
क्वांटम क्रान्ति (2022 भौतिकी नोबेल): किस तरह एन्टेंगलमेन्ट एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है
क्वांटम विश्व विचित्र है। इसमें जो होता है वह रोजमर्रा के जीवन से अलग होता है, हमारी सहज बुद्धि कार्य नहीं करती है। जब दो कण एन्टेंगल्ड क्वांटम अवस्थाओं में होते हैं, उस समय यदि हम एक कण के किसी गुण को मापते है, तब हम बिना जाँच के तुरंत दूसरे कण पर उसी गुण के माप को निर्धारित कर सकते है।
जो चीज क्वांटम यांत्रिकी को इतना विचित्र बनाती है, वह यह है कि मापन/निरिक्षण से पहले तक किसी भी कण की कोई निर्धारित अवस्था नहीं होती है। यह ऐसा है कि दो धूसर गेंद में से एक गेंद का रंग तब तक धूसर नहीं होगा जब तक कि कोई उनमें से एक को न देख ले। इसमें एक गेंद अनियमित तरीके से काले रंग को ले सकती है या खुद को सफेद दिखा सकती है। दूसरी गेंद तुरंत विपरीत रंग में बदल जाती है।
लेकिन यह कैसे पता चल सकता है कि शुरुआत में प्रत्येक गेंद का एक निश्चित रंग नहीं था? भले ही वे धूसर दिखाई दें, शायद उनके अंदर एक छिपा हुआ लेबल था, जिसमें लिखा था कि जब कोई उन्हें देखेगा तो उन्हें किस रंग में दिखना चाहिए।
जब कोई नहीं देख रहा है तो क्या रंग मौजूद है ? पढ़ना जारी रखें क्वांटम क्रान्ति (2022 भौतिकी नोबेल): किस तरह एन्टेंगलमेन्ट एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है