ब्रह्माण्ड : क्या ? क्यों ? कैसे ?

जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन ( JWST ) : मानव निर्मित समय यान

नासा की बहुप्रतीक्षित महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष दूरबीन “जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप(JWST)” 25 दिसंबर 2021 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये जाने की संभावना है। इस अंतरिक्ष दूरबीन से वैज्ञानिकों को काफी उम्मीदें हैं। वर्तमान में, नासा के हबल अंतरिक्ष दूरबीन को अंतरिक्ष में स्थापित अब तक का सबसे शक्तिशाली दूरबीन माना जाता है।

इसका असली नाम…

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ब्लैक होल: एक झटके में निकली आठ सूर्यो के तुल्य ऊर्जा

सोचिए कि अगर आठ सूर्य की ऊर्जा एकसाथ अचानक निकले तो क्या होगा? यह दो ब्लैक होल्स के बीच अब तक के देखे गए सबसे बड़े विलय से निकलने वाली यह गुरुत्वाकर्षण “शॉकवेव” है। पिछले साल मई में इस निरिक्षित की गई इस घटना के संकेत करीब सात अरब प्रकाश वर्ष की दूरी तय कर… पढ़ना जारी रखें ब्लैक होल: एक झटके में निकली आठ सूर्यो के तुल्य ऊर्जा

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रात्रि आसमान मे अंधेरा क्यों छाया रहता है ? ओल्बर्स का पैराडाक्स

ब्रह्मांड मे अरबो आकाशगंगाये है, हर आकाशगंगा मे अरबो तारे है। यदि हम आकाश की ओर नजर उठाये तो इन तारों की संख्या के आधार पर आकाश के हर बिंदु पर कम से कम एक तारा होना चाहिये? तो रात्रि आसमान मे अंधेरा क्यों छाया रहता है ? अंतरिक्ष मे भी अंधेरा क्यों रहता है… पढ़ना जारी रखें रात्रि आसमान मे अंधेरा क्यों छाया रहता है ? ओल्बर्स का पैराडाक्स

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खगोल भौतिकी 30 :खगोलभौतिकी की शीर्ष 5 अनसुलझी समस्यायें

लेखक : ऋषभ यह मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला का तींसवाँ और अंतिम लेख है। हमने खगोलभौतिकी के बुनियादी प्रश्नो से आरंभ किया था और प्रश्न किया था कि खगोलभौतिकी क्या है? हमने इस विषय को समझने मे सहायक कुछ सरल आधारभूत उपकरणो की चर्चा की थी जिसमे विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम(EM Spectrum), दूरी, परिमाण… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 30 :खगोलभौतिकी की शीर्ष 5 अनसुलझी समस्यायें

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खगोल भौतिकी 29 :खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ?

लेखक : ऋषभ मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के उपान्त्य लेख मे हम सबसे अधिक पुछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे कि खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ? यह प्रश्न दर्जनो छात्रों तथा शौकीया खगोलशास्त्र मे रूची रखने वालों ने पुछा है। यही वजह है कि हमने इसका उत्तर एक लेख… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 29 :खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ?

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खगोल भौतिकी 28 : खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी मे अध्ययन हेतु शीर्ष 5 विश्वविद्यालय

लेखक : ऋषभ खगोलशास्त्र भौतिकी की एक ऐसी शाखा है जिसकी लोकप्रियता तकनीक के विकास के साथ बढ़ी है। समस्त विश्व से छात्र विश्व के शीर्ष विद्यालयो मे बैचलर, मास्टर तथा डाक्टरल डीग्री के लिये प्रवेश लेने का प्रयास करते है। मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के अठ्ठाईसवें लेख मे हम खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 28 : खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी मे अध्ययन हेतु शीर्ष 5 विश्वविद्यालय

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खगोल भौतिकी 27 :सर्वकालिक 10 शीर्ष खगोलभौतिकी वैज्ञानिक (TOP 10 ASTROPHYSICISTS OF ALL TIME)

लेखक : ऋषभ ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला अब समाप्ति की ओर है। इसके अंतिम कुछ लेखो मे हम खगोलभौतिकी के कुछ सामान्य विषयों पर चर्चा करेंगे। इस शृंखला के सत्ताइसवें लेख मे हम इतिहास मे जायेंगे और कुछ प्रसिद्ध खगोलभौतिक वैज्ञानिको(Astrophysicists) के बारे मे जानेंगे जिन्होने इस खूबसूरत विषय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 27 :सर्वकालिक 10 शीर्ष खगोलभौतिकी वैज्ञानिक (TOP 10 ASTROPHYSICISTS OF ALL TIME)

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खगोल भौतिकी 26 :ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण और उसका उद्गम (THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION AND ITS ORIGIN)

लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के छब्बीसवें लेख मे हम बिग बैंग के प्रमाण अर्थात ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण(THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION) की चर्चा करेंगे। 1978 मे इसकी खोज ने इसके खोजकर्ताओं को नोबेल पुरस्कार दिलवाया था। अब इस महान खोज के बारे मे कुछ आधारभूत जानकारी देखते है। इस… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 26 :ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण और उसका उद्गम (THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION AND ITS ORIGIN)

