कण त्वरण का एनीमेशन

15 सरल क्वांटम भौतिकी : कण त्वरक(Particle Acclerator) कणो को गति कैसे देते है?


कणो के साथ प्रयोग कैसे किये जाते है ?

कण त्वरक भौतिक वैज्ञानिको की दो समस्यायें हल करते है।

  • प्रथम:  सभी कण तरंग की तरह व्यवहार करते है, वैज्ञानिक कणों से संवेग मे वृद्धि कर उनके तरंगदैर्ध्य(Wavelength) को इतना कम करते है कि उनसे परमाणु के अंदर देखा जा सके।
  • द्वितीय:  इन गतिमान कणो की ऊर्जा से वैज्ञानिक अध्यन के लिये अस्थायी भारी कणो का निर्माण करते हैं।

कण त्वरक कैसे कार्य करते है।

आधारभूत रूप पर एक कण त्वरक एक कण को विद्युत चुंबकिय क्षेत्र से गति प्रदान करता है और उस कण को लक्ष्य या किसी अन्य कण से टकराता है। इस टकराव के आसमाप जांच यंत्र लगे होते है जो इस घटना का विवरण दर्ज करतें है।

clip_image003प्रश्न: आप के सबसे पास का कण त्वरक कौनसा है ?
टीवी या आपके कंप्युटर का मानीटर (एल सी डी/ या प्लाज्मा वाले नही!)
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इलेक्ट्रान : जांच कण

14 सरल क्वांटम भौतिकी : यह कैसे जाना जाये कि वास्तव मे क्या हो रहा है ? : कण त्वरक (Particle Accelerator)


इलेक्ट्रान : जांच कण
इलेक्ट्रान : जांच कण

भौतिक वैज्ञानिक प्रकाश को परमाणु तथा परमाणु से छोटे कणो की जांच के लिये प्रयोग नही कर सकते हैं, क्योंकि प्रकाश का तरंगदैर्ध्य(Wavelength) इन कणो के आकार से अधिक होता है। पिछले लेख मे हम देख चुके हैं कि किसी भी वस्तु की जांच के लिये उससे छोटे जांचयंत्र(तरंग) का प्रयोग करना आवश्यक होता है। लेकिन हम जानते हैं कि सभी कण ‘तरंग‘ गुणधर्म रखते है, इन कणो का जांचयंत्र के रूप मे प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी कण की जांच के लिये भौतिक वैज्ञानिको को सबसे कम तरंगदैर्ध्य के कण की आवश्यकता होती है। हमारे प्राकृतिक विश्व मे अधिकतर कणो का तरंगदैर्ध्य हमारी आवश्यकता से अधिक होता है। प्रश्न उठता है कि भौतिक वैज्ञानिक किसी कण के तरंगदैर्ध्य को कम कैसे करते है कि उसे एक जांचयंत्र की तरह प्रयोग किया जा सके ?

संवेग तथा तरंगदैर्ध्य
संवेग तथा तरंगदैर्ध्य

किसी कण का संवेग(momentun) तथा तरंगदैर्ध्य(Wavelength) विलोमानुपात(Inverse Propotion) मे होते है। अर्थात जितना अधिक संवेग, उतनी कम तरंगदैर्ध्य! भौतिक वैज्ञानिक इसी नियम के प्रयोग से कण त्वरकों मे जांचकण की गति को तेज कर देते है जिससे उसकी तरंगदैर्ध्य कम हो जाती है। इस प्रक्रिया की विधि :

  • अपने जांच कण को त्वरक(particle Acclerator) मे डाले।
  • जांचकण की गति को प्रकाशगति के समीप तक तेज कर उसके संवेग को बढ़ा दे।
  • अब जांचकण का संवेग अत्याधिक है, इसलिये उसकी तरंगदैर्ध्य लघुतम होगी।
  • अब जांचकण को लक्ष्य से टकराने दे और उसके बाद की घटना को अंकित कर ले।

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रदरर्फोर्ड का प्रयोग

12 सरल क्वांटम भौतिकी : कण त्वरक तथा जांचक (Particle Accerator and Detectors)


इस ब्लाग पर हमने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति , उसे बनाने वाले मूलभूत तत्वो, घटको की खूब चर्चा की है। हम जानते है कि हमारा दृश्य विश्व, हमारी आकाशगंगा, हमारी धरती और हम स्वयं किससे निर्मित है। लेकिन हम यह सब कैसे जानते है ? इस प्रमाण क्या है ? क्या हमने इसे प्रायोगिक रूप से प्रमाणित किया है या केवल गणितीय/दार्शनिक तुक्के हैं ?

हम यह सब कैसे जानते है ?

