समय एक भ्रम : ब्रायन ग्रीन


“एक समय की बात है(Once Upon a time)”……..। बहुत सारी अच्छी कहानियों की शुरुआत इस जादुई वाक्यांश से शुरू होती है लेकिन समय की कहानी क्या है ? हमलोग हमेशा कहते है समय व्यतीत होता है, समय धन है, हम … पढ़ना जारी रखें समय एक भ्रम : ब्रायन ग्रीन

गुरुत्विय तरंगो की खोज: महाविस्फोट(Big Bang), ब्रह्मांडीय स्फिति(Cosmic Inflation), साधारण सापेक्षतावाद की पुष्टि


Update :BICEP2 के प्रयोग के आंकड़ो मे त्रुटि पायी गयी थी। इस प्रयोग के परिणामो को सही नही माना जाता है।

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पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा सूर्य के आसपास उसके गुरुत्वाकर्षण द्वारा काल-अंतराल(space-time) मे लाये जाने वाली वक्रता के फलस्वरूप करती है। मान लिजीये यदि किसी तरह से सूर्य को उसके स्थान से हटा लिया जाता है तब पृथ्वी पर सूर्य की (या सूर्य के गुरुत्वाकर्षण)अनुपस्थिति का प्रभाव पडने मे कितना समय लगेगा ? यह तत्काल होगा या इसमे कुछ विलंब होगा ? सूर्य के पृथ्वी तक प्रकाश 8 मिनट मे पहुंचता है, सूर्य की अनुपस्थिति मे पृथ्वी पर अंधेरा होने मे तो निश्चय ही 8 मिनट लगेंगे, लेकिन गुरुत्विय अनुपस्थिति के प्रभाव मे कितना समय लगेगा ? यदि हम न्युटन के सिद्धांतो को माने तो यह प्रभाव तत्काल ही होगा लेकिन आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के अनुसार यह तत्काल नही होगा क्योंकि गुरुत्वाकर्षण भी तरंगो के रूप मे यात्रा करता है। इस लेख मे हम इसी गुरुत्विय तरंगो की चर्चा करेंगे।

हमारे पास ऐसा कोई उपाय नही है जिससे हम यह जान सके कि आज से लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले ब्रह्माण्ड के जन्म के समय क्या हुआ था। लेकिन वैज्ञानिको ने सोमवार 17 मार्च 2014 महाविस्फोट अर्थात बीग बैंग सिद्धांत को मजबूत आधार देने वाली नयी खोज की घोषणा की है। यदि यह खोज सभी जांच पड़ताल से सही पायी जाती है तो हम जान जायेंगे कि ब्रह्मांड एक सेकंड के खरबवें हिस्से से भी कम समय मे कैसे अस्तित्व मे आया।
कैलीफोर्नीया इंस्टीट्युट आफ टेक्नालाजी के भौतिक वैज्ञानिक सीन कैरोल कहते है कि

“यह खोज हमे बताती है कि ब्रह्माण्ड का जन्म कैसे हुआ था। मानव जाति जिसका आधुनिक विज्ञान कुछ सौ वर्ष ही पूराना है लेकिन वह अरबो वर्ष पहले हुयी एक घटना जिसने ब्रह्माण्ड को जन्म दिया को समझने के समिप है, यह एक विस्मयकारी उपलब्धि है”।

वैज्ञानिको ने पहली बार आइंस्टाइन द्वारा साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत मे प्रस्तावित गुरुत्विय तरंगो के अस्तित्व का प्रत्यक्ष प्रमाण पाया है। गुरुत्विय तरंगे काल-अंतराल(space-time) मे उठने वाली ऐसी लहरे है जो महाविस्फोट से उत्पन्न सर्वप्रथम थरथराहट है।
पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित दूरदर्शी जिसका नाम BICEP2 — Background Imaging of Cosmic Extragalactic Polarization 2 है, इस खोज मे सबसे महत्वपूर्ण साबित हुयी है। इस दूरबीन ने महाविस्फोट से उत्पन्न प्रकाश के ध्रुवीकरण(polarization) को विश्लेषित करने मे प्रमुख भूमिका निभायी है, जिसके फलस्वरूप वैज्ञानिक यह महत्वपूर्ण खोज कर पाये हैं। पढ़ना जारी रखें “गुरुत्विय तरंगो की खोज: महाविस्फोट(Big Bang), ब्रह्मांडीय स्फिति(Cosmic Inflation), साधारण सापेक्षतावाद की पुष्टि”