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खगोल भौतिकी 24 : क्वासर और उनके प्रकार(QUASAR AND ITS TYPES)

लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) क्वासर की सर्वमान्य परिभाषा के अनुसार क्वासर अत्याधिक द्रव्यमान वाले अंत्यत दूरस्थ पिंड है जो असाधारण रूप मे अत्याधिक मात्रा मे ऊर्जा उत्सर्जन करते है। दूरबीन से देखने पर क्वासर किसी तारे की छवि के जैसे दिखाई देता है। लेकिन वह तारकीय गतिविधियो की बजाय शक्तिशाली रेडीयो तरंगो के स्रोत होते… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 24 : क्वासर और उनके प्रकार(QUASAR AND ITS TYPES)

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खगोल भौतिकी 23 : आकाशगंगा और उनका वर्गीकरण

लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) अपने स्कूली दिनो से हम जानते है कि हम पृथ्वी मे रहते है जोकि सौर मंडल मे है और सौर मंडल एक विशाल परिवार मंदाकिनी आकाशगंगा(Milkyway Galaxy) का भाग है। लेकिन हममे से अधिकतर लोग नही जानते है कि आकाशगंगा या गैलेक्सी क्या है ? इसके अतिरिक्त मंदाकिनी आकाशगंगा ब्रह्माण्ड मे… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 23 : आकाशगंगा और उनका वर्गीकरण

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खगोल भौतिकी 21 : सुपरनोवा और उनका वर्गीकरण

लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) जब भी हम रात्रि आकाश मे देखते है, सारे तारे एक जैसे दिखाई देते है, उन तारों से सब कुछ शांत दिखाई देता है। लेकिन यह सच नही है। यह तारों मे होने वाली गतिविधियों और हलचलो की सही तस्वीर नही है। तारों की वास्तविक तस्वीर भिन्न होती है। हर तारा… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 21 : सुपरनोवा और उनका वर्गीकरण

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खगोल भौतिकी 20 : तीन तरह के ब्लैक होल

लेखक : ऋषभ ब्लैक होल का वर्गीकरण पिछले कुछ लेखों मे तारकीय खगोलभौतिकी पर विस्तार से चर्चा के पश्चात हम लोकप्रिय विज्ञान से सबसे पसंदीदा विषय की ओर नजर डालते है : ब्लैक होल। इसके पहले के लेख मे हमने देखा था कि किस तरह ब्लैक होल बनते है, यह ब्लैक होल तारकीय द्रव्यमान वाले… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 20 : तीन तरह के ब्लैक होल

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खगोल भौतिकी 19 :न्यूट्रान तारे और उनका जन्म

लेखक : ऋषभ ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के पिछले लेख मे हमने सूर्य के जैसे मध्यम आकार के तारों के विकास और जीवन की चर्चा की। हमने देखा कि वे कैसे श्वेत वामन(white dwarfs) तारे बनते है। इस शृंखला के उन्नीसवें लेख मे हम महाकाय तारो के जीवन और विकास की चर्चा करेंगे… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 19 :न्यूट्रान तारे और उनका जन्म

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खगोल भौतिकी 16 :युग्म तारा प्रणाली(THE BINARY STAR SYSTEMS)

लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) जैसे हमारे भाई/बहन होते है, वैसे ही हमारे ब्रह्मांड मे अधिकतर तारों के भाई/बहन होते है। हमारे सौर मंडल जिसमे हमारा सूर्य अकेला है वास्तविकता मे यह एक दूर्लभ संयोग है। अधिकतर तारों के साथ उनके जुड़वा होते है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के सोलहंवे लेख मे हम युग्म… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 16 :युग्म तारा प्रणाली(THE BINARY STAR SYSTEMS)

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खगोल भौतिकी 14 :सूर्य की संरचना 2 – सौरकलंक, सौरज्वाला और सौरवायु

लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) पिछले लेख मे हमने अपने सौर परिवार के सबसे बड़े सदस्य सूर्य की संरचना का परिचय प्राप्त किया था। । ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के चौदहवें लेख मे हम सूर्य की संरचना की अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे। इस लेख मे हम सूर्य की संरचना और उसकी सतह पर सतत… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 14 :सूर्य की संरचना 2 – सौरकलंक, सौरज्वाला और सौरवायु

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खगोल भौतिकी 13 :सूरज की संरचना – I

लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) मंदाकिनी आकाशगंगा(The Milky way) मे लगभग 1 खरब तारे है। हमारे लिये सबसे महत्वपूर्ण तारा सूर्य है। यह वह तेजस्वी तारा है जिसकी परिक्रमा पृथ्वी अन्य ग्रहों के साथ करती है। आज इस लेख मे हम सूर्य को करीब से जानेंगे। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के तेरहंवे लेख मे… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 13 :सूरज की संरचना – I

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खगोल भौतिकी 12 : हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM)

लेखक : ऋषभ जब आप खगोलभौतिकी का अध्ययन करते है, विशेषत: तारो का तो यह असंभव है कि आपने हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM) ना देखा हो। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के बारहवें लेख मे हम खगोल विज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण आरेख HR आरेख के बारे मे जानेंगे। यह सबसे महत्वपूर्ण आरेख क्यों… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 12 : हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM)

