खगोल वैज्ञानिको ने अंतरिक्ष मे एक नृशंष हत्या का नजारा देखा है, एक तारा अनजाने मे एक महाकाय श्याम विवर (Supermassive Black Hole) के पास फटकने की गलती कर बैठा। इस गलती की सजा के फलस्वरुप उस महाकाय दानव ने उस तारे को चीर कर निगल लीया।

इन चित्रो मे आप इस घटना के पहले की स्थिति बायें तथा पश्चात दायें देख सकते है। उपर की पंक्ति के चित्र गैलेक्स(GALEX) उपग्रह से लिये गये हैं, जो अंतरिक्ष की तस्वीरें पराबैंगनी किरणो(Ultraviolet) मे लेता है। दूसरी पंक्ति के चित्र हवाई द्विप स्थित शक्तिशाली दूरबीन से लिये गये हैं।
इस तारे की मृत्यु के चित्र हमे जून 2010 मे प्राप्त हुये। यह घटना एक दूरस्थ आकाशगंगा के मध्य हुयी है जोकि हमसे 2.7 अरब प्रकाशवर्ष दूर है। इस आकाशगंगा के मध्य एक महाकाय श्याम विवर है जिसका द्रव्यमान करोड़ो सूर्यों के द्रव्यमान के तुल्य है। हमारी आकाशगंगा ’मंदाकिनी’ के मध्य भी इसी श्याम विवर के जैसा एक श्याम विवर है। इस घटना मे मृतक तारा श्याम विवर की दिर्घवृत्तीय(elliptical ) कक्षा मे था। लाखों अरबो वर्षो मे यह दारा एक लाल दानव के रूप मे अपनी मत्यु के समीप पहुंच रहा था, साथ ही समय के साथ इसकी कक्षा छोटी होते गयी और यह श्याम विवर के समीप आ पहुंचा। श्याम विवर के गुरुत्व ने इस तारे को चीर कर निगल लिया।
चित्र मे दिखायी दे रही चमक, इस तारे के पदार्थ के इस श्याम विवर के एक स्पायरल के रूप मे परिक्रमा करते हुये निगले जाने के समय उत्पन्न हुयी है। इस प्रक्रिया मे खगोलिय पदार्थ किसी तारे द्वारा निगले जाने से पहले श्याम विवर के चारों ओर एक चपटी तश्तरी बनाता है, यह तश्तरी अत्याधिक गर्म हो जाती है और अत्याधिक ऊर्जा वाली गामा किरण, एक्स किरण और पराबैंगनी किरणे उत्सर्जित करती है। यह चमक इस घटना के पहले से 350 गुणा ज्यादा तेज थी। इस घटना मे इस तारे का कुछ पदार्थ भी अंतरिक्ष मे फेंका गया।
इस घटना का एनीमेशन निचे दिये गये वीडियो मे देखा जा सकता है।
इस घटना मे उत्सर्जित पदार्थ मुख्यतः हिलीयम है, जोकि यह दर्शाता है कि यह तारा वृद्ध था; तारे अपनी उम्र के साथ हायड्रोजन को जलाकर हिलीयम बनाते है।
इस तरह की घटनायें दुर्लभ हैं तथा किसी आकाशगंगा मे लगभग 100,000 वर्षो मे एक बार होती है। हमारे वैज्ञानिक लगभग 100,000 आकाशगंगाओं पर नजरे टिकाये हुये है जिससे हर वर्ष मे एक बार इस घटना के होने कि संभावना होती है।
2011 मे स्विफ्ट ने एक ऐसी ही घटना देखी थी। स्विफ्ट इस तरह की घटनाओं को दर्ज करने के लिये बेहतर है क्योंकि उसकी गति अच्छी है।
खगोलशास्त्रियों के लिये यह घटना सामान्य है लेकिन मृत्यु कितनी भयानक हो सकती है!
