प्रश्न आपके उत्तर हमारे: भाग 2

प्रश्न आपके, उत्तर हमारेइस मंच पर पाठक कभी कभी अपनी टिप्पणियों मे लेख सामग्री से भिन्न लेकिन उचित प्रश्न करते रहे हैं। यह मंच पाठकों को प्रश्न पूछने का अवसर प्रदान करता है।

हमारा प्रयत्न रहेगा कि इस मंच के द्वारा पाठकों की जिज्ञासा का समाधान यथासंभव किया जा सके। हम जानते है कि कुछ प्रश्नों के उत्तर हम शायद नही दे पायें लेकिन हम उत्तर देने का भरसक प्रयास अवश्य करेंगे।

कृपया अपने प्रश्न विज्ञान संबंधित ही रखें लेकिन छद्म विज्ञान संबंधित प्रश्नों का भी स्वागत है।

‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे’ के पहले अंक में अब 4000 के क़रीब टिप्पणियाँ हो गयी हैं, जिस वजह से नया सवाल पूछना और पूछे हुए सवालों के उत्तर तक पहुँचना आपके लिए एक मुश्किल भरा काम हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे’ के भाग दो को शुरू किया जा रहा है। आपसे अनुरोध है कि अब आप अपने सवाल यहाँ पूँछें।

Archive Link : पुराने प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न आपके, उत्तर हमारे: 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक के प्रश्नों के उत्तर

101 विचार “प्रश्न आपके उत्तर हमारे: भाग 2&rdquo पर;

  1. नमस्कार,
    मैंने पहले भी आपसे सम्पर्क किया था करीब 4 वर्ष पहले | हम जोधपुर के महिला पी जी महाविद्यालय में आपका एक व्याख्यान रखना चाहते हैं | मैं दुबई में रहता हूँ | यदि आप इच्छुक हों तो करीब 4000 विद्यार्थियों को लाभ होगा | धन्यवाद !

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    1. धन्यवाद के बी व्यास जी। क्षमा चाहता हूँ,वर्तमान परिस्थितियों मे मेरा बैंगलोर से बाहर जाना मुश्किल लग रहा है। जोधपुर के लिए कम से कम कोविड -19 से हालात बेहतर होने तक असमर्थ हूँ।

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      1. सर ब्लेक होल की ग्रेविटी बहुत ज्यादा होती है। इसीलिए वो space-time को बहुत ज्यादा कर्व करता है। यह तो समझ में आता है लेकिन कर्व होने से टाइम कैसे धीमा हो जाता है, यह समझ में नहीं आता।
        और इसके अलावा आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के हिसाब से किसी बॉडी का मास जितना ज्यादा होगा, उस बॉडी की ग्रेविटेशनल फोर्स उतनी ही ज्यादा होगी और वो space और time को उतना ही कर्व करेगा और इसी तरह से ब्लैक होल की ग्रेविटी बहुत ज्यादा होती है जिसके कारण उसके ऑर्बिट में आने वाली कोई भी दूसरी बॉडी उसमें समा जाती है तो वैसे ही सूर्य का मास पृथ्वी से ज्यादा होता है तो ग्रेविटी भी ज्यादा होनी चाहिए और पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही है तो सूर्य की ग्रेविटी की वजह से ब्लैक होल की ही तरह पृथ्वी सूर्य में क्यों नहीं समा जाती इस पर एक पूरा लेख लिखाए प्लेस