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खगोल भौतिकी 10 : मेघनाद साहा का समीकरण और महत्व

लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के इस लेख मे हम आज एक आधारभूत गणितीय उपकरण की चर्चा करेंगे। इस उपकरण को साहा का समीकरण कहा जाता है। इस समीकरण ने खगोलभौतिकी की एक विशिष्ट शाखा की नींव रखी थी और यह प्लाज्मा के अध्ययन मे मील का पत्थर साबीत हुई… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 10 : मेघनाद साहा का समीकरण और महत्व

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खगोल भौतिकी 9 : तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण (SPECTRAL CLASSIFICATION)

लेखक : ऋषभ यह लेख ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला मे नंवा लेख है और अब तक की यात्रा रोचक रही है। हमने एक सरल प्रश्न से आरंभ किया था कि खगोलभौतिकी क्या है? इसके पश्चात हमने इस क्षेत्र मे प्रयुक्त होने आधारभूत उपकरणो और तकनीकी शब्दो, दूरी की इकाईयों, खगोलीय निर्देशांक प्रणाली, परिमाण(magnitud)… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 9 : तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण (SPECTRAL CLASSIFICATION)

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खगोल भौतिकी 8 : खगोलभौतिकी मे परिमाण (MAGNITUDE) की अवधारणा

लेखक : ऋषभ जब हम आकाश मे देखते है तो हम भिन्न आकाशीय पिंडो को देखते है। इनमे से कुछ(सूर्य और चंद्रमा) अत्याधिक चमकदार है जबकि कुछ अन्य(धुंधले तारे, निहारिका) नग्न आंखो से मुश्किल से ही दिखाई देते है। किसी पिंड की चमक बहुत से कारको पर निर्भर होती है। किसी पिंड से दूरी निश्चय… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 8 : खगोलभौतिकी मे परिमाण (MAGNITUDE) की अवधारणा

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खगोल भौतिकी 7 : खगोलीय निर्देशांक प्रणाली(CELESTIAL COORDINATE SYSTEMS)

लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) यदि आप कहीं जा रहे हों तो वहाँ पहुंचने के लिये आपके लिये क्या जानना सबसे महत्वपूर्ण क्या होगा ? उस स्थल का पता! खगोलभौतिकी मे हमे किसी भी पिंड की जानकारी ज्ञात करने के लिये, उस पिंड पर अपने उपकरणो को फ़ोकस करने के लिये हमे उस पिंड की स्थिति… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 7 : खगोलीय निर्देशांक प्रणाली(CELESTIAL COORDINATE SYSTEMS)

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खगोल भौतिकी 6 : स्टीफ़न का नियम और उसका खगोलभौतिकी मे महत्व

लेखक : ऋषभ इस लेख मे हम भौतिकी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम की चर्चा कर रहे है जो कि बहुत ही सरल है इसके खगोलभौतिकी मे बहुत से प्रयोग है। यह बहुत लोकप्रिय नियम नही है और हम मे से बहुत इसके महत्व को समझ पाने मे असफ़ल रहते है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 6 : स्टीफ़न का नियम और उसका खगोलभौतिकी मे महत्व

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ब्लैक होल का चित्र मानव इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक क्यों है?

लेखक : डॉ मेहेर वान 10 अप्रैल 2019 को जब “इवेंट होराइजन टेलेस्कोप” की टीम ने पहली बार ब्लैक होल का सच्चा चित्र प्रस्तुत किया तो पूरी दुनियाँ वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर जोश ख़ुशी से झूम उठी। जिन्हें यह मालूम था कि कुछ ही समय में ब्लैक होल की सच्ची छवि दुनियाँ के सामने… पढ़ना जारी रखें ब्लैक होल का चित्र मानव इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक क्यों है?

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खगोल भौतिकी 2 : विद्युत चुंबकीय (EM SPECTRUM) क्या है और वह खगोलभौतिकी (ASTROPHYSICS) मे महत्वपूर्ण उपकरण क्यों है ?

लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) कितना अद्भुत है कि हम खूबसूरत तारों , ग्रहों, चंद्रमा और सूर्य से लाखों करोड़ो किलोमीटर दूर रहते हुये भी उनके विषय मे बहुत कुछ जानते और समझते है। यह लेख ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला का द्वितीय लेख है। इस लेख मे हम खगोलभौतिकी के अध्ययन के सबसे महत्वपूर्ण उपकरण… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 2 : विद्युत चुंबकीय (EM SPECTRUM) क्या है और वह खगोलभौतिकी (ASTROPHYSICS) मे महत्वपूर्ण उपकरण क्यों है ?

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खगोल भौतिकी 1 : खगोल भौतिकी (ASTROPHYSICS) क्या है और वह खगोलशास्त्र (ASTRONOMY) तथा ब्रह्माण्डविज्ञान (COSMOLOGY) से कैसे भिन्न है?

