वलय आकाशगंगा


होग का पिण्ड: एक विचीत्र आकाशगंगा

इस चित्र मे एक आकाशगंगा है या दो ?

अंतरिक्ष विज्ञानीयो के मन मे यह प्रश्न उस समय खडा हुआ जब विज्ञानी आर्ट होग(Art Hoag) ने इस असामान्य पराआकाशगंगीय(extragalactic) पिण्ड का निरिक्षण किया।

इस तस्वीर मे बाहरी छल्लानुमा आकार नये और चमकदार निले तारो से बना है जबकी केन्द्रीय गोलाकार संरचना बुढे पुराने लाल तारो से बनी है। इन दोनो संरचनाओ केन्द्रिय गोले और बाहरी छल्ले के बिच मे एक लगभग श्याम अंतराल है, जो की किसी श्याम निहारीका के पदार्थ से बना हो सकता है।

ये आकाशगंगा कैसे बनी होगी एक यक्ष प्रश्न है क्योंकि बाहरी भाग मे नये तारे और अदंरूनी भाग मे पुराने तारो का तालमेल समझ से बाहर है। अब ऐसी कुछ और आकाशगंगाओ का भी पता चला है जिन्हे अब वलय आकाशगंगा(ring galaxy) कहते है।

जीनेसीस सिद्धांत के अनुसार ऐसी संरचना दो आकाशगंगाओ के टकराव के फलस्वरूप बन सकती है जो कि अरबो वर्षो पुर्व घटीत हुआ होगा।  जब एक छोटी आकाशगंगा दूसरी बडी आकाशगंगा के मध्य से गुजरती है, तब गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप ब्रम्हांडीय धूल और गैस संघनीत होकर ‘तारो के निर्माण की लहरे(Wave of Star Formation)’ बनाते है। इन लहरो से नये बने तारे लहरो के रूप मे केन्द्र से दूर जाते है। ये प्रक्रिया कुछ ऐसे है जब आप किसी तालाब मे एक पत्थर फेंकते है और गोलाकार रूप मे लहरे उठती है।

ध्यान दिजीये कि आकाशगंगाओ के टकराव मे सामान्यतः तारे एक दूसरे से नही टकराते है। ऐसा इसलिये होता है कि आकाशगंगाओ मे तारो के मध्य काफी जगह (कुछ प्रकाशवर्ष)होती है जबकि तारो का व्यास प्रकाशसेकंड के 100 वें भाग  से भी काफी कम होता है।

यह तस्वीर जुलाई 2001 मे हब्ब्ल ने ली थी। इसे होग का पिन्ड भी कहते है। यह 100,000 प्रकाशवर्ष चौडी है और हमसे 6000 लाख प्रकाशवर्ष दूर है। इसे आप सर्प नक्षत्र(constellation of Serpens) के पास एक साधारण दूरबीन से देख सकते है।

संयोग से चित्र मे 1 बजे की स्थीति मे एक और वलय आकाशगंगा दिखायी दे रही है जो कि इस आकाशगंगा (होग का पिण्ड) से काफी दूर (लाखो प्रकाशवर्ष) है।
एक और वलय आकाशगंगा AM 0644-741 नीचे दिये गये चित्र मे दिखायी दे रही है।

वलय आकाशगंगा AM 0644-741

Advertisement

3 विचार “वलय आकाशगंगा&rdquo पर;

  1. ये सारे लेख पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है। समझ में आ रहा है कि अपनी औकात क्या है। हम ६ फुटे आदमी अपने को तीस मार खां समझने लगने लगते हैं जबकि दुनिया प्रकाश वर्षों में नपती है!

    पसंद करें

इस लेख पर आपकी राय:(टिप्पणी माड़रेशन के कारण आपकी टिप्पणी/प्रश्न प्रकाशित होने मे समय लगेगा, कृपया धीरज रखें)

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s