श्याम वीवर द्वारा गैस के निगलने से एक्रेरीशन डीस्क का निर्माण तथा एक्स रे का उत्सर्जन

ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया


कृष्ण विवर(श्याम विवर) अर्थात ब्लैक होल (Black hole) अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। इसके अंदर गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि उसके चंगुल से प्रकाश की किरणों निकलना भी … पढ़ना जारी रखें ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया

हर्टजस्प्रुंग-रसेल आरेख

तारों की अनोखी दुनिया


लेखक -प्रदीप (Pk110043@gmail.com) आकाश में सूरज, चाँद और तारों की दुनिया बहुत अनोखी है। आपने घर की छत पर जाकर चाँद और तारों को खुशी और आश्चर्य से कभी न कभी जरुर निहारा होगा। गांवों में तो आकाश में जड़े … पढ़ना जारी रखें तारों की अनोखी दुनिया

किसी घूर्णन करते हुये श्याम वीवर द्वारा घुर्णन अक्ष की दिशा मे इलेक्ट्रान जेट का उत्सर्जन किया जा सकता है, जिनसे रेडीयो तरंग उत्पन्न होती है।

ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 14 : श्याम विवर कैसे बनते है?


श्याम विवर का जन्म सुपरनोवा विस्फोट के पश्चात होता है।
श्याम विवर का जन्म सुपरनोवा विस्फोट के पश्चात होता है।

जब तक तारे जीवित रहते है तब वे दो बलो के मध्य एक रस्साकसी जैसी स्थिति मे रहते है। ये दो बल होते है, तारो की ‘जीवनदायी नाभिकिय संलयन से उत्पन्न उष्मा’ तथा तारों का जन्मदाता ‘गुरुत्वाकर्षण बल’। तारे के द्रव्यमान से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण उसे तारे पदार्थ को  केन्द्र की ओर संपिड़ित करने का प्रयास करता है, इस संपिड़न से प्रचण्ड उष्मा उत्पन्न होती है, जिसके फलस्वरूप नाभिकिय संलयन प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यह नाभिकिय संलयन प्रक्रिया और ऊर्जा उत्पन्न करती है। इस ऊर्जा से उत्पन्न दबाव की दिशा केन्द्र से बाहर की ओर होती है। इस तरह से तारे के गुरुत्व और संलयन से उत्पन्न ऊर्जा की रस्साकशी मे एक संतुलन उत्पन्न हो जाता है। तारे नाभिकिय संलयन के लिए पहले हायड़ोजन, उसके बाद हिलियम,लीथीयम के क्रम मे लोहे तक के तत्वो का प्रयोग करता है। विभिन्न तत्वों का नाभिकिय संलयन परतो मे होता है, अर्थात सबसे बाहर हायड़ोजन, उसके नीचे हीलीयम और सबसे नीचे लोहा।

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निहारिका मे सितारों का जन्म


ब्रह्मांडीय नर्सरी जहाँ तारों का जन्म होता है एक धूल और गैसों का बादल होता है जिसे हम निहारीका (Nebula) कहते है। सभी तारों का जन्म निहारिका से होता है सिर्फ कुछ दुर्लभ अवसरो को छोड़कर जिसमे दो न्यूट्रॉन तारे एक श्याम विवर बनाते है। वैसे भी न्यूट्रॉन तारे और श्याम विवर को मृत तारे माना जाता है।

निहारिका दो अलग अलग कारणों से बनती है। एक तो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ती है। ब्रह्माण्ड के जन्म के बाद ब्रह्माण्ड मे परमाणुओं का निर्माण हुआ और इन परमाणुओं से धूल और गैस के बादलों का निर्माण हुआ। इसका मतलब यह है कि गैस और धूल जो इस तरह से बनी है उसका निर्माण तारे से नही हुआ है बल्कि यह ब्रह्माण्ड के निर्माण के साथ निर्मित मूल पदार्थ है। पढ़ना जारी रखें “निहारिका मे सितारों का जन्म”