लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) मंदाकिनी आकाशगंगा(The Milky way) मे लगभग 1 खरब तारे है। हमारे लिये सबसे महत्वपूर्ण तारा सूर्य है। यह वह तेजस्वी तारा है जिसकी परिक्रमा पृथ्वी अन्य ग्रहों के साथ करती है। आज इस लेख मे हम … पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 13 :सूरज की संरचना – I
पृथ्वी से दूर स्थित अलग-अलग आकाशगंगाओं की रोशनी हम तक लाखों, करोड़ों साल में पहुँचती है। इसीलिए जब हम रात में आसमान को देखते हैं तो हम दरअसल समय की गहराई में झांक रहे होते हैं। नासा की शक्तिशाली हब्बल … पढ़ना जारी रखें ब्रह्माण्ड की 11 अद्भुत आकाशगंगाएँ
प्रश्न 1 :पूरी पृथ्वी का भार कितना है किलोग्राम मे बताईये अंकों मे और शब्दों ?
RISHI KUMAR अक्टूबर 5, 2013
उत्तर : शायद आपका आशय द्रव्यमान से है; पृथ्वी का द्रव्यमान 5.97219 × 1024 किलोग्राम है।
पृथ्वी सूर्य कि परिक्रमा कर रही है इसलिये तकनीकी रूप से उसका भार शून्य है।
भार और द्रव्यमान दोनो भिन्न राशीयाँ है, भार गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होता है, द्रव्यमान नही।
समांतर ब्रह्माण्ड की अवधारणा
प्रश्न 2 : सर में ये जानना चाहता हू के असल में ब्रह्मांड क्या है? और में ये सुनता और पढ़ता हू के ब्रह्मांड अनेक है कहाँ है सर अनेक ब्रह्मांड में सर उठा के देखता हू तो मुझको तो केवल एक ही ब्रह्मांड दिखाई देता है, इस ब्रह्मांड की अवधारणा क्या है.
दूसरा प्रश्न – क्या हमारी मंदाकिनी के बीच में कोई श्याम विवर है अगर नही तो इस मंदाकिनी के समस्त ग्रह, तारे आदि किस के चक्कर लगा रहे है और क्या ये आवश्यक है के प्रत्येक आकाशगंगा के केन्द में कोई श्याम विवर हो ही?
Nadeem Ahmed Khan अक्टूबर 12, 2013
उत्तर : ब्रह्माण्ड का अर्थ है, सम्पूर्ण अस्तित्व अर्थात जो भी हम देखते है, महसूस करते है, ग्रह, तारे, आकाशगंगा तथा उनके मध्य का रिक्त स्थान! अब आते है आपके पहले प्रश्न के दूसरे भाग की ओर, अन्य ब्रह्माण्ड/समांतर ब्रह्माण्ड की ओर। अभी तक मूल ब्रह्माण्ड जिसके हम और आप एक भाग है, उसके अतिरिक्त अन्य ब्रह्मांड का अस्तित्व केवल एक अवधारणा है, सिद्धांत रूप मे ही है। वे हैं या नही, हम पक्के तौर पर नही कह सकते। एक अवधारणा के अनुसार वे किसी अन्य ऐसे आयाम मे हो सकते है जिसे हम देख या महसूस नही कर सकते है। दूसरा प्रश्न : आप सही है कि हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा के मध्य एक महाकाय श्याम विवर है। हमारी मंदाकिनी के सारे तारे उसी कि परिक्रमा कर रहे है। अभी तक के निरीक्षणो के अनुसार सभी आकाशगंगाओं के मध्य मे महाकाय श्याम विवर है और संभव है कि यह आकाशगंगा के निर्माण के लिये आवश्यक हो।