हमारी आंखे और विश्व का अहसास

13 सरल क्वांटम भौतिकी : यह कैसे जाना जाये कि वास्तव मे क्या हो रहा है ?


यह कैसे जाना जाये कि वास्तव मे क्या हो रहा है ?

मान लेते हैं कि रदरफोर्ड के प्रयोग के जैसे अन्य प्रयोगों से मूलभूत कणो की उपस्थिति जान पाना संभव है लेकिन हम यह कैसे जाने कि वास्तव मे क्या हो रहा है ?

श्रोत/लक्ष्य/जांच ( source/target/detection) के सबसे सामान्य उदाहरण को लेते है , जिससे हम सारे विश्व को देखते है।

जब हम प्रकाश को लेते है तब हम जानते हैं कि प्रकाश किरणे लाखों अरबो ’फोटान’ से बनी होती है। अन्य मूलभूत कणो के जैसे फोटान कण भी ’तरंग’ के जैसे व्यवहार रखते है। इसी कारण से फोटान कण हर उस वस्तु के बारे मे सूचना रखते है, जिससे वे टकराते है अर्थात प्रतिक्रिया करते है।

हमारी आंखे और विश्व का अहसास
हमारी आंखे और विश्व का अहसास

मान लिजिये कि आपके पीछे एक प्रकाश बल्ब है तथा सामने एक टेनिस गेंद रखी है। फोटान प्रकाश बल्ब (श्रोत) से उत्सर्जित होकर , टेनिस गेंद (लक्ष्य) से टकराकर विचलीत होते है तथा यही फोटान आपकी आंख (जांच यंत्र) से टकराते है। आपकी आंखे फोटान के आने की दिशा से गेंद की दिशा तथा आकार का निष्कर्ष निकालती हैं और आप जानते है कि आपके सामने एक गोलाकार गेंद रखी है। यही नही इन फोटानो के विभिन्न तरंगदैर्ध्य से आप जानते हैं कि गेंद का रंग हरा तथा पीला है। (ध्यान रहे कि फोटानो की हर तरंगदैर्ध्य का एक अलग रंग होता है, और इसी से वस्तुओं का रंग निर्धारित होता है, लेख के नीचे इस पर टिप्पणी देंखे।*)

हमारा मस्तिष्क फोटानो की इन सुचनाओं को ग्रहण कर उनका विश्लेषण करता है तथा उसमे टेनिस गेंद की छवि का निर्माण करता है। टेनिस बाल की यह मानसिक छवि हमे उसकी वास्तविकता का अहसास कराती है।

विभिन्न वस्तुओं से टकराकर वापिस आती प्रकाश किरणो से हम विश्व का अहसास करते है , देखते हैं। कुछ प्राणी जैसे चमगादड़ तथा डाल्फीन ध्वनि तरंगो के उत्सर्जन और जांच से विश्व का अहसास करते है। किसी भी भौतिक वस्तु की जांच के लिये किसी भी तरह की परावर्तित तरंग का प्रयोग किया जा सकता है।
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