिया है। कणो के क्षय मे एक मूलभूत कण एक या एकाधिक कण मे परिवर्तित हो जाता है। विनाश में पदार्थ कण और प्रतिपदार्थ कण एक दूसरे को नष्ट कर ऊर्जा में परिवर्तित हो जाते हैं। लेकिन दोनो प्रक्रियायें आभासी कणों(virtual partilces) के द्वारा ही होती है।
कण-प्रतिकण का टकराव और विनाश
कण तथा प्रतिकण परस्पर प्रतिक्रिया करते हैं तथा अपने पूर्व रूप की ऊर्जा को अत्यंत ऊच्च ऊर्जा वाले बलवाहक कण(ग्लुआन,W/Z कण,फोटान) में परिवर्तित करते हैं। ये बल वाहक कण(force carrier partilcles) बाद में अन्य कणों में परिवर्तित हो जाते हैं।
स्टैंडर्ड मॉडल के अनुसार मूलभूत कणों का अन्य कणों में क्षय संभव है।
नाभिकीय क्षय में एक परमाणु का केन्द्र छोटे केन्द्रों में टूट जाता है। अर्थात एक बड़े परमाणु से दो छोटे परमाणु बनते है। प्रोटान और न्यूट्रॉन के एक बड़े समूह का प्रोटान और न्यूट्रॉन के छोटे समूहों में बंट जाना समझ में आता है।
नाभिकिय क्षयकण का क्षय
लेकिन मूलभूत कण का क्षय ? लेकिन किसी मूलभूत कण के क्षय का अर्थ उस कण के अपने घटक कण में टूट जाना नहीं होता है। मूलभूत कण का अर्थ ही होता है कि उसके घटक नहीं है, उसे और ज्यादा तोड़ा नहीं जा सकता है। यह पर ’कण क्षय’ का अर्थ ’मूलभूत कण का दूसरे मूलभूत कण में परिवर्तन’ है। इस तरह का क्षय विचित्र है क्योंकि ’नये बने कण’ मूल कण के टुकड़े ना होकर एकदम नये कण होते हैं।
इस भाग में हम क्षय के प्रकार, क्षय के कारण और कब क्षय होगा, कब क्षय नहीं होगा की चर्चा करेंगे।