क्या पृथ्वी का भविष्य शुक्र जैसे भयावह होगा ?


आकार में एक जैसे और अक्सर जुड़वां कहे जाने वाले ग्रह पृथ्वी और शुक्र ग्रह का मूल एक ही हैं, लेकिन बाद में दोनों का विकास एकदम अलग हुआ है। इसमे एक ग्रह एक शुष्क और उष्ण है तो दूसरा … पढ़ना जारी रखें क्या पृथ्वी का भविष्य शुक्र जैसे भयावह होगा ?

नीला बिंदु लानीआकिया बृहद आकाशगंगा समूह मे मंदाकिनी आकाशगंगा की स्थिति दर्शा रहा है।

लानीआकिया मे आपका स्वागत है : आपका नया ब्रह्माण्डिय पता


सूर्य की मदाकिनी आकाशगंगा की मंदाकिनी भूजा मे स्थिति
सूर्य की मदाकिनी आकाशगंगा की मंदाकिनी भूजा मे स्थिति

पिछले सप्ताह तक किसी अन्य आकाशगंगा का परग्रही मुझसे मेरा पता पूछता तो मेरा उत्तर होता

आशीष श्रीवास्तव, B-3,गुनीना हेलिक्स, इलेक्ट्रानीक सीटी, बैंगलोर,कर्नाटक, भारत,पृथ्वी, सौर मंडल,व्याध भूजा, मंदाकिनी आकाशगंगा, स्थानीय आकाशगंगा समूह, कन्या बृहद आकाशगंगा समूह, ब्रह्माण्ड(Ashish Shrivastava, B3, Gunina Helix, Electronic City, Bangalore,Karnataka,India,Earth, Solar System, Orion Arm, Milky Way Galaxy, Local Group, Virgo Supercluster, Universe).

लेकिन इस ब्रह्माण्ड मे मेरे पते मे एक और मोहल्ला बढ़ गया है जोकि मेरे पते के अंतिम दो क्षेत्रो के मध्य है, जिसे लानीआकिया (Laniakea)कहा जा रहा है, जोकि आकाशगंगाओं का एक विशालकाय समूह है।

मैने जो अपना पता बताया है उसमे आप सौर मंडल तक तो परिचित ही होंगे। हमारा सूर्य मंदाकिनी आकाशगंगा मे उसकी व्याध भूजा(Orion arm) मे स्थित है। मंदाकिनी आकाशगंगा के कुछ भाग को आप रात्रि मे उत्तर से दक्षिण मे एक बड़े पट्टे के रूप मे देख सकते है। यह आकाशगंगा वस्तुतः एक स्पायरल के आकार की है और उसकी पांच से अधिक भूजाये है। सूर्य इसमे से एक भूजा व्याध भूजा के बाह्य भाग मे स्थित है।

मंदाकिनी आकाशगंगा कुछ एक दर्जन अन्य आकाशगंगाओं के साथ एक स्थानीय आकाशगंगा समूह(Local Group) बनाती है जिसमे मंदाकिनी (Milkyway)आकाशगंगा और देव्यानी (Andromeda)आकाशगंगा सबसे बड़ी है। यह आकाशगंगा समूह भी एक बड़े आकाशगंगा समूह जिसे कन्या आकाशगंगा समूह (Virgo Cluster)के नाम से जाना जाता है, का एक भाग है। कन्या आकाशगंगा समूह मे 1000 से ज्यादा आकाशगंगाये है और यह समूह दसीयो लाख प्रकाशवर्ष चौड़ा है। पढ़ना जारी रखें “लानीआकिया मे आपका स्वागत है : आपका नया ब्रह्माण्डिय पता”

'थिया' ग्रह की पृथ्वी से टक्कर से चंद्रमा की उत्पत्ति की संभावना है।'थिया' ग्रह की पृथ्वी से टक्कर से चंद्रमा की उत्पत्ति की संभावना है।

चंद्रमा की उत्पत्ति की नयी अवधारणा


'थिया' ग्रह की पृथ्वी से टक्कर से चंद्रमा की उत्पत्ति की संभावना है।'थिया' ग्रह की पृथ्वी से टक्कर से चंद्रमा की उत्पत्ति की संभावना है।
‘थिया’ ग्रह की पृथ्वी से टक्कर से चंद्रमा की उत्पत्ति की संभावना है।

चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में एक नया शोध सामने आया है। इसका मानना है कि अरबों साल पहले एक बड़ा ग्रह पृथ्वी से टकराया था। इस टक्कर के फलस्वरूप चंद्रमा का जन्म हुआ। शोधकर्ता अपने इस सिद्धांत के पीछे अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों के ज़रिये चंद्रमा से लाए गए चट्टानों के टुकड़ों का हवाला दे रहे हैं। इन चट्टानी टुकड़ों पर ‘थिया‘ नाम के ग्रह की निशानियां दिखती हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकी खोज पुख़्ता करती है कि चंद्रमा की उत्पत्ति टक्कर के बाद हुए भारी बदलाव का नतीजा थी।

'थिया' ग्रह की पृथ्वी से टक्कर से चंद्रमा की उत्पत्तिये अध्ययन एक साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। वैसे ये कोई नया सिद्धांत नहीं है। ये पहले से माना जाता रहा है कि चंद्रमा का उदय खगोलीय टक्कर के परिणाम स्वरूप हुआ था। हालांकि एक दौर ऐसा भी आया जब कुछ लोग कहने लगे कि ऐसी कोई टक्कर हुई ही नहीं। लेकिन वर्ष 1980 से आसपास से इस सिद्धांत को स्वीकृति मिली हुई है कि 4.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी और थिया के बीच हुई टक्कर ने चंद्रमा की उत्पत्ति की थी। पढ़ना जारी रखें “चंद्रमा की उत्पत्ति की नयी अवधारणा”

01 सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत क्या है ?


द थिंकर (विचारक)
द थिंकर (विचारक)

 सनातन प्रश्न

सदियों से मानव के मन मे प्रश्न रहा है:

“विश्व किससे निर्मित है?”

“इसे कौन बांधे रखता है?”

clip_image003प्रश्न: इस पुतले का नाम क्या है और इसका शिल्पकार कौन है?

उत्तर :

शिल्पकार: राडीन (Rodin)

 नाम: द थिंकर (The Thinker)

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अनंत समुद्र मे एक छोटे से द्विप पर असहाय से हम : पृथ्वी और चंद्रमा


सौर मंडल के सबसे बड़े गैस महाकाय ग्रह बृहस्पति की यात्रा पर निकले अंतरिक्ष यान जुनो(Juno)ने मुड़कर अपने घर पृथ्वी की ओर देखा और यह चित्र लिया। … पढ़ना जारी रखें अनंत समुद्र मे एक छोटे से द्विप पर असहाय से हम : पृथ्वी और चंद्रमा

सूर्य और वी वाय कानीस मेजारीस

विशालकाय, महाकाय ब्रह्मांडीय पिंड


खगोलीय पिंडो का आकार और उनके मध्य की दूरी इतनी विशाल होती है कि वह मनुष्य की कल्पना से बाहर हो जाती है। इस लेख के चित्र पृथ्वी से शुरुवात कर बढ़ते क्रम मे पिंडो के आकार को दर्शा रहे है।

सबसे पहले सौर मंडल के आंतरिक ग्रह। यह सभी ग्रह ठोस है। बुध सबसे छोटा है और बढते क्रम मे मंगल, शुक्र और पृथ्वी है। शुक्र और पृथ्वी लगभग समान है।

बुध, मंगल, शुक्र और पृथ्वी
बुध, मंगल, शुक्र और पृथ्वी

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