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black hole ko aap sab danaw bhi kah sakte hi ke wo taro ya graho ko apni jabrdast gravity se nigal leta he par wohi black hole manavo ke liye 1 nayi shuruwat he kyu ki black hole apni graviti se time or roshni ko bhi mod sakta he to jahir he koli time kahi bhi khatam nahi hota chahe wo space me ho ya black hole me
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sir kya tare v jivit hote hai humare tarah
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sir kya tare v jivit hai humare tarah pls sir muje is bare me bataiye
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sir kya aap mujh ek baat btaynge….
ki yh black hole hai kya chej yh bni kese..ur kya black hone mai agr koi chla jata hai to uske sath kya hota hai….black hole ke andr kya hai koi ur duniya ya sirf death…
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Hollywood movie star trek dekhiye quantum theory me lite.black hole ki details hai.
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Light hmesha Straight hi kyu chalti h…..and yahi light ki Properties kyu bani koi to resion hoga……
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रेयांश,
अपने प्रश्न इस लिंक https://vigyan.wordpress.com/qna/ पर पूछो, यह लिंक इस तरह के प्रश्नो के लिये ही है।
अब आते है इस प्रश्न पर:
प्रकाश हमेशा सीधी रेखा मे नही चलता है, वह भी भारी पिंड जैसे सूर्य के गुरुत्व के प्रभाव मे मुड़ जाता है! सामान्यत: कोई भी वस्तु/पिंड बाह्य बल की अनुपस्थिति मे एक सरल रेखा मे ही गति करेगी। यदि कोई बाह्य बल उसपर कार्य करे तो उसकी दिशा मे परिवर्तन आता है। यह प्रकाश पर भी लागु होता है, सूर्य जैसे तारो का गुरुत्वाकर्षण प्रकाश के पथ को भी मोड़ देता है।
प्रकाश वास्तविकता मे विद्युत चुंबकीय विकिरण है और फोटानो से बना होता है।
प्रकाश के संबध मे कुछ जानकारी यहां मीलेगी : https://vigyan.wordpress.com/2011/07/18/emf/
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Sir Bermuda triangle ships, planes ko b Attract kr leta h to sir waha par jo water h use attract kyo nahi krta….water ko b attract krna chahiye…. or agar sir Bermuda triangle par koi artical b post kr sako to plz….thankyew sir
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रेयांश,
बरमुडा त्रिभूज कोई रहस्य नही है। वहाँ पर होने वाली दुर्घटनाओं का औसत किसी अन्य जगह पर होने वाली दुर्घटनाओं से ज्यादा नही है। लोगो ने उसे बिना किसी ठोस कारण के रहस्य बना दिया है।
इस क्षेत्र मे पिछले 30-40 वर्षो से कोई दुर्घटना नही हुयी है। अधिकतर दुर्घटनाएँ 1950 से पहले की हैं, जब तकनीक इतनी उन्नत नही थी, विमान अच्छे नही थे।
हमारा मन किसी भी घटना को रहस्यमय मान लेता है, वास्तविकता वैसी नही होती है। यहां पर कुछ और जानकारी है : http://en.wikipedia.org/wiki/Bermuda_Triangle#Larry_Kusche
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रेयांश,
इसे पढो़ https://vigyan.wordpress.com/2006/08/29/doplarredshift/
और यह भी https://vigyan.wordpress.com/2011/05/16/dark-energy/
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Hume kese pata chalta he ki stars ya koi planet hamse kitni doori per he ?
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Kya ye possibality nahi h ki hm b kisi black hole me ho….
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रेयांस,
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारा ब्रह्मांड किसी श्याम विवर के अंदर हो सकते है।
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Kya aap bata sakte hai ki hum itna pani use karte hai aur samudra se pani ka vaporization hota hai phir bhi uska pani kam kyun nahi hota.
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हेमंत जी, पानी पृथ्वी से बाहर नहीं जाता, घुम फिरकर वह वापस समुद्र में ही पहुँच जाता है। पानी बास्पित होकर बारिश करता है, इसका अधिकतर भाग समुद्र में ही जाता है। हमारा उपयोग किया पानी भी नदी नालों, बास्पन से समुद्र पहुँच जाता है।
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very good.