लेखक : ऋषभ यह लेख ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के 30 लेखो मे से पहला है, इस शृंखला मे खगोलभौतिकी संबधित विविध विषय जैसे विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम से लेकर आकाशगंगा, सूर्य से लेकर न्युट्रान तारे तथा ब्लैकहोल और क्वासार से लेकर नेबुला और कास्मिक बैकग्राउंड विकिरण(CMB) का समावेश होगा। इन सब ब्रह्मांडीय संरचनाओं की… पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 1 : खगोल भौतिकी (ASTROPHYSICS) क्या है और वह खगोलशास्त्र (ASTRONOMY) तथा ब्रह्माण्डविज्ञान (COSMOLOGY) से कैसे भिन्न है?

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ऐतिहासिक उपलब्धि : ब्लैक होल (श्याम विवर) का प्रथम चित्र

1979 मे खगोल भौतिक वैज्ञानिक जीन-पियरे ल्यूमिनेट(Jean-Pierre Luminet) के पास सुपरकंप्युटर नही था लेकिन उन्होने विश्व को दिखाया था कि कोई ब्लैक होल किस तरह दिखाई देगा। उनके पास IBM का कंप्युटर IBM 7040 और कुछ पंच्ड कार्ड्स( punch cards) थे जिनसे वे कंप्यूटर को निर्देश और आंकड़े देते थे। वे सैद्धांतिक रूप से जानते… पढ़ना जारी रखें ऐतिहासिक उपलब्धि : ब्लैक होल (श्याम विवर) का प्रथम चित्र

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सर आर्थर स्टेनली एडिंगटन(Sir Arthur Stanley Eddington).

अल्बर्ट आइंस्टीन ! यह नाम आज किसी परिचय का मोहताज नही है। आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित सापेक्षवाद सिद्धान्त आज आधुनिक भौतिकी का आधार स्तंभ माना जाता है। आज यह सिद्धान्त हमलोग भलीभांति समझते है और दूसरों को भी समझा सकते है लेकिन क्या यह सिद्धान्त को समझना शुरुआती दिनों में भी इतना ही सरल था ?… पढ़ना जारी रखें सर आर्थर स्टेनली एडिंगटन(Sir Arthur Stanley Eddington).

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अंतरिक्ष – क्या है अंतरिक्ष ? : भाग 1

हम सब लोग इस पृथ्वी पर रहते है और अपनी दुनियाँ के बारे में हमेशा सोचते भी रहते है जैसे- सामानों, कारों, बसों, ट्रेनों और लोगो के बारे में भी। लगभग सारे संसार मे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के सभी चीज हमारे आसपास ही मौजूद है किसी बड़े महानगर जैसे- न्यूयॉर्क, मुम्बई, दिल्ली इन भीड़-भाड़… पढ़ना जारी रखें अंतरिक्ष – क्या है अंतरिक्ष ? : भाग 1

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हम तारों की दूरी कैसे ज्ञात कर लेते है ?

हम तारों की दूरी कैसे ज्ञात कर लेते है ? हम कैसे बता पाते है की उस तारे की दूरी उतनी है इस तारे की दूरी इतनी है ? यह ऐसे सवाल है जो विज्ञान विश्व पृष्ठ पर सबसे ज्यादा लोगो ने सबसे ज्यादा बार पूछा है। ब्रह्माण्ड में स्थित तारों, ग्रहों या आकाशगंगाओं की… पढ़ना जारी रखें हम तारों की दूरी कैसे ज्ञात कर लेते है ?

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स्टीफन विलियम हॉकिंग : ब्लैक होल को चुनौती देता वैज्ञानिक

विश्व प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक और बेस्टसेलर रही किताब ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ के लेखक स्टीफन हॉकिंग ने शारीरिक अक्षमताओं को पीछे छोड़ते हु्ए यह साबित किया कि अगर इच्छा शक्ति हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। हमेशा व्हील चेयर पर रहने वाले हॉकिंग किसी भी आम मानव से इतर दिखते हैं। कम्प्यूटर… पढ़ना जारी रखें स्टीफन विलियम हॉकिंग : ब्लैक होल को चुनौती देता वैज्ञानिक

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आधुनिक खगोलशास्त्र के पितामह : एडवीन हबल

एडविन हबल ब्रह्मांड के विस्तार सिद्धांत के प्रवर्तक और आधुनिक खगोल विज्ञान के पितामह थे । हबल बीसवीं सदी के अग्रणी खगोलविदों में से एक थे । उन पर ही हबल अंतरिक्ष टेलीस्कोप का नामकरण हुआ था । 1920 के दशक में हमारी अपनी मंदाकिनी(milky way) आकाशगंगा के परे अनगिनत आकाशगंगाओं की उनकी खोज ने… पढ़ना जारी रखें आधुनिक खगोलशास्त्र के पितामह : एडवीन हबल

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हम तारों की धूल है : बिग बैंग से लेकर अब तक की सृजन गाथा

मान लीजिये आपको एक कार बनानी है तो आपको क्या क्या सामग्री चाहिये होगी ? एक इंजन , कार का फ्रेम , पहिये , कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स , सीट्स, ट्रांसमिशन सिस्टम , स्क्रूज , ईंधन और भी बहुत सारा सामान। और अब अगर मैं कहु की आपको एक इंजन बनाना है तब आपको चहियेगा बहुत सी… पढ़ना जारी रखें हम तारों की धूल है : बिग बैंग से लेकर अब तक की सृजन गाथा

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समय एक भ्रम : ब्रायन ग्रीन

“एक समय की बात है(Once Upon a time)”……..। बहुत सारी अच्छी कहानियों की शुरुआत इस जादुई वाक्यांश से शुरू होती है लेकिन समय की कहानी क्या है ? हमलोग हमेशा कहते है समय व्यतीत होता है, समय धन है, हम समय नष्ट करते है, हम समय बचाने की कोशिश कर रहे है लेकिन वास्तव में… पढ़ना जारी रखें समय एक भ्रम : ब्रायन ग्रीन

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ब्रह्मांड मे कितने आयाम ?

