वायेजर 1 : अनजान राहो पर यात्री


वायेजर 1 अंतरिक्ष शोध यान एक 815 किग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के के लिये 5 सितंबर 1977 को प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी(मार्च 2007) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि की यात्रा की है, यह यान इन महाकाय ग्रहो के चन्द्रमा की तस्वीरे भेजने वाला पहला शोध यान है।
वायेजर 1 मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तू है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनो से दूर अंनत अंतरिक्ष की गहराईयो मे अनसुलझे सत्य की खोज मे गतिशील है। न्यु हारीजोंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर 1 की तुलना मे कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर 1 को पीछे नही छोड़ पायेगा।

वायेजर 1 यान
वायेजर 1 यान


12 अगस्त 2006 के दिन वायेजर सूर्य से लगभग 14.96 x 10 9 किमी दूरी पर स्थित था और इसतरह वह हीलीयोसेथ भाग मे पहुंच चूका है। यह यान समापन सदमा(टर्मीनेशन शाक) सीमा को पार कर चूका है। यह वह सीमा है जहां सूर्य का गुरुत्व प्रभाव खत्म होना शूरू होता है और अंतरखगोलीय अंतरिक्ष प्रभाव प्रारंभ हो जाता है। यदि वायेजर 1 हिलीयोपाज को पार करने के बाद भी कार्यशील रहता है तब विज्ञानीयो को पहली बार अंतरखगोलीय माध्यम के सीधे मापे गये आंकड़े और दशा का पता चलेगा। इस दूरी से वायेजर 1 से भेजे गये संकेत पृथ्वी तक पहुंचने मे 13 घंटे का समय लेते है। वायेजर 1 एक हायपरबोलीक पथ पर जा रहा है ; इसने सौर मंडल के गुरुत्व से बाहर जाने योग्य गति प्राप्त कर ली है। वायेजर 1 अब सौर मंडल मे कभी वापिस नही आयेगा। इस स्थिती मे पायोनियर 10, पायोनियर 11, वायेजर 2 भी है।

वायेजर पथ
वायेजर पथ


वायेजर 1 का प्राथमिक अभियान उद्देश्य गूरू और शनि ग्रह, उनके चन्द्रमा और वलय का निरिक्षण था; अब उसका उद्देश्य हीलीयोपाज की खोज, सौर वायू तथा अंतरखगोलीय माध्यम के कणो का मापन है। अंतरखगोलीय माध्यम यह हायड्रोजन और हिलीयम के कणो का मिश्रण है जो अंत्यंत कम घनत्व की स्थिती मे सारे ब्रम्हांड मे फैला हुआ है। वायजर यान दोनो रेडीयोधर्मी बिजली निर्माण यंत्र से चल रहे है और अपने निर्धारीत जिवन काल से कहीं ज्यादा कार्य कर चूके है। इन यानो की उर्जा निर्माण क्षमता इन्हे 2020 तक पृथ्वी तक संकेत भेजने मे सक्षम रखने के लिये पर्याप्त है।

वायेजर 1 को मैरीनर अभियान के मैरीनर 11 यान की तरह बनाया गया था। इसकी अभिकल्पना इस तरह से की गयी थी कि यह ग्रहो के गुरुत्वाकर्षण की सहायता से कम इंधन का प्रयोग कर यात्रा कर सके। इस तकनिक के तहत ग्रहो के गुरुत्वाकर्षण के प्रयोग से यान की गति बढायी जाती है। एक संयोग से इस यान के प्रक्षेपण का समय महा सैर (Grand Tour) के समय से मेल खा रहा था, सौर मंडल के ग्रह एक विशेष स्थिती मे एक सरल रेखा मे आ रहे थे। इस विशेष स्थिती के कारण कम से कम इंधन का उपयोग कर ग्रहो के गुर्त्वाकर्षण के प्रयोग से चारो महाकाय गैस पिंड गुरू, शनि, नेप्च्युन और युरेनस की यात्रा की जा सकती थी। बाद मे इस यान को महा सैर पर भेजा जा सकता था। इस विशेष स्थिती के कारण यात्रा का समय भी 30 वर्षो से घटकर सिर्फ 12 वर्ष रह गया था।

5 सितंबर 1977 को नासा के केप कार्नीवल अंतरिक्ष केन्द्र से टाइटन 3 सेन्टार राकेट द्वारा वायेजर 1 को वायेजर 2 से कुछ देर बाद छोड़ा गया। वायेजर 1 को वायेजर 2 के बाद छोड़ा गया था लेकिन इसका पथ वायेजर 2 की तुलना मे तेज रखा गया था जिससे वह गुरू और शनि पर पहले पहुंच सके।

वायेजर 1 का प्रक्षेपण
वायेजर 1 का प्रक्षेपण


गुरू की सैर

वायेजर 1 ने गुरू की तस्वीरे जनवरी 1979 मे लेना प्रारंभ किया। यह 5 मार्च 1970 को गुरू से सबसे न्युनतम दूरी(349,000 किमी) पर था। इस यान ने गुरू, उसके चन्द्रमा और वलय की अत्याधिक रीजाल्युशन वाली तस्वीरे खींच कर पृथ्वी पर भेजी। इस यान द्वारा गुरू के चुंबकिय क्षेत्र, विकीरण का भी अध्यन किया। अप्रैल 1979 मे इसका गुरू अभियान खत्म हुआ।
वायजर यानो ने गुरू और उसके चन्द्रमाओ की अत्यंत महत्वपूर्ण खोजे की। सबसे ज्यादा आश्च्यर्य जनक खोजो मे से एक आयो पार चन्द्रमा पर ज्वालामुखी की खोज थी। इस ज्वालामुखी की खोज पायोनियर 10 और 11 द्वारा भी नही की जा सकी थी।

