श्याम वीवर द्वारा गैस के निगलने से एक्रेरीशन डीस्क का निर्माण तथा एक्स रे का उत्सर्जन

ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया


कृष्ण विवर(श्याम विवर) अर्थात ब्लैक होल (Black hole) अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। इसके अंदर गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि उसके चंगुल से प्रकाश की किरणों निकलना भी … पढ़ना जारी रखें ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया

हर्टजस्प्रुंग-रसेल आरेख

तारों की अनोखी दुनिया


लेखक -प्रदीप (Pk110043@gmail.com) आकाश में सूरज, चाँद और तारों की दुनिया बहुत अनोखी है। आपने घर की छत पर जाकर चाँद और तारों को खुशी और आश्चर्य से कभी न कभी जरुर निहारा होगा। गांवों में तो आकाश में जड़े … पढ़ना जारी रखें तारों की अनोखी दुनिया

किसी घूर्णन करते हुये श्याम वीवर द्वारा घुर्णन अक्ष की दिशा मे इलेक्ट्रान जेट का उत्सर्जन किया जा सकता है, जिनसे रेडीयो तरंग उत्पन्न होती है।

श्याम विवर: 10 विचित्र तथ्य


श्याम विवर या ब्लैक होल! ये ब्रह्मांड मे विचरते ऐसे दानव है जो अपनी राह मे आने वाली हर वस्तु को निगलते रहते है। इनकी भूख अंतहीन है, जितना ज्यादा निगलते है, उनकी भूख उतनी अधिक बढ़्ती जाती है। ये … पढ़ना जारी रखें श्याम विवर: 10 विचित्र तथ्य

श्याम ऊर्जा: बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ)


लगभग 13 वर्ष पहले यह खोज हुयी थी कि ब्रह्माण्ड की अधिकांश ऊर्जा तारों या आकाशगंगा मे ना होकर अंतराल(space) से ही बंधी हुयी है। किसी खगोलवैज्ञानिक की भाषा मे एक विशाल खगोलीय स्थिरांक (Cosmological Constant) की उपस्थिति का प्रमाण एक नये सुपरनोवा के निरीक्षण से मीला था।

पिछले तेरह वर्षो मे स्वतंत्र वैज्ञानिको के समूहों ने इस खगोलीय स्थिरांक की उपस्थिति के समर्थन मे पर्याप्त आंकड़े जुटा लीये है। ये आंकड़े प्रमाणित करते है कि एक विशाल खगोलीय स्थिरांक अर्थात श्याम ऊर्जा(Dark Energy) का अस्तित्व है। इस श्याम ऊर्जा के परिणाम स्वरूप ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति मे तेजी आ रही है। इस खोज के लिए वर्ष 2011 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तीन खगोल वैज्ञानिको साउल पर्लमटर(Saul Perlmutter), ब्रायन स्कमिड्ट( Brian P. Schmidt) तथा एडम रीस(Adam G. Riess) को दीया जा रहा है।

2012 के भौतिकी नोबेल पुरुष्कार विजेता : एडम रीस(Adam G. Riess), साउल पर्लमटर(Saul Perlmutter) तथा ब्रायन स्कमिड्ट( Brian P. Schmidt)
2012 के भौतिकी नोबेल पुरस्कार विजेता : एडम रीस(Adam G. Riess), साउल पर्लमटर(Saul Perlmutter) तथा ब्रायन स्कमिड्ट( Brian P. Schmidt)

2011 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं की खोज पर समर्पित यह लेख श्याम ऊर्जा पर बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्नो का उत्तर देने का प्रयास करता है। इस विषय पर दो लेख लेख 1 तथा लेख 2 भी पढें। पढ़ना जारी रखें “श्याम ऊर्जा: बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ)”

किसी घूर्णन करते हुये श्याम वीवर द्वारा घुर्णन अक्ष की दिशा मे इलेक्ट्रान जेट का उत्सर्जन किया जा सकता है, जिनसे रेडीयो तरंग उत्पन्न होती है।

ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 14 : श्याम विवर कैसे बनते है?