ब्रह्मांड की उत्पत्ति सदियो से ही मनुष्य के लिए रहस्य से भरा विषय रहा है हालांकि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को समझने के लिए कई वैज्ञानिक शोध किये गए कई सिद्धान्तों का जन्म भी हुआ फिर बिग बैंग सिद्धान्त को सर्वमान्य माना गया। हम अपने आसपास ही यदि लोगो से पूछे की ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे… पढ़ना जारी रखें ब्रह्मांड मे कितने आयाम ?

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श्याम पदार्थ : इन्फ़ोग्राफ़िक

खगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का केवल 5% ही है! पिछले 80 वर्षों की खोज से हम इस परिणाम पर पहुँचे… पढ़ना जारी रखें श्याम पदार्थ : इन्फ़ोग्राफ़िक

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ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया

कृष्ण विवर(श्याम विवर) अर्थात ब्लैक होल (Black hole) अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। इसके अंदर गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि उसके चंगुल से प्रकाश की किरणों निकलना भी असंभव होता हैं। चूंकि यह प्रकाश की किरणों को अवशोषित कर लेता है, इसीलिए यह… पढ़ना जारी रखें ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया

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ब्रह्मांड का व्यास उसकी आयु से अधिक कैसे है ?

ब्रह्मांड के मूलभूत और महत्वपूर्ण गुणधर्मो मे से एक प्रकाश गति है। इसे कई रूप से प्रयोग मे लाया जाता है जिसमे दूरी का मापन, ग्रहों के मध्य संचार तथा विभिन्न गणिति गणनाओं का समावेश है। और यह तो बस एक नन्हा सा भाग ही है। निर्वात मे प्रकाश की गति 299,792 किमी/सेकंड है, यह… पढ़ना जारी रखें ब्रह्मांड का व्यास उसकी आयु से अधिक कैसे है ?

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प्रतिपदार्थ(Antimatter) से ऊर्जा

प्रतिपदार्थ(Antimatter) से ऊर्जा के निर्माण का सिद्धांत अत्यंत सरल है। पदार्थ(matter) : साधारण पदार्थ जो हर जगह है। नाभिक मे धनात्मक प्रोटान और उदासीन न्युट्रान, कक्षा मे ऋणात्मक इलेक्ट्रान से निर्मित। प्रतिपदार्थ(Antimatter) : इसके गुणधर्म पदार्थ के जैसे ही है लेकिन इसका निर्माण करने वाले कणो का आवेश पदार्थ का निर्माण करने वाले कणो से… पढ़ना जारी रखें प्रतिपदार्थ(Antimatter) से ऊर्जा

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LIGO ने दूसरी बार गुरुत्वाकर्षण तरंग देखने मे सफ़लता पायी

वैज्ञानिको ने दूसरी बार गुरुत्वाकर्षण तरंगो को पकड़ने मे सफ़लता पायी है। गुरुत्वाकर्षण तरंगे काल-अंतराल(space-time) मे उत्पन्न हुयी लहरे है, ये लहरे दूर ब्रह्माण्ड मे किसी भीषण प्रलय़ंकारी घटना से उत्पन्न होती है। वैज्ञानिको ने पाया है कि ये तरंगे पृथ्वी से 1.4 अरब प्रकाशवर्ष दूर दो श्याम विवरो(black hole) के अर्धप्रकाशगति से टकराने से उत्पन्न… पढ़ना जारी रखें LIGO ने दूसरी बार गुरुत्वाकर्षण तरंग देखने मे सफ़लता पायी

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GN-Z11: सबसे प्राचीन तथा सबसे दूरस्थ ज्ञात आकाशगंगा

लेख संक्षेप : GN-z11 यह एक अत्याधिक लाल विचलन(high redshift) वाली आकाशगंगा है जोकि सप्तऋषि तारामंडल मे स्थित है। वर्तमान जानकारी के आधार पर यह सबसे प्राचीन तथा दूरस्थ आकाशगंगा है। GN-z11 के प्रकाश के लालविचलन का मूल्य z=11.1 है जिसका अर्थ पृथ्वी से 32 अरब प्रकाशवर्ष की दूरी है। GN-z11 की जो छवि हम… पढ़ना जारी रखें GN-Z11: सबसे प्राचीन तथा सबसे दूरस्थ ज्ञात आकाशगंगा

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तारों की अनोखी दुनिया

लेखक -प्रदीप (Pk110043@gmail.com) आकाश में सूरज, चाँद और तारों की दुनिया बहुत अनोखी है। आपने घर की छत पर जाकर चाँद और तारों को खुशी और आश्चर्य से कभी न कभी जरुर निहारा होगा। गांवों में तो आकाश में जड़े प्रतीत होने वाले तारों को देखने में और भी अधिक आनंद आता है, क्योंकि शहरों… पढ़ना जारी रखें तारों की अनोखी दुनिया