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      2. यह प्रश्न आज से 350 साल पहले आइजक न्यूटन के मन में भी आया था उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर अपने गुरुत्वाकर्षण और गति के नियमों के अनुसार देने का प्रयास किया। उन्होंने एक बेहद सरल प्रयोग किया न्यूटन ने अपने हाथ में एक गेंद लेकर ऊँचाई से छोड़ दिया गेंद धरती पर गिर गया। उन्होंने इस बार तोप का प्रयोग किया, तोप का एक गोला छोड़ा इस बार भी गोला धरती पर गिरा लेकिन इस बार तोप के गोले ने कुछ दूरी तय कर ली थी। न्यूटन ने तीसरी बार ज्यादा वेग से तोप का गोला छोड़ा गोला धरती पर तो आया लेकिन पहले के मुकाबले गोले ने ज्यादा दूरी तय कर ली थी। न्यूटन ने इस प्रयोग से यह बताने का प्रयास किया कि यदि इसी तरह तोप के गोले के वेग को लगातार बढ़ाया जाय तो एक स्थिति ऐसी आ जायेगी की गोला धरती पर नही गिरेगी अर्थात गोला एक स्थिर कक्षा को पा लेगी और पृथ्वी की परिक्रमा करने लगेंगी। न्यूटन ने यह बताया कि पृथ्वी की भी अपनी स्थिर कक्षा है इसलिए वह सूर्य में कभी नही गिर सकती। (Fig- 1)
        न्यूटन का पहला गति का नियम भी तो यही कहता है कोई वस्तु अपनी अवस्था को बनाये रखना चाहती है जबतक की कोई बाहरी बल न लगे। हालांकि पूरे ब्रह्मांड में ऐसी कोई जगह नही जहां गुरुत्वाकर्षण मौजूद न हो तो सवाल उठता है कि क्या पृथ्वी अपनी स्थित कक्षा पा लेने भर से ही कभी सूर्य में नही समाता ?
        न्यूटन के बाद आइंस्टीन का युग आया, आइंस्टीन ने अपने थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी में बताया स्पेस-टाइम बहुत ही ज्यादा फैब्रिकेटेड अर्थात लचीला है। जिस वस्तु में द्रव्यमान होगा वो स्पेस-टाइम में वक्रता पैदा करेगा। ज्यादा द्रव्यमान वाली वस्तु स्पेस-टाइम को ज्यादा वक्र करेंगी। आइंस्टीन ने कहा सूर्य का द्रव्यमान सौरमंडल में सबसे ज्यादा है इसलिए वह स्पेस-टाइम को ज्यादा वक्र करता है। सूर्य द्वारा उत्तपन्न यही स्पेस-टाइम की वक्रता सभी ग्रहों को सूर्य की परिक्रमा करने के लिए बाध्य करती है। चूंकि सभी ग्रहों, उपग्रहों की भी अपनी स्थित कक्षा है और उनका अपना द्रव्यमान है इसलिये वो भी स्पेस-टाइम को वक्र करते है इसलिए वो भी सूर्य में गिर नही सकते और हमेशा सूर्य की परिक्रमा करते रहते है। (
        Fig- 2)
        क्या सिर्फ पृथ्वी की स्थिर कक्षा और सूर्य की स्पेस-टाइम की वक्रता के कारण ही पृथ्वी सूर्य में नही समाती ?
        इस प्रश्न का सबसे संतुलित उत्तर सौरमंडल के 3D मॉडल देखने से ही मिल जाता है। वास्तव में हमारी पृथ्वी लगातार सूर्य की ओर गिर रही होती है और सूर्य भी उसी वेग से पृथ्वी से दूर जा रहा होता है चूंकि सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी को अपनी ओर खींच रही होती है और सूर्य भी गतिमान है और आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा है। इसी तरह चंद्रमा भी पृथ्वी की ओर गिर रहा है और पृथ्वी उससे दूर जा रही है। यह बात सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है क्योंकि हम सबने अपनी किताबों में सौरमंडल के जो भी मॉडल देखें है जो दो आयामी मॉडल होते है और वह पूर्णतः सटीक मॉडल नही माने जाते हैं। वास्तविक सौरमंडल के 3D मॉडल को आप सिमुलेशन सॉफ्टवेयर की मदद से अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर देख सकते है। सौरमंडल में सूर्य, ग्रह और उपग्रह सभी गुरुत्वाकर्षण में बंधे है सभी अपनी स्थिर कक्षा के साथ आकाशगंगा की परिक्रमा करते है।
        ब्रह्मांड में सभी वस्तुएं लगातार गिर रही हैं। हर बार जब आप कूदते हैं तो आप पृथ्वी पर गिरते हैं। आप और पृथ्वी लगातार सूर्य की ओर गिर रहे हैं। आप, पृथ्वी और सूर्य आकाशगंगा के केंद्र की ओर लगातार गिर रहे हैं। लेकिन हम सब इस गिरती गति को महसूस नहीं कर सकते क्योंकि हमसें सूर्य इतनी दूर है कि सूर्य के चारों ओर हमारी गिरती गति भी एक सीधी रेखा में स्थिर गति के बहुत करीब है। सूर्य या पृथ्वी का वास्तविक परिक्रमण कक्षा तो घुमावदार है, लेकिन परिक्रमण कक्षा इतना बड़ा हो जाता है की सबकुछ एक सरल रेखा में मालूम पड़ता है।