काल-अंतराल : साधारण सापेक्षतावाद और क्वांटम भौतिकी मे

स्ट्रींग सिद्धांत(String Theory) भाग 04 : क्वांटम भौतिकी और साधारणा सापेक्षतावाद


क्वांटम भौतिकी और साधारण सापेक्षतावाद दोनो आधुनिक भौतिकी के आधार स्तम्भ है। क्वांटम सिद्धांत जहाँ परमाणु और परमाणु से छोटे कणों से संबंधित है वहीं सापेक्षतावाद खगोलीय पिंडों के लिए है। सापेक्षतावाद के अनुसार अंतराल लचीला होता है जिसमे भारी पिंड वक्रता उत्पन्न कर सकते है, वहीं क्वांटम सिद्धांत मे अंतराल की व्याख्या करने के लिए एकाधिक मत है। क्वांटम भौतिकी मे अनिश्चितता और संभावना का प्रभाव रहता है, वहीं सापेक्षतावाद मे हर घटना निश्चित होती है। इतने सारे विरोधाभासों के बाद भी दोनो सिद्धांतों के पूर्वानुमान सटीक रहते है। वर्तमान मे इन दोनो सिद्धांतों पर आधारित उपकरणों पर संपूर्ण विश्व निर्भर करता है।

इसका अर्थ यह है कि क्वांटम भौतिकी और साधारण सापेक्षतावाद दोनो दो अलग अलग परिस्थितियों  मे कार्य करने वाले सिद्धांत है। दोनो का सह अस्तित्व संभव है। लेकिन क्या यह संभव है ? पढ़ना जारी रखें “स्ट्रींग सिद्धांत(String Theory) भाग 04 : क्वांटम भौतिकी और साधारणा सापेक्षतावाद”

पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण तथा घूर्णन द्वारा "समय-अंतराल’ मे आयी विकृति

आइन्स्टाइन के सिद्धांत के दो प्रमुख पूर्वानुमानों की पुष्टि : ग्रैविटी प्रोब बी


आइंस्टाइन के सामान्य सापेक्षतावाद के सिद्धांत के कुछ पूर्वानुमान लगभग 100 वर्ष पश्चात प्रमाणित हो रहे है। 20 अप्रैल 2004 को डेल्टा 2 राकेट से एक अंतरिक्ष उपग्रह ग्रेवीटी प्रोब बी (गुरुत्वाकर्षण जांच बी) का प्रक्षेपण किया गया था। यह अभियान नासा का सबसे लंबे अंतराल तक चलने वाला अभियान है। इस अभियान की शुरूवात 1959 मे ही हो गयी थी जब एम आई टी के प्रोफेसर जार्ज पग ने इस अभियान की परिकल्पना की थी। लगभग 50 वर्ष तथा 75 करोड डालर के खर्च के बाद इस अभियान को सफलता मिली है।

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काल-अतंराल(Space-Time) की अवधारणा


श्याम विवर की गहराईयो मे जाने से पहले भौतिकी और सापेक्षता वाद के कुछ मूलभूत सिद्धांतो की चर्चा कर ली जाये !

त्री-आयामी
त्री-आयामी

काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा

सामान्यतः अंतराल को तीन अक्ष में मापा जाता है। सरल शब्दों में लंबाई, चौड़ाई और गहराई, गणितिय शब्दों में x अक्ष, y अक्ष और z अक्ष। यदि इसमें एक अक्ष समय को चौथे अक्ष के रूप में जोड़ दे तब यह काल-अंतराल का गंणितिय माँडल बन जाता है।

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