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विश्व को बदल देने वाले 10 क्रांतिकारी समीकरण

विश्व के सर्वाधिक प्रतिभावान मस्तिष्को ने गणित के प्रयोग से ब्रह्माण्ड के अध्ययन की नींव डाली है। इतिहास मे बारंबार यह प्रमाणित किया गया है कि मानव जाति के प्रगति पर्थ को परिवर्तित करने मे एक समीकरण पर्याप्त होता है। प्रस्तुत है ऐसे दस समीकरण। 1.न्युटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम न्युटन का नियम बताता… पढ़ना जारी रखें विश्व को बदल देने वाले 10 क्रांतिकारी समीकरण

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गुरुत्वाकर्षण तरंग की खोज : LIGO की सफ़लता

लगभग सौ वर्ष पहले 1915 मे अलबर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein)ने साधारण सापेक्षतावाद का सिद्धांत(Theory of General Relativity) प्रस्तुत किया था। इस सिद्धांत के अनेक पुर्वानुमानो मे से अनुमान एक काल-अंतराल(space-time) को भी विकृत(मोड़) कर सकने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगो की उपस्थिति भी था। गुरुत्वाकर्षण तरंगो की उपस्थिति को प्रमाणित करने मे एक सदी लग गयी और… पढ़ना जारी रखें गुरुत्वाकर्षण तरंग की खोज : LIGO की सफ़लता

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प्रकाशगति का मापन

प्रकाशगति का मापन कैसे किया गया ? यह प्रश्न कई बार पुछा जाता है और यह एक अच्छा प्रश्न भी है। 17 वी सदी के प्रारंभ मे और उसके पहले भी अनेक वैज्ञानिक मानते थे कि प्रकाश की गति जैसा कुछ नही होता है, उनके अनुसार प्रकाश तुरंत ही कोई कोई भी दूरी तय कर… पढ़ना जारी रखें प्रकाशगति का मापन

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अब तक का सबसे ताकतवर सुपरनोवा ASASSN-15lh

खगोलविदों ने अब तक के सबसे ताक़तवर सुपरनोवा ASASSN-15lh की खोज की है। इस सुपरनोवा का मूल तारा भी काफ़ी विशाल रहा होगा- संभवतः हमारे सूर्य के मुक़ाबले 50 से 100 गुना तक बड़ा। इस फट रहे तारे/मृत्यु को प्राप्त हो रहे तारे को पहली बार बीते साल जून 2015 में देखा गया था लेकिन… पढ़ना जारी रखें अब तक का सबसे ताकतवर सुपरनोवा ASASSN-15lh

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श्याम विवर: 10 विचित्र तथ्य

श्याम विवर या ब्लैक होल! ये ब्रह्मांड मे विचरते ऐसे दानव है जो अपनी राह मे आने वाली हर वस्तु को निगलते रहते है। इनकी भूख अंतहीन है, जितना ज्यादा निगलते है, उनकी भूख उतनी अधिक बढ़्ती जाती है। ये ऐसे रोचक विचित्र पिंड है जो हमे रोमांचित करते रहते है। अब हम उनके बारे… पढ़ना जारी रखें श्याम विवर: 10 विचित्र तथ्य

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ब्रह्माण्ड के बाहर क्या है?

मान ही लिजिये की आपके मन मे कभी ना कभी यह प्रश्न आया होगा कि ब्रह्माण्ड के बाहर क्या है? खगोलशास्त्री जानते है कि बिग बैंग के पश्चात से ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है, लेकिन यह विस्तार किसमे हो रहा है? किसी भी खगोल शास्त्री से आप यह प्रश्न पूछें, आपको एक असंतोषजनक उत्तर… पढ़ना जारी रखें ब्रह्माण्ड के बाहर क्या है?

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ब्रह्माण्ड का अंत : अब से 22 अरब वर्ष पश्चात

जो भी कुछ हम जानते है और उसके अतिरिक्त भी सब कुछ एक महाविस्फोट अर्थात बिग बैंग के बाद अस्तित्व मे आया था। अब वैज्ञानिको के अनुसार इस ब्रह्मांड का अंत भी बड़े ही नाटकीय तरिके से होगा, महाविच्छेद(The Big Rip)।

ये नये सैद्धांतिक माडेल के अनुसार ब्रह्मांड के विस्तार के साथ, सब कुछ, आकाशगंगाओं…

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अंतरिक्ष से संबधित 25 अजीबोगरिब तथ्य जो आपको चकित कर देंगे

1. अंतरिक्ष पुर्णत: निःशब्द है। ध्वनि को यात्रा के लिये माध्यम चाहिये होता है और अंतरिक्ष मे कोई वातावरण नही होता है। इसलिये अंतरिक्ष मे पुर्णत सन्नाटा छाया रहता है। अंतरिक्ष यात्री एक दूसरे से संवाद करने के लिये रेडियो तरंगो का प्रयोग करते है। 2. एक ऐसा भी तारा है जिसकी सतह का तापमान… पढ़ना जारी रखें अंतरिक्ष से संबधित 25 अजीबोगरिब तथ्य जो आपको चकित कर देंगे

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गुरुत्विय लेंस क्या होता है?