Shyaam ko bhajate hue shyaam vivar main chale jaanaa!
ભારત કી સરલ આસાન લિપિ મેં હિન્દી લિખને કી કોશિશ કરો……………….ક્ષૈતિજ લાઇનોં કો અલવિદા !…..યદિ આપ અંગ્રેજી મેં હિન્દી લિખ સકતે હો તો ક્યોં નહીં ગુજરાતી મેં? ગુજરાતી લિપિ વો લિપિ હૈં જિસમેં હિંદી આસાની સે ક્ષૈતિજ લાઇનોં કે બિના લિખી જાતી હૈં! વો હિંદી કા સરલ રૂપ હૈં ઔર લિખ ને મૈં આસન હૈં !
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brahmaand anant hai ya nahi hai…?
Ye bataiye ki brahmand acceleration ke saath badh raha hai. To is brahmand ke bahar kya hoga?
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अंतरिक्ष (space) और रिक्त स्थान (void) मे एक अंतर है। ब्रह्माण्ड अनंत नही हो सकता, वह अंतरिक्ष की सीमाओ मे बंधा होना चाहीये, उस सीमा के पश्चात रिक्त स्थान (Void) प्रारंभ होता है। पृथ्वी से दृश्य ब्रह्माण्ड लगभग 46 अरब प्रकाश वर्ष त्रिज्या का गोला है, इस गणना मे अंतरिक्ष के विस्तार की वर्तमान गति को जोड़ दिया गया है। ध्यान रहे कि अंतरिक्ष का अर्थ रिक्त स्थान नही होता है, अंतरिक्ष के अपने गुण होते है, वह खाली नही होता। रिक्त स्थान के कोई गुण नही होते, वह खाली होता है।
अंतरिक्ष खाली नही होता अर्थात इसमे आभासी कण बनते रहते है और नष्ट होते रहते है। इसके अपने गुण होते है, अपनी ऊर्जा होती है। अतंरिक्ष को अकेले नही माना जाता, इसे समय के साथ जोड़कर माना जाता है, space-time. प्रकाश को इसी काल-अंतराल (space-time) मे उत्पन्न तरंग माना जाता है. गुरुत्वाकर्षण भी इसी काल-अंतराल मे भारी पिंडो द्वारा उत्पन्न प्रभाव है। यह सब void रिक्त स्थान मे नही होता, वह केवल रिक्त होता है, बिना किसी गुणधर्म, पदार्थ, ऊर्जा के।
“पृथ्वी से दृश्य ब्रह्माण्ड लगभग 46 अरब प्रकाश वर्ष त्रिज्या का गोला है, इस गणना मे अंतरिक्ष के विस्तार की वर्तमान गति को जोड़ दिया गया है। ” पूरी टिप्पणी को ध्यान से पढो। पृथ्वी से सबसे दूरी पर का देखा गया पिंड लगभग 12.5 अरब प्रकाशवर्ष दूर है, अर्थात उसका प्रकाश जो आज हम देख रहे है 12.5 अरब वर्ष पहले निकला होगा। इस 12.5 अरब वर्ष मे वह पिंड दूर जा चुका होगा। उसकी वर्तमान स्थिति जानने के लिये उसमे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति से उत्पन्न विस्थापन को जोड़ना होगा। इस 12.5 अरब प्रकाशवर्ष दूरी के पिंड मे यदि ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति को जोड़ कर गणना करे तो परिणाम 46 अरब वर्ष आता है।
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हमें यह कैसे पता चला कि वो प्रकाश 12.5 अरब प्रकाश वर्ष दूर से आया है?
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प्रकाश की तरंग दैधर्य में दूरी के साथ विस्तार होता है। उस विस्तार के माप से दूरी ज्ञात की जाती है। इसी वेबसाइट में लाल विचलन पढ़ो।
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