सिद्धांत और वास्तविकता
सिद्धांत और वास्तविकता

इस ब्लाग पर हम भौतिकी के विभिन्न आयामो, जिसमे से एक प्रमुख स्तंभ स्टैंडर्ड माडेल की चर्चा करते रहें है। स्टैंडर्ड माडेल विचित्र नामो वाले नन्हे, अदृश्य परमाण्विक कणो के विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करता है। यह सभी वैज्ञानिक सिद्धांत “एलीस इन वंडरलैण्ड” के जादुई विश्व के जैसे लगते है, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि भौतिकशास्त्र मे किसी कमरे मे बैठकर कहानीयाँ नही गढी़ जाती है। इस विज्ञान मे विभिन्न अवधारणाओं को प्रयोगशाला मे जांचा परखा जाता है, उसके परिणामों के आधार पर सिद्धांत गढे़ जाते है।

सिद्धांतो की जांच-परख के लिये वैज्ञानिक प्रयोग करते है, इन प्रयोगो मे वे ज्ञात सूचनाओं के प्रयोग से अज्ञात को जानने का प्रयास करते हैं। ये प्रयोग सरल आसान से लेकर जटिल तथा विशाल भी हो सकते है।

स्टैंडर्ड माडेल मानव के पिछले हजारो वर्षो के वैज्ञानिक अन्वेषण पर आधारित है लेकिन हमारी कण-भौतिकी के हमारी वर्तमान अवधारणाओं को आकार देने वाले अधिकतर प्रयोग हाल में ही घटित हुयें है। कण भौतिकी के सिद्धांतो की जांच प्रयोग की कहानी पिछले सौ वर्षो से भी कम समय पहले से प्रारंभ हुयी है।
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ठोस ईंधन वाले राकेट इंजिन

द्रव, ठोस ईंधन वाले राकेट इंजिन:राकेट कैसे कार्य करते हैं ? : भाग 2


ठोस ईंधन वाले राकेट इंजिन

ठोस ईंधन वाले राकेट इंजिन
ठोस ईंधन वाले राकेट इंजिन

ठोस ईंधन वाले राकेट इंजन मानव द्वार निर्मित प्रथम इंजन है। ये सैकड़ो वर्ष पूर्व चीन मे बनाये गये थे और तब से उपयोग मे है। युद्ध मे प्रक्षेपास्त्र के रूप मे इनका प्रयोग भारत मे टीपू सुल्तान ने किया था।

ठोस ईंधन वाले राकेट इंजिन की कार्यप्रणाली जटिल नही है। इसे बनाने के लिए आपको कुछ ऐसा करना है कि ईंधन तीव्रता से जले लेकिन उसमे विस्फोट ना हो। बारूद मे विस्फोट होता है, जो कि 75% नाइट्रेट, 15% कार्बन तथा 10% गंधक(सल्फर) से बना होता है। राकेट इंजिन मे विस्फोट नही होना चाहिये इसलिये बारूद मे यदि 72% नाइट्रेट, 24% कार्बन तथा 4% गंधक का प्रयोग हो तो विस्फोट नही होता है बल्कि ऊर्जा सतत रूप से लम्बे समय तक प्राप्त होती है। अब यह मिश्रण बारूद ना होकर राकेट ईंधन के रूप मे प्रयुक्त हो सकता है। यह मिश्रण तिव्रता से जलेगा लेकिन विस्फोट नही होगा।

साथ मे दिये गये चित्र मे आप बायें प्रज्वलन से पहले तथा पश्चात राकेट को देख सकते है। ठोस ईंधन को पीले रंग मे दिखाया गया है। यह ईंधन के मध्य एक सीलेंडर के आकार मे सुरंग बनायी गयी है। जब ईंधन का प्रज्वलन होता है तब वह इस सुरंग की दिवारो के साथ जलता है। जलते हुये ईंधन की दिशा इस सुरंग की ओर से राकेट की बाह्य दिवारो की दिशा ओर होती है। एक छोटे राकेट प्रतिकृति मे ईंधन कुछ सेकंड जलता है लेकिन अंतरिक्ष शटल के सहायक बुस्टर राकेट मे यह लाखों किग्रा ईंधन 2 मिनिट तक जलता है।

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राकेट इंजिन

न्युटन का तीसरा नियम : राकेट कैसे कार्य करते हैं ?: भाग 1


अंतरिक्ष यात्रा मानव इतिहास के सबसे अद्भूत प्रयासो मे एक है। इस प्रयास मे सबसे अद्भूत इसकी जटिलता है। अंतरिक्ष यात्रा को सुगम और सरल बनाने के लिये ढेर सारी समस्या को हल करना पडा़ है, कई बाधाओं को पार करना पड़ा है। इन समस्याओं और बाधाओं मे प्रमुख है:

  1. अंतरिक्ष का निर्वात
  2. उष्णता नियंत्रण और उससे जुड़ी समस्याएं
  3. यान की वापिसी से जुड़ी कठिनाइयाँ
  4. यान की कक्षिय गति और यांत्रिकी
  5. लघु उल्कायें तथा अंतरिक्ष कचरा
  6. ब्रह्मांडीय तथा सौर विकिरण
  7. भारहीन वातावरण मे टायलेट जैसी मूलभूत सुविधाएँ

लेकिन सबसे बड़ी कठीनाई अंतरिक्ष यान को धरती से उठाकर अंतरिक्ष तक पहुंचाने के लिये ऊर्जा का निर्माण है। राकेट इंजीन यही कार्य करता है।

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प्राकृतिक रंग, प्रतिनिधि रंग तथा उन्नत रंग

प्राकृतिक, प्रतिनिधि तथा उन्नत रंग: हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला चित्र कैसे लेती है?: भाग 3


इस लेख मे हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला द्वारा लिए जाने वाले तीन प्रकार के चित्रों और उन्हे बनाने की विधि का वर्णन किया गया है।
[इस लेख को पढ़ने से पहले इसका पहला भाग और दूसरा भाग पढ़े।] पढ़ना जारी रखें “प्राकृतिक, प्रतिनिधि तथा उन्नत रंग: हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला चित्र कैसे लेती है?: भाग 3”