गुरुत्विय लेंस अंतरिक्ष में किसी बड़ी वस्तु के उस प्रभाव को कहते हैं जिसमें वह वस्तु अपने पास से गुज़रती हुई रोशनी की किरणों को मोड़कर एक लेंस जैसा काम करती है। भौतिकी  के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की वजह से कोई भी वस्तु अपने इर्द-गिर्द के व्योम (“दिक्-काल” या स्पेस-टाइम) को मोड़ देती है और बड़ी वस्तुओं में यह मुड़ाव अधिक होता… पढ़ना जारी रखें गुरुत्विय लेंस क्या होता है?

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89 विचार “ब्रह्माण्ड : क्या ? क्यों ? कैसे ?&rdquo पर;

    1. मुजीब, ईश्वर, धर्म और धार्मिक ग्रंथों पर प्रश्नो के उत्तर हम नहीं देते है।
      निजी तौर पर मैं ईश्वर पर विश्वास नहीं करता।

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      1. मैं भी ईश्वर जैसी फालतू चीजो पर विश्वास नही करता । पहले जब लोग अल्पज्ञानी थे तो हर चीज का जिम्मेदार भगवान को मानते थे पर अब हमारे पास विज्ञान है अब हमारे पास हर घटना का तर्क है और जो अनसुलझे रहस्य है उन्हें हम सुलझाने की कोशिश कर रहे है
        (यहाँ ‘हम’ से मतलब वैज्ञानिकों से है)।

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    1. अभी दोनो सिद्धांत मे एकरूपता नही है। क्वांट्म सिद्धांत के अनुसार ग्रेविटान होना चाहिये, जबकि सापेक्षतावाद के अनुसार काल-अंतराल मे गुरुत्वाकर्षण से वक्रता आती है। दोनो भिन्न सिद्धांत है, दोनो गुरुत्वाकर्षण के मामले मे मेल नही खाते है।

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    1. एन्टी मैटर का अस्तित्व प्रमाणित है लेकिन एंटी युर्निवर्स केवल अवधारणाओं मे है, इसका अस्तित्व प्रमाणित नही है, वह हो भी सकता है, ना भी हो सकता है।

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    1. सौर मंडल का आकार निश्चित नही है, जिससे उसके व्यास के बार मे कहना कठीन है। सौर मंडल की सीमा किसे माना जाये यह भी कहना कठीन है, नेपच्युन अंतिम ग्रह है, लेकिन उसके बाद प्लूटो, सेडना माकेमाकी जैसे बौने ग्रह है। इसके अलावा हजारो अज्ञात पिंड हो सकते है। नेपच्युन के बाद हजारो ज्ञात अज्ञात धूमकेतु भी है।

      यदि हम नेपच्युन को सौर मंडल की सीमा माने तो सौर मंडल का व्यास 9.09 अरब किमी होगा।

      वायेजर 1 सौर मंडल के बाहर जा चुका है। वायेजर 2 अभी भी सौर मंडल के अंदर है।

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    1. सौर मंडल मे शुक्र, पृथ्वी और मंगल ही गोल्डीलाक क्षेत्र मे है। लेकिन शुक्र पर वायुमंडल अत्यंत घना होने से उष्णता अत्याधिक है, मंगल पर वायुमंडल अत्यंत पतला होने से तापमान अत्यंत कम है।

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    1. नदियो का जल इतनी मात्रा मे नही होता कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से उसपर कोई विशेष प्रभाव पडे। समुद्र मे जल की अत्याधिक मात्रा होने से चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव ज्वार भाटा के रूप मे दिखायी दे जाता है।

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    1. चन्द्रयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक अभियान व यान का नाम है। चंद्रयान चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान है। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को २२ अक्टूबर, २००८ को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह ३० अगस्त, २००९ तक सक्रिय रहा।

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    1. प्राकृतिक मोती को समुद्री जीव सीप (नैकर) जन्म देता है। जिन सीपों के ऊपर मौलस्क का कठोर आवरण होता है, वे सभी मोती उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। कभीकभार किसी सीप में छेद हो जाता है जिसके कारण रेत के कण सीप के अंदर घुस जाते हैं। तब सीप उस हानिकारक रेत कण से प्रतिकार हेतु कैल्शियम कार्बोनेट नामक पदार्थ का उत्सर्जन करता है। कैल्शियम कार्बोनेट उस रेत कण के ऊपर परत दर परत चढ़ता जाता हैं। धीरे-धीरे यह एक सुंदर सफेद रंग के गोले का रूप धारण करने लगता है, जोकि अंततः सुंदर एवं दुर्लभ मोती का रूप धारण कर लेता है। मोती एकमात्र ऐसा रत्न है, जिसे एक समुद्री जीव अपनें शरीर के अंदर जन्म देता है। मोती को अंग्रेजी में ‘पर्ल’ के नाम से जाना जाता है। पर्ल शब्द की उत्पत्ति लातिनी भाषा के शब्द ‘प्रीग्ल’ से हुई है, जिसका अर्थ गोलाकार होता है। आजकल मोतियों का निर्माण कृत्रिम ढंग से अत्यधिक मात्रा में होने लगा है। इसे ‘मोती की खेती’ (पर्ल कल्चर फॉर्मिंग) के नाम से जाना जाता है। इस ढंग से खेती होता है जिसमें सीप में छेद करके रेत कणों को प्रविष्ट करा दिया जाता है और उसके बाद कण पर कैल्शियम कार्बोनेट की परत जमने लगती है और आखिरकार मोती का रूप लेता है। कुछ ही दिनों के बाद सीप को चीरकर मोती को निकाल लिया जाता है। कृत्रिम ढंग से मोतियों का उत्पादन जापान में सबसे ज्यादा किया जा रहा है। बाज़ार में नकली मोतियों का भी प्रचलन है, जिसे सीप से नहीं बनाया जाता। बल्कि जिप्सम अथवा शीशे से बनाया जाता है।