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  2. Sir ji mein ek blogger hu aur blogging krta hu. Mein vigyan vishwa ko pdhta hu mujhe science ka bare me pehna achha lgta hai aur me science ka hi student hu.

    Meri aapse ek requst hai ki aap ho ske to vigyan vishwa ki Template ko change kre aur iski designing pr dhyan de aur akarshak banaye please….it’s a kind request…

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  3. सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धांत के अनुसार तेेज गति करते हुए कण गति की दिशा में सिकुड़ जाते हैं और इस सिकुड़न की माप लोरेन्ज़ के ट्रांसफोर्म फेक्टर (γ) के अनुसार होती है। अब अगर मान लें कि किसी कण त्वरक में विरामावस्था में दो गोलाकार सूक्ष्म कण हैं। जैसे ही इन कणों को त्वरित किया जाता है, γ फेक्टर के हिसाब से कणों में संकुचन शुरू हो जाता है। त्वरित करते कण कुछ समय पश्चात प्रकाश के वेग के करीब 0.866 गुने वेग से गति करने लगते हैं। इस गति की अवस्था में γ=2 हो जाता है जिसका अर्थ है कि कणो की लम्बाई गति की दिशा में आधी हो जाएगी। परन्तु किस प्रकार होगा?
    1. केवल दोनों कणों के व्यास गति की दिशा में आधे हो जाएगे।
    2. दोनों कणों के बीच का आकाश भी संकुचित हो जाएगा।
    3. व्यास, कणों के बीच का आकाश और कण त्वरक का ट्यूब भी संकुचित होगा।
    मैं इनसे से किसी संभावना को देखता हूँ तो कोई ना कोई विरोधाभास मिलता है। असल में संकुचन कैसे होगा क्रपया स्पष्ट करें।

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  4. सर जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे चन्द्रयान 2 का इसरो से कल रात संपर्क टूट गया था तो सर क्या मैं जान सकता हूं कि ये संपर्क किस बजट से टूटता है कैसे टूटता है क्या कारण होता है इसका?

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  5. प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है और हम किसी भी ऊर्जा को नही देख सकते है तो हम प्रकाश के रंग(स्पेक्ट्रम) को जैसे लाल ,हरा इत्यादि रंग कैसे देख लेते है

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    1. यह एक गलत धारणा है कि हम ऊर्जा को देख नही सकते है। हम ऊर्जा के उन प्रकारों को देख सकते है जिन्हे देखने मे हमारी आंखे सक्षम है जैसे प्रकाश का दृश्य वर्णक्रम।

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  6. सर कम्पयूटर एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस है। सब कुछ उसमें इलेक्ट्रिसिटी है। हम जिसे बाइनेरी नम्बर कहते हैं वास्तव में वो इलेक्ट्रोनिक सिग्नलस होते हैं। फिर डाटा कम्पूयटर की हार्ड ड्राइव में कैसे सेव हो जाता है। 1 0 को कैसे समझा जाये। कैसे 1 0 कम्पूयटर में सेव हो जाता है।

