वायेजर 2 ने रचा इतिहास: सौर मंडल के बाहर द्वितिय मानव निर्मित यान


वायेजर 2 से प्राप्त संकेत बता रहे हैं कि नासा का यह अंतरिक्ष यान सौर मंडल की सीमा पर है। वह सौर मंडल के विशाल बुलबुले के अंतिम छोर पर पहुंच चुका है;जिसे हेलिओस्फीयर कहते है। वायेजर 2 जल्दी ही … पढ़ना जारी रखें वायेजर 2 ने रचा इतिहास: सौर मंडल के बाहर द्वितिय मानव निर्मित यान

मानवता का दूत : 20 अरब किलोमीटर दूर जा चुका वायेजर क्या है?


खोज करना मानव की फ़ितरत है। इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार होता है। तभी तो, मानव उस चीज़ को खोजने में जुटा हुआ है, जिसकी कोई हद नहीं। जिसका कोई ओर-छोर नहीं। पर, वो आख़िर … पढ़ना जारी रखें मानवता का दूत : 20 अरब किलोमीटर दूर जा चुका वायेजर क्या है?

वायेजर 1 ने रचा इतिहास: सौर मंडल के बाहर प्रथम मानव निर्मित यान


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वायेजर 1 यान मानव निर्मित पहली वस्तु है जो सौर मंडल की सीमाओं को तोड़ कर ब्रह्माण्ड की गहराईयों मे प्रवेश कर चुकी है।

वैज्ञानिको के अनुसार इस यान के उपकरण बता रहे है कि यह यान सौर वायु से निर्मित बुलबुले (Heliosphere) से बाहर निकल कर सितारों के मध्य के अंतरिक्ष मे यात्रा कर रहा है।

1977 मे प्रक्षेपित वायेजर 1 अंतरिक्ष यान को सौर मंडल के बाह्य ग्रहो के अध्यन के लिये भेजा गया था, यह यान अपने प्राथमिक उद्देश्यो को पूरा करने के बाद भी यात्रा करते रहा और हमे नित नयी जानकारी देता रहा। वर्तमान मे नासा का यह यान पृथ्वी से 19 खरब किमी दूरी पर गतिशील यह दूरी इतनी ज्यादा है कि इस यान उत्सर्जित से प्रकाशगति से यात्रा करते रेडीयो संकेत पृथ्वी तक पहुंचने के लिये 17 घंटे का समय लेते है। 40 वर्ष से ज्यादा चलने वाले इस अभियान द्वारा प्राप्त यह पड़ाव एक मील का पत्थर है।

इस यान के ऊपकरण पीछले कुछ समय से संकेत दे रहे थे के यान एक नये क्षेत्र मे प्रवेश कर चुका है और उसके इर्द्गिर्द का अंतरिक्ष मे बदलाव आया है। इस अभियान के वैज्ञानिक कुछ शंकित थे लेकिन इस यान मे लगे प्लाज्मा वेव साईंस (PWS) उपकरण द्वारा भेजे गये आंकडो के अनुसार यह पाया गया कि इस यान के बाहर आवेशित कण प्रोटान के घनत्व मे बढोत्तरी हुयी है और वैज्ञानिक ने 12 सितंबर 2013 को घोषणा कर दी कि वायेजर 1 अब सौर मंडल के प्रभाव के बाहर सितारो की दूनिया मे है। पढ़ना जारी रखें “वायेजर 1 ने रचा इतिहास: सौर मंडल के बाहर प्रथम मानव निर्मित यान”

सौर मंडल की सीमा पर वायेजर 1? शायद हां शायद ना !


सौर मंडल की सीमा पर ऐसा कोई बोर्ड नहीं है कि जो कहे “आकाशगंगा के मध्य के अंतरिक्षीय क्षेत्र मे आपका स्वागत है”!

अब से 35 वर्ष पहले प्रक्षेपित और पृथ्वी से 115 अरब मील दूरी पर नासा का अंतरिक्ष यान वायेजर 1 सौर मंडल की सीमा को पार कर आकाशगंगाओं के मध्य के अंतरिक्ष मे प्रवेश करने जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों ये वैज्ञानिक उस पल का इंतज़ार कर रहे है जब कोई मानव निर्मित वस्तु सौर मंडल की सीमा को पार कर खुले अंतरिक्ष मे प्रवेश करेगी, ऐसा होना तय है। लेकिन अब तक ऐसा हो चुका है कि हमें लगा है कि वायेजर इस सीमा को पार कर चुका है लेकिन बाद मे ज्ञात हुआ है कि सौर मंडल की सीमा उस बिंदु से और आगे है।

 वायेजर- 1
वायेजर- 1

पिछले गुरूवार 27 जून 2013 को वैज्ञानिकों ने कहा कि वायेजर 1 अभी भी सौर मंडल की सीमा मे है लेकिन एक ऐसे क्षेत्र मे है जिसकी अपेक्षा नहीं थी और हमारी समझ से बाहर है। ये एक ऐसे विचित्र क्षेत्र मे है जो सौर मंडल की निश्चित रूप से अंतिम परत होना चाहिये। अर्थात हीलीयोस्फियर का आख़िरी छोर, जो । सौर मंडल को घेरे हुये सौर वायु से निर्मित एक विशालकाय बुलबुला है। वायेजर 1 जो वर्तमान मे 3800 मील प्रतिघंटा की गति से सौर मंडल से दूर जा रहा है, उसने पिछले कुछ समय मे अपने आसपास अंतरिक्ष मे कुछ परिवर्तन महसूस किये है। पढ़ना जारी रखें “सौर मंडल की सीमा पर वायेजर 1? शायद हां शायद ना !”