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    1. गुरुत्वाकर्षण से। जब भी कोई भी दो पिंड एक दूसरे के समीप होते होते है तब वे गुरुत्वाकर्षण से बंध जाते है और एक दूसरे की परिक्रमा शुरु कर देते है। इस परिक्रमा का बिंदु दोनो के मध्य एक ऐसा बिंदु होता है जिस पर दोनो का गुरुत्वाकर्षण संतुलित होता है, इसे गुरुत्व केंद्र कहते है।
      ग्रह और तारे के संदर्भ मे यह गुरुत्व केंद्र तारे के निकट या तारे के आंतरिक भाग मे होता है। जिससे ग्रह तारे की परिक्रमा करता है।

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    1. पृथ्वी ही नही सभी ग्रह तारे अपनी धुरी पर घूर्णन करते है। यह प्रक्रिया ग्रह और तारे के जन्म से जुड़ी हुयी होती है। ग्रह और तारो का निर्माण धूल और गैस के विशाल बादल से होता है जिसमे यह बादल गुरुत्वाकर्षण से घूर्णन प्रारंभ कर देता है। यह बादल धीरे धीरे तारे और ग्रहों मे बदल जाता है। इस बादल के प्रारंभिक घूर्णन के कारण इससे बने ग्रह और तारे भी घूर्णन करते रहते है। इस कोणीय संवेग के संरक्षण का नियम(Law of conservation of angular momentum) भी कहते है।

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      1. सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं।
        तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं।

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    1. कण कैसे भार प्राप्त करते हैं, हिग्स कण इस संदर्भ में एक उत्तर प्रस्तुत करता है। भौतिकविदों ने परिकल्पना की कि करीब 13.7 बिलियन वर्ष पहले बिग बैंग के बाद जब ब्रह्माण्ड ठंडा हुआ, तब कणों के साथ हिग्स फील्ड बना।

      इस परिदृश्य के तहत, हिग्स फील्ड ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो गया और जिस किसी कण ने इसके साथ पारस्परिक क्रिया की, हिग्स बोसन के ज़रिए उसे भार मिल गया। जितना ज्यादा उनमें पारस्परिक क्रिया हुई, वो उतने ज्यादा भारी बने। वो कण जो हिग्स फील्ड के साथ नहीं जुड़ते, वो बगैर भार के रह जाते हैं।

      “ये शहद के एक बड़े कुंड की भांति है,जैसे-जैसे कण इससे होकर गुज़रते हैं, उनकी गति प्रकाश की गति से कम होती है और ऐसा लगता है कि वो भार हासिल कर रहे हैं।”

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      1. हिग्स फील्ड का काम भार प्रदान करना नही होता,
        भार देने का काम उस पर्टिकुलर जगह का लोकल ग्रेविटी करता है ||

        हिग्स मैकेनिज्म तो बस द्रव्यमान प्रदान करता है |

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    1. प्रकाश ऊर्जा का रूप है। तारो मे हायड्रोजन के संलयन से हिलीयम बनती है, इस प्रक्रिया मे कुछ पदार्थ ऊर्जा मे परिवर्तित होता है जिसका कुछ भाग प्रकाश के रूप मे मुक्त होता है। बल्ब मे ऊर्जा इलेक्ट्रान के गर्म होने पर फोटान के उत्सर्जन के रूप मे मुक्त होती है, जोकि प्रकाश ही है। इसी तरह की प्रक्रिया अग्नि मे भी होती है। यह एक सतत प्रक्रिया है और सारे ब्रह्मांड मे भिन्न भिन्न रूप मे चलते रहती है।

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    1. परमाणु (एटम) किसी तत्व का सबसे छोटा भाग है जिसमें उस तत्व के रासायनिक गुण निहित होते हैं। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते है.
      अणु पदार्थ का वह छोटा कण है तो प्रकृति के स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है लेकिन रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं ले सकता है। रसायन विज्ञान में अणु दो या दो से अधिक, एक ही प्रकार या अलग अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है।

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      1. आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं।

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    1. सुशिल जी, भतिकी पर तो इस ब्लाग पर लेख है लेकिन गणित और रसायनशास्त्र उपेक्षित है। कोशीश रहेगी कि उन पर भी कुछ लिखा जाये।

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