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  7. सर ब्लैक होल की तस्वीर ली जा चुकी है
    सर मेरा प्रशन यहं हे की ब्लैक होल जब लाइट को भी अपने अंदर स्म लेता है तो फिर उसकी तस्वीर लेना केसे संभव हैi

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  8. सर मेरा एक प्रश्न है क्या हम किसी भी चीज को पूर्णतया नष्ट कर सकते हैं। जैसे मरने के बाद हिन्दू धर्म में शरीर को जला दिया जाता है। क्या वह शरीर नष्ट हो गया है। क्योंकि यदि हम शरीर को जला देते है । जलने के पश्चात उसमें से तो उर्जा निकलकर स्पेस में फैल जाती है। और उर्जा को तो नष्ट नहीं किया जा सकता है। मेरे कहने का मतलव ये है कि ब्रहांड में सब कुछ जो भी प्रसेन्ट है वह सब फिक्स है किसी को ना तो नष्ट किया जा सकता है और ना ही उत्पन्न, हाँ एक फोम से दूसरे फोम में कन्वर्ट जरूर किया जा सकता है। जैसे इस धरती पर पानी है जितना करोड़ों वर्ष पहले था उतना ही आज भी है लेकिन एक बात जरूर हो सकती है कुछ पानी वाष्प वनकर अन्तरिक्ष में चला गया हो लेकिन पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण उसे जाने नहीं देगा।। कुछ भी कम और ज्यादा नहीं होता है। कृप्या मेरे इस संशय को दूर कीजिये।

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    1. नही, किसी भी चीज को पूर्णत: नष्ट नही कर सकते है। हम उनका स्वरूप ही परिवर्तन कर सकते है। इसके अतिरिक्त पदार्थ को ऊर्जा या ऊर्जा को पदार्थ मे परिवर्तन भी संभव है।

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  9. आशीष सर नमस्कार , सर मैं आपका फेन हो गया है ये सब पढ़ने के बाद… मेरी स्पेस साइंस में बहुत रूची है। मैंने एमसीए किया है। मैं हर पल इस सृष्टि के बारे मे सोचता रहता हूं. बचपन से। लेकिन कुछ प्रश्न ऐसे है जिनका जबाव विज्ञान के पास नहीं है। सर आपने इतना ज्ञान कहां से अर्जित किया। सर आप कहां के रहने बाले है। आपकी उम्र क्या है। आप इस क्षेत्र में कब से लगे हुए है।

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  10. सर मुझे डाइमेंशन के बारे में डिटेल में जानना है। कितने डाइमेंशन हो सकते हैं। क्या अलग डाइमेंशन में फिजिक्स के नियम अलग अलग होते हैं? समय को क्यूं चौथा डाइमेंशन माना जाता है।

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    1. भौतिकी के अनुसार चार आयाम है, लंबाई, चौड़ाई, गहराई और समय। लेकिन स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार 11 से 25 आयाम हो सकते है।

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  11. भाई मुझे ये बतायें कि पार्टिकल( कण) का निर्माण कैसे हुआ।… तथा जब महाविस्फोट नहीं हुआ था तब क्या सारा पदार्थ एक ही जगह था कहने का मतलब है ये हैं कि क्या पदार्थ महाविस्फोट से पहले भी अपने अस्तित्व में था। अगर नहीं तो अत्यन्त घन्तव वाला विन्दु जो महाविस्फोट से पहले था उसमें क्या था?

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    1. हम जो भी कुछ जानते है वह बिग बैंग के १० – ४३ सेकंड के बाद का जानते है। उसके पहले क्या था , उसकी कोई जानकारी वर्तमान मे उपलब्ध नही है।

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  12. Sir, gravity and gravitation दोनो एक ही चीज से बनती है और वो है mass और दोनो बल है,, तो sir जो हमारा पृथ्वी है जो sun का चक्कर लगाता है किस बल के कारण लगाता है (gravity या gravitation) और क्यो

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  13. Sir,
    फरवरी 2013 में मध्य रूस के दक्षिणी यूराल पर्वत श्रृंखला में घटी थी. 20 मीटर व्यास के एक उल्का पिंड ने 40 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया था. ये उल्का पिंड जोरदार धमाके के साथ आया और एक बड़ा विस्फोट हुआ जिससे खिड़कियां टूट गईं और इमारतें नष्ट हुईं.