श्याम विवर का जन्म सुपरनोवा विस्फोट के पश्चात होता है।
श्याम विवर का जन्म सुपरनोवा विस्फोट के पश्चात होता है।

जब तक तारे जीवित रहते है तब वे दो बलो के मध्य एक रस्साकसी जैसी स्थिति मे रहते है। ये दो बल होते है, तारो की ‘जीवनदायी नाभिकिय संलयन से उत्पन्न उष्मा’ तथा तारों का जन्मदाता ‘गुरुत्वाकर्षण बल’। तारे के द्रव्यमान से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण उसे तारे पदार्थ को  केन्द्र की ओर संपिड़ित करने का प्रयास करता है, इस संपिड़न से प्रचण्ड उष्मा उत्पन्न होती है, जिसके फलस्वरूप नाभिकिय संलयन प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यह नाभिकिय संलयन प्रक्रिया और ऊर्जा उत्पन्न करती है। इस ऊर्जा से उत्पन्न दबाव की दिशा केन्द्र से बाहर की ओर होती है। इस तरह से तारे के गुरुत्व और संलयन से उत्पन्न ऊर्जा की रस्साकशी मे एक संतुलन उत्पन्न हो जाता है। तारे नाभिकिय संलयन के लिए पहले हायड़ोजन, उसके बाद हिलियम,लीथीयम के क्रम मे लोहे तक के तत्वो का प्रयोग करता है। विभिन्न तत्वों का नाभिकिय संलयन परतो मे होता है, अर्थात सबसे बाहर हायड़ोजन, उसके नीचे हीलीयम और सबसे नीचे लोहा।

पढ़ना जारी रखें “ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 14 : श्याम विवर कैसे बनते है?”

श्याम वीवर का परिकल्पित चित्र

ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 13 : श्याम विवर के विचित्र गुण


श्याम विवर कैसे दिखता है ?

कल्पना कीजिए की आप किसी श्याम विवर की सुरक्षित दूरी पर(घटना क्षितीज Event-Horizon से बाहर) परिक्रमा कर रहे है। आप को आकाश कैसा दिखायी देगा ? साधारणतः आपको पृष्ठभूमी के तारे निरंतर खिसकते दिखायी देंगे, यह आपकी अपनी कक्षिय गति के कारण है। लेकिन किसी श्याम विवर के पास गुरुत्वाकर्षण दृश्य को अत्यधिक रूप से परिवर्तित कर देता है।

श्याम विवर का परिकल्पित चित्र
श्याम विवर का परिकल्पित चित्र

श्याम विवर के समीप से गुजरने वाली प्रकाश किरणे उसके गुरुत्व की चपेट मे आ जाती है और निकल नही पाती है। इस कारण श्याम विवर के आसपास का क्षेत्र एक काली चकती(Dark Disk) के जैसा दिखायी देता है। श्याम विवर से थोड़ी दूरी पर से गुजरने वाली प्रकाश किरणे गुरुत्व की चपेट मे तो नही आती लेकिन उसके प्रभाव से उनके पथ मे वक्रता आ जाती है। इस प्रभाव के कारण श्याम विवर की पृष्ठभूमि मे तारामंडल विकृत नजर आता है, मनोरंजनगृहों के दर्पणो की तरह। इस प्रभाव से कुछ तारो की एकाधिक छवी दिखायी देती है। आप एक तारे की दो छवियाँ श्याम विवर के दो विपरीत बाजूओं मे देख सकते है क्योंकि श्याम विवर के दोनो ओर से जाने वाली प्रकाश किरणे आपकी ओर मुड़ गयी है। कुछ तारो की कभी कभी असंख्य छवियाँ बन जाती है क्योंकि उनसे निकलने वाली प्रकाश किरणे श्याम विवर के चारो ओर से आपकी ओर मोड़ दी जाती है। पढ़ना जारी रखें “ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 13 : श्याम विवर के विचित्र गुण”