
मानव की कल्पना से भी विशालकाय निहारिका टारान्टुला ! यह निहारिका हमारी आकाशगंगा की उपग्रह आकाशगंगा(विशाल मेगेल्लेनिक बादल) मे 170,000 प्रकाशवर्ष दूरी पर है। यह चित्र हब्बल दूरबीन द्वारा लिया गया है और उसके मध्य भाग को दिखा रहा है। यह निहारिका इतनी विशाल है कि हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला एक बार मे पूरी निहारिका का चित्र नही ले सकती है। इस निहारिका मे तेज गति से असंख्य तारो का जन्म हो रहा है।
चित्र पर क्लीक कर इसे अपने पूरे आकार मे देंखे।
इस चित्र मे गैस, धूल और तारे बेतरतीबी से बिखरे पड़े है। इनमे से कुछ तारे नवजात है। लेकिन इस चित्र के मध्य बाएं मे धागे जैसी संरचना पर ध्यान दें, यह सुपरनोवा विस्फोट के बाद संपिड़ित बादलो की परते है, यह तारा इस चित्र के मध्य मे विस्फोटित हुआ होगा। यह तारा विशालकाय रहा होगा जो अपनी छोटे जीवन को जीने के बाद विस्फोट से मृत्यु को प्राप्त हुआ होगा। (कोई तारा जितना बड़ा होता है , उतनी तेजी से अपने इंधन का उपभोग करता है, और उतनी छोटी जिंदगी जीता है।) इस तारे के विस्फोट से मलबा लांखो किमी प्रति सेकंड की गति से फैला होगा। इस विस्फोट की तरंगो से इस निहारिका की गैस संपिड़ित हुयी होगी और कई नये तारो का जन्म हुआ होगा।
इस निहारिका को आप एक छोटे बायनाकुलर से भी देख सकते है। इसके लिए आपको दक्षिणी गोलार्ध(उदा. आस्ट्रेलीया, न्युजीलैंड) मे होना चाहीए।
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aacha hai
yeh sab html (notepad) se hi bana hai na….
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