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    1. जब किसी जीन के डीऐनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्व या वायरस से भी हो सकता है।

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  14. सर कृपया इनटरनेट ऑफ थिंग्स,ब्लॉकचान,कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा बिग डेटा क्या है व इसके अनुप्रयोग क्या है इसके बारे में विस्तार से बतायें।

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    1. सुनीत, मै इसी क्षेत्र मे काम करता हुं। मेरी नौकरी से संबधित शर्ते इस विषय पर कुछ भी लिखने से रोकती है, पूर्वानुमति चाहीये। लेकिन प्रयास करते है, इन विषयों पर लिखने का।

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  15. हम ने स्टेफन हकिंगका ‘अ ब्रिफ हिस्ट्री अफ टाइम’ पुस्तक मे पढा था, ब्ल्याक होल का तस्वीर लेना सम्भव नही ! लेकिन अब सम्भव हुवा ,,, अभि अभि तस्वीर सार्वजनिक हुई…. येह कैसे सम्भव हुवा आशिष सर ? कृपया बताइए …

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    1. विज्ञान ईश्वर के बारे मे कुछ नही कहता है। विज्ञान केवल प्रमाणो पर विश्वास करता है। ईश्वर के होने के कोई प्रमाण नही है।

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  16. नमस्कार सर आज हम पौराणिक वैदिक कथाओं को पढ़ते हैं तो हमें पता लगता है की रामायण और महाभारत में जिस प्रकार की टेक्नॉलॉजी का यूज किया था उसमें बहुत सारे अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग का उल्लेख मिलता है मेरी जिज्ञासा एक ऐसे यान पर है जो कि रावण के पास था वह इस जान से मन की गति से काबू करता था तथा इसे मन की गति से कहीं भी उड़ाया जा सकता था ऐसा कथाओं में लेख है महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित विमान शास्त्र में भी इस प्रकार बने विमानों का वर्णन है मेरा मानना है कि यह magnetic field ki sahayta se उड़ाई जाते थे तथा मैग्नेटिक फील्ड की सहायता से इन्हें कंट्रोल किया जाता था जिससे यह अपनी मैग्नेटिक एनर्जी से उड़ान भरते थे तथा यह धरती के द्वारा मैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करके आसानी से कहीं भी जल्द से जल्द पहुंच जाते थे सर क्या ऐसा संभव हो सकता है मेरा तो मानना यही है कि यह यान मैग्नेटिक फील्ड की सहायता से ही उड़ान भरते थे

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    1. “महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित विमान शास्त्र” का अस्तित्व नही है। इस नाम से जो वैमानिक शास्त्र ग्रंथ बताया जाता है वह धोखाधड़ी है। यह ग्रन्थ पण्डित सुब्बाराय शास्त्री (1866–1940) द्वारा रचित है नाकि महर्षि भारद्वाज द्वारा।
      इस ग्रंथ मे जो भी विमान बताये गये है वे उड़ ही नही सकते। IISC बैंगलोर के वैज्ञानिको इस पर काम किया है। विस्तृत जानकारी http://cgpl.iisc.ernet.in/site/Portals/0/Publications/ReferedJournal/ACriticalStudyOfTheWorkVaimanikaShastra.pdf

