श्याम वीवर द्वारा गैस के निगलने से एक्रेरीशन डीस्क का निर्माण तथा एक्स रे का उत्सर्जन

ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया


कृष्ण विवर(श्याम विवर) अर्थात ब्लैक होल (Black hole) अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। इसके अंदर गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि उसके चंगुल से प्रकाश की किरणों निकलना भी … पढ़ना जारी रखें ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया

हर्टजस्प्रुंग-रसेल आरेख

तारों की अनोखी दुनिया


लेखक -प्रदीप (Pk110043@gmail.com) आकाश में सूरज, चाँद और तारों की दुनिया बहुत अनोखी है। आपने घर की छत पर जाकर चाँद और तारों को खुशी और आश्चर्य से कभी न कभी जरुर निहारा होगा। गांवों में तो आकाश में जड़े … पढ़ना जारी रखें तारों की अनोखी दुनिया

सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर : ‘चंद्रशेखर सीमा’ के प्रस्तावक


सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (जन्म- 19 अक्तूबर, 1910 – मृत्यु- 21 अगस्त, 1995) खगोल भौतिक शास्त्री थे और सन् 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता भी थे। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेता … पढ़ना जारी रखें सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर : ‘चंद्रशेखर सीमा’ के प्रस्तावक

ब्रह्मांडीय जलप्रपात


इस ब्रह्माण्डीय जलप्रपात निहारिका का निर्माण कैसे हुआ ? कोई नही जानता! इस चित्र मे प्रस्तुत संरचना NGC 1999 का भाग है जो कि बृहद ओरीयान … पढ़ना जारी रखें ब्रह्मांडीय जलप्रपात

किसी घूर्णन करते हुये श्याम वीवर द्वारा घुर्णन अक्ष की दिशा मे इलेक्ट्रान जेट का उत्सर्जन किया जा सकता है, जिनसे रेडीयो तरंग उत्पन्न होती है।

ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 14 : श्याम विवर कैसे बनते है?


श्याम विवर का जन्म सुपरनोवा विस्फोट के पश्चात होता है।
श्याम विवर का जन्म सुपरनोवा विस्फोट के पश्चात होता है।

जब तक तारे जीवित रहते है तब वे दो बलो के मध्य एक रस्साकसी जैसी स्थिति मे रहते है। ये दो बल होते है, तारो की ‘जीवनदायी नाभिकिय संलयन से उत्पन्न उष्मा’ तथा तारों का जन्मदाता ‘गुरुत्वाकर्षण बल’। तारे के द्रव्यमान से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण उसे तारे पदार्थ को  केन्द्र की ओर संपिड़ित करने का प्रयास करता है, इस संपिड़न से प्रचण्ड उष्मा उत्पन्न होती है, जिसके फलस्वरूप नाभिकिय संलयन प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यह नाभिकिय संलयन प्रक्रिया और ऊर्जा उत्पन्न करती है। इस ऊर्जा से उत्पन्न दबाव की दिशा केन्द्र से बाहर की ओर होती है। इस तरह से तारे के गुरुत्व और संलयन से उत्पन्न ऊर्जा की रस्साकशी मे एक संतुलन उत्पन्न हो जाता है। तारे नाभिकिय संलयन के लिए पहले हायड़ोजन, उसके बाद हिलियम,लीथीयम के क्रम मे लोहे तक के तत्वो का प्रयोग करता है। विभिन्न तत्वों का नाभिकिय संलयन परतो मे होता है, अर्थात सबसे बाहर हायड़ोजन, उसके नीचे हीलीयम और सबसे नीचे लोहा।

पढ़ना जारी रखें “ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 14 : श्याम विवर कैसे बनते है?”

न्युट्रान तारा

न्युट्रान तारे और पल्सर


न्युट्रान तारे ये मृत तारे का अत्यंत सघन रूप है, जो कि सिर्फ न्युट्रान से बने होते है। न्युट्रान तारो का एक उपवर्ग पल्सर भी है। इन्हे पल्सर इसलिये कहा जाता है क्योंकि ये विद्युत चुंबकिय विकीरण(Electro Magnetic radiation) की … पढ़ना जारी रखें न्युट्रान तारे और पल्सर