कण-प्रतिकण का टकराव और विनाश

10 सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत कणो का विनाश (Particle Anhilation)


इस श्रृंखला मे यह कई बार आया है कि जब भी एक कण अपने प्रति-कण से टकराता है, तब दोनो कणो का विनाश होकर ऊर्जा का निर्माण होता है। इस लेख मे इस प्रक्रिया को विस्तार से देखेंगे।

कणो का विनाश(particle anhilation) और कणो का क्षय(particle decay) दो अलग अलग प्रक्रिया है। कणो के क्षय मे एक मूलभूत कण एक या एकाधिक कण मे परिवर्तित हो जाता है। विनाश में पदार्थ कण और प्रतिपदार्थ कण एक दूसरे को नष्ट कर ऊर्जा में परिवर्तित हो जाते हैं। लेकिन  दोनो प्रक्रियायें आभासी कणों(virtual partilces) के द्वारा ही होती  है।

कण-प्रतिकण का टकराव और विनाश
कण-प्रतिकण का टकराव और विनाश

कण तथा प्रतिकण परस्पर प्रतिक्रिया करते हैं तथा अपने पूर्व रूप की ऊर्जा को अत्यंत ऊच्च ऊर्जा वाले बलवाहक कण(ग्लुआन,W/Z कण,फोटान) में परिवर्तित करते हैं। ये बल वाहक कण(force carrier partilcles) बाद में अन्य कणों में परिवर्तित हो जाते हैं।

अक्सर भौतिकशास्त्री प्रयोगशाला (कण त्वरक- Particle Acclerators जैसे CERN)  मे दो कणों का अत्यंत ऊच्च ऊर्जा पर  टकराव कर उनके विनाश से नये भारी कण बनाते हैं। इन्ही प्रक्रियायों से नये मूलभूत कणो की खोज होती है।
पढ़ना जारी रखें “10 सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत कणो का विनाश (Particle Anhilation)”

भारी परमाणु केन्द्रक

09 सरल क्वांटम भौतिकी: रेडियो सक्रियता क्यों होती है?


पिछले भाग मे हमने अस्थायी या अस्थिर परमाणु केन्द्रक से संबंधित कुछ प्रश्न देखे थे :

  1. भारी परमाणु केन्द्रक अस्थायी क्यों होता है?
  2. किसी परमाणु केन्द्रक का किसी प्रायिकता(Probability) के आधार पर क्षय क्यों होता है ?
  3. परमाणु केन्द्रक के क्षय मे द्रव्यमान का भी क्षय होता है, यह द्रव्यमान कहाँ जाता है ?

इस भाग मे हम इन प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

परमाणु केन्द्र के अंदर एक नजर

परमाणु विखंडणरस्सी और स्प्रिंगप्रोटान धनात्मक रूप से आवेशित होते हैं और विद्युत रूप में एक दूसरे के प्रतिकर्षित करते हैं। परमाणु केन्द्र ग्लुआन कणों के कारण बंधा रहता है अन्यथा वह बिखर जायेगा। इस प्रभाव को ही अवशिष्ट मजबूत नाभिकीय बल कहते हैं।

अब आप परमाणु केन्द्रक को एक स्प्रिंग के जैसे समझे, इस स्प्रिंग में जो तनाव है वह विद्युत प्रतिकर्षण है। इस स्प्रिंग हो एक बड़ी रस्सी से दबाकर बांधा गया है जो कि अवशिष्ट मजबूत नाभिकीय बल है। स्प्रिंग में काफी सारी ऊर्जा है लेकिन वह ऊर्जा बाहर नहीं आ सकती क्योंकि रस्सी बहुत मजबूत है।

यदि आपने इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेख नही पढ़े है, तो आगे बढ़ने से पहले उन्हे पढ़ें।

  1. मूलभूत क्या है ?
  2. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 1?
  3. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 2?
  4. ब्रह्माण्ड को कौन बांधे रखता है ?
  5. परमाणु को कौन बांधे रखता है?
  6.  नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण
  7. क्वांटम यांत्रिकी
  8. कणों का क्षय और विनाश

पढ़ना जारी रखें “09 सरल क्वांटम भौतिकी: रेडियो सक्रियता क्यों होती है?”