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  17. सर मेरा एक प्रश्न है आज हम निकोला टेस्ला की बायोग्राफी देखते हैं तो उन्होंने एक सपना देखा था जिसे उन्होंने इंडक्शन मोटर की सहायता से पूरा किया पूरी दुनिया में ऐसी बिजली की सप्लाई की मेरा प्रश्न यह है कि निकोला टेस्ला एक विशाल टावर का निर्माण कर रहे थे जोकि एंटीने की सहायता से पॉजिटिव उर्जा लेता तथा पृथ्वी में लोहे की छड़ द्वारा नेगेटिव ऊर्जा को प्राप्तकर्ता जिससे हमें नेगेटिव ऊर्जा प्लस पॉजिटिव ऊर्जा आसानी से प्राप्त हो जाती मुझे विश्वास है यदि उन्हें फंड मिल गया होता तो वह यह कार्य पूरा कर लेते मेरा सवाल यह है एक महान वैज्ञानिक की अधूरी रह गई रिसर्च को आज उनके द्वारा प्रस्तुत लेख ओं द्वारा पूरा किया नहीं जा रहा है क्या किसी स्थान पर इससे संबंधित है रिसर्च की जा रही है क्या जिससे हमें अनिश्चित बिजली की प्राप्ति हो सके

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  18. गुड मॉर्निंग सर जैसा कि आज हमको पता है बिजली का उपयोग तथा उत्पादन हम बहुत बड़े इंडक्शन मोटर की सहायता से ही करते हैं क्या किसी प्रकार प्रयास किया जा रहा है जिससे एंटी मेटल की सहायता से बिजली का उपयोग किया जाए तथा ऐसा कोई उपकरण बना है जो एंटी मेटल की सहायता से बिजली का उत्पादन करता है

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  19. सर! अभी हाल ही में 26 नवम्बर 2018 को नासा का इनसाइट रोवर मंगल की सतह पर उतरा है यह नासा की मंगल पर एक बार फिर ऐतिहासिक सफलता है।
    सर कुछ इसके बारे में भी पाठको को विस्तार से बताये।

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    1. सूर्य स्थिर नही है। वह आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। गुरुत्वाकर्षण बल के खत्म होने पर ब्रह्मांड की हर वस्तु बिखर जायेगी। गुरुत्वाकर्षण ने ही समस्त पिंडॊ, तारो, ग्रहो को बांधकर रखा है।

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  20. Dear Sir,
    my questions is (1) dharti (earth) me bahut si aisi jagah hai jaha zero gravity hai to ye kis karan se hai ?
    (2) Kya aisi jagah pe compass work karta hai ?
    (3) kya earth me jis jagah par zero gravity hai waha kisi wastu ka wajan kam hoga ?
    (4) Kya earth me jis jagah par zero gravity hai waha water drop hawa me thahar sakti hai?
    qki Chhatisgarh Ke Kawardha jile me aisa gaon hai jaha zero gravity hai.
    abhi tak me aisi jagah gaya nahi hu isliye ye questions kiya hu.

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    1. १. पृथ्वी पर ऐसी कोई जगह नही है जहाँ गुरुत्वाकर्षण काम नही करता है।
      २. कुछ स्थानो पर चुंबकीय क्षेत्र असामान्य होने से कंपास सही दिशा नही दिखा पाता है।
      ३/४. शून्य गुरुत्वाकर्षण संभव ही नही ह।
      कवर्धा जीला का चप्पा चप्पा घूम चूका हुं ऐसी कोई जगह नही है 🙂

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  21. नमस्कार सर मैं नंदन सिंह आपके सामने एक सवाल और प्रस्तुत कर रहा हूं अगर सही लगे तो उत्तर जरुर दीजिएगा
    सर मैंने एक साइड में पड़ा था प्रकाश की गति से चलने वाली हवाई जहाज बनाने की कोशिश की जा रही है यह उस गति के आसपास चलने के लिए अंतरिक्ष यान बनाए जा रहे हैं सर क्या यह बात सही है यदि हम पृथ्वी पर ऐसी यान बना सकते हैं तो क्या कब तक बना सकते हैं या यह किसी की कल्पना मात्र है या यह सच है यही एक झूठी खबर है

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  22. नमस्कार आशीष जी ,
    आशा करता हूँ आप कुशल मंगल से होंगे ।
    एक प्रश्न मस्तिष्क में काफी समय से है ।
    कई बार पढ़ने में आया कि प्रकाश की गति की सदैव एक समान रहती है , क्या यह सत्य है ?और क्या जल मे भी प्रकाश की गति एक समान रहती है ।

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    1. हम जो श्वास लेते है उसमे लगभग २० प्रतिशत आक्सीजन होती है, जो श्वास छोडते है उसमे १७%। मतलब की शरीर केवल ३% आक्सीजन का प्रयोग करता है।
      बची हुई आक्सीजन वापस हवा मे है जो कोई अन्य प्राणी प्रयोग कर सकता है।

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    1. शहरो मे कृत्रिम प्रकाश, धुल धुंये से तारे कम दिखते है, जबकि गांवो मे यह नही होता जिससे तारे स्पष्ट और अधिक दिखाई देते है।

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  23. श्रीवास्तव जी, जब हम पृथ्वी से एक निश्चित ऊंचाई पर पहुंचते हैं तो गुरुत्वाकर्षण बल नगण्य हो जाता है फिर हम कैसे कह सकते हैं कि चंद्रमा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही पृथ्वी की परिक्रमा करता है?

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  24. नमस्कार आशीष जी ,
    मेरे एक सज्जन मित्र जिन्होंने भौतिकी से स्नातक किया है।
    उनका कहना है के अंतरिक्ष में भौतिकी के अधिकांश नियम कार्य नहीं करते। या कहिये की भौतिकी के नियम कार्य ही नहीं करते।
    मुझे यह बात बिल्कूल भी सही नहीं लगी , मैंने कुछ तर्क भी रखे। किन्तु मैंने भौतिकी से स्नातक नहीं किया है।
    क्या आप इस पर कुछ प्रकाश दाल सकते है ?

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    1. समस्त ब्रह्माण्ड मे भौतिकी के नियम एक जैसे काम करते है। केवल ब्लैक होल मे भौतिकी के ज्ञात नियम काम नही करते है।

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      1. जी धन्यवाद आशीष प्रतिक्रिया देने के लिए। 🙂
        यही बात मै भी उनसे कह रहा था , और जैसा की मै आपके ब्लॉग का एक नियमित पाठक हूँ। इतना तो मुझे आपके ब्लॉग और मेरी रूचि होने कारन अन्य स्थानों से भी ज्ञात था। किन्तु मैं यह सोच रहा हूँ की 21वी सदी का एक भौतिकी स्नातक व्यक्ति ऐसी मूर्खतापूर्ण बात कैसे कर सकता है। उनका कहना है की अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं है (मैं जनता हूँ , की अंतरिक्ष के सभी पिंड ग्रुत्वकर्षण के कारण ही एक दूसरे से बंधे हुए है और यहाँ तक की हमारा सूर्य भी हमारी मन्दाकिनी के मध्य स्थित श्याम विवर की परिक्रमा गुरुत्वाकर्षण के कारण ही कर रहा है। किन्तु वह कहते है की , यदि ऐसा है तो अंतरिक्ष यात्री हवा में क्यों तैरते रहते है ? गिरते क्यों नहीं ? इस बात का उत्तर भी मेरे पास है किन्तु वह मुझे मुर्ख समझते हुए इस पर बात ही नहीं करना चाहते। इस मूर्खता पर हंसु या रोउ भ्रमित हूँ। कैसे समझाऊ ? 😀

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    1. अभी वैज्ञानिकों के पास इस प्रश्न का सर्वमान्य संतोषजनक उत्तर नहीं है और इस विषय में और शोधकार्य की आवश्यकता है जो अभी जारी है।

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    1. नही, दोनो भाई यदि जुड़ंवा हो तो एक जैसे DNA हो सकता है अन्यथा कुछ अंतर तो रहेगा। लेकिन DNA जांच से पता चल सकता है कि आप दोनो भाई है।

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