गुरू का महाकाय लाल धब्बा
गुरू का महाकाय लाल धब्बा


गुरू के चन्द्रमा आयो पर ज्वालामुखी से लावे का प्रवाह
गुरू के चन्द्रमा आयो पर ज्वालामुखी से लावे का प्रवाह


गुरू की सतह का एक चित्र
गुरू की सतह का एक चित्र


गुरू के चन्द्रमा केलीस्टो पर बना एक क्रेटर
गुरू के चन्द्रमा केलीस्टो पर बना एक क्रेटर


शनि की ओर
गुरू के गुरुत्वाकर्षण ने वायेजर को शनि की ओर धकेल दिया था। शनि के पास वायेजर नवंबर 1980 मे पहुंचा और 12 नवंबर को वायजर 1 शनि से सबसे न्युनतम दूरी (124,000 किमी) पर था। इस यान ने शनि की कठीन वलय सरंचना का अध्यन किया और ऐसी अनेक खोजे की जिसके बारे मे हम पहले नही जानते थे। इस यान ने शनि के खूबसूरत चन्द्रमा टाईटन का और उसके घने वातावरण का भी अध्यन किया। टाईटन के गुरुत्व का प्रयोग कर यह यान शनि से दूर अपने पथ पर आगे बढ़ गया।

 

शनि

शनि
शनि
शनि के चन्द्रमा टाइटन पर छाया कुहरा
शनि के चन्द्रमा टाइटन पर छाया कुहरा


शनि के चन्द्रमा टाइटन पर छाया कुहरा
शनि के चन्द्रमा टाइटन पर छाया कुहरा


शनि का f वलय
शनि का f वलय


अंतरखगोलीय यात्रा
उर्जा की बचत और इस यान का जिवन काल बढाने के लिये विज्ञानीयो ने इसके उपकरण क्रमशः बंद करने का निर्णय लिया है।

  • 2003 मे : स्केन प्लेटफार्म और पराबैंगनी निरिक्षण बंद कर दिया गया
  • 2010 : इसके एंटीना को घुमाने की प्रक्रिया(Gyro Operation) बंद कर दिया जाएगा
  • 2010 : DTR प्रक्रिया बंद कर दी जायेगी।
  • 2016 : उर्जा को सभी उपकरण बांट कर उपयोग करेंगे।
  • 2020 : शायद उर्जा का उत्पादन बंद हो जायेगा

हीलीयोपाज
वायेजर 1 अंतरखगोलीय अंतरिक्ष की ओर गतिशील है और उसके उपकरण सौर मंडल के अध्यन मे लगे हुये है। जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला मे विज्ञानी वायेजर 1 और 2 पर प्लाजमा तरंग प्रयोगो से हीलीयोपाज की खोज कर रहे हैं।

जान हापकिंस विश्वविद्यालय की भौतिकी प्रयोगशाला के विज्ञानियो का मानना है कि वायेजर 1 फरवरी 2003 मे समापन सदमा(टर्मीनेशन शाक) सीमा पार कर गया।
कुछ अन्य विज्ञानियो के अनुसार वायेजर 1 ने टर्मीनेशन शाक सीमा दिसंबर 2004 मे पार की है। लेकिन विज्ञानी इस बात पर सहमत है कि वायेजर अब हीलीयोसेथ क्षेत्र मे है और 2015 मे हीलीयोपाज तक पहुंच जायेगा।

वायेजर 1 हीलीयोसेथ मे प्रवेश करते हुये
वायेजर 1 हीलीयोसेथ मे प्रवेश करते हुये

आज की स्थिती
12 अगस्त 2006 की स्थिती के अनुसार वायेजर सूर्य से 100 खगोलीय ईकाई की दूरी पर है। यह किसी भी ज्ञात प्राकृतिक सौर पिंड से भी दूर है, सेडना 90377 भी आज की स्थिती मे सूर्य से 90 खगोलिय इकाई की दूरी पर है।
वायेजर 1 से आने वाले संकेत जो प्रकाश गति से यात्रा करते है पृथ्वी तक पहुंचने मे 13.8 घंटे ले रहे है। तुलना के लिये चन्द्रमा पृथ्वी से 1.4 प्रकाश सेकंड दूरी पर, सूर्य 8.5 प्रकाश मिनट दूरी पर और प्लूटो 5.5 प्रकाश घंटे की दूरी पर है।

नवंबर 2005 मे यह यान 17.2 किमी प्रति सेकंड की गति से यात्रा कर रहा था जो कि वायेजर 2 से 10% ज्यादा है। यह किसी विशेष तारे की ओर नही जा रहा है लेकिन आज से 40000 वर्ष बाद केमीलोपार्डीस(Camelopardis) तारामंडल के तारे AC 793888 से 1.7 प्रकाश वर्ष की दूरी से गुजरेगा।

Advertisement

5 विचार “वायेजर 1 : अनजान राहो पर यात्री&rdquo पर;

इस लेख पर आपकी राय:(टिप्पणी माड़रेशन के कारण आपकी टिप्पणी/प्रश्न प्रकाशित होने मे समय लगेगा, कृपया धीरज रखें)

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s