
शनि के वलय हमारे सौर मंडल मे सबसे बड़ी सूर्य घड़ी का निर्माण करते है। लेकिन ये सूर्यघड़ी शनि के मौसम की ही जानकारी देते है, शनि के दिन के समय की नही। 2009 मे जब शनि अपने विषुव पर था, इन वलयो की छाया लुप्त हो गयी थी क्योंकि इन वलयो का प्रतल सूर्य की एकदम सीध मे था। (यह कुछ वैसे ही है जैसे 21 मार्च या 23 सितंबर दोपहर 12 बजे पृथ्वी की विषुवत रेखा पर खड़े व्यक्ति की छाया उसके पैरो के निचे बनेगी।)
2009 के पश्चात जैसे ही शनि सूर्य की कक्षा मे आगे बढ़ा, वलयो की छाया चौड़ी होते गयी और दक्षिण की ओर बढ़ते गयी। शनि के वलयो की छाया पृथ्वी से दिखायी नही देती क्योंकि हमारी सूर्य की ओर स्थिति के कारण ये शनि वलयो के पिछे छुप जाती है। प्रस्तुत तस्वीर कासीनी अंतरिक्षयान से ली गयी है जो वर्तमान मे शनि की परिक्रमा कर रहा है। इस चित्र मे वलय एक खड़ी रेखा के जैसे दिखायी दे रहे है। सूर्य इस चित्र मे उपर दायें कोने की ओर है जिससे शनि के दक्षिण मे ये जटिल छायायें बन रही है। कासीनी 2004 से शनि की परिक्रमा कर रहा है और उसके शनि की कक्षा मे 2017 तक इन छायाओं की अधिकतम लम्बाई के बनने तक रहने की आशा है।
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HUM KHUSHNASEEB HAIN KI HUMEN JEEWAN MILA HAI IS SUNDAR SANSAR KO DEKHNE KE LIYE.
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achha hai atti sounder hai…best m best hai.
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प्रकृति में सुंदरता भरी पड़ी है। चाहे हम विश्व के किसी क्षेत्